RE: Maa Chudai Story सौतेली माँ से बदला
गुलनार, अब मेरे लण्ड को पकड़ के सहला रही थी.. !!
मैं उसके बूब्स को दबा रहा था.. !! लिप्स पर, उंगली फेर रहा था.. !!
फिर, कुछ 15-20 मिनट बाद, गुलनार नीचे जा के मेरे लण्ड को चूसने लगी।
कुछ ही देर में, हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए.. !!
मैं गुलनार की चूत में उंगली घुसा कर, उसके दाने को चूस रहा था।
15-20 मिनट के बाद, मैंने गुलनार को अपने लण्ड पर बैठा दिया.. !! फिर, धीरे धीरे गुलनार ऊपर नीचे होने लगी.. !!
फिर क्या था, एक बार और शुरू हो गया – हमारा चुदाई का प्रोग्राम…
इस बार, मैंने गुलनार की चूत और गाण्ड को हर स्टाइल में चोदा।
करीब, आधे घंटे से ज़्यादा देर तक मैंने गुलनार को चोदा और अपना सारा मूठ मैंने उसकी गाण्ड में भर दिया।
इस तरहा, हमने चुदाई करते करते रात बिताई और कब सो गये, पता नहीं चला।
सुबह के 10 बजे, हमारी नींद खुली.. !!
हम चारों, घर आने के लिए तैयार होने लगे तभी सलमा का फोन आया के वो भी नीलोफर के साथ, वहां आ रही है तो हम लोग घर के लिए ना निकलें।
ये सुनते ही, गुलबदन और गुलनार खुशी से उछल पड़ीं.. !!
मैंने बाहर आकर, ललन से कहा के हम लोग नहीं जा रहे हैं और सलमा और नीलोफर जी भी कुछ ही देर में, यहाँ पहुँच जाएँगीं तो तुम हम सब के खाने का इंतज़ाम कर देना…
कुछ देर बाद, ललन की बीवी हमारे लिए नाश्ता लेकर आ गई।
हमने नाश्ता किया और वसीम और मैं बाते करने बैठ गये।
गुलबदन और गुलनार, दोनों एक साथ मिलकर ललन के घर चले गये।
फिर कुछ देर बात, सलमा और नीलोफर आ गए.. !! वो दोनों आते ही, वसीम के गले लग गये.. !!
मैं – क्या हुआ… ?? तुम दोनों, ऐसे अचानक यहाँ… सब कुछ, ठीक है ना…
सलमा – कुछ नहीं, वो घर को पैंट करने वाले आ गये और मुझे पैंट से एलर्जी है… इस लिए, मैनेजर को घर का चाबी देकर, हम लोग यहाँ आ गए…
वसीम – तो ठीक है… वैसे, यहाँ भी मुझे कुछ काम था… जिसे, मैं बाद में करने की सोच रहा था… मगर, अब तो सब लोग आ गए हैं तो मैं वो काम भी करवा ही देता हूँ…
वसीम ने बाहर जाकर ललन से कुछ मज़दूर बुलाने को कहा और वो खुद सबके साथ काम में लग गया।
मैं भी, उसके साथ था.. !!
ऐसे ही पूरा दिन निकल गया…
शाम को, जब घर आए तो सलमा ने कहा – वसीम, मैनेजर का फोन आया था की वहां कुछ दिक्कत आ रही है…
वसीम ने कहा – ठीक है… मैं और विनय, चले जाते हैं… जब सब काम, ख़तम हो जाएगा तो आप लोग आ जाना…
लण्ड की प्यासी, गुलबदन और गुलनार भी हमारे साथ जाने के लिए ज़िद करने लगीं.. !! तो सलमा ने कहा की तुम दोनों को भी तो पैंट से प्राब्लम है… इसलिए, तुम दोनों नहीं जा सकते… चुपचाप, यहीं पर रहो…
नीलोफर बोली – दीदी, मुझे पैंट से प्राब्लम नहीं है… इस लिए, मैं इनके साथ जाती हूँ… वहां, इनका ख़याल रखने वाला भी कोई नहीं है… मैं इन दोनों को खाना बना दूँगी…
इस पर सलमा मान गयी।
फिर, सलमा ने वसीम को दूसरे कमरे में बुला कर उस से कहा के इतने दिन तक, मैं तुमसे बिना चुदवाए कैसे रहूंगी… जाने से पहले, एक बार तो चोद दो और अगर मौका लगे तो बीच बीच में आकर, मेरी चूत की आग बुझा जाया करना…
वसीम ने सलमा को जमकर चोदा…
मैं गुलनार और गुलबदन के साथ, दूसरे बेड रूम में बैठा बातें कर रहा था।
तभी, नीलोफर ने गुलनार को आवाज़ दी तो वो वहां से उठकर चली गई।
गुलबदन, मुझे अकेले पाते ही मेरे ऊपर टूट पड़ी और मैं बेड पर गिर गया.. !!
गुलबदन मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे चेहरे पर, बेतहाशा किस करने लगी.. !!
मैंने उसे रोका तो उसने कहा – कब से तुमसे चुदवाने की सोच रही हूँ, विनय… मगर, तुम हो के मुझे घास नहीं डालते… आज, चान्स मिला है तो तुमको मुझे चोदना ही पड़ेगा…
मैंने गुलबदन को पकड़ के नीचे बेड पर पलट दिया और कहा – देखो, अभी सही टाइम नहीं है… कोई भी, कभी भी आ जाएगा… कुछ ही देर में, हम लोग यहाँ से निकलने भी वाले हैं… मुझे ऐसे टेंशन में और जल्दी जल्दी चोदने में, मज़ा नहीं आता… अगर, मैं ठीक सोच रहा हूँ तो तुम भी नहीं चाहोगी के मैं तुम्हें यूँही जल्दबाज़ी में चोद के, तुम्हारी हसरात पर पानी फेर दूँ… इसलिए, मौका लगने पर मैं तुम्हें जमकर चोदूंगा, जिस से हम दोनों को बहुत मज़ा आएगा… तो, अभी के लिए जानेमन, अपने आपको रोक लो और काबू रखो, अपनी जवानी पर…
मैंने कुछ देर उसकी चुचियों को दबाया और उसके होंठों को किस किया और फिर मैं वहां से चला गया।
जैसे ही घर की पैंटिंग का काम ख़तम हुआ सलमा, गुलबदन और गुलनार तीनों फार्म हाउस से आ गए।
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