RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
कल सुबह हम फरसामार को गिरफ्तार करने जा रहे हैं." उसने बताया। रणनीति बनाने के लिए बाकी लोग आज रात यहां आ रहे हैं।"
"यहां आ रहे हैं?" सिन ने कहा ।
"बदमाश," छह साल के बच्चे ने कहा। "मैं आपके साथ चलूगा।"
साढ़े चार बजे तक योजना बन गई थी। वान वीटरेन ने जैसा सोचा था इसमें उससे ज्यादा देर लग गई थी, मकसद का सवाल इधर से उधर ठोकर खाता रहा, मगर कोई ये निश्चित नहीं कह सकता था कि ये सब किस तरह जुड़ा है। लेकिन जहां तक मुमकिन हो सकता था उन्होंने इसे सुलझा लिया था। अब वो और आगे नहीं जा सकते थे, और भले ही पजल के कुछ टुकड़े अभी भी गायब थे, मगर कुल तस्वीर सबके सामने साफ थी।
“अब और इंतजार करने में कोई तुक नहीं है." वान वीटरेन ने कहा। "सबको पता है कि उन्हें क्या करना है... मुझे नहीं लगता कि हम खुद को बहुत ज़्यादा खतरे में डाल रहे हैं, मगर फिर भी सावधानी बरतना ठीक होगा। मूजर?"
मूजर ने अपने कूल्हे के उभार को थपथपाया।
“मुंस्टर?”
मुंस्टर ने हामी भरी।
पुलिस चीफ?"
एक और हामी, और वान वीटरेन ने अपनी नोटबुक बंद कर दी ।
"ठीक है। चलते हैं!"
मौत का ख़्याल किसी विचारशील मेहमान की तरह आया था, लेकिन एक बार जब मोएर्क ने उसे आने दिया तो उसने रुके रहने का तय कर लिया।
अचानक ही वो उसके साथ रहने लगा था। बिनबुलाया और निर्मम। उसके पेट को भींचते किसी हाथ की तरह। किसी धीमे-धीमे बढ़ते ट्यूमर की तरह। एक स्याह बादल उसके जिस्म पर फैलता जा रहा था, और भी ज़्यादा निराशाजनक अंधकार तले उसके विचारों को रौंदते हुए।
मौत । अचानक यही वो एकमात्र वास्तविकता बन गई थी जो उसके सामने थी। यही अंत है, उसने खुद से कहा, और ये कोई विशेषरूप से तकलीफदेह या परेशानी भरा नहीं था। वो मरने वाली थी... या तो उसके हाथ से या अपने आप। यहां फर्श पर इन सारे कंबलों के अंदर दुबकी पड़ी, अपने इस दुखते जिस्म और इस छटपटाती आत्मा के साथ,जो उसका ज़्यादा नाजुक हिस्सा था...वही सबसे पहले साथ छोड़ने वाला था, वो अब जान गई थी; एक बार जब उसने मौत के लिए दरवाजा खोल दिया तो उसके भीतर जिंदगी की चिंगारी धीरे-धीरे हल्की पड़ने लगी थी। इसके पूरी तरह से बुझने से पहले शायद बस सौ, सत्तर या महज बीस सांसें ही शेष बची होंगी। अब उसने गिनना शुरू कर दिया था, लोग जब जेल में होते हैं तो हमेशा ऐसा ही करते हैं, वो ये जानती थी। उसने कैदियों के बारे में पढ़ा था जो इस तरह गिनती करते रहने की वजह से ही अपना मानसिक संतुलन कायम रख पाए थे, इकलौती दिक़्कत ये थी कि उसके पास गिनने को कुछ नहीं था। न कोई
घटना। न शोर। न समय।
केवल उसकी अपनी सांसें और नब्ज ।
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