RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
इस बार वो पहले कभी से ज़्यादा देर तक वहीं बैठा रहा। गहरी सांसें लेता अंधेरे में उससे तीन-चार गज दूर बैठा था। उनमें से कोई कुछ नहीं बोला; मोएर्क ने अंदाजा लगाया कि आगे कहने को कुछ नहीं बचा था।
उसका काम अब पूरा हो चुका था।
उसने अपना बदला ले लिया था।
कहानी कही जा चुकी थी।
सब खत्म हो गया था।
वो वहां अंधेरे में बैठे थे और मोएर्क को महसूस हुआ जैसे वो महज दो अदाकार हों जो अभी भी मंच पर ही बने हुए थे, हालांकि परदा तो कभी का गिर चुका था।
अब क्या? वो सोच रही थी। आगे क्या होगा?
हैमलेट की मौत के बाद होरेशियो क्या करेगा?
जिंदा रहेगा और एक बार फिर से कहानी सुनाएगा, जिसके लिए उससे इल्तेजा की गई थी? अपने खुद के हाथों मारा जाएगा, जैसी उसकी इच्छा है?
अंत में उसने सवाल करने की हिम्मत कर ही डालीः "तुम क्या करना चाहते हो?"
वो उसे चौंकते सुन सकती थी। शायद वो सच में सो गया था। वो एक अनंत क्लांति से घिर गया मालूम देता था, और मोएर्क को तुरंत ऐसा लगा कि वो उसे कुछ सलाह देना चाहेगी।
किसी तरह की दिलासा। लेकिन वास्तव में कुछ नहीं था।
"मुझे नहीं पता," उसने कहा। "मैं अपनी भूमिका निभा चुका हूं। मुझे कोई संकेत मिलना चाहिए। मुझे वहां जाना और संकेत का इतंजार करना चाहिये..."
वो खड़ा हो गया।
"आज क्या दिन है?" अचानक वो पूछ बैठी, वजह जाने बिना।
"दिन नहीं है?" वो बोला। "रात है।"
फिर वो उसे दोबारा छोड़कर चला गया।
खैर, मैं अभी भी जिंदा हूं उसने हैरानी से सोचा। और रात दिन की जननी है...
वान वीटरेन ने कमान संभाली।
अंधेरे में जो अब कम घना होने लगा था, रास्ता बनाते हुए वो आगे-आगे चला। पेड़ों के नीचे से धुंधली भोर की पतली सी रेखा घुसने लगी थी, लेकिन अभी भी अस्पष्ट रेखाओं, टिमटिमाहटों और छायाओं के अलावा कुछ भी समझ पाने के लिए बहुत जल्दी थी। रोशनी पर आवाज, आंख पर कान अभी भी हावी थे। उनके आगे बढ़ने पर उनके पांवों से टकराकर भागते छोटे जानवरों की हल्की सी सरसराहट और किकियाहटें सुनाई दे जाती थीं। अजीब सी जगह है, मुंस्टर ने सोचा।
“अब आराम से चलना," वान वीटरेन ने उनसे गुजारिश की। "बिना नजर आए पंद्रह मिनट बाद पहुंचना कहीं बेहतर होगा।"
आखिरकार वो एक कोने पर मुड़े और पत्थर के बने रास्ते पर निकल आए। वान वीटरेन ने दरवाजा खोला। वो हल्के से चरमराया, मुंस्टर महसूस कर सकता था कि वो चिंतित है; लेकिन आधे मिनट के अंदर वो सब अंदर थे।
वो बंट गए। दो सीढ़ियों के ऊपर गए। वो और मुंस्टर नीचे।
घोर अंधेरा था, उसने अपनी फ़्लैशलाइट जला ली।
"ये बस अंदाजा है." वो उसके कधे पर फुसफुसाया, लेकिन फिर भी मुझे पूरा यकीन है कि मैं सही हूं।"
मुंस्टर ने हामी भरी और उसके पीछे-पीछे चलता रहा।
"देखो!" वान वीटरेन ने रुकते हुए कहा। उसने खिलौनों से भरे एक पुराने गुड़ियाघर पर रोशनी फेंकी: गुड़ियां टैडी बीयर और बाकी सब चीजें जिनकी आप कल्पना कर सकते हैं। मुझे तभी समझ जाना चाहिए था... लेकिन शायद ये कुछ ज़्यादा हो जाता।"
वो नीचे चलते रहे, मुंस्टर उससे आधा कदम पीछे था। मिट्टी-मिट्टी और सिगरेट के बासी धुएं के बचे-खुचे अंश--की महक तेज होती गई। रास्ता संकरा होता गया और छत नीची, जिससे उन्हें थोड़ा नीचे और आगे को झुकना पड़ रहा था--फ़्लैशलाइट की थरथराती रोशनी के बावजूद वो टटोलते हुए आगे बढ़ रहे थे।
"यहां," अचानक वान वीटरेन ने कहा। वो रुक गया था और उसने एक लकड़ी के दरवाजे पर फ़्लेशलाइट की रोशनी डाली जिस पर मोटा सा ताला और डबल रोक लगी हुई थी। "यही है!"
उसने सावधानीपूर्वक दस्तक दी।
कोई आवाज नहीं आई।
उसने फिर कोशिश की, इस बार थोड़ा जोर से, और दूसरी ओर से मुंस्टर को हल्का सा शोर सुनाई दिया।
"इंस्पेक्टर मोएक?" वान वीटरेन ने सीलन भरे दरवाजे पर अपना गाल सटाते हुए पुकारा।
अब उन्हें एक स्पष्ट और निश्चित "हां" सुनाई दी, और इसी के साथ मुंस्टर को अपने भीतर कुछ फूटता सा महसूस हुआ। उसके चेहरे पर आंसू बहने लगे और दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें रोक नहीं सकती थी। मैं बयालीस साल का पुलिसवाला हूं और एक बच्चे की तरह यहां खड़ा रो रहा हूं। उफ!
लेकिन उसने फिक्र नहीं की। वो वान वीटरेन के पीछे खड़ा था और अंधेरे की ओट में रो रहा था। शुक्र है, उसने सोचा, बिना ये जाने कि वो किसे संबोधित कर रहा है।
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