RE: raj sharma story कामलीला
मुझे लगा कि कहीं नशे में लुढ़क न जाये और रात का मज़ा ही किरकिरा हो जाये… मैंने मोबाइल किनारे रखा और उसे थाम लिया।
‘अपना दिमाग मुझमें लगाओ, अपनी वेजाइना से उठती लहरों में लगाओ।’ मैंने उसे अपनी बाँहों में लेते हुए कहा।
और अगले पलों में हम एक दूसरे को रगड़ने में लग गए, एक दूसरे को चूमने, सहलाने, चुभलाने, दबाने, मसलने में लग गए और कुछ ही पल गुज़रे होंगे कि उसके नशे से शिथिल पड़ते शरीर में कामोत्तेजना की ऐसी गर्माहट पैदा हो गई कि शराब का नशा कहीं पीछे छूट गया।
रह गया तो वासना का नशा… जो सर चढ़ कर बोल रहा था।
मैंने अपने होंठों से कुछ बाकी न रखा था और जब उसके भगोष्ठ और भगांकुर को होंठ और जीभ से ज़बरदस्त ढंग से चूस और चाट रहा था तो उसने बेचैनी से मुझे ऊपर खींच लिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चूमने रगड़ने लगी।
‘यार आज करो!’ चूमाचाटी के बीच नशे से थरथराती आवाज़ में उसने कहा- उफ़… मैं और नहीं बर्दाश्त कर सकती। मुझे भी इस डंडे को अपने जिस्म में लेने का सुख चाहिए। कुछ करो, कैसे भी करो।’
एक तो शराब का नशा और उसमे जवानी का नशा, यौनांग से उठती मादक लहरें और उत्तेजना से कंपकपाते शरीर। जिस्म की गर्माहट ऐसी कि बुखार भी पीछे छूट जाए।
यहाँ खुद पर नियंत्रण बनाए रखना मेरे लिए बेहद मुश्किल था और उसके लिए तो खैर नामुमकिन ही था।
हम एनल सेक्स कर सकते हैं… अगर तुम चाहो।’ मैंने खुद को थोड़ा सँभालते हुए कहा।
‘करो… कुछ भी करो… कहीं भी घुसा दो पर इसे मेरे अंदर कर दो।’
‘क्या यहाँ कोई ऐसी चीज़ है जो बाहरी लुब्रिकेंट का काम कर सके- जैसे तेल, जेली?’
‘मस्टर्ड आयल है, कभी कभी मैं हाथ पैरों में लगाती हूँ।’
‘दे दो… ऐसे ही नहीं कर सकते। उसे पहले ढीला करना पड़ेगा।’
उसने मेरे ऊपर से हटते हुए साइड टेबल की दराज़ से क्रीम का छोटा डिब्बा निकाल कर मुझे थमा दिया।
मैंने उसका ढक्कन हटा कर उसे टेबल पर ही रख लिया और बेड पर उसी तरफ मुंह करते हुए ऐसे लेटा कि ज़रूरत पड़ने पर मैं तेल ले सकूं।
मैंने उसे अपने ऊपर इस तरह आने को कहा कि वह चौपाये जैसी पोज़ीशन में रहे, उसके घुटने मेरी पसलियों के गिर्द रहें और उसकी योनि मेरे मुंह पर रहे और खुद उसका मुंह वहाँ रहे जहाँ मेरा लिंग था।
ये 69 पोज़ीशन थी जो इस खेल की नई खिलाड़ी के लिए कुछ अजीब थी।
मैंने उसके नितम्बों को अपने चेहरे के सामने अपनी सुविधानुसार एडजस्ट किया और दोनों को सहलाते दबाते उसकी योनि में मुंह डाल दिया।
मैं न सिर्फ उसकी क्लिटरिस के साथ उत्तेजक ढंग से छेड़छाड़ कर रहा था बल्कि उसके बंद छेद को भी जीभ से दबा रहा था।
धीरे धीरे उसकी सीत्कारें का क्रम बढ़ने लगा।
इस पोजीशन में मेरा लिंग ऐन उसके मुंह के सामने था और उसे आमंत्रित कर रहा था।
वह तीन दिनों से पोर्न मूवी देख रही थी तो क्या इतना भी न समझी होगी कि वह उसके गीले मुंह के लिए कोई वर्जित फल नहीं बल्कि एक लज्जतदार चीज़ है जो मुझे वैसा ही सुख देगी जैसे इस वक़्त उसे मिल रहा है।
मैं अपना काम करते हुए दिमाग वहीं लगाए था कि कब वह अपनी झिझक और शर्म की बाधा को तोड़ के मेरे भाई को अपने मुंह की क़ुरबत बख्शती है…
और जब उसकी योनि ने उसके दिमाग पर नियंत्रण बना लिया तो उसने एकदम से लिंग को मुंह में दबोच लिया और बेताबी से ऐसे चूसने लगी जैसे आइसक्रीम चूस रही हो।
शिश्नमुंड के छेद पर मौजूद प्रीकम की बूँदों ने उसे रोका होगा लेकिन उसने कामयाबी से यह बाधा पार कर ली तो अब कोई अड़चन ही नहीं थी जो उसे यूँ ज़बरदस्त ढंग से लिंग चूषण करने से रोक सके।
उसके मुंह से बहती लार को मैंने अपने अंडकोषों और उनसे होकर अपने गुदाद्वार तक जाते महसूस किया था।
चूषण के साथ ही वह मेरे अंडकोषों को भी अपनी उँगलियों से सहलाने लगी थी।
अब उधर मेरा ध्यान देना मेरी सेहत के लिए ठीक नहीं था वर्ना मेरा पारा भी चढ़ने लगता अतएव मैंने अपना सम्पूर्ण ध्यान उसके चूतड़ों और योनि पर केंद्रित कर लिया और बड़ी लगन से योनि चूषण करते हुए अब अपनी दो उंगलियाँ सरहाने रखे तेल में डुबा लीं और उसके पीछे वाले सिकुड़े सिमटे छेद को सहलाने दबाने लगा।
‘तुम इस छेद को बिलकुल ढीला छोड़ दो… इसे किसी भी हालत में सिकोड़ोगी नहीं।’
उसने एक ‘आह’ भरी सिसकारी के साथ सहमति जताई।
मैं उसे योनि से चार्ज तो कर ही रहा था… जिससे उसके दर्द पर उसकी उत्तेजना हावी रहे। और जब लगा कि उँगलियों पर लगा तेल चुन्नटों से होता अंदर तक पहुँच चुका होगा तो अपनी बिचली उंगली थोड़ा दबाव देते अंदर उतार दी।
उसके जिस्म की अकड़न में एक पल के लिए ठहराव आया तो सही लेकिन एक उन्नीस साल की लड़की के लिए उंगली कोई मायने नहीं रखती थी और वह मैं कल भी कर चुका था।
मैंने जीभ से अपना काम करते हुए उंगली को गहराई में ले जाकर उसके रेक्टम की प्रवेशद्वार वाली दीवारों को सहलाने रगड़ने लगा, उंगली को गोल गोल घुमाते हुए।
‘आह, ओफ्फो… यह भी अच्छा लग रहा है… कितने… मज़े देते हो तुम… आह… और करो… ऐसे ही… और.. आह… मज़ा आ रहा है…’वह अस्फुट से शब्दों के साथ टूटती लड़खड़ाती आवाज़ में बोली।
उसे एन्जॉय करते देख मैंने दूसरी उंगली भी छेद में उतार दी।
उसके मुंह से दर्द भरी कराह निकली और उसने कुछ पलों के लिए छेद को सिकोड़ा मगर फिर ढीला छोड़ दिया और ऐसा लगा जैसे अपना ध्यान लिंग चूषण पर लगा लिया हो।
अच्छा ही था… इससे मुझे आसानी होती।
मैं दोनों उंगली अंदर ही रखते हुए इस तरह चलाने लगा कि एक बाहर की तरफ आ रही होती तो दूसरी अंदर की तरफ जा रही होती। इस तरह न सिर्फ उसे रगड़न मिल रही थी बल्कि छेद भी दो उँगलियों का आदि होकर ढीला हो रहा था।
एक सख्त कसे हुए छल्ले को मैं अपनी उँगलियों पर महसूस कर सकता था।
हालांकि यह पोज़ीशन ऐसी थी कि मैं उँगलियों पर तवज्जो देता तो मुझे अपना मुंह उसकी योनि से पीछे खींचना पड़ता और मुंह पर तवज्जो देता तो उँगलियों को गति नहीं दे सकता था।
दूसरे इस तरह मेरे पंजे यूँ मुड़े हुए थे की जॉइंट की हड्डी दर्द करने लगी थी।
अंततः मैंने उसे अपने ऊपर से हटा दिया।
खुद उठ कर उसी साइड में जिधर तेल रखा था, बेड से नीचे खड़ा हो गया और गौसिया को उसी तरह चौपाये की पोजीशन में रखते हुए एकदम किनारे खींच लिया।
उसकी कमर पर दबाव बना कर उसे इस तरह नीचे कर दिया कि उसके बूब्स और चेहरा गद्दे में धंस गए और इस तरह उसके नितम्बों वाला हिस्सा ही उठा रह गया जो मेरे एन सामने था और उसके दोनों गीले और बह रहे छेद बिल्कुल सही पोजीशन में मेरे सामने थे।
मैंने उँगलियों पर तेल लेकर उसके छेद में टपकाया और उसे उँगलियों से अंदर करते हुए, साथ ही दोनों उंगलियाँ भी अंदर उतार दीं।
इस काम में मैं अपना सीधा हाथ इस्तेमाल कर रहा था।
बाएं हाथ से मैंने उसकी पूरी तरह गीली, बहती-चूती योनि को रगड़ने सहलाने लगा जिससे वह फिर चार्ज होने लगी और जो कुछ पलों का अवरोध आया था, उससे उबरने लगी।
थोड़ी देर बाद जब लगा कि अब वह सह लेगी तो खाली वाला हाथ योनि से हटा कर मैंने उसमें तेल लिया और अपने लिंग को तेल से इस तरह सराबोर कर लिया कि दूल्हा चमकने लगा।
‘सुनो, मैं अब डालने जा रहा हूँ। कितना भी दर्द हो, यह सोचकर बर्दाश्त करना कि इस दर्द से कोई मर नहीं जाता और एकदम चिंहुक कर ऊपर नीचे न होना… चिकनाई बहुत है, फिसल कर नीचे के छेद में जा सकता है और गया तो झिल्ली तक पहुँचने से पहले रुक भी नहीं पाएगा।’ मैंने उसे चेतावनी देते हुए कहा।
‘अब तुम खुद अपनी क्लिटरिस को सहलाते हुए अपने को गर्म रखो, मेरा ध्यान अंदर डालने में है।’
उसने सर हिलाते हुए डालने का इशारा किया और खुद नीचे से अपना सीधा हाथ अपनी योनि तक ले आई और उसे सहलाने रगड़ने लगी।
मैंने उसके नितम्बों को सहलाते हुए सीधे हाथ से लिंग को पकड़ कर उसके छेद से टिकाया और अपनी उँगलियों से लिंग के अग्रभाग को उसके छेद पर दबाने लगा।
चुन्नटों भरा घेरा काफी सख्त था लेकिन चिकनाई इतनी ज्यादा थी कि चुन्नटों को खुलने में देर नहीं लगी।
और जैसे ही उसने पहली बाधा पार की, वह एकदम अंदर सरका और उसी पल में वह चिहुंक कर ‘अम्मी’ के उद्घोष के साथ चीखी।
अगला पल मेरे लिए अपेक्षित था इसलिए मैंने उसके कूल्हों के ऊपर, कमर पर अपनी उँगलियाँ धंसा दीं और उसके तड़प कर मेरे लिंग से बाहर निकल जाने की सम्भावना ख़त्म कर दी।
‘रिलैक्स- रिलैक्स… थोड़ा बर्दाश्त करो। अभी छेद अपने आप एडजस्ट कर लगा… तुम अपनी वेजाइना को सहलाओ।’
वह गूं गूं करती रही और मैंने अपने आधे घुसे, बल्कि यह कहा जाये तो ज्यादा सही होगा कि उसके कसे हुए छेद में आधे फंसे लिंग को और अंदर घुसाने की कोशिश की तो वह मचलने लगी।
‘मुझे लेट्रीन फील हो रही है… जाने दो।’ वह कांखते कराहते हुए ऐसे बोली कि लगा वाकयी में उसकी कैफियत ऐसी ही रही होगी।
मैंने अपना लिंग बाहर खींच लिया…’पक’ की आवाज़ के साथ खुला हुआ दरवाज़ा बंद हो गया और वह उठ कर कमरे से अटैच बाथरूम की तरफ भागी और दरवाज़े के पीछे गायब हो गई।
मैं बिस्तर पर गिर कर उसका इंतज़ार करने लगा।
पांच मिनट बाद वह वापस आई तो उसके चेहरे पर शर्मिंदगी के भाव थे।
‘सॉरी…’ वह निदामत भरे लहजे में बोली और मेरे पास ही सर झुकाए बैठ गई।
‘इट्स ओके… पहली बार में हो जाता है… इसमें कोई बड़ी बात नहीं। यह तभी हो सकता है जब तुम मानसिक रूप से इसके लिए तैयार हो। अगर तुम ठीक नहीं महसूस कर रही तो कोई बात नहीं। हम ऐसे ही एन्जॉय करते हैं न।’ मैं उसके पास बैठ कर उसकी पीठ को सांत्वना भरे अंदाज़ में सहलाते हुए बोला।
वह थोड़ी देर अपनी घनेरी पलकें ऊपर उठा कर मेरी आँखों में देखती रही फिर निश्चयात्मक स्वर में बोली- नहीं, जो होगा आज होगा… यह मेरी ज़िन्दगी का वह वक़्त है, वह मौका है जो एक बार चला गया तो फिर कभी नहीं आएगा। मुझे पता नहीं था कि ऐसे वक़्त में कैसा महसूस होता है लेकिन अब पता है और मैं खुद को इसके लिए तैयार कर चुकी हूँ।
‘ऐज़ यू विश!’
‘पर नशा ख़त्म हो गया। फिर से बनाओ!’ वह बिस्तर की पुश्त से टिकती हुई बोली।
‘जैसी मैडम की मर्ज़ी।’ मैंने मुस्कराते हुए कहा और उठ कर ड्रिंक बनाने लगा… साथ ही दो सिगरेट भी सुलगा लीं।
हम फिर से शराबनोशी और स्मोकिंग करने लगे।
और इस बार जो रगड़घिस का दौर चला तो वह काफी वायलेंट तरीके से पेश आई। मैंने उसके बूब्स, योनि और चूतड़ों के साथ उसे वैसे ही रगड़ा कि फिर थोड़ी देर में ‘सी-सी’ करती पानी छोड़ने की कगार पर पहुँच गई।
इस बार छेद ढीला करने के लिये मैंने उसे डॉगी स्टाइल वाली पोजीशन में नहीं किया बल्कि चित लिटा कर बेड के किनारे खींच लाया और पांव घुटनों से मोड़ कर पीछे कर दिए। उसके दोनों छेद यूँ समझिए कि गद्दे की कगार पर आ गए थे।
खुद मैं नीचे उकड़ूं बैठ गया और उसकी योनि से ज़ुबानी छेड़छाड़ करने लगा।
उंगलियाँ फिर से तेल में डुबाईं और पहले बंद पड़े छेद को प्यार से सहलाया, फिर पहले एक उंगली और फिर कुछ देर में दोनों ही उंगलियाँ अंदर उतार दीं।
वह खुद अपने हाथों से अपने वक्ष को मसलने लगी थी और अपने निप्पलों को रगड़ने, खींचने लगी थी।
कुछ क्षणोपरांत जब वह तैयार हो गई तो खुद से उसने इशारा किया कि अब करो वर्ना ऐसे ही निकल जाएगा।
तब मैंने खड़े होकर उसके कूल्हों के नीचे कुशन रख कर छेदों को थोड़ा और ऊपर किया ताकि मुझे ज्यादा नीचे न होना पड़े और एक बार और अपने लिंग को तेल से सराबोर कर दिया।
इस बार जब शिश्नमुंड को छेद पर रख कर दबाया तो उसे अंदर सरकने में इतनी ताक़त न लगी।
जब वह अंदर गया तो मैंने उसका चेहरा देखा… उसने होंठ भींच लिए थे और खुद अपनी लार में उँगलियाँ गीली करके अपनी योनि पर ले आई थी और उसे रगड़ने सहलाने लगी थी।
धीरे धीरे करके इस बार मैंने अपने लिंग को उसके छेद में इतना धंसा दिया कि मेरा पेट उसके चूतड़ों से आ सटा।
‘पूरा अंदर हो गया?’ उसने कराहते हुए पूछा।
‘हाँ, अभी छेद खुद ही एडजस्ट कर लेगा। बस तुम खुद को गर्म किये रहो।’ मैंने आहिस्ता आहिस्ता लिंग को बाहर खींचते हुए कहा।
मैं जानता था कि भले वह चरम पर पहुँच चुकी हो लेकिन यह दर्द उसे वापस पीछे खींच लाएगा।
मैं उसका हाथ उसके वक्ष पर करके खुद अपने एक हाथ से उसके भगांकुर को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से लिंग को पकड़े बाहर निकाल लिया।
‘पक’ की आवाज़ तो फिर हुई लेकिन इस बार बेहद हल्की…
मैंने फिर से लिंग को वापस घुसाया… ज़ाहिर है कि उसे फिर खिंचाव का दर्द बर्दाश्त करना पड़ा।
पूरा लिंग अंदर सरकाने के बाद मैंने फिर उसे वापस खींच लिया।
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