RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
#62
मिस्टर.चौधरी के रूम के बाहर जाकर मैने नॉक किया और फिर धीरे से अंदर झाँका………उनके सामने स्टाफ का एक आदमी खड़ा हुआ था और वो कुछ पेपर्स साइन कर रहे थे …….. मैं अंदर गया और उनके सामने पड़ी हुई चेर्स में से एक पर बैठ गया …..
वो पेपर्स साइन करते रहे और मैं सर को झुकाए बैठा रहा ………..मेरे ऊपर उनकी शख्सियत का एक अलग ही असर था……..बिल्कुल जैसे एक छोटा बच्चा अपने घर के बड़े लोगो से डरता है , ठीक वैसा ही मेरे साथ भी था ……….. मैं उनसे कभी फालतू बात नही करता था ,
और मैं समझ नही पा रहा था कि आज की इस हरकत पर मैं उनको क्या सफाई दूँगा ……..
उनके सामने खड़ा आदमी फाइल्स लेकर बाहर निकल गया , तब वो मुझ से बोले …….
“ बॅंक वॉल्ट का काम कहाँ तक पहुँचा राजीव ? “
“ जी , कंप्लीट हो चुका है …….मैने आज सारी टेस्टिंग्स भी कर ली है …” मैने धीरे से बोला…….
“गुड ……….और कन्स्ट्रक्षन वर्क ? “ वो फिर आगे बोले …..
“ वो भी कॉम्पलते होने वाला है सर ………..आइ थिंक , बाइ नेक्स्ट कपल ऑफ डेज़.” मैने बताया…..
“ वेरी गुड ……….तो फिर हम उन लोगो को डेमो के लिए कब बुला सकते है ? “ वो मेरी तरफ देखते हुए बोले , हमेशा की तरह बिल्कुल शांत स्वर में …….
\“ कल के बाद जब भी आप चाहें ? …..मैं चाहता हूँ कि कल एक बार आप खुद सब कुछ चेक कर कें ? “ मैने कहा …..
“ ओके ………तुम कल का प्रोग्राम सेट कर लो , कल हम सब एक बार चल के देख लेंगे ………”
“ ओके सिर …………..आइ विल अरेंज “ मैने कहा और फिर चुप चाप बैठ गया ……..मुझे मालूम था कि अब वो क्या बात करेंगे , और वही हुआ ….कुछ सेकेंड्स अपने सामने रखे लॅपटॉप को देखने के बाद , वो मेरी तरफ देखने लगे और बोले ……..
“ कल तुम्हारे ऊपर किसी ने हमला किया और तुमने मुझे बताया भी नही ? “
“ जी………आपको कैसे पता लगा ? “ मैने उनसे उल्टा सवाल किया …
“ कैसी बात कर रहे हो राजीव ? तुम जानते हो राज नगर कोई बहुत बड़ा शहर नही है …, यहाँ छोटी सी बात भी बहुत ज़्यादा दिनो तक छुपि नही रह सकती , और यह तो हमारे अपने बेटे के साथ घटी घटना थी ……….तुमने उस ही समय हमें फोन क्यों नही किया ?” वो थोड़ा नाराज़गी भरे हुए स्वर में बोले ……
“ छोटी सी बात थी सर……….मुझे आपको डिस्टर्ब करना सही नही लगा …” मैने कहा और फिर सर नीचे झुका लिया ………..उनकी आँखों का सामना करने की हिम्मत मेरे अंदर नही थी …………..
“ छोटी सी बात नही है राजीव ………..मेरे लिए यह जान-ना बहुत ज़रूरी है कि वो कौन है जो तुम्हारी जान का दुश्मन है , और क्यों ? “ उन्होने कहा….फिर अपने सामने रखे गिलास में से पानी पिया और बोले ..
“ वैसे कल तुम्हारे साथ नेहा भी थी ना ? “
मैं कुछ सेकेंड्स चुप रहा और फिर बोला “ जी हां ……….और उसको ही चोट लगी है ……..मेरे ऊपर जो चाकू से वार किया गया था, वो उसने अपने ऊपर ले लिया….”
“ ह्म्म्म्म…………..मैं तुमसे इस ही बारे में बात करने तुम्हारे कॅबिन में आया था ………..” वो बोले और फिर कुछ सेकेंड्स लॅपटॉप की स्क्रीन को देखने के बाद , मेरी तरफ देखे बगैर बोले “ तुम नेहा को अच्छि तरह से जानते हो ना ? “
“ जी हां ……..” मैने जवाब दिया …
“ सब कुछ ……. मेरा मतलब है उसकी पिच्छली जिंदगी के बारे में भी ?.”
“ जी हाँ ……… “
“ कैसे …? “
“ जी........उसने खुद ही बताया था ……”
वो फिर मेर तरफ घूम गये और बोले “ तुम्हे लगता है कि उसने तुम्हे सब कुछ सच सच बताया होगा ? “
“ जी हां ……मुझे उम्मीद तो यही है …..” मैं धीरे से बोला ..
“ और तुम्हे क्या लगता है ……..जो कुछ उसके साथ बीता , उसके बाद भी वो तुम्हारे लिए एक सही चाय्स है ? “
“ जी हाँ सर , मुझे तो ऐसा ही लगता है ……..और जो कुछ भी उसके साथ हुआ सर , उसमें उसकी तो कोई ग़लती नही है “
“ तुम्हे शायद ऐसा लगता है राजीव ………पर हर कोई ऐसा नही समझता ……”
कुछ देर के लिए हम दोनो ही चुप हो गये ………और फिर एक लंबी साँस लेकर वो आगे बोले …………
“ ह्म्म्म्म……..मैं हमेशा से तुम्हे एक समझदार और सुलझा हुआ इंसान मानता हूँ ………अपने से भी ज़्यादा समझदार……पर मेरा यह तज़ुर्बा है कि कभी कभी दिल दिमाग़ पर हावी हो जाता है और उस हालत में समझदारी काम नही आती है …………… इसलिए , जो तुम्हे ठीक लगे , वो ही करना ……..पर अच्छि तरह सोचने और समझने के बाद” फिर कुछ सेकेंड्स रुकने के बाद वो आगे बोले …..” वैसे मैने तुम्हारे लिए
कुछ और ही सोचा हुआ था राजीव …… पर यह तुम्हारी अपनी लाइफ है और मैं इस का फ़ैसला तुम्हारे ऊपर ही छोड़ता हूँ ……..”
“ थॅंक्स सर …………..”
“ ठीक है फिर ……….कल सुबह साथ साथ बॅंक चलते हैं ………फिर नेक्स्ट प्रॉजेक्ट पर डिसकस करेंगे …………” कहते हुए वो फिर से अपने लॅपटॉप की स्क्रीन में बिज़ी हो गये …………और मैं उठ कर बाहर आ गया…………..
मैं अपने कॅबिन में वापस आ गया……. मैं बहुत खुश था क्यों कि मैं खुद भी नेहा के बारे में मिस्टर.चौधरी को बताना चाहता था , पर समझ नही पा रहा था कि कैसे बताऊं……..अब क्यों कि सारी बात खुद-ब-खुद ही क्लियर हो गयी थी ……..मेरे लिए यह एक सर्प्राइज़ से कम नही था ……….
मैं कल के टेस्टिंग की तय्यारी करने लगा………शाम करीब 5 बजे तक मैं बिज़ी रहा और फिर जब मैं वहाँ से निकलने की सोच रहा था , तब मैने नेहा को फोन लगाया ……..उसके इंटरकम की घंटी बजती रही पर फोन नही उठाया …
फिर मैने उसके मोबाइल पर ट्राइ किया………काफ़ी देर बेल बजने के बाद उसने कॉल रिसीव की ……
“हेलो ………..”
“नेहा…………कहाँ हो तुम ? “ मैने पूछा..
“मैं घर पर आ गयी थी राजीव ……………” उधर से बहुत धीमी आवाज़ आई ……..
“ अचानक !!! ……………क्या हुआ ? “
“ कुछ नही ………..बस ऐसे ही , तबीयत कुछ ठीक नही लग रही थी ….” उसने जवाब दिया…
“ओह्ह………….डॉक्टर के पास चलना हो तो बताओ , मैं आ जाता हूँ ………” मैने कहा …
“ नही ……….इसकी ज़रूरत नही है राजीव……….कुछ देर आराम करूँगी तो शायद सही हो जाएगा ……………”
“ ओके……….ठीक है , तुम आराम करो …….किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे कॉल कर देना , मैं अब घर ही जा रहा हूँ……” मैने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया ………..
फिर मैं अपने ऑफीस से बाहर निकल कर , बिल्डिंग से नीचे आ गया………थोड़ी देर बाद ही मैं अपनी गाड़ी में बैठा हुआ , घर की तरफ जा रहा था ……….. मिस्टर.चौधरी से बात करने के बाद और उनकी तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद , मेरा मूड था की आज मैं नेहा के
साथ इस को सेलेब्रेट करूँ , पर उसकी तबीयत अचानक खराब होने की वजह से मेरा सारा प्रोग्राम चौपट हो गया था…….. मिस्टर.चौधरी के अचानक मेरे कॅबिन में आ जाने से वो शायद काफ़ी डर गयी थी , और वही डर अब भी उसकी आवाज़ में झलक रहा था ………….
“ चलो कोई बात नही ……आज ना सही , फिर कभी सही “ मैने मन ही मन सोचा और फिर गाड़ी तेज़ी से अपने घर की तरफ बढ़ा दी …………..
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