Sex kahani द मैजिक मिरर (Tell Of Tilism)
07-17-2020, 10:48 AM,
#89
RE: Sex kahani द मैजिक मिरर (Tell Of Tilism)
राज कोमल को जिस्मानी तौर पर बहुत गर्म कर चुका था। अब राज ने सोचा कि शायद अब उसे आगे बढ़ना चाहिए। राज ने बड़े ही नाजुक से अंदाज में कोमल की दोनों जांघों को चूमते हुए खोलने की कोशिश की। लेकिन कोमल शायद इसके लिए अभी तक तैयार नहीं थी इस लिए हल्का सा चिंहूँकि लेकिन तुरंत ही कोमल ने अपने आपको राज के हवाले कर दिया। राज ने बड़े ही नाजुक तरीके से कोमल की जांघों को चूमते हुए खोला।

राज के सामने कोमल की जवानी की सबसे बड़ी दौलत थी। कोमल का कौमार्य। राज एक तक उस खूबसूरत और हसीन कोमल की चूत को देखे जा रहा था। एक तरफ जहां राज के लन्ड में बिजली की लहर दौड़ गयी थी। वही राज आज कोमल के साथ पहली बार एक होने जा रहा था यही सोच कर राज और गर्म हो रहा था।

अब आगे.....

राज एक टक कोमल की आंखों में देखता रहता है वहीं कोमल शर्मा जाती है। राज एक टक कोमल के चेहरे को देखते हुए अपने लन्ड को कोमल की चूत पर रखता है। कोमल को राज के लन्ड का जैसे ही अपनी चूत पर एहसास होता है कोमक कि आंखें मादकता के नशे में हल्की सी बन्द हो जाती है और उसका सीना बिस्तर से 4 इंच ऊपर उठ जाता है। कोमल की सांस बदस्तर चलने लगती है। राज का कोशिश करता है लन्ड को चूत में घुसाने की लेकिन कोमल की चूत वाकई में बहुत तंग थी जिसके चलते राज का लन्ड फिसल कर कोमल की नाभि पर आ जाता है। तकरीबन 4-5 बार राज कोशिश करता है लेकिन राज का लन्ड कोमल की चूत में नहीं घुस पाता।

कोमल एक बार राज की तरफ अपनी हल्की मुंदी आंखों से देखती है और रोज को बोलती है...

कोमल: राज...? क्या कर रहे हो? करो ना...?

राज: ( थोड़ा सा शर्मिंदा सा होते हुए ) वो अम्म्म कर तो रहा हूँ लेकिन अंदर नही जा रहा... बार बार फिसल रहा है।

राज के इस उत्तर के बाद राज और कोमल दोनों एक टक एक दूसरे की आंखों में देखने लगते है फिर अचानक से कोमल को हंसी आ जाती है। कोमल को हंसता देख राज भी मुस्कुराते हुए हसने लगता है। कोमल हल्की सी ऊपर होकर राज के दोनों गालों को सहलाते हुए बोलती है...

कोमल: वाह रे मेरे भोले बलम... अपने खूंटे को ज़मीन में गाड़ने से पहले ज़मीन तो थोड़ी सी गीली करनी पड़ेगी ना।।

राज़ कोमल की आंखों में झांकते हुए बड़े ही नटखट अंदाज़ में...

राज़: अच्छा तुम्हे बड़ा पता है....?

अब बारी कोमल की शर्माने की थी.... थोडी देर राज़ इधर उधर देखता है तो उसे अलमारी में कुछ दिखता है। राज़ वहां जाता है तो एक कटोरी में कडुआ तेल था।

राज़ वो कटोरी उठा कर लाता है और अपनी हथेली भर कर तेल कोमल की चूत और जांघों पर डाल देता है और अच्छे से मसलने लगता है। कोमल जब राज के हाथों में तेल देखती है सोचने लगती है कि ये तेल कहाँ से आया।

तभी कोमल को याद आता है गुड्डी और राज मेरा मतलब हमारी कोमल रानी के पति देव के लिए कोमल जी ने ही वो तेल वहां रखा होगा। खेर अब वो तेल दो कच्चे खिलाड़ियों के काम आ रहा था।

राज उस कटोरी से थोड़ा तेल और लेकर अपने लन्ड पर लगा लेता है। राज का लन्ड ऐसे चमक रहा था जैसे धूप में काले नाम की चमड़ी चमकती है...

कोमल की एक नज़र कटोरी की तरफ जाती है जिसे रत्ती भर तेल बचा था। उस कटोरी को देख कर कोमल शर्म से पानी पानी हो जाती है। अभी कोमल शर्मा ही रही थी कि राज ने अपने लन्ड को कोमल की चूत पर रख कर हल्का सा अपने हाथ से दबाया जिससे राज के लन्ड का सुपड़ा कोमल की चूत की फांको को खोलते हुए अंदर जाने को तैयार था। लेकिन वो बस हल्का सा अंदर जाकर फंस कर रह गया। और कोमल हल्की सी सिसक कर रह गयी।

राज़ कोमल की तरफ देखता है लेकिन कोमल तो आने वाले लम्हे को लेकर अपनी आंखें बंद किये लेती हुई थी। राज़ कोमल के ऊपर झुक कर एक करारा झटका मारता है। कोमल बिस्तर से ऊपर की और जाने लगती है लेकिन राज़ कोमल के कन्धों को जोर लगा कर उसे ऊपर नही होने देता और दूसरा झटका भी मार देता है। इस बार कोमल की चीख निकल पड़ती है।

राज का 3.5 इंच लन्ड अंदर घुस चुका था। कोमल का पूरा शरीर दर्द से कांप रहा था। आंखें बुरी तरह से बंद थी। और चेहरे के भाव ऐसे थे जैसे कोई छोटी बच्ची रोने के वक़्त अपना चेहरा बना लेती है। राज़ कोमल को चूम कर कोमल की चीख बैंड करवाना चाहता है लेकिन कोमल राज़ को मना कर देती है। क़रीब 3 से 5 मिनट बाद राज हल्का सा धक्का और मारता है तो कोमल सिसक पड़ती है। राज कोमल के चेहरे के भाव देख कर भावुक हो गया था।

कोमल भी राज को देख कर समझ चुकी थी। कोमल हल्की सी ऊपर होकर राज के गले मे अपनी बहन डाल देती है और राज को नजदीक कर कर बोलती है।

कोमल: खबरदार जो रहम खाया तो... अब जब तक पूरा ना अंदर कर दो रुकना नहीं....

राज़ एक टक कोमल को देखता रहता है। फिर राज़ कोमल की आंखों में देखते हुए अपने लन्ड को हल्का सा बाहर निकालता है। कोमल सोचती है राज भर निकाल रहा है इसलिए कोमल बोलने की कोशिश करती ही है कि राज पहले से भी दम दर झटका मार देता है।

राज का 7 इंच लन्ड कोमल की चूत को ओरी तरह से फैलाता हुआ अंदर घुस जाता है और कोमल की चीख पूरा घर गुंजा देती है। राज फिर भी नही रुकता और फिर से हल्का सा लन्ड बाहर निकाल कर पूरा जोर से धक्का मारता है।

कोमल इसबसर फिर से जोर से चीखती है... कोमल के हाथों के नाखून राज की पीठ पर गढ़ चुकी थी। यहां तक कि राज की पीठ से हल्का हल्का खून भी निकल रहा था। और कोमल की चूत से भी गर्म खून बह कर भर आ रहा था। राज़ का पूरा लन्ड कोमल की चूत में था। कोमल को ऐसा लग रहा था जैसे राज ने कोई मोटा सरिया उसके पेट में घुसा दिया हो। कोमल को राज का लन्ड अपनी नाभि के ऊपर तक महसूस हो रहा था।

राज़ के लन्ड का सूपड़ा कोमल के गर्भाशय को जबरन खोल कर गर्भाशय के मोह में फंसा पड़ा था।अब राज़ इंतजार करता है कोमल के दर्द के ठीक होने का। राज कोमल को अभी तक गले लगाए हुए कोमल के ऊपर पड़ा था।राज का सर कोमल के कन्धे और गले के बीच मे था जिससे राज़ और कोमल अब तक एक दूसरे का चेहरा नहीं देख पाए थे। लेकिन इस छोटे से 5 मिनट के इंतजार के बाद राज जब अपना सर ऊपर उठा कर कोमल को देखता है तो राज मुस्कुरा पड़ता है।

कोमल के चेहरे पर बाल बिखरे पड़े थे। आंखों का काजल पूरे चेहरे पर फैल चुका था। गाल और आंखें आंसुओं से भीगे हुए थे। वही कोमल राज के चेहरे की तरफ देखती है तो राज का चेहरा पसीनो में भीग पड़ा था। चेहरे पर हल्के दर्द की लकीरें थी।

कोमल राज से पूछती है आंखों के ईशारे से की क्या हुआ?

राज भी गर्दन ना में हिलाकर बोलता है कि कुछ नहीं हुआ। राज़ हल्के हल्के धक्के मारने लगता है। और कोमल हर धक्के के साथ हिलती रहती है सिसकती रहती है। कोमल को इस वक़्त दर्द और आनंद, प्रेम और पीड़ा के मिलेजुले भाव महसूस हो रहे थे। कोमल के मन मे इस वक़्त राज के प्रति अगाध प्रेम था। और राज के मन मे इस वक़्त सिर्फ कोमल थी। राज धीमें धीमे कोमल की चुदाई शुरू कर देता है। क़रीब 15 मिनट तक ऐसे ही छोड़ते हुए राज़ कोमल को झाड़ देता है।

लेकिन अभी तो राज़ ठीक से शुरू भी नही हुआ था। आज के खून में मिला हुआ नीलांकर चांदनी रात में और भी ज्यादा असरदार हो जाता है।कोमल के झड़ने के बाद बाद राज़ आवेश में कोमल को चुदाई करने लगता है। चुदाई क्या कोमल की चूत की कुटाई शुरू कर देता है। करीब 10 मिनट बाद कोमल एक बार फिर से झड़ जाती है लेकिन राज़ अपनी गति धीमी नही करता। कोमल को अब अपनी छूट में जलन होने लगती है।

राज़ अब अपनी गति बढ़ा कर कोमल की चुदाई करता हैकरीब 15 मिनट बाद राज़ और कोमल साथ झड़ जाते है। राज का वीर्य बहुत ज्यादा निकला था। राज झड़ते हुए कोमल को बहुत गहरे झटके मारता है जिससे राज का लन्ड कोमल के गर्भाशय को खोलकर उसमे वीर्यपात करने लगता है। कोमल का गर्भाशय राज के वीरी की काफी मात्रा अपने मे समा कर बन्द हो चुका था लेकिन अब भी कम से कम कटोरी भर वीर्य कोमल की चूत में था जिसमे से 2 से 3 चमच्च वीर्य तो कोमल की चूत के होंठों से होकर बाहर बिस्तर की चादर पर फैल गया था।

इस चुदाई के बाद कोमल और राज दोनों थक जाते है। दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए नींद के आगोश के चले जाते है।

दूसरा दिन.....
सुबह 3.45 बजे...

अचानक से जिस कमरे में राज और कोमल सोये हुए थे वो एक हल्की नारंगी और पीले रंग की रोशनी से भर जाता है। राज की इतनी तेज रोशनी से आंख खुल जाती है।

लेकिन कोमल तो ऐसे सो रही थी जैसे कि बेहोश हो गयी हो....

राज एक दम से रोशनी को देख कर डर जाता है और बिस्तर से खड़ा हो जाता है। तभी राज के कानों में एक आवाज सुनाई देती है।

.....मद.... द ..... राज मेरी मदद करो.... वर्षों से इस दर्द से गुजर रहा हूँ। मुझे इस आईने से मुक्त कर दो राज....

ये आवाज राज़ के नाना की थी....

राज़: तभी अचानक से राज़ की आंख खुल जाती है। दरअसल ये सब राज़ अपने सपने मेयो देख रहा था। उसका डरना, वो तेज रोशनी, उसका बिस्तर से खड़े होना सब एक सपना था। राज अपने बाजू में देखता है कि राज के एक हाथ पर कोमल अपना सर रखे सो रही जी। एक हल्की सफेद रंग की चादर कोमल के शरीर को ढके हुए है। ऊपरी बदन कोमल का नग्न अवस्था में है। जगह जगह रात के निशान कोमल के ऊपरी बदन पर थे जो हल्के बैंगनी रंग कर हो चुके थे।

राज कोमल को देख कर मुस्कुरा पड़ता है। तभी उसे याद आता है। नाना जी.... लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है आईने से इतनी दूर मैं और ऐसा स्वपन.... कहीं बात ज्यादा गम्भीर तो नहीं....

राज सुबह 4 बजे उठ कर नहा लेता है। तकरीबन 1घण्टे और 50 मिनट से राज नहा कर बैठा था। ना तो कोमल जाएगी थी अभी और ना ही कोमल की दीदी और जीजा जी... राज बस सबके उठने का इंतजार करता है। करीब 7 बजे कोमल की आंख खुलती है।

राज: गुड मॉर्निंग जान... कोमल उठ कर राज को देखती है और मुस्कुराते हुए गुड मॉर्निंग बोलती है...तभी कोमल को एहसास होता है कि राज उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा है।

कोमल एक बार आंखों को गहरी करके राज से मुस्कुराने का कारण पूछती है लेकिन राज जैसे कोई इशारा ही नहीं देता। तभी कोमल को आने बदन पर ठण्डी हवा का एहसास होता है। कोमल सिहर जाती है... कोमल अपने बदन को देखती है कि वो ऊपर से पूरी तरह नग्न अवस्था में ही और नीचे उसके पैरों के चारों और सफेद चादर लिपटी हुई है।..

कोमल तुरन्त उस चादर को पकड़ कर अपने बदन को छुपाने की कोशिश करती है और शर्म से पानी पानी जो जाती है। राज अब ज्यादा मुस्कुराने लगता है। तभी बाहर दरवाजे पर गुड्डी की आवाज आती है।

गुड्डी: चाय पीनी है तो दरवाजा खोलो जल्दी.... वरना बेड टी ही पीनी है तो मत खोलो...

कोमल गुड्डी की आवाज सुनकर चौंक जाती है। कोमल जल्दी से बाथरूम की तरफ भागती है लेकिन एक असहनीय दर्द की पीड़ा से बेड के नीचे उतरते ही कोमल गिरने वाली होती है कि राज दौड़ कर कोमल को संभाल लेता है। राज कोमल को हल्का सा सहारा देकर बॉथरूम में छोड़ कर आता है और दरवाजा खोलने चला जाता है। कोमल राज को आवाज देती है लेकिन राज नहीं सुन पाता।

राज दरवाजा खोल देता है। दरवाजा क्या शर्मिंदा होने का दरवाजा खोल देता है। गुड्डी जो पहले से अब ज्यादा चिनार और शैतान हो चुकी थी। दरवाजे मैं घुसते ही राज के हाथ मे चाय और नास्ते की ट्रे देकर सीधे कोमल को ढूंढने लगती है। तभी गुड्डी की नज़र बेड पर पड़ती है। बिस्तर पर बिछी बेडशीट कल रात के तूफान की गवाही दे रही थी। और कोमल का खून उस पर सबूत बना हुआ था। राज भी गुड्डी की नज़र का पीछा करते हुए देखता है तो शर्मिंदा हो जाता है। गुड्डी मुस्कुराते हुए बेडशीट निकालने लगती है।

राज गुड्डी को रोकने की कोशिश करता है...

राज़: अरे अरे ये आप क्या कर रही है....
गुड्डी: क्यों...? आप बिस्तर खराब करें और हम साफ भी नही करे... धोना है ना इस लिए ले जा रही हूँ...

कोमल गुड्डी की आवाज बाथरूम में सुन रही थी और कपड़े भी पहन रही थी।

राज अब गुड्डी को नही रोकता...

लेकिन कोमल जल्दी से बाथरूम से बाहर आती है...

कोमल: गुड्डी....? रखो इसे नीचे ... रखो अभी...

मगर गुड्डी कोमल की बात सुनकर चादर लेकर भाग जाती है...

कोमल: बुद्धू कहीं के उसे रोक नहीं सकते थे... अब वो जीजू और दीदी को चादर दिखाएगी...

राज: पर उसने तो धोने के लिए बोला...

कोमल: अच्छा जैसे तो तुम मेरे पति हो... हमारी शादी हो गयी... एक दम बुद्धू...

राज अब कुछ नही बोलता। राज को समझ नही आ रहा था कि वो नीचे शर्मिंदा होगा कि खुश होगा।

कोमल चाय नास्ता ट्रे से लेकर राज़ को बीती है....

कोमल: सुनो... आज हम कही बाहर चलेंगे... तुम्हे कुछ बताना है...

राज़: कहाँ...

कोमल: कहीं नहीं बस तुम्हे कुछ बताना है और कुछ सिखाना है...

राज : ठीक है

करीब दोनो राज़ और दोनों कोमल नीचे आ जाते है... नीचे आकर जब देखते है तो गुड्डी के हाथों में अभी भी कोमल वाली चादर थी...

नया जोड़ा कोमल और राज उसे देख कर शर्मा जाते है वही पुराना जोड़ा कोमल रानी का उस चादर को लेकर मुस्कुरा पड़ते है..
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