raj sharma story कामलीला
07-17-2020, 11:55 AM,
#5
RE: raj sharma story कामलीला

इस बार उसने इशारा किया जिसे समझ कर मैंने निदा को घुमा कर सीधा किया और इस स्थिति में ले आया कि उसकी पीठ अधलेटी अवस्था में मेरे पेट से सट गई और उसके नितम्ब बेड के किनारे ऐसे पहुँच गए कि जब नितिन बिस्तर से नीचे उतर कर उसकी टांगों के बीच बैठा तो उसका चेहरा निदा की सामने से खुली चूत से बस कुछ सेंटीमीटर के फासले पर था।
उसने दोनों हाथों से निदा का पेट और पेड़ू सहलाते हुए अंगूठे से उसकी क्लियोटोरिस को छुआ व सहलाया और फिर ज़ुबान लगा दी।
निदा ‘सिस्कार’ कर कुछ अकड़ सी गई और अपनी मुट्ठी में मेरी जाँघ दबोच ली। अब नितिन ने उसके नितम्बों के नीचे से हाथ डाल कर उसकी जाँघें दबा लीं और अपनी थूथुन निदा की चूत में घुसा कर उसे चाटने और कुरेदने लगा।
बहुत ज्यादा देर नहीं लगी जब निदा का शरीर कामज्वर से भुनने लगा। मैं उसे अपने से सटाये उसके वक्षों को मसल रहा था और उसे बीच-बीच में चूम रहा था, लेकिन उसे अपने लंड को मुँह में नहीं लेने दे रहा था। मैं नहीं चाहता था कि मेरी उत्तेजना अपने समय से पहले चरम पर पहुँच जाए।
जब लगा कि अब वो काफी गर्म हो चुकी है तो मैंने उसे खुद से अलग किया और नितिन को ऊपर जाने को बोला।
नितिन उठ कर ऊपर हो गया और मैं नीचे उसकी जगह… मैंने हथेली से निदा की कामरस और नितिन की लार से बुरी तरह गीली हो चुकी बुर को पोंछा और फिर खुद अपनी जीभ वहाँ टिका दी। साथ ही अपनी बिचल्ली ऊँगली उसके छेद में अन्दर सरका दी। ऊँगली अन्दर जाते ही निदा ऐसा ऐंठी कि उसी पल उसके पास अपना चेहरा ले गए नितिन को थाम लिया और नितिन और निदा ऐसे प्रगाढ़ चुम्बन में लग गए, जैसे अब वह कोई और ही न हो, कोई सगा हो।
मैं अपने काम में लगा था। न सिर्फ जुबां से उसके दाने और क्लियोटोरिस को रगड़ रहा था बल्कि ऊँगली से उसकी बुर भी चोद रहा था और निदा की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी।
निदा को चूसते नितिन की निगाह मुझसे मिली तो मैंने उसे आँखों ही आँखों में लंड चुसाने को कहा और उसने अपना चेहरा पीछे कर के खुद घुटनों के बल हो कर अपना लंड निदा के होंठों के एकदम करीब कर दिया। निदा की निगाहें उस हाल में भी मेरी तरफ गईं और मेरे प्रोत्साहित करने पर उसने नितिन के लंड को अपने मुँह में जगह दे दी। नितिन की आँखें आनन्द से बंद हो गईं और उसने निदा का सर थाम लिया।
मैं नीचे निदा की चूत चाटने में और ऊँगली से चोदने में मस्त था और वो लार बहा-बहा कर नितिन का लन्ड चूसने में मस्त थी। पर नितिन के लिए भी यूँ लन्ड चुसाना घातक हो सकता था इसलिए उसने भी स्थिति को समझते हुए अपना लन्ड निकाल लिया और निदा मुँह खोले ही रह गई।
निदा अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और चुदने के लिए लगातार सिस्कार-सिस्कार कर ऐंठ रही थी।
मैं उठ गया और अपने लंड को थोड़ा थूक से गीला कर के उसकी चूत पर रखा और हल्के से अन्दर सरकाया, सुपाड़े के अन्दर जाते ही निदा की ‘आह’ छूटी और तीन बार में अन्दर-बाहर कर के मैंने समूचा लंड अन्दर सरका दिया और उसके घुटने थाम कर धक्के लगाते हुए उसे चोदने लगा।
अब नितिन उसकी पीठ से टिक गया और उसकी हिलती हुई चूचियों को अपने हाथों से सम्भाल कर उन्हें दबाते और सहलाते पीछे से उसके होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर के धक्के के बाद मैंने नितिन को आने को कहा।
वो नीचे आ गया और मैंने अलग हट गया। अब निदा बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई और नितिन उसकी जाँघों के बीच आ गया। मेरे लन्ड के अन्दर-बाहर होने से उसका छेद तो अन्दर तक खुल ही चुका था, लेकिन फिर भी नितिन का लंड न सिर्फ मुझसे लम्बा था बल्कि मोटा भी था इसलिए जब उसने आधा लंड पेला, तभी निदा की ज़ोर की ‘कराह’ निकल गई। कुछ सेकेण्ड रुक कर नितिन ने भी अपने लंड के हिसाब से जगह बना ही ली और हचक कर चोदने लगा।
मेरे मुकाबले उसके चोदने में ज्यादा जोश और ज्यादा आक्रामकता थी। उसका कारण भी था कि वो उसके लिए एकदम नया और फ्रेश माल थी, जबकि मैं तो दो महीने से उसे चोद रहा था और इस नए-पन का मज़ा निदा को भी भरपूर आ रहा था। उसका चेहरा उत्तेजना से सुर्ख हो रहा था, साँसें मादक सीत्कारों में बदल गई थी, आँखें जैसे चुदाई के नशे में खुल ही नहीं पा रही थीं और अपनी उत्तेजना को वो बिस्तर की चादर अपनी मुट्ठियों में दबोच कर उसमें जज़्ब कर देने कि कोशिश कर रही थी।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद नितिन हटा तो मैं उसकी चूत पर चढ़ गया। हालांकि नितिन के लंड ने जो जगह बनाईं वो उसके लंड निकालते ही एकदम से कम न हो पाई और मेरे लंड डालने पर ऐसा लगा जैसे कोई कसाव ही न रहा हो और उसकी चूत बिलकुल बच्चा पैदा कर चुकी औरत जैसी हो गई हो। शायद निदा के आनन्द में भी विघ्न आई, लेकिन बहरहाल, मैं चोदने से पीछे न हटा और निदा की सिसकारियाँ कम तो हुईं लेकिन ख़त्म न हुईं।
मेरे बाद जब नितिन ने फिर अपना लौड़ा घुसाया तो उसकी सिसकारियाँ फिर उसी अनुपात में बढ़ गईं।
फिर नितिन ने ही लण्ड निकाल कर उसे उठाया और उल्टा कर के ऐसा दबाया कि निदा का बायां गाल बिस्तर से सट गया और कंधे, पीठ नीचे हो गई, ऊपर सिर्फ उसके चौपायों की तरह मुड़े घुटनों के ऊपर रखी गाण्ड ही रह गई। उसके आगे-पीछे के दोनों छेद अब हवा में बिलकुल सामने थे।
कहने की ज़रुरत नहीं कि उसके दोनों छेद एकदम मस्त कर देने वाले थे, लेकिन जहाँ गाण्ड का छेद अभी सिमटा हुआ अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था वहीं बुर का छेद इतनी चुदाई के बाद बिल्कुल खुल चुका था और उसने नितिन के लन्ड को निगलने में ज़रा भी अवरोध न दिखाया। जब नितिन उसके दोनों चूतड़ों को उँगलियों से दबोचे गचा-गच अपना लंड उसकी चूत में पेल रहा था, तब मैं निदा की पीठ सहला रहा था।
फिर जब नितिन हटा तो मैं उसकी गाण्ड के स्पर्श के साथ चूत चोदने पर उतर आया। हालांकि नितिन के मोटे लण्ड से चुदने के बाद मुझे वो मज़ा नहीं आ पा रहा था, लेकिन अब छोड़ भी तो नहीं सकता था।
बहरहाल कुछ देर की चुदाई के बाद नितिन ने तो झड़ने के टाइम उसे ऐसे दबोचा के निदा उसके लन्ड से निकल ही ना पाई और पूरी बुर नितिन के वीर्य से भर गई।
झड़ने और लण्ड बाहर निकलने के बाद वह तो निदा के बगल में ही गिर कर हांफने लगा। लेकिन उसने मेरा रास्ता दुश्वार कर दिया। पूरी बुर उसके वीर्य से भरी हुई थी।
तो मैंने एक बार लण्ड अन्दर कर के नितिन के वीर्य से अपने लण्ड को सराबोर किया और निदा की गाण्ड के छेद में उतार दिया और गाण्ड के कसाव और गर्माहट ने कुछ ही धक्कों में मेरा पानी भी निकाल दिया और मैंने उसकी गाण्ड अपने सफ़ेद पानी से भर दी।
फिर मैं भी बिस्तर पर पसर गया और वह भी हम दोनों के बीच में ही फैल कर हांफने लगी। आँखें उसकी अभी भी बंद थी लेकिन चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे।
हम करीब आधे घंटे तक ऐसे ही बेसुध पड़े रहे।
इसके बाद मैं ही पहले उठा और निदा को सहारा देकर उठाया और उसे उसी नंगी हालत में चलाते हुए बाथरूम ले आया। पीछे से नितिन भी आ गया।
अब कपड़े तो वैसे भी तन पर नहीं थे। मेरे कहने पर निदा ने हमारे सामने ही पेशाब किया और हमने भी साथ ही उसकी धार से धार मिलाई। तत्पश्चात, मैंने ही शावर चालू कर दिया और हम नहाने लगे। निदा ने तो हमें नहीं नहलाया, लेकिन हम दोनों ने मिल कर उसे बड़ी इत्मीनान से ऐसे नहलाया जैसे बच्चे को नहलाते हैं। उसके दोनों छेदों में ऊँगली डाल-डाल के सारी ‘मणि’ बाहर निकाली और साबुन से दोनों छेद अच्छी तरह धोए और उसके साथ चिपट और रगड़ कर खुद भी नहाते रहे।
इस अति-उत्तेजक स्नान में सिर्फ निदा ही नहीं बल्कि हम दोनों भी गरम हो गए और उसे गोद में उठा कर वापस बिस्तर पर ले आए।
अब जब नितिन उसके चूचों पर लदा, उसके होंठ चूस रहा था तो मैंने वह मलाई निकाल ली जो मैं अपने साथ ही लाया था। पहले मैंने अपने लंड पर मलाई थोपी। फिर मेरा अनुसरण करते हुए नितिन ने और हम दोनों घुटनों के बल बैठे निदा के चेहरे के इतने पास आ गए कि दोनों के लण्ड उसके गालों को छूने लगे और उसे मलाई चाटने को कहा।
शरमाई तो वह अब भी… लेकिन पहले की तरह आँखें बंद नहीं की, बल्कि चुपचाप पहले मेरा और बाद में नितिन का लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी।
भले हम स्नान से उत्तेजित हो गए हों लेकिन अभी हमारे लण्ड पूर्ण उत्तेजित नहीं थे और हमने इस बहाने उसे ढेर से मलाई खिलाई। तब कहीं जाकर हमारे लौड़े पूर्ण रूप से तन पाए कि उसकी गाण्ड का मज़ा ले सकें।
इसके बाद थोड़ी मलाई छोड़ कर बाकी जो भी थी हमने उसके पेट, कंधे, गर्दन और खास कर चूचियों और जाँघों पर मल दीं और दोनों ऊपर-नीचे हो कर कुत्तों की तरह उसे चाटने में जुट गए। अब आनन्द के अतिरेक से निदा की आँखें मुंद गईं और वह हौले-हौले सिसकारने लगी।
जब सारे शरीर से मलाई साफ़ हो गई तो बची मलाई मैंने आधी तो उसकी चूत में मली और भर दी और बाकी आधी उसकी गाण्ड के छेद के अन्दर और बाहर मल दी।
अब मैंने नितिन को सीधा लेटने को कहा और उसके ऊपर निदा को कुतिया की तरह ऐसे व्यवस्थित किया कि उसकी चूत बिलकुल नितिन के मुँह पर आ गई और नितिन का लण्ड निदा के मुँह में।
नितिन अब उसकी चूत के अन्दर बाहर भरी मलाई चाटने लगा जो कि पक्का उसके रस से मिल कर कुछ ज्यादा ही स्वादिष्ट हो गई होगी और मैंने उसके चूतड़ थाम कर उसकी गाण्ड का छेद चाटने लगा। साथ ही जीभ नुकीली करके छेद के अन्दर भी उतार देता था। उत्तेजना में निदा नितिन के लण्ड को मुँह में लिए पागलों की तरह चूसने लगी। लेकिन चूँकि अभी हम दोनों ही एक बार झड़ चुके थे तो जल्दी झड़ने का सवाल ही नहीं था इसलिए नितिन को भी उसकी लंड चुसाई से कोई फर्क नहीं पड़ना था।
लेकिन इस चाटम-चाट में मेरे और नितिन के चेहरे इतने पास थे कि हम एक-दूसरे की साँसें महसूस कर सकते थे।
कुछ देर बाद निदा अपना एक हाथ उठा कर अपने चूतड़ सहलाने लगी जो कि मेरे लिए इशारा था कि वह अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।
मैंने सीधे होकर अपना लण्ड थूक से गीला करके उसके गुलाबी दुपदुपाते हुए छेद पर रखा और थोड़ा ज़ोर लगा कर अन्दर उतार दिया।
निदा की एक गहरी सांस छूट गई और उसने नितिन का लंड बाहर निकाल कर अपनी आँखें बंद की और अपने शरीर के निचले हिस्से में लण्ड और जुबान से पैदा आनन्द की लहरों को एकाग्र होकर अनुभव करने लगी।
लेकिन इस तरह की गाण्ड मराई में मेरी गोलियाँ नितिन की नाक से टकरा रही थीं लेकिन उसने भी आज किसी ऐतराज़ अवरोध को खातिर में नहीं लाना था। वह अपना काम करता रहा और मैं निदा की गाण्ड मारता रहा।
कुछ देर की चुदाई के बाद निदा ने आँखें खोल कर मुझे देखा। वह कुछ बोली नहीं लेकिन मैं उसकी आँखों की भाषा समझ सकता था और मैं हट गया और नितिन को ऊपर आने को बोला।
खुद नीचे होकर निदा के नीचे नितिन की जगह पहुँच गया और नितिन बाहर निकल कर मेरी जगह। मैंने उसकी बहती हुई बुर को हाथ से ही साफ़ किया और फिर खुद जुबान लगा दी। मेरे चेहरे के बिल्कुल पास निदा की गाण्ड का खुला हुआ छेद था, बल्कि नितिन का केले जैसा लन्ड भी जो वो नोक से निदा को घुसा रहा था।
अब ज़ाहिर है कि मेरी बनाई जगह उसके लिए अपर्याप्त थी, तो वह ऐसे लग रहा था जैसे फंस गया हो। निदा को भी पता था कि नितिन के लण्ड से उसकी गाण्ड का हाल बुरा होने वाला था और उसे दर्द सहना पड़ेगा, लेकिन अब जब मिला ही था तो वह इस लण्ड को हर तरह से ग्रहण कर लेने में पीछे नहीं रहना चाहती थी।
मैंने नितिन को थोड़ा पीछे सरका कर अपना ढेर सा गाढ़ा थूक निदा के पानी सहित निदा के छेद पर उगल दिया, जिससे छेद एकदम से चिकना होकर चमक उठा और अब जब नितिन ने टोपी सटा कर ज़रा सा ज़ोर लगाया तो निदा का छल्ला खुद को फैलने से न बचा पाया और नितिन की टोपी एकदम से अन्दर हो गई।
दर्द से निदा ज़ोर से कराही और स्वाभाविक रूप से आगे सरकी ताकि नितिन के लण्ड को निकाल फेंके। लेकिन उसी पल में मैंने और नितिन ने उसे रोक लिया और उसने भी अपनी बर्दाश्त की क्षमता को उपयोग करते हुए खुद को ढीला छोड़ दिया।
नितिन ने कुछ देर लण्ड अन्दर रख कर जो बाहर निकाला तो मेरे एकदम समीप ‘पक्क’ की आवाज़ हुई और नितिन का सुपाड़ा बाहर आते ही निदा का छेद एकदम इस हद तक खुला रह गया कि उसकी चूत में जुबान घुसाते हुए मुझे छेद के अन्दर के गुलाबी भाग तक के दर्शन हो गए।
पऱ अगले पल में नितिन ने फिर अपना लण्ड छेद से सटा कर दबाया तो फिर निदा कराही और लण्ड का अगला भाग अन्दर हो गया। इस बार नितिन ने दो इंच और अन्दर सरकाया, कुछ पल रोक कर छेद को एडजस्ट होने का मौका दिया और फिर बाहर निकाल लिया, छेद फिर उसी तरह खुला और मैंने एक बार और अपना गाढ़ा थूक उसमें उगल दिया।
तीसरी बार नितिन ने जब निदा की गाण्ड में अपना लण्ड घुसाया तो अपेक्षाकृत आसानी से घुस गया और इस बार नितिन ने लण्ड बाहर न निकाल कर धीरे-धीरे ऐसा अन्दर सरकाया कि उसकी गोलियाँ मेरी नाक के पास आ गईं और उसका समूचा लन्ड निदा की गाण्ड में अन्दर तक धंस गया।
बर्दाश्त करने में निदा का पसीना छूट गया और वह हांफने लगी।
यह तो मैं लगातार उसकी चूत में घुसा, उसे गर्म कर रहा था जिससे वह इस दर्द से लड़ पा रही थी वरना उसे पक्का आफत आ जाती। मेरी चटाई उसे उस दर्द के एहसास से बाहर ले आई और फिर नितिन ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। अजीब नज़ारा था। मेरी आँखों से सिर्फ डेढ़ इंच दूर एक मोटा लम्बा लंड एक कसे हुए छेद में अन्दर-बाहर हो रहा था। उसकी गोलियाँ हिलती हुई मेरे चेहरे से दूर होती और फिर पास आ जाती।
धीरे-धीरे निदा उस दर्द से उबर गई और चूतड़ खुद ही आगे-पीछे करने लगी, तो मुझे अब उसकी चूत की चटाई की आवश्यकता न लगी और मैं उसके नीचे से निकल आया और नितिन को हटा कर खुद लन्ड घुसा दिया।
मुझे छेद बुर की तरह ही एकदम ढीला और फैला हुआ लगा जो मेरे लण्ड को मज़ा न दे पाया, साथ ही मैंने निदा के शरीर में भी मायूसी सी महसूस की जैसे नितिन के लण्ड को लेने के बाद मेरे लन्ड से मज़ा न आ रहा हो। लेकिन बहरहाल हिस्सेदारी ज़रूरी थी और इसी वजह से मैंने अपने धक्कों में कोताही न की, नितिन पास ही बैठ कर हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा।
फिर कुछ देर में मैं हटा तो नितिन ने निदा की गाण्ड की पेलाई चालू कर दी।
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RE: raj sharma story कामलीला - by desiaks - 07-17-2020, 11:55 AM

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