RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
मुंस्टर ने सिर हिलाया।
"हां, दरअसल थोड़ी-बहुत," उसने कहा। "मगर वो इंतजार कर सकती है।"
"अब जाओ," उसने कहा। "लेकिन, अगर बदबू को बर्दाश्त कर सको तो पहले मुझे गले लगाओ।"
"रहने दो, सुबह से तुम्हें उठाए घूम रहा हूं," मुंस्टर ने उसके गिर्द बाहें डालते हुए कहा।
"आउच," बियाटे मोएर्क के मुंह से निकला।
"ठीक है, फिर, मुंस्टर ने कहा। "अपना ध्यान रखना।"
"तुम भी।"
उसने काफी दूर से ही उसे देख लिया था।
सुबह की हल्की रोशनी में, वो उसी जगह खड़ा हुआ था जहां उस शाम खड़ा था, एकदम शुरू में।
उस समय, जब उसने उसके पास न जाने का फैसला किया था। उसके दुख में बाधा न डालने का।
तब की तरह ही उसने अपने हाथ अपनी जेबों में डाले हुए थे। सिर झुका था। वो एकदम शांत खड़ा था, टांगें फैलाए, मानो बहुत देर से इंतजार कर रहा हो और सुनिश्चित करना चाहता हो कि वो अपना संतुलन न खो बैठे।
पूरी एकाग्रता से ध्यान लगाए। मगन शायद प्रार्थना में, वान वीटरेन ने सोचा, लेकिन शायद वो केवल इंतजार कर रहा था। कुछ होने का इंतजार। या वो बस दुख था शायद। उसकी पीठ ने इतना साफ कर दिया था कि वो परेशान नहीं किया जाना चाहता कि वान वीटरेन उसके पास जाने में हिचकिचा गया। उसने क्रोप्के और मूजर को दूरी बरतने का इशारा किया... ताकि कुछ देर के लिए वो उससे अकेले बात कर सके।
"गुड मॉर्निग," जब बस एक-दो गज ही बचे तो उसने कहा, बॉजेन ने शायद बजरी पर उसके कदमों की आहट सुन ली थी। "मैं अब आ रहा हूं।"
"गुडमॉर्निग," बॉजेन ने बिना हिले कहा।
वान वीटरेन ने बॉजेन के कधे पर हाथ रखा। कुछ पल शांत खड़ा, कब्र के पत्थर पर लिखी इबारत पढ़ता रहा।
ब्रिगिट बॉजेन
6/18/1964 – 9/30/1989
हेलेना बॉजेन
23/1934 – 9/27/1993
"कल?" वान वीटरेन ने कहा।
बॉजेन ने हामी भरी।
"पांच साल पहले। जैसा तुम देख सकते हो, उसकी मां उस दिन तक नहीं जी पाई... लेकिन वो बस तीन दिन पीछे रह गई थी।"
कुछ देर वो खामोश खड़े रहे। वान वीटरेन को पीछे से क्रोप्के के खांसने की आवाज सुनाई दी और उसने मुड़कर देखे बिना चेतावनी देते हुए हाथ उठा दिया।
"मुझे पहले ही जान लेना चाहिए था," उसने कहा। आपने मुझे कुछ संकेत भी दिए थे।"
बॉजेन ने पहले तो कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपने कधे उचकाए, और सिर हिला दिया।
"संकेत," आखिरकार उसने कहा। "मुझे कोई संकेत नहीं मिल रहा है... मैं यहां खड़ा हूं, इंतजार कर रहा हूं, काफी देर से, अभी फौरन ही नहीं...”
"जानता हूं," वान वीटरेन ने कहा। "शायद... शायद किसी चिह्न की गैरमौजूदगी ही अपने आपमें कोई चिह्न हो।"
बॉजेन ने आंखें उठाई।
"ईश्वर का मौन?" वो सिहर गया, उसने वान वीटरेन की आंखों में देखा। "
मोएर्क के लिए मुझे दुख है... आपने उसे रिहा कर लिया?"
"हा।"
इस सब कुछ को समझाने के लिए मुझे कोई चाहिए था। उसे ले जाने से पहले मुझे इसका अहसास नहीं था, लेकिन यही सच था। मैंने उसे मारने का कभी सोचा तक नहीं था।"
"बेशक नहीं," वान वीटरेन ने कहा। "आपने ये कब जाना कि मैं समझ जाऊंगा?"
बॉजेन हिचकिचाया।
"शतरंज की उस आखरी बाजी में शायद । मगर यकीन नहीं था--"
"मुझे भी नहीं," वान वीटरेन ने कहा। "मुझे मकसद ढूंढ़ने में दिक्कत हो रही थी।"
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