Hindi Antarvasna - काला इश्क़
07-14-2020, 01:11 PM,
#96
RE: Hindi Antarvasna - काला इश्क़
update 83

अब तक आपने पढ़ा:

घर पर मेरे लिए एक सरप्राइज वेट कर रहा था, जैसे ही मैं कमरे में घुसा तो वहाँ का नजारा देख मैं दंग रह गया! सारे कमरे में अनु ने नेहा और हमारी फोटो चिपका दी थी! ऐसा लगता था मानो पूरे कमरे में नेहा ही छाई हो! आज इतने दिनों बाद मुझे नेहा का एहसास हुआ तो मेरी आँखें नम हो गईं| "Hey... ये माने आपको रुलाने के लिए नहीं किया! ये इसलिए किया ताकि जो दर्द आप अपने अंदर छुपाये रहते हो उसे खत्म कर सकूँ!" अनु बोली| मैंने अनु को कस कर गले लगा लिया और उसे थैंक यू कहा!

अब आगे....

अनु चेंज करने गई और इधर मैं पूरे कमरे में घूमने लगा और हर एक फोटो को छू कर देखने लगा| मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं सच में नेहा को छू रहा हूँ, वो हर एक पल मुझे याद आने लगा जो मैंने नेहा के साथ बिताया था| इस बार मैं रोया नहीं बल्कि दिल अंदर से खुश हो गया, ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था! कुछ देर बाद अनु चेंज कर के आई और मुझे तस्वीरों को छूता देख वो भावुक हो गई और पीछे से आ कर मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया| "बेबी! आपको पता है आज मुझे कैसा फील हो रहा है? मुझे रोना नहीं बल्कि इन तस्वीरों में नेहा को देख कर ख़ुशी हो रही है! ऐसा लगता है जैसे वो मेरे सामने ही है!" फिर मैं अनु की तरफ पलटा और उसे अपने गले लगा लिया; "आपको जितना भी थैंक यू कहूँ उतना कम है!" मैंने कहा तो अनु ने मुझे और कस कर जकड़ लिया|

कुछ देर हम ऐसे ही खड़े रहे, फिर मैंने चेंज किया और एक बार फिर हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए! सुबह मैं जल्दी उठा, अनु अब भी सो रही थी इसलिए मन नहीं किया उसे जगाने का| मैं बाहर आया और अपने लिए चाय बनाई और काम में लग गया| अनु ग्यारह बजे उठी और मुझे काम करते देख वो अपनी कमर पर हाथ रख कर कड़ी हो गई और प्यार भरे गुस्से मुझे देखते हुए बोली; "सो मत जाना आप! सारा टाइम काम..काम..काम...! इधर मैं उस टाइम कॉल पर था तो मैंने बस कान पकड़ कर उसे मूक भाषा में सॉरी कहा| अनु ने दोनों के लिए चाय बनाई और कप मुझे देते हुए नाश्ते के लिए पुछा, मैं तब भी कॉल पर था सो मैं ने फिर से अनु से दो मिनट रुकने को कहा| इधर अनु गुस्से में उठी और किचन में जा कर उसने बर्तन सिंक में पटकने शुरू कर दिए| मैंने जल्दी से कॉल निपटाई और किचन में आ गया और अनु को पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया| "सॉरी बेबी! वो कल रात को सारा काम फाइनल हुआ तो पार्टी को इनवॉइस भेज रहा था!" मैंने अनु के बालों को सूंघते हुए कहा पर अनु कुछ नहीं बोली; "अच्छा बाबा ....अब से इतना काम नहीं करूँगा!" मैंने अनु को मस्का लगाने को कहा और वो थोड़ा पिघल भी गई की तभी मेरा फ़ोन बज उठा जिसे सुन अनु का पारा फिर से चढ़ गया| "Don’t you dare pick up that call?” अनु ने मुझे चेतावनी देते हुए कहा| पर कॉल पार्टी का था और मैंने स्क्रीन पर पार्टी का नाम अनु को दिखाया तो वो नाराज हो कर कमरे में चली गई| मुझे मजबूरन कॉल उठा कर बात करनी पड़ी, बात कर के मैं वापस कमरे में आया तो अनु मुँह फुलाये हुए दूसरी तरफ मुँह कर के लेटी हुई थी| "बेबी सॉरी! वो एक पार्टी ने कुछ डाटा भेजा है बस उसी के लिए कॉल किया था!" मैंने कान पकड़ते हुए कहा| पर अनु गुस्से में कुछ नहीं बोली उल्टा चादर उठा कर अपने ऊपर डाल ली| मैं समझ गया की आज तो मेरी शामत है, इसलिए मैं किचन में नाश्ता बनाने लगा| नाश्ता ले कर मैं कमरे में आया और अनु के सामने खड़ा हो गया, पर वो तब भी कुछ नहीं बोली| मैंने नाश्ता एक साइड में रखा और अनु के पास बैठ गया; "बाबा...try and understand.... हम इतने दिन बाहर बिता कर आये हैं और हमारी गैरहाजरी में तुमने देखा ना किसी ने कुछ काम नहीं किया| अब थोड़ा टाइम लगेगा ताकि सारी चीजें in-order आ जायें, बिज़नेस भी जर्रूरी है ना? वरना हम खाएंगे क्या?" मैंने अनु से प्यार से कहा तो उसने पलट कर मुझसे सवाल पूछ लिया; "क्या बिज़नेस मुझसे भी जर्रूरी है?"

"नहीं बेबी... but please समझो! सुबह इनवॉइस भेजना जर्रूरी था! Okay I promise मैं प्यार ज्यादा और काम कम करूँगा!" पर मेरी किसी भी बात का अनु पर कोई असर नहीं पड़ा, उसने दूसरी तरफ मुँह कर लिया और लेटी रही| मैं उठा और बालकनी में आ कर बैठ गया, सर पीछे टिका कर मैं सोचने लगा की अनु को कैसे मनाऊँ! कुछ देर बाद अनु खुद ही उठ कर आई, नाश्ता टेबल पर रखा और मेरी गोद में बैठ गई| अनु ने सबसे पहले मेरी गर्दन पर Good Morning वाली kissi दी और फिर मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी| "आपको लगता है की सिर्फ आप ही अच्छा ड्रामा कर सकते हो?" अनु ने मुझे मेरा Vegas में किया ड्रामा याद दिलाया, जिसे याद कर मैं हँस पड़ा| हमने वैसे ही बैठे-बैठे नाश्ता किया, इधर मेरा लंड खड़ा हो गया और अनु को गढ़ने लगा| अनु ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराई पर आगे कुछ होता उसके पहले ही दरवाजे की बेल्ल बज गई| अनु ने उठ कर दरवाजा खोला, एक आदमी आया था और फिर मुझे अगली आवाज ड्रिल की आई जिसे सुन मैं फ़ौरन हॉल में आया तो देखा की वो आदमी हम दोनों के नाम की Name plate लगा रहा है| “Mr. and Mrs. Maurya” एक शानदार font से लिखा हुआ था, जिसका आर्डर अनु ने कल दे दिया था| अपना और अनु का नाम देख मैं मुस्कुरा दिया और यही ख़ुशी मुझे अनु के चेहरे पर दिखी| शाम होने तक आस-पडोसी आ कर हमें मुबारकबाद देते रहे और मैं और अनु सबकी खातिर-दारी करते रहे| शाम होते ही हम दोनों तैयार हुए और मैंने तीनों को बारी-बारी से कॉल किया| हमने कैब से तीनों को पिक किया और एक अच्छे रेस्टुरेंट में घुसे| अनु ने सब का खाना आर्डर किया और साथ ही ड्रिंक्स भी! अनु ने अपने लिए वाइन ली और बाकियों ने बियर| बातों का सिलसिला चालु हुआ, यहाँ से ले कर गाँव तक और न्यूयोर्क तक की साड़ी बातें अनु ने शुरू कर दीं| इधर मौके का फायदा उठा कर मैंने अपने लिए 30ml chivas आर्डर कर दी, अनु अपनी बातों में लगी रही और देखते ही देखते मैंने 5 पेग टिका लिए! इधर मैंने भी इतना ध्यान नहीं दिया की अनु ने वाइन की पूरी बोतल खत्म कर दी! रेस्टुरेंट में गाना चल रहा था और लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था| अब मुझे तो सुररूर चढ़ने लगा था और अनु तो फुल झूम रही थी| तभी गाना लगा; 'सखियाँ ने मैनु म्हणे मार दियाँ....' ये सुनते ही अनु ने छोटे बच्चे जैसी सूरत बनाई, ठीक उसी वक़्त गाने की लाइन आई;

'Jadon kalli behni aa
Khayal ae sataunde ne
Baahar jaake sunda ae
Phone kihde aunde ne' अनु ने गाने की लाइन मुझसे शिकायत करते हुए दोहराईं| पिछले कुछ दिन से मैं काम इतना व्यस्त था की कॉल आते ही बाहर आ जाय करता था, बाहर आने का कारन सिर्फ signal reception था और कुछ नहीं|

'Kari na please aisi gall kisey naal
Aaj kise naal ne jo kal kise naal
Tere naal hona ae guzaara jatti da
Mera nahio hor koyi hal kise naal
Tere yaar bathere ne
Mera tu hi ae bas yaara
Tere yaar bathere ne
Mera tu hi ae bas yaara' अनु ने ये लाइन ये जताते हुए कही की मेरे अलवा उसका और कोई नहीं है!

'Eh na sochi tainu mutiyara ton ni rokdi
Theek ae na bas tere yaara ton ni rokdi
Kade mainu film’aan dikha deya kar
Kade kade mainu vi ghuma leya kar
Saare saal vichon je main russan ek vaar
Enna’k taa ban’da manaa leya kae
Ikk passe tu Babbu
Ikk passe ae jag saara' अनु ने हाथ जोड़ते हुए कहा तो मुझे उस पर बहुत प्यार आ गया| मैंने अपने दोनों हाथ खोल दिए और वो आ कर मेरे गले लग गई| "अभी-अभी हम घूम कर आये हैं, अब आपको फिल्म देखना पसंद नहीं तो मैं क्या करूँ? और रूठते तो आप इतना हो के की क्या बताऊँ!" मैंने अनु को गले लगाए हुए उससे कहा तो सारे हँस पड़े| मैं और अनु अब काफी चिपक कर बैठे थे और बाकी तीनों अलग-अलग बैठे थे| अनु के इस उमड़ रहे प्यार के कारन तीनों थोड़ा uncomfortable हो रहे थे| घडी में 12 बजे थे तो मैंने बिल मंगवाया और वो बहुत अच्छा खासा आया! आकाश ने XL कैब बुक की और हमने पहले दोनों लड़के को छोड़ा, अनु की दोस्त अब हॉस्टल नहीं जा सकती थी तो अनु ने उसे हमारे घर रुकने को कहा| हम तीनों घर पहुँचे तो कैब से उतरते ही अनु ने ड्रामा शुरू कर दिया| मैंने घर की चाभी अनु की दोस्त को दी और उसे फ्लैट नंबर 39 खोलने को कहा और मैं अनु को गोद में उठा लिया| नशा अनु पर चढ़ चूका था और अब उसे चलने में दिक्कत हो रही थी, या फिर ये उसका ड्रामा था! मैं और अनु अंदर आये, मैंने उस लड़की को गेस्ट रूम में सोने को कहा| मैं अनु को ले कर अंदर आया और उसे बिस्तर पर लिटा कर उठने लगा तो उसने हमेशा की तरह अपने बाहों का हार मेरे गले में डाल कर मुझे रोक लिया| "बेबी दरवाजा तो बंद कर ने दो!" मैंने कहा और दरवाजा बंद कर के, जूते उतार के फेंक कर अनु की बगल में लेट गया| मेरा सर भी घूमने लगा था और होश अब कम होने लगा था| इधर अनु पर खुमारी छाने लगी थी, उसने मेरी तरफ करवट ली और मेरे होठों से अपने होंठ मिला दिए| अनु के मुँह से मुझे रेड वाइन की सुगंध आ रही थी, अनु ने मेरे होठों को बारी-बारी से चूसना शुरू कर दिया| उसके हाथ अपने आप फिसलते हुए मेरी छाती से होते हुए मेरे लंड पर पहुँच गए और पैंट के ऊपर से ही अनु ने उसे दबाना शुरू कर दिया| मैं समझ गया की अनु क्या चाहती है पर मेरा लंड सो रहा था और वो सिर्फ अनु के छूने भर से खड़ा नहीं हो रहा था| अनु उठी और मेरी टांगों के बीच बैठ गई, उसे काफी मेहनत करनी पड़ी मेरी पैंट की बेल्ट खोलने में| मेरा होश अब कम होने लगा था, मैं जानता था की अनु क्या करने वाली थी पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की वो ये करेगी| अनु ने मेरी पैंट खोल दी और उसे नीचे खींचने लगी, पर बिना मेरे कमर उठाये वो ये नहीं कर पाती| मैंने अपनी कमर उठाई तो अनु ने पहले पैंट निकाली और फिर कच्छा| मेरा सोया हुआ लंड अनु के सामने था, अनु ने डरते हुए उसे छुआ और लंड की चमड़ी पीछे खिसकाई जिससे मेरा सुपाड़ा उसके सामने आया| अनु एकदम से नीचे झुकी और उसे मुँह में भर लिया पर इसके आगे क्या करना है उसे नहीं पता था| आखिर मैंने आँखें बंद किये हुए अनु को गाइड करना शुरू किया; "Suck it like a candy!" ये सुन अनु ने मेरे लंड को टॉफ़ी की तरह चूसना शुरू किया| लंड को जब अनु का प्यार आज पहली बार मिला तो वो ख़ुशी से फूल गया और अनु के मुँह में ही अपना अकार लेना चाहा पर अनु उसे पूरा मुँह में नहीं ले पाती इसलिए अनु ने तुरंत उसे अपने मुँह से निकाल दिया| अब अनु के सामने उसके मुँह के रस से नहाया हुआ एक विशालकाय लंड था जिसे देख अनु को उस पर प्यार आ रहा था| पर अब एक दिक्कत थी, वो थी वो तेज महक जो अनु को लंड से आ रही थी| ये महक उसे मेरे लंड को दुबारा मुँह में लेने नहीं दे रही थी, इधर मैं बेकरार हो रहा था की अनु कब मेरा लंड फिर से मुँह में ले ले! "Baby....use your saliva....! Pour it on the tip, that should ease the…..” मैंने बात पूरी नहीं की पर अनु समझ गई| उसने मेरे लंड के सुपाडे पर अपने थूक की एक धार गिराई जो धीरे-धीरे बहती हुई नीचे जाने लगी| अनु ने धीरे से लंड को फिर से अपने मुँह की गर्माहट दे दी और इस बार उसे लंड से वाइन की महक आई| अनु ने लंड मुँह में भर कर उसे चूसना शुरू किया, उसका मुँह स्थिर था और फिर मैंने उसे अगला आदेश दिया; "Baby....थोड़ा bite करो!" ये सुनते ही अनु को क्या सूझी की उसने लंड को अपने मुँह के दाहिनी तरफ सरकाया और अपने दाँतों से दबाया| अनु की दाहिनी तरफ के सारे दाँतों का दबाव मुझे मेरे लंड के एक हिस्से पर होने लगा, फिर अनु ने अपने मुँह के बाईं तरफ से भी ऐसा ही दबाव डाला, इस एहसास ने मेरे रोंगटे खड़े कर दिए| कुछ मिनट अनु ऐसे ही मेरे लंड को कभी दाँत से दबाती तो कभी उसे टॉफ़ी की तरह चूसती| मेरा लंड अब पूरी तरह सख्त हो गया था और अब मौका था अगले पड़ाव का! "Baby while sucking move your mouth in forward and backward direction!" अनु ने अच्छे विद्यार्थी की तरह ठीक वैसा ही किया और अब मेरा मजा दुगना होने लगा था| 5 मिनट की चुसाई में ही अनु ने मुझे चरम पर पहुँचा दिया, "suck me like your sipping a cold drink from a straw!" मेरा ये कहना था और अनु ने अपने मुँह के अंदर बड़ा suction बनाया और लंड चूसने लगी| कमरे में अब 'चप-चप' की आवाज गूंजने लगी, अनु बड़ी शिद्दत से चूस रही थी और हर पल मेरा हाल ऐसा था जैसे की कोई मेरे प्राण-पखेरून खींचता जा रहा हो! अनु की इस चुसाई के आगे मैं टिक ना सका और मुझे उसे अपने स्खलित होने की चेतावनी देने का समय भी नहीं मिला| अनु के मुँह में ही मेरा फव्वारा छूटा जिसे अनु सारा का सारा गटक गई! उसने एक बूँद भी बर्बाद नहीं होने दी थी, इधर अपने इस तीव्र स्खलन के बाद मुझ में जैसे जान ही नहीं बची थी| शराब की खुमारी नींद में बदल गई और मैं उसी हालत में सो गया| अनु कुछ देर बाद उठी और मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी| फिर जा कर बाथरूम में चेंज कर के आई और मेरे होठों को मुँह में ले कर चूसने लगी| पर मैं गहरी नींद सो चूका था सो उसकी Kiss का जवाब नहीं दे सका| अनु ने कुछ नहीं कहा और मुस्कुराती हुई मेरे सीने पर सर रख सो गई| सुबह सबसे पहले मैं ही उठा और अपनी ये हालत देख मुझे एहसास हुआ की मैं कल अनु को प्यासा ही छोड़ दिया था| मुझे पता था की सुबह उठते ही अनु नराज होगी पर ऐसा नहीं हुआ| मैं जब कॉफ़ी ले कर आया तो अनु अंगड़ाई लेते हुए उठी और मेरी गर्दन पर Kissi की और मुस्कुराते हुए कॉफ़ी पीने लगी| "सॉरी यार ...वो कल रात... I passed out!" मैंने कहा तो अनु हँसने लगी; "तो क्या हुआ?" मैं अनु का मतलब समझ गया, तभी अनु की दोस्त उठ कर आ गई और मैंने उसे भी कॉफ़ी दी| नाश्ता कर के हमने उसे हॉस्टल छोड़ा और हम दोनों ऑफिस आ गए|

अब मस्ती-मजाक बहुत हो चूका था, काम का लोड बहुत बढ़ चूका था और फिर हमें अगस्त में गाँव भी जाना था| अगला एक महीना मैंने रात-रात जाग कर काम किया जिससे अनु को बहुत कोफ़्त होती थी, वो मेरे इस जूनून से चिढ़ने लगी थी! अब हमारे पास बस तीन महीने बचे थे और अब हम सोच में पड़ गए थे की Expand करें या न करें? Expansion के लिए हमें नया स्टाफ hire करना था और रेंट भी बढ़ने वाला था| अगर हम expansion करते हैं तो हम ये सारा काम लखनऊ शिफ्ट नहीं कर पाएंगे! अनु ने तो मना कर दिया, क्योंकि वो जानती थी की यहाँ से लखनऊ शिफ्ट करना ज्यादा जर्रूरी है आखिर उसने माँ से वादा जो किया था| "बेबी... मैं जानता हूँ की आपको लखनऊ शिफ्ट होना है पर जो काम अभी हाथ में है उसे हम ऐसे छोड़ नहीं सकते! Please bear with me! अभी के लिए एक professional hire कर लेते हैं| अगस्त में हम जब गाँव जायेंगे तो मैं अरुण और सिद्धर्थ से बात करता हूँ|" पर अनु जिद्द पर अड़ गई थी, उसे माँ से किया वादा पूरा करना था और साथ ही नेहा को अपने गले से भी लगाना था| उसका ये प्यार बिज़नेस के आगे आ गया था जो मुझे कतई गवारा नहीं था| अनु ने गुस्से से मुझ पर चिल्लाते हुए कहा; "आप शायद भूल गए हो की आप एक बाप भी हो? क्या आपका मन नहीं करता नेहा को मिलने का? या काम के आगे उसे भी भूल गए हो!" अनु की बात मेरे दिल में शूल की तरह गढ़ गई, गुस्सा तो बहुत आया पर मैंने खुद को रोक लिया और अपने गुस्से को पी गया और उठ कर घर के बाहर चला गया|

कुछ देर बाद जब अनु को उसके कहे शब्दों का एहसास हुआ तो उसने ताबड़तोड़ मुझे कॉल करना शुरू कर दिया| मैं जानबूझ कर उसके काल नहीं उठा रहा था और सर झुकाये लालबाग़ लेक के किनारे बैठा रहा| ऐसा नहीं था मैं नेहा से प्यार नहीं करता था पर मैं खुद को संभाल रहा था ताकि नेहा को याद कर के उदास न रहूँ| मैं ये मान चूका था की शायद मेरी किस्मत में नेहा का प्यार नहीं है, इस बार जब उससे मिलूँगा तो वो मुझे पहचनानेगी भी नहीं! बस इसी एक डर से दूर भाग रहा था और अनु को लग रहा था की मेरा नेहा के लिए मेरा प्यार खत्म हो चूका है! मैं जानता था की वो गलत है पर दिल नहीं कह रहा था की उसे ये कहूँ! अँधेरा होने तक मैं वहीँ बैठा रहा, जब गार्ड आया तो मैं घर लौट आया| दरवाज़ा खोला तो सामने अनु जमीन पर अपने दोनों घुटनों में सर छुपाये हुए रो रही थी| दरवाजे की आहात सुनते ही उसने मुझे देखा और एकदम से कड़ी होकर मेरे पास दौड़ती हुई आई और मेरे गले लग गई| मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसे चुप कराया| "I’m sorry!!!” अनु ने सुबकते हुए कहा| "Its okay!” मैंने कहा और फिर अनु से कुछ खाने को मँगाने को कहा|

हम दोनों टेबल पर खाना खाने बैठ गए पर अनु गुम-शूम थी और कुछ बोल नहीं रही थी, ना ही वो खाने को हाथ लगा रही थी| मैंने खुद उसे अपने से खाना खिलाना शुरू किया तब जा कर उसने खाना शुरू किया| दोनों ने चुप-चाप खाना खाया और सोने चले गए| मैं पीठ के बल सीधा लेटा था की तभी अनु ने करवट ली और अपना सर मेरे सीने पर रख दिया, कुछ देर हिम्मत बटोरने के बाद बोली; "I… think…. I can’t… conceive!” ये सुनते ही मैं चौंक कर बैठ गया और अनु को भी बिठा दिया| “What do you mean you can’t conceive? किसने बोला? कौन से डॉक्टर को दिखाया?" मैंने सवालों की बौछार कर दी! "इतने महीने हो गए....और मैं अभी तक conceive नहीं कर पाई हूँ! हर हफ्ते मैं टेस्ट (प्रेगनेंसी टेस्ट) करती हूँ...पर....! शायद मेरी उम्र की वजह से....?!" अनु ने हताश होते हुए कहा| अब मुझे सब समझ आगया की आज अनु क्यों मुझ पर बरस पड़ी थी! "Hey.... आप पागल हो क्या? हमें बस 3 महीने हुए हैं और इन तीन महीनों में हमने कितनी बार सेक्स किया? It takes time.... थोड़ा सब्र करो! (कुछ सोचते हुए) Actually इसका दोषी मैं हूँ...मैं आपको ज्यादा समय नहीं दे पाता और आप इसे अपनी उम्र से जोड़ रहे हो? पागल... बुद्धू ....डफर.... आपकी संतुष्टि के लिए कल डॉक्टर के चलते हैं okay? And I'm sure कुछ नहीं निकलेगा!" मैंने कहा और अनु को अपने गले लगा लिया| माँ न बन पाने के डर के कारन अनु हार मानने लगी थी और उसकी ममता नेहा को चाहती थी| वो मन ही मन नेहा को अपना आखरी विकल्प मान चुकी थी और उसे खोने से डरती थी| पूरी रात मैंने अनु को अपने सीने से चिपकाए रखा और उस के सर पर हाथ फेरता रहा ताकि वो चैन से सो जाए| सुबह उठते ही मैं फटाफट तैयार हुआ और कॉफ़ी ले कर अनु को उठाया| मुझे तैयार देख अनु को होश आया की हमें डॉक्टर के जाना है| वो फटाफट तैयार हुई और हम डॉक्टर के आये, कुछ टेस्ट्स वगैरह हुए और रिपोर्ट हमें कल रिपोर्ट के साथ बुलाया| वो पूरा दिन अनु डरी-डरी रही और मैं उसके साथ बैठा रहा, ऑफिस की छुट्टी की और फ़ोन भी बंद कर दिया| अगले दिन जब हम दोनों रिपोर्ट ले कर डॉक्टर के पास पहुंचे तो उसने कहा की घबराने वाली कोई बात ही नहीं है| दोनों के लिए कुछ दवाइयाँ लिखी और हमें एक साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करने को कहा| अनु अच्छे से जान गई थी की काम को ले कर मैं कितना passionate हूँ इसलिए हमने कुछ नियम-कानून बनाये| मैं किसी भी हाल में शाम 6 बजे के बाद कोई भी बिज़नेस से जुड़ा हुआ काम नहीं करूँगा| 6 बजे के बाद मेरा पूरा समय सिर्फ और सिर्फ अनु का होगा और मैंने भी एक शर्त रखी की सुबह हम दोनों जल्दी उठेंगे और योग और exercise करेंगे, बाहर से खाना-पीना बंद और एक healthy lifestyle जियेंगे| ऑफिस में एक की जगह हमें दो लोग hire करने पड़े, नए लोगों को मैंने अपने साथ U.S. वाले प्रोजेक्ट पर लगा लिया| अनु को मैंने बाकी के काम दे दिए जो उसके लिए manage करना आसान था| बिज़नेस अब धीरे-धीरे grow कर रहा था और हम दोनों इसी से खुश थे|

इधर रितिका अंदर ही अंदर हमारे घर की बुनियाद में सेंध लगा चुकी थी| सारे घर के लोगों के दिलों में रितिका ने अपनी जगह फिर से बना ली थी, सब की बातें वो सर झुका कर मानने लगी थी और नेहा तो पहले से ही सब का प्यार पा रही थी| रितिका के मन में मेरे लिए जो गुस्सा था वो अब धधक कर आग का रूप ले चूका था| उसका बदला, उसकी नफरत अब सारी हदें पार कर चूके थे! बाहर-बाहर से तो वो ऐसे दिखाती थी की वो बहुत खुश है पर अंदर ही अंदर कुढ़ती जा रही थी| मुझसे बदला लेने के लिए उसे सब से पहले अनु को ठिकाने लगाना था, ताकि मैं उसे खोने के बाद टूट जाऊँ और तिल- तिल कर तड़पूँ और फिर वो अपने हाथों से मेरा खून करे! पर कुछ भी करने के लिए उसे चाहिए था पैसा जो उसके पास था नहीं, पर मंत्री की जायदाद तो उसकी थी! रितिका ने चोरी छुपे उस इंस्पेक्टर को कॉल किया और उससे उसने वकील का नंबर लिया| "वकील साहब मैं रितिका बोल रही हूँ!" रितिका का नाम सुनते ही वकील को याद आ गया| "वकील साहब उस दिन आप घर आये थे ना? और आपने कहा था की मंत्री यानी मेरे ससुर जी की जायदाद की एकलौती वारिस मैं हूँ?! तो आप मुझे बता सकते हैं की मैं उसे कैसे claim करूँ?" ये सुनते ही वकील खुश हो गया और उसने रितिका को कानूनी दांव-पेंच समझाना शुरू कर दिया जो उसके पल्ले नहीं पड़ा| "देखिये वकील साहब, मुझे अपनी बेटी के भविष्य की चिंता है| आपके ये दांव-पेच मेरी समझ के परे हैं, मुझे आप बस इतना बताइये की क्या आप मुझे उस जायदाद का वारिस बना सकते हैं?" रितिका ने नेहा के नाम से झूठ बोला, उसे नेहा के भविष्य की रत्ती भर चिंता नहीं थी उसे तो केवल मुझसे बदला लेना था! "आप उस जायदाद की जायज वारिस हैं और मैं आपको आपका हक़ दिलवा सकता हूँ!" वकील बोला| इससे पहले वो अपनी फीस की बात करता रितिका ने उसे पहले ही बता दिया; "देखिये वकील साहब, मेरे पास आपको देने के लिए पैसे नहीं हैं! मेरे घरवाले इस केस को ले कर मुझे रोक रहे हैं पर मैं चाहती हूँ की आप मेरी तरफ से केस फाइल कर दीजिये| जैसे ही मुझे जायदाद मिलेगी मैं उसका 10% आपको फीस के रूप में दे दूँगी| आप को यदि मुझ पर भरोसा ना हो तो आप कागज बना कर ले आइये मैं साइन कर देती हूँ!" रितिका ने अपनी चाल चली, वैसे तो वकील बिना फीस के कोई काम नहीं करता पर रितिका के 10% के लालच में पड़ कर वो मान गया| ये सारा काम चोरी-छुपे होना था इसलिए रितिका ये सोच कर बहुत खुश थी की क्या होगा जब वो केस जीत जाएगी! सारा का सारा परिवार उसके कदमों में गिर पड़ेगा यही सोच कर रितिका के मन का कमीनापन बाहर आ गया|

कुछ दिन बाद वकील अनु से मिलने आया और कागज-पत्तर ले कर आया जो उसे साइन करने थे| रितिका छुपते-छुपाते हुए उससे मिलने कुछ दूरी पर गाँव के स्कूल पहुँची, आज चूँकि छुट्टी थी और पूरा स्कूल खाली था तो वो आराम से सारे कागज पढ़ सकती थी| उसे ये जान कर हैरानी हुई की मंत्री की जायदाद पूरे 50 करोड़ की थी और वकील को ये जान कर ख़ुशी हुई की उसे इस केस के 50 लाख मिलने वाले हैं| "देखिये रितिका जी, केस तो मैं कल फाइल कर दूँगा और आपको चिंता करने की भी जर्रूरत नहीं क्योंकि मेरी बहुत अच्छी जान पहचान है जिससे आपको ज्यादा तारीखें नहीं मिलेंगी, बस उसका खर्चा थोड़ा-बहुत होगा! मंत्री साहब की पार्टी ने claim किया था जायदाद पर मैंने फिलहाल उस पर स्टे ले रखा है| आपको एक दिन कोर्ट में पेश होना होगा, पर आपको कुछ कहना नहीं है|" वकील की बात सुन कर रितिका आश्वस्त हो गई और ख़ुशी-ख़ुशी घर लौट आई| रात को सोते समय नेहा ने सोचना शुरू किया, उस ने हर एक बात, हर एक शब्द सोच लिया था जो उसे कहना है| अब बात आई टाइमिंग की, तो वो भी उस ने सोच लिया की कौनसा समय सबसे बेस्ट होगा जिससे पूरे परिवार को एक साथ धक्का लगे! जून का महीना आते ही रितिका की जलन उस पर हावी होना शुरू हो चुकी थी, उसे जल्द से जल्द अपना बदला चाहिए था| उसने छुप के वकील को फ़ोन किया; "वकील साहब और कितना टाइम लगेगा?" रितिका ने पुछा|
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RE: Hindi Antarvasna - काला इश्क़ - by desiaks - 07-14-2020, 01:11 PM

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