Hindi Antarvasna - काला इश्क़
07-14-2020, 12:53 PM,
#35
RE: Hindi Antarvasna - काला इश्क़
update 29

ये कोई और नहीं बल्कि ऋतू थी जो अभी भी नशे में थी और अपने बिस्तर से उठ कर मेरे सिरहाने खड़ी थी| पर मुझ पर तो दारु का नशा सवार था इसलिए मैं बस उस हसीं पल का लुत्फ़ उठा रहा था, जिसमें ऋतू मेरे होठों को बारी-बारी चूस रही थी| उसके हाथों ने मेरी कमीज के बटन खोलने शुरू कर दिए थे और मैं अब भी होश में नहीं आया था| सारे बटन खोल कर ऋतू मेरी टांगों की तरफ आई और झुक कर मेरी पैंट की ज़िप खोली, फिर बेल्ट खोलने की कोशिश में उसने मुझे थोड़ा हिला दिया जिसके कारन मेरी नींद टूटी और मैं कुनमुनाया; "उम्म्म...ममम" पर ऋतू को जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा और वो फिर से मेरी बेल्ट खोलने लगी| पर चूँकि बेल्ट बहुत टाइट थी तो उसे खोलने में ऋतू को कठनाई हो रही थी| उसने हार मानते हुए मुझे ही हिलाना शुरू कर दिया, 3-4 बार हिलाते ही मेरी आँख खुल गई| पर हॉल में कम रौशनी थी जिससे मैं ये नहीं देख पाया की कौन है और खुसफुसाते हुए पूछ बैठा; "कौन है?" जवाब में ऋतू ने मेरे होठों को फिर से अपने मुँह में भर लिया और मेरे ऊपर के होंठ को चूसने लगी| अब मुझे समझते देर न लगी की ये ऋतू है, पर दिमाग नशे से इतना सुन्न था की मैं जल्दी रियेक्ट नहीं कर पाया| पर फिर भी इतनी सुद्ध तो थी की मैं अपने घर नहीं बल्कि मैडम के घर पर हूँ और वहाँ मेरे और ऋतू के अलावा दो लोग और हैं| मैंने बड़ी मुश्किल से ऋतू के होठों से अपने होठों को छुड़वाया और खुसफुसाते हुए बोला; "जान! क्या कर रहे हो? हम mam के घर पर हैं! कोई आ जायेगा...." पर मेरी बात पूरी होने से पहले ही ऋतू मेरे ऊपर लेट गई और फिर से अपने होठों से मेरे होठों को कैद कर लिया| अब तो मुझे भी जोश आ ने लगा था पर खुद को काबू करने लगा| दो मिनट मेरे होंठ चूसने के बाद ऋतू ने खुद ही उन्हें छोड़ दिया और मेरी छाती पर सर रख कर बोली; "जानू! आज बहुत मन कर रहा है! बड़े दिन हुए आपने मुझे प्यार नहीं किया?!"

"जान! हम mam के घर पर हैं, कोई आगया तो?" मैंने ऋतू को समझाते हुए कहा|

"कोई नहीं आएगा जानू! Mam और राखी दोनों गहरी नींद में हैं और मैंने Mam के कमरे का दरवाजा बंद कर दिया है| प्लीज मान जाओ ना!" अब मेरा प्यार मुझसे इतने प्यार से मिन्नत कर रहा है तो मैं भला उसका दिल कैसे तोड़ सकता था| "तो आप नहीं मानने वाले ना?!" मैंने ऋतू के बालों में हाथ फेरा और उसे उठ कर खड़ा होने को कहा| मैंने एक बार खुद इत्मीनान किया की मैडम और राखी सो रहे हैं ना?! फिर दोनों कमरों के दरवाजे को मैंने धीरे से बंद कर दिया, वापस आया तो ऋतू काउच पर लेटी थी और उसने अपने डिवाइडर का नाडा खोल कर नीचे खिसका दिया था| उसकी पैंटी भी घुटनों तक उतरी हुई थी, अब मैंने भी जल्दी से अपनी पैंट खोल दी और कच्छा नीचे किया और लंड पर खूब सारा थूक चुपेड़ा| अपने घुटने मोड़ कर मैं ऋतू के ऊपर छा गया और हाथों से पकड़ के लंड उसकी बुर के द्वार से भीड़ा दिया| मैं जानता था की जैसे ही मैं लंड ऋतू की बुर में पेलुँगा वो दर्द से चिल्लायेगी इसलिए मैंने सबसे पहले उसके होठों को अपने मुँह से ढक दिया| मैंने अपनी जीभ उसके मन में डाल दी और ऋतू उसे चूसने लगी, इसका फायदा उठाते हुए मैंने नीचे से अपने लंड को उसकी बुर में उतार दिया| सिर्फ सुपाड़ा ही अंदर गया था की ऋतू ने मेरी जीभ को दर्द महसूस होने पर काट लिया| अब 'आह' कहने की बारी मेरी थी पर वो आवाज निकल नहीं पाई, जोश आया तो मैंने नीचे से एक और झटका मारा और आधा लंड बुर में पहुँच गया| ऋतू ने मेरी जीभ छोड़ दी और उसकी सीत्कारें मेरे मुँह में ही दफन हो कर रह गई| कुछ "गुं..गुं..गुं..!!!" की आवाजें बाहर आ रहीं थी|

ऋतू का दर्द मुझसे कभी बर्दाश्त नहीं होता था, इसलिए मैं तुरंत रूक गया| मैंने उसके होठों के ऊपर से अपना मुँह हटा लिया, मेरे हटते ही कुछ पल में ऋतू की सांसें सामान्य हुई और वो बोली; “जानू! प्लीज ... रुको मत! पूरा अंदर कर दो!!!!" ऋतू की बात सुन उसका मेरे लिए प्यार मैं समझ गया और वापस उस पर झुक गया| धीरे-धीरे बिना रुके मैंने अपना पूरा लंड उसकी बुर में पहुँचा दिया| अब मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया, ऋतू से ये सुख बिना आवाज किये बयान करना मुश्किल था| उसने अपने दाहिने हाथ की कलाई अपने मुँह पर भर ली और उसे काटने लगी| उसकी सीत्कार उसके मुँह में ही कैद होने लगी और इधर मेरी रफ़्तार तेज होने लगी थी| 10 मिनट तक ही ऋतू टिक पाई और फिर वो झड़ने लगी, पर इससे पहले की मैं झड़ता राखी के कमरे का दरवाजा खुला और वो बाहर आई| उसपर नजर सबसे पहले ऋतू की पड़ी और उसने मुझे एक डीएम से अपने ऊपर से ढकेल दिया| जब मेरी नजर ऋतू की नजर के पीछे-पीछे गई तो राखी मुझे वाशरूम जाती हुई दिखी और मैं भी हड़बड़ा कर उठा और फटाफट अपनी पैंट पहनने लगा| ऋतू ने भी अपने कपडे ठीक किये और अंदर कमरे में भाग गई| ये तो शुक्र था की हॉल में रौशनी कम थी और काउच जिस पर हम दोनों थे वो दरवाजे के साथ वाली दिवार के साथ था| राखी ने हम दोनों को नहीं देखा और वो सीधा ही वाशरूम में घुस गई थी| जब वो बाहर आई तो मैं चुप-चाप ऐसे लेटा था जैसे सो रहा हूँ, उसने आ कर मेरी टाँग हिला कर मुझे उठाया; "रितिका कहाँ है?" ये सुन कर तो मैं अवाक रह गया, मुझे लगा की उसने मुझे और ऋतू को सेक्स करते हुए देख लिया! मैंने फिर भी अनजान बनते हुए, कुनमुनाते हुए कहा; "प....पता नहीं!"

"अंदर तो नहीं है? आप लोग उसे वहीँ तो नहीं छोड़ आये ना?" ये सुन कर मुझे सुकून हुआ की उसने कुछ देखा नहीं! मैं तुरंत उठ के बैठ गया और ऐसे दिखाने लगा की मुझे सच में नहीं पता की वो कहाँ है| मैंने हॉल की लाइट जलाई; "आप ने वाशरूम देखा?" पर तेज लाइट से जैसे ही कमरे में रौशनी हुई हम दोनों की आँखें चौंधिया गईं और राखी ने अपनी आँखों पर हाथ रखा और बोली; "मैं अभी वहीँ से तो आ रही हूँ|" मैं जान बुझ कर उसी कमरे में घुसा और देखा ऋतू वहीँ सो रही है; "अरे ये तो रही!" मैंने फिर से चौंकने का नाटक करते हुए कहा| राखी अंदर आई और एक दम से चौंक गई; "ये यहाँ कैसे आई? मैं जब उठी तब तो यहाँ कोई नहीं था?" उसने जा कर ऋतू को छू कर देखा और फिर उसे जगाने लगी तो ऋतू चौंक कर उठ गई और हैरानी से हम दोनों को देखने लगी| "तू यहाँ तो नहीं थी जब मैं उठी?" राखी ने ऋतू से पूछा|

"मैं किचन में थी पानी पीने, जब वापस आई तो आप यहाँ नहीं थे| क्या हुआ?" ऋतू की बात सुन कर राखी की हँसी छूट गई|

"यार तुमने सच में डरा दिया मुझे! मुझे लगा की कोई भूत-प्रेत है यहाँ!" अब ये सुन कर हम तीनों हँस पड़े|

खेर वो दोनों वापस लेट गए और मैं पहले बाथरूम में घुसा और जा कर लंड हिलाया और पानी निकाल कर सो गया| सुबह सात बजे मैडम ने मुझे उठाया और हमारी Good Morning हुई फिर उन्होंने कॉफ़ी का मग मुझे दिया| "नींद तो आई नहीं होगी आपको?" मैडम ने मुझसे पूछा|

"Mam नींद तो जबरदस्त आई पर राखी ने रात को भूत देख लिया!" मेरी बात सुन कर मैडम एक दम से हैरान हो गईं| फिर मैंने उन्हें सारी बात बताई तो मैडम हँस पड़ी| हमारी हँसी सुन कर ऋतू और राखी दोनों बाहर आ आगये| मैडम ने उन्हें भी कॉफ़ी दी और हमारी कल रात के बारे में बातें शुरू हुईं| जब मैडम ने ऋतू को बताया की वो नशे में मुझे मैडम के सामने Kiss करने वाली थी तो वो बुरी तरह झेंप गई! "आय-हाय! शर्मा गई लड़की! अब तो नाम बता दे की कौन है वो लड़का?" ऋतू की नजरें झुकी हुई थी और उसने बस इतना ही कहा; "है एक...." बस इसके आगे वो कुछ नहीं बोली और कॉफ़ी का कप रख कर वाशरूम चली गई|

राखी: वैसे मानु जी, आपके शराब के ज्ञान को सलाम! (राखी ने मुझे छेड़ते हुए कहा|)

अनु मैडम: सब तरह शराब चखी है आपने| (मैडम ने राखी की बात में अपनी बात जोड़ दी|)

मैं: Mam कॉलेज के दिनों में ...... ये सब try की थी| (मैंने थोड़ा झिझकते हुए जवाब दिया|)

राखी: पर पैसे कहाँ से लाते थे तब?

मैं: पार्ट टाइम में टूशन पढ़ाता था| उससे जो पैसे कमाता था उससे ये शौक़ पूरे होते थे|

अनु मैडम: अरे वाह! तभी से Independent हो आप!

राखी: और भी कोई शौक़ है इसके अलावा?

अब मैं सोच में पड़ गया की कुछ बोलूँ या नहीं पर तभी ऋतू आ गई और उसने जाने की इज्जाजत माँगी|

अनु मैडम: अरे पहले नाश्ता तो करो!

फिर मैडम, राखी और ऋतू सब एक साथ किचन में घुस गए और मैं भी फ्रेश हो कर मैडम की बालकनी में खड़ा हो गया और सुबह की धुप का मजा लेने लगा| नाश्ता कर के हम सब को निकलते-निकलते 9 बज गए| मैडम ने आज मुझे और राखी को छुट्टी दे दी और ये सुनते ही ऋतू की आँखें चमक उठी| मैंने कैब बुक की और सबसे पहले राखी का ड्राप पॉइंट डाला और फिर लास्ट में मेरा और ऋतू का| राखी जब उतरी तो वो मेरे पास आई और मुझे कान पकड़ के सॉरी बोला| मैं भी बड़ा हैरान था की ये मुझे क्यों सॉरी बोल रही है| "कल रात शायद नशे में मैंने आपसे कोई बदसलूकी की हो तो उसके लिए सॉरी|"

"पर आपने कुछ नहीं किया! रिलैक्स!" मैंने उसे आशवस्त किया की कुछ भी नहीं हुआ| फिर जब हम घर पहुँचे तो ऋतू फुल मूड में थी| दरवाजे बंद होते ही ऋतू ने मुझे जोर से खींचा और पलंग के सामने खड़ा कर दिया और फिर जोर से धक्का दे कर मुझे पलंग पर गिरा दिया| मैं अभी सम्भल भी नहीं पाया था की ऋतू मेरे ऊपर कूद पड़ी और मेरे पेट पर बैठ गई| फिर झुक कर उसने मेरे होठों को अपने होठों से मिला दिया फिर अपना मुँह खोला और अपनी जीभ से मेरे ऊपर वाले होंठ को सहलाया| उसे अपने मुँह में भर के चूसने लगी, मेरे हाथों ने उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया| अब बारी थी मेरी, मैंने भी थोड़ा जोश दिखाया और उस के Kiss का जवाब देने लगा| मैंने अपने हाथों से उसे कास के अपने से चिपका लिया और पलट कर अपने नीचे ले आया| नीचे आ कर मैंने उसके डिवाइडर को निकाल कर फेंक दिया और उसकी कच्छी उतार के पहले उसे सूँघा, फिर उसे भी फेंक दिया| ऋतू की नंगी बुर मेरे सामने थी और ऐसा नहीं था की मैं वो पहली बार देख रहा था, बल्कि जब भी देखता था तो सम्मोहित हो जाता था|

मेरा मुँह अपने आप ही ऋतू की बुर पर झुकता चला गया और जोश आते ही मैंने अपने मुँह को जितना खोल सकता था उतना खोल कर ऋतू की बुर को अपने मुँह से ढक दिया| जीभ सरसराती हुई अंदर चली गई और ऋतू के बुर में लपलपाने लगी| इतने भर से ही ऋतू की बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया और उसने मेरे कमीज के कॉलर को पकड़ के ऊपर खींच लिया| अब मैंने तो अभी भी पैंट पहनी थी पर ऋतू इतनी बेसब्री थी की उसने पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को टटोलने लगी| लंड पकड़ में आते ही उसने उसे बहार निकाला और अपनी बुर के मुख से भिड़ा दिया| ऋतू के बुर का पानी पहके मेरे लंड के सुपाडे से टच हुआ था मेरे जिस्म में झुरझुरी छूट गई| मैंने पूरी ताक़त से एक झटका मारा और लंड फिसलता हुआ और चीरता हुआ ऋतू के बुर में पहुँच गया| "माँ...आ..आ..आ..आ ..आ..आ...आ..मम...आह....हह..हहा...आय....!!" ऋतू के मुँह से जोरदार चीख निकली और उसने अपने दाँत मेरे कंधे पर गड़ा दिए! तब जा कर मुझे ऋतू के दर्द का एहसास हुआ| ऋतू के दाँत अब भी मेरे कंधे पर गड़े हुए थे और मैं बिना हिले-डुले ही उसपर पड़ा रहा| पॉंच मिनट तक हम दोनों इस तरह बिना हिले-डुले पड़े रहे, फिर धीरे-धीरे ऋतू ने अपने दाँत मेरे कंधे पर से हटाये और नीचे से उसने अपनी बुर को सिकोड़ा| ये मेरे लिए संकेत था, मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया और अगले दो मिनट में ही मेरी स्पीड बढ गई और ऋतू फिर से झड़ गई! उसके झंडने से मेरे लंड की स्पीड और भी ज्यादा बढ़ गई, पर ऋतू ने मुझे रोकना चाहा और मेरी छाती पर दबाव दे कर मुझे खुद से दूर करने लगी| पर मैं फिर भी लगा रहा, शायद ऋतू से ये बर्दाश्त नहीं हो रहा था और उसने मुझे बहुत जोर से झटका दे कर खुद से अलग कर दिया| मुझे उसके इस बर्ताव से बड़ी खीज हुई और मैं उसके ऊपर से हट गया और दूर जा कर खड़ा हो गया| मेरी सांसें तेज थी और गुस्से से चेहरा तमतमा रहा था, ऋतू की नजर मुझ पर पड़ी तो वो शं गई और दूसरी तरफ मुँह कर के लेटी रही|

दरअसल ऋतू के जल्दी छूट जाने से और मुझे बीच मजधार में छोड़ देने से मैं बहुत गुस्से में था|
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RE: Hindi Antarvasna - काला इश्क़ - by desiaks - 07-14-2020, 12:53 PM

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