RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
"जब मैं देहरी पर खड़ा था तो हमारी आंखें मिलीं। वो उस नाली के कीड़े के कंधे के पार से सीधे मेरी आंखों में देख रही थी... वो दीवार से सटे खड़े हुए थे। मुझे लगता है कि अगर उस वक़्त मेरे हाथ में कोई हथियार होता, कोई फरसा या छुरा या कुछ भी, तो मैं उसे वहीं के वहीं मार डालता। या शायद मैं एकदम सुन्न पड़ गया होता... उसकी वो आंखें, ब्रिगिट की आंखें जब वो अपने साथ उस आदमी को अपनी मनमर्जी करने दे रही थी, ये वही निगाहें थीं जिन्हें मैंने एक बार पहले भी देखा था। मैं तुरंत उन्हें पहचान गया था; तब वो सात-आठ साल की रही होगी, और पहली बार उसने भूखे, मरते बच्चों को देखा था और समझा था कि क्या हो रहा था... अफ्रीका से कोई टेलीविजन रिपोर्ट थी। वो वही आंखें थीं जिन्होंने इतने बरस पहले मुझे देखा था। वही हताशा। दुनिया की दुष्ट्ता से दो-चार होने पर होने वाला लाचारी का वही अहसास... मैं वापस घर चला गया और मुझे नहीं लगता कि महीने भर मैं पल भर को भी सोया होऊगा।"
वो रुका और उसने एक और सिगरेट सुलगाई।
"क्या ये वही साल था जब सिमेल स्पेन चला गया था?" मोएर्क ने पूछा, और उसे ये जानकर हैरानी हुई कि इतना सब होने के बावजूद उसकी उत्सुकता कितनी तीव्र थी। ये पाकर कि वो उसकी कहानी को कितने ध्यान से सुन रही है और उससे ऐसे ही प्रभावित हो रही है जैसे कि वो उसके अपने जख़्म हों... कि उसकी अपनी दुर्दशा और हताशा शायद किसी कहीं ज़्यादा बड़ी चीज के अक्स और उसकी मिसाल से ज़्यादा नहीं थी।
दुनिया में युगों से चली आ रही यंत्रणा की समग्रता?
दुष्ट्ता की समस्त ताकत?
या ये साली वो हठधर्मिता थी जिसकी सब चर्चा करते हैं। मेरी हठधर्मिता और विचित्र ताकत... और ये सच कि मैं हमेशा उस बच्चे को लेकर शर्मिदा महसूस करती हूं...
या शायद थोड़ा-थोड़ा दोनों? एक सी चीज? अगर ऐसी ही बात थी, तो आखिर क्या फर्क पड़ता था? उसके विचार भटक गए थे और वो सिरा पकड़े नहीं रह पाई। उसने अपनी मुठ्टियां भींच लीं, लेकिन कुछ पल बाद उनका अहसास भी खो गया। वो सुन्न पड़ गई और लुप्त हो गई थीं; उसी अवश्यंभावी तरीके से जैसे विचारों को पकड़ने की उसकी नाकाम कोशिशें हो गई थीं।
“हां,” अंततः वो बोला। “ये वही साल था। उन्हीं गर्मियों में वो गायब हो गया था... पिछली बसंत में ही वापस आया था, बाकी दोनों की तरह। निश्चय ही ये कोई संकेत रहा होगा कि कुछ ही हफ़्तों के अंदर वो अचानक एक-दूसरे के आगे-पीछे कालब्रिंजेन आ पहुंचे थे। मुझे ये बताने की कोशिश मत करना कि ये महज एक इत्तेफाक रहा होगा। ये बिटी की ओर से संकेत था। बिटी की और हेलेना की ओर से, ये साला इतना साफ है कि तुम शायद इसे नजरअंदाज नहीं कर सकतीं... क्या कोई इसे समझ पाएगा?”
अचानक उसकी आवाज में तीखापन आ गया था। अपने साथ गलत होने का क्षोभ। मानो वास्तव में वो खुद इस सबके पीछे नहीं था। मानो इन हत्याओं के लिए वो जिम्मेदार नहीं था। मानो...
महज एक कठपुतली।
वंडरमास की कही एक बात अचानक मोएर्क के दिमाग में कौंध गई--शायद शब्दशः तो नहीं, मगर सार रूप में--ज्यादातर हत्याओं के पीछे कोई आवश्यकता, कोई विवशता होती है जो दूसरे किसी भी काम के पीछे मौजूद किसी भी चीज से ज़्यादा बलवती होती है; अगर ऐसा नहीं होता, तो वो कभी होतीं ही नहीं, उन्हें करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
अगर कोई विकल्प रहा होता।
आवश्यकता। दुख, संकल्प और आवश्यकता... हां, वो समझ गई थी कि ये यही बात थी।
दुख। संकल्प। आवश्यकता।
उसने कहानी के जारी रहने का इंतजार किया, मगर कुछ नहीं आया। केवल उसकी भारी सांसें ही थीं जो अंधकार को काट रही
थीं और मोएर्क को अहसास हुआ कि यही वो पल है, यही क्षण है जब समय ठहर गया था, कि वो उसकी किस्मत के बारे में अपना इरादा बना रहा था।
"तुम मेरे साथ क्या करने वाले हो?" उसने फुसफुसाकर पूछा।
शायद ये कुछ ज़्यादा जल्दी था। शायद वो उसे इस बारे में सोचने का वक्त नहीं देना चाहती थी।
उसने जवाब नहीं दिया। वो उठ गया और दरवाजे से निकल गया ।
उसे बंद किया और ताला लगा दिया। बोल्ट लगा दिए।
एक बार फिर वो अकेली थी। उसने कदमों की आवाज को धुंधलाते सुना और दीवार के सहारे गठरी सी बन गई। उसने अपने ऊपर कबल खींच लिया।
एक बचा है, उसने सोचा। उसे अभी एक के बारे में और बताना है। और फिर?
और फिर?
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अगर उसके पास भविष्य में देखने की शक्ति होती, कुछ घंटे आगे में भी, तो मुमकिन है कि वो बिना किसी परेशानी के लंच छोड़ देता। और जल्दी से जल्दी कालब्रिंजेन की ओर निकल पड़ता।
इसके बजाय हुआ ये कि--इस लंबे खिंच गए केस का अंत साफ-साफ पहुंच के अंदर दिखने के चलते-उसने आर्नोज सैलर में, वो छोटा सा सीफूड रेस्तरां जो उसे बीस साल पहले के उस वक़्त से याद था जब वो किसी कोर्स के सिलसिले में एक हफ्ते वहां रुका था, कैनेल ऑक्स प्रून्स खाने का फैसला किया।
जो भी हो, उसे शांति और सुकून से सारे मसले पर गौर करने के लिए शायद कुछ घंटे चाहिए भी थे; कि इस ड्रामा के आखरी अंक का निर्देशन वो किस तरह करता है, ये भी महत्वपूर्ण था--दरअसल, काफी महत्वपूर्ण। फरसामार को यथासंभव कम से कम तकलीफ के साथ गिरफ्तार करना था, और साथ ही जहां तक मुमकिन हो,मकसद के सवाल की जांच करनी थी और उसे स्पष्ट करना था। और फिर, बेशक, इंस्पेक्टर मोएर्क से जुड़ी परेशानी भी थी। शायद गलत कदम उठाने के बहुत सारे मौके आ सकते थे, और, बॉजेन के शब्दों में, इस केस में कुछ भी ठीकठाक हुए बहुत समय गुजर चुका था।
मगर, अच्छे खाने से बेहतर कोई साथी उसके दिमाग में नहीं
आया |
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