RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
उस रात घर पहुँच कर मैं जल्दी से सो नही पाया ………परेशानी की बहुत सारी वजह थी …एक तो मेरा अकेलापन , दूसरी मिस्टर.चौधरी की खराब तबीयत , शरद और प्रिया का बिहेवियर और सबसे बड़ी वजह थी कमल की बात ……….पता नही क्यों वो नेहा को पसंद
नही करता था …….और अगर नेहा डाइवोर्स चाहती थी तो इसमें बुराई क्या थी ?……….क्या तलाक़-शुदा लोगो को नयी जिंदगी शुरू
करने का कोई हक़ नही होता ? ………..या कोई और बात थी नेहा के बारे में ,जो वो मुझे बताना चाह रहा था ?
यह ख़याल मन में आते ही मैं खुद ही चौंक पड़ा ………मैने कमल को उसकी बात पूरी नही करने दी थी , और शायद यह मेरी ग़लती थी …….पर अगर ऐसी कोई बात होती तो मिस्टर.चौधरी ने मुझे ज़रूर बताई होती ……..
मैने नेहा से ही पूछ्ने का फ़ैसला किया ……..मैने उसके मोबाइल पर कॉल लगाई …….पर मोबाइल स्विच्ड ऑफ ही जाता रहा ……..मेरे लिए यह एक और पार्शानी की वजह थी …….उसके बाद मैं अगले 2 घंटे तक , बार बार उसका नंबर ट्राइ करता रहा , पर कोई जवाब नही मिला ………….
थर्स्डे –
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सुबह से फिर मेरा रुटीन वर्क चालू हो गया ………सुबह तय्यार होकर मैं ऑफीस चला गया ….वहाँ पहुँच कर मुझे मालूम पड़ा की मिस्टर.चौधरी आज सुबह ही देल्ही चले गये थे …….और 2 दिनो बाद ही आ पाएँगे ………मेरे पास यहाँ कोई ख़ास काम नही था ,
इसलिए में फालतू के काम में ही लगा रहा …….और बीच बीच में नेहा को नंबर ट्राइ करता रहा , जो अभी भी लगातार स्विच्ड ऑफ आ रहा था ……….
सुबह से शाम हो गयी और मुझे उसके बारे में कोई खबर नही लग पाई ….मैं फिर से वापस अपने घर आ गया ….फिर से वही अकेलापन
, जो अब मुझे अखरने लगा था ………..
फ्राइडे –
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कल की तरह आज का दिन भी बड़ा बोर गुज़ारा ………..करण छुट्टी से वापस आ गया था…….उसने बताया कि उसकी मदर की
तबीयत अब सही है …….मैने उसको कहा कि आगे जब भी ज़रूरत हो , वो अपने घर जा सकता है……..
उसके आने के बाद , मेरे पास जो कुछ भी काम करने के लिए थे, वो भी नही रहे ………..हमेशा की तरह उसने सारे काम अपने ऊपर
ले लिए , और मुझे मालूम था कि हमेशा की तरह वो उन्हे ब-खूबी पूरे भी कर सकता था …..
दिन भर ऑफीस में खाली बैठने के बाद मैं पूरी तरह बोर हा गया था….. मेरे पास सिर्फ़ एक ही काम बचा था , फाइल्स को साइन करने का …………….मैं मिस्टर.चौधरी से मिल कर अपने लिए कुछ काम चाहता था , पर क्यों कि वो अभी बाहर थे , मैं उन्हे डिस्टर्ब नही करना चाहता था ………..
आज वॉल्ट में गोल्ड का एक स्टॉक भी ट्रान्स्फर हो गया था …..वैसे तो मैं खुद वहाँ जाना चाहता था , पर करण ने मना कर दिया और कहा कि वो खुद जाकर सारे अरेंज्मेंट चेक कर लेगा ………. शाम को उसने मुझे रिपोर्ट दे दी कि सब कुछ ठीक तरह से निपट गया है ……..और नेक्स्ट स्टॉक शायद ट्यूसडे को आने वाला है ……………
रात फिर मेरे लिए जानलेवा साबित हो रही थी ………ऐसा नही था कि मैने कभी अकेले रात नही काटी थी , बल्कि मैं तो पूरी जिंदगी अकेला ही रहा था ….पर जब से मुझे यह लगने लगा था कि नेहा अब हमेशा के लिए मेरी होने वाली है , मुझे यह अकेला पं काट खाने को दौड़ता था ………….
फिर से रात के 2 घंटे मैने उसका फोन ट्राइ करने में गुज़ार दिए …….पर वही हुआ जो 2 दिनो से होता आ रहा था ……उसका फोन
स्विच्ड ऑफ था , और कोई तरीका मुझे नही मालूम था उस से कॉंटॅक्ट करने का ………..
सॅटर्डे
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एक और नया दिन…….पर सब कुछ पहले ही के जैसा …….सुबह से फिर मैं नेहा का नंबर लगा रहा था , इस उम्मीद के साथ कि इस
बार मैं उस से बात कर सकूँ ……पर हर बार नतीज़ा वही था …….मोबाइल स्विच्ड ऑफ
ऑफीस पहुँच कर मेरी मुलाकात आज मिस्टर.चौधरी से हो गयी थी ……..मैने पहले उनसे , उनकी तबीयत के बारे में पूछा ……..उन्होने बताया कि अब वो ठीक हैं ….. पर उनका चेहरा बता रहा था कि वो झूठ बोल रहे हैं………..बोर्ड मीटिंग में जो कुछ हुआ था , उसका असर उनके चेहरे पर अभी तक दिखाई पड़ रहा था …….हमेशा आत्म-विश्वास से भरे हुए दिखाई देने वाले मिस्टर.विजय चौधरी , इस समय
बड़े मायूस दिखाई पड़ रहे थे……
मैने उनसे पूछा की बॅंक वॉल्ट का काम पूरा होने के बाद मेरे लिए अब क्या काम है………….उन्होने बताया कि अब मुझे पूरे देश में हमारे बॅंक की नयी खुलने वाली ब्रॅंचस को देखना है ……. जिसमें से कुछ का काम लगभग ख़तम होने को है………और साथ ही यह भी
बताया कि मुंबई में हमारे बॅंक की ओपनिंग मंडे को होनी है ……..जिसमें मुझे भी उनके साथ चलना है …….
उनके पास से उठ कर मैं फिर से अपने कॅबिन में आ गया और शाम तक वहीं बैठा रहा ………मैने ऑल ओवर इंडिया में हमारे बॅंक
की ब्रॅंचस के बारे में डीटेल्स से स्टडी करना शुरू कर दिया …..और शाम तक इस ही काम मे लगा रहा ……..
एक और दिन यूँ ही निकल गया……और फिर रात भी , नेहा से आज भी कोई कॉंटॅक्ट नही हो पाया था ……….मेरे फोन ट्राइ करने की फ्रीक्वेन्सी अब कम हो गयी थी , या यूँ समझ लीजिए की मैं कुछ हद तक निराश हो चला था ………बस एक यही उम्मीद हर समय रहती थी की शायद अभी उसका फोन आने वाला है ……….
सनडे –
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एक और नया दिन………और जैसी की मुझे उम्मीद थी , पिच्छले कुछ दिनो से ज़्यादा बोर साबित हो…
आज ऑफीस नही जाना था ,इसलिए मैं सुबह देर से ही उठा…..फिर धीरे धीरे सारे रुटीन वर्क्स निपटाए ……और फिर मैं राज नगर घूमने निकल पड़ा ……..बिल्कुल अकेला ………शाम तक मैं यूँ ही फालतू में घूमता रहा ……..विंडो शॉपिंग करते हुए , और कुछ समय
समंदर के किनारे तन्हा बैठ कर …..शाम को जब अंधेरा छाने लगा , मैं अपने घर वापस लौट आया ………घर पर आकर मैं फिर से नेहा का नंबर ट्राइ किया पर वो स्विच्ड ऑफ मिला ………..
अब मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा था …….मैने फ्रिड्ज से विस्की की बॉटल निकाली और दो बड़े पेग बना कर पी गया …….और फिर मैने एक फ़ैसला किया , मुंबई से वापस आकर में खुद देहरादून जाऊँगा , उसकी खबर लेने के लिए ……
मंडे & ट्यूसडे
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मंडे को सुबह ही हम लोग मुंबई पहुँच गये थे ……….मेरे और मिस्टर.चौधरी के अलावा , प्रिया भी हमारे साथ थी …………बॅंक की ओपनिंग वहाँ के एक मिनिस्टर के हाथो से होनी थी , और जैसा की हमेशा होता है ………सुबह 11 बजे होने वाली ओपनिंग सेरेमनी , दो-पहर को
3 बजे हो पाई …….फिर उसके बाद एक छोटी सी पार्टी , और फिर वहाँ के स्टाफ के साथ एक मीटिंग …….इस सब में शाम के 6.30 बज गये थे ……
फिर वहाँ से निकलने से पहले ही मिस्टर.चौधरी के पास एक कॉल आ गयी ……..यह कॉल भोपाल से आई थी …….वहाँ भी हमारे बॅंक की एक नयी ब्रांच खुलने वाली थी , और यह कॉल उस से ही रिलेटेड थी ……….वहाँ लोकल अतॉरिटी के साथ कुछ प्राब्लम आ गयी थी ,
और मिस्टर.चौधरी को वहाँ अर्जेंट जाना पड़ रहा था ……….
उन्होने हमें पूरी बात बताई , मुझे खुद भी राज नगर में कोई ख़ास काम नही था , इसलिए मैने भी उनके साथ भोपाल चलने के लिए कहा ………और वो तय्यार हो गये ……….प्रिया वहीं से वापस राज नगर लौट गयी ………..एक ख़ास बात यह थी कि इस पूरे दिन , प्रिया
ने मुझ से और मिस्टर.चौधरी से कुछ ज़्यादा बात नही की थी ……….पूरे दिन हम तीनो के बीच एक अजीब सी खामोशी पसरी रही ……शायद जो कुछ बोर्ड मीटिंग में हुआ , उसका ही यह असर था……
रात को हम दोनो भोपाल पहुँच गये …और सुबह हमने बॅंक जाकर वहाँ की प्राब्लम के बारे में जानकारी ली ………..लॅंड डिस्प्यूट का एक मामला था , जो वहाँ की लोकल अतॉरिटी से मिलकर सॉल्व हो गया ………और 3 बजे के आस-पास हम लोग वापस राज नगर के लिए चल दिए …………..
6 बजने से पहले ही मैं वापस अपने घर पहुँच गया था……..पिच्छले 2 दिन काम में बिज़ी रहने की वजह से मैं बहुत ज़्यादा बार नेहा का नंबर ट्राइ नही किया था …….पर जितनी बार भी किया था , स्विच्ड ऑफ ही मिला …….
मेरे दिल की बैचैनि बढ़ती ही जा रही थी …..साथ ही साथ कुछ अनिष्ठ की आशंका ने भी मुझे घेर लिए था ……..कहीं नेहा किसी परेशानी में तो नही पड़ गयी ? ………उसने मुझसे 1-2 दिन में वापस आने के लिए कहा था , और एक हफ़्ता बीत चुका था ……………उस से
जल्द मिलने की प्यास , उसकी ख़ैरियत जान-ने की इच्च्छा और साथ में मेरे अकेले पन का एहसास ……..मुझे पागल बनाए दे रहे थे
………मैने तय कर लिया था की कल ही मैं मिस्टर.चौधरी से बात करके देहरादून चला जाउन्गा …….
और फिर अचानक एक आवाज़ ने मेरी सोच को विराम लगा दिया ……यह मेरे मोबाइल की रिंग थी …….मैने नंबर चेक किया और देखते ही खुशी और उततेज़ना से मानो उच्छल सा पड़ा ………..यह नेहा की कॉल थी …….मैने तुरंत कॉल रिसीव की ……
“हेलो ………..तुम कहाँ हो नेहा ? ………..मैं तुम्हारा नंबर ट्राइ कर-कर के पागल हुआ जा रहा हूँ यार ? ….यहाँ वापस कब आ रही हो …..? “ मैं लगातार बोलता जा रहा था ……
“ मैं यहीं राज नगर में ही हूँ राजीव ………….” उसने मेरी बात बीच में काट-ते हुए कहा ………” और अभी तुमसे मिलना चाहती हूँ ………….”
उसकी आवाज़ बहुत धीमी थी , जैसे किसी से छुप कर बोल रही हो ………..मैने पूछा “ हां …………बताओ कहाँ मिलना है ? ………..चाहो तो यहाँ आ जाओ , मेरे घर “
“नही तुम्हारे घर नही ………., मैं तुम्हे एक अड्रेस बता रही हूँ ………..तुम यहाँ आ जाओ…….”
“ठीक है ………अड्रेस बताओ “ मैने कहा और उसका बताया हुआ अड्रेस नोट करने लगा…………..फिर आख़िर में बोला “ पर तुम्हारी अव्वाज़ इतनी धीमी क्यों आ रही है ?.......... सब कुछ ठीक तो है ना नेहा ..?”
“ तुम यहाँ आ जाओ ……..मैं तुम्हे सब कुछ बताती हूँ , उसने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया …………..
मैने कुछ सेकेंड्स उसके बताए हुए अड्रेस को देखा और फिर तेज़ी से बाहर की तरफ चल दिया ………उस से मिलने के लिए ……….
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