RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
[color=#0000FF]
#29 (2)
थर्स्डे , 23र्ड डिसेंबर
-------------------------------
देल्ही में भी हमारे लिए होटेल बुक था , पर मैने होटेल की जगह मिस्टर.चौधरी के फार्म हाउस पर जाना सही समझा……….
यह फार्म हाउस देल्ही के सुल्तानपुर एस्टेट्स में बना हुआ था ………… काफ़ी बड़ा फार्म हाउस , जिसका यूज़ मिस्टर.चौधरी सिर्फ़ ऐज आ गेस्ट हाउस ही करते थे ……..फार्म हाउस के सेंटर में एक 2 फ्लोर बिल्डिंग थी , जिसको गेस्ट हाउस भी कहा जा सकता था , इसके ग्राउंड फ्लोर पर एक बड़ा हॉल , किचन , एक जिम , सेरवेंट रूम्स और स्टोर रूम्स थे ……..फर्स्ट फ्लोर पर 4 बेडरूम्स थे विथ अटॅच्ड
बाथरूमस…………..फार्म हाउस की देख भाल के लिए एक अलग स्टाफ था, जिसमे से 2 लोग – एक हज़्बेंड / वाइफ वहीं गेस्ट हाउस में ही रहते थे ……
हम लोग देर रात यहाँ आ गये थे और फिर अलग अलग रूम्स में जाकर सो गये थे ……..सुबह मेरी आँख लगभग 8 बजे की आस पास खुली और मैं उठ कर अपने रूम की बाल्कनी पर आ गया ……
यह बाल्कनी फार्म हाउस के बॅक साइड में खुलती थी ……….पीच्चे एक बड़ा सा गार्डेन , एक फाउंटन और एक स्विम्मिंग पूल भी था ………….डिसेंबर तो ऐसे भी काफ़ी सर्द महीना होता है , और देल्ही की सर्दी तो वैसे भी काफ़ी फेमस है ……..दूर दूर तक कोहरा पसरा
हुआ था, सर्द हवा मेरे चेहरे पर टकरा रही थी ……पर यह ठंडी हवा भी काफ़ी सकून देने वाली लग रही थी ………
मैं वापस रूम में गया और फिर अपने बेग में से एक जॅकेट निकाल कर पहन लिया और फिर सीडीयाँ उतर कर नीचे आ गया………….धीर धीरे चलता हुआ मैं पीछे लॉन में पहुच गया ………..यहाँ कोहरा इतना ज़्यादा था कि 5 मीटर की भी दूरी पर दिखाई नही दे रहा था
……………. पर सामने लॉन में टहलते हुए उस साए को मैं पहचान सकता था ……….यह नेहा थी………….वो इस समय गार्डन में टहल रही थी……….नंगे पाँव
मैं थोड़ा सा तेज़ चलते हुए उसके पास पहुँचा और बोला “ गुड मॉर्निंग नेहा …..”
उसने मूड कर मेरी तरफ देखा , एक बार मुस्कुराइ और फिर जैसे अचानक कुछ याद आ गया हो , उसके चेहरे पर वही उदासी छा गयी ……….उसने धीरे से जवाब दिया “ गुड मॉर्निंग राजीव ………….”
“ नंगे पाँव क्यों टहल रही हैं आप ……….ठंड लग जाएगी “
“ नही…….. मुझे आदत है ………..मैने कहीं पढ़ा था कि सुबह सुबह नंगे पाँव घास पर टहलना , सेहत के लिए अच्छा होता है……” उसने
धीरे से ही जवाब दिया …………
फिर एक खामोशी हम दोनो के बीच पसर गयी ……….हम साथ साथ टहल रहे थे , पर बिल्कुल चुप-चाप ……….ऐसे , जैसे कि अभी अभी पहली बार मुलाकात हुई हो …….इस सब की शुरुआत मैने ही की थी , पर यह खामोशी और उसकी उदासी अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रही थी ………..
उसने जैसे मेरे दिल की बात समझ ली हो , वो अचानक बोली “ मुझे आपसे कुछ बात करनी थी राजीव ………अगर आप नाराज़ ना हो तो ?” कहकर वो रुक गयी , और मेरी आँखों में देखने लगी , फिर सर नीचे झुका लिया …………
“ हां ……..बोलो, क्या बात है ? “ मैने पूछा……….हालाँकि मैं जानता था कि वो क्या पूच्छने वाली है ……………
उसने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि अचानक मेरी जेब में पड़ा मेरा मोबाइल बजने लगा…….मैने एक बार उसकी तरफ देखा और फिर जेब से मोबाइल निकाल कर चेक किया ………मिस्टर.चौधरी की कॉल थी ………मैने कॉल रिसीव की और थोड़ा सा हट कर बात
करने लगा …” गुड मॉर्निंग सर……..”
“ गुड मॉर्निंग राजीव ……..कैसे हो बेटा ?”
“ मैं ठीक हूँ सर…….आप बताइए “मैने कहा …
“ राजीव ………मेरी कल स्टेट मिनिस्ट्री से मीटिंग हुई थी और आज सेंट्रल मिनिस्ट्री के साथ मीटिंग है ……..आइ होप, 1-2 दिन में हमारा कांट्रॅक्ट फाइनल हो जाएगा……. मैं दिल्ली पहुँच चुका हूँ ………1 घंटे में तुम्हारे पास पहुँच जाउन्गा, फिर बाकी बात करेंगे ….” कह कर उन्होने फोन काट दिया…….
मैने मोबाइल को अपनी जेब में रखा और फिर पलट कर देखा……नेहा अब वहाँ नही थी ………मैने चारो तरफ निगाह घुमाई , वो शायद
वापस गेस्ट हाउस में जा चुकी थी …….
मैं भी जल्दी से गेस्ट हाउस की तरफ बढ़ गया…….मिस्टर.चौधरी के आने से पहले मुझे तय्यार होना था …….
1 ½ घंटे के बाद हम तीनो नीचे हॉल में बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे …….मिस्टर.चौधरी ½ घंटे पहले आ चुके थे और ब्रेक फास्ट करते हुए ही सारी बात मुझे बता चुके थे ………..
कल स्टेट गवर्नमेंट के साथ उनकी मीटिंग सफल रही थी ………कांट्रॅक्ट हमको मिलना लगभग तय था ……….आज सेंट्रल फाइनान्स मिनिस्ट्री के साथ मीटिंग थी , जिसमें अगर हम लोग साथ रहते हैं तो , के काफ़ी बड़ा कांट्रॅक्ट हमारे बॅंक को मिल सकता था …….मिस्टर.चौधरी चाहते थे कि मैं उनके साथ सारी मीटिंग्स अटेंड करूँ और नेहा बाकी के शेड्यूल्ड प्रोग्राम्स को निपटा ले ……….नेहा की हेल्प के लिए एक आदमी देल्ही के ऑफीस से अरेंज कर दिया गया था ………………
मिस्टर.चौधरी काफ़ी उत्साहित थे , और साथ ही मैं भी ……….उनका एक ड्रीम प्रॉजेक्ट अब सफल होता दिखाई पड़ रहा था और मेरे लिए इस से इंपॉर्टेंट कुछ भी नही था ……मैने उनकी बात से सहमति जताई और फिर सारा प्रोग्राम तय हो गया …..अगले 2 दिन मुझे
मिस्टर.चौधरी के साथ रहना था और नेहा को एक स्टाफ मेंबर की हेल्प से बाकी की मीटिंग्स निपटानी थी ……….
सारी बात के बीच में मैं गौर कर रहा था कि नेहा के चेहरे का रंग उतरा हुआ है ……. वो हमारे साथ ही ब्रेक फास्ट कर रही थी और बातों में भी इन्वॉल्व थी , पर सॉफ दिखाई पड़ रहा था की उसका दिमाग़ हमारे साथ नही था ………
½ घंटे के बाद मैं और मिस्टर.चौधरी एक साथ , एक गाड़ी में अपने लोकल ऑफीस की तरफ जा रहे थे ………..नेहा, वहीं फार्म हाउस में रुक गयी थी , उसको लेने के लिए एक दूसरी गाड़ी थोड़ी देर में पहुँचने वाली थी …
वो सारी बात मेरे साथ क्लियर करना चाहती थी और मैं भी यही चाहता था कि जो खामोशी की दीवार मेरे और उसके बीच में थी , अब गिर जानी चाहिए ……मैं फ़ैसला कर चुका था कि उसका प्यार ना सही , पर उसकी दोस्ती भी मुझे मंजूर थी ……..पर अचानक हुए प्रोग्राम चेंज
की वजह से फिलहाल तो मुझे उस के साथ बात करना पासिबल नही दिखाई पड़ रहा था ………………
______________________________
|