Rishton May chudai परिवार में चुदाई की गाथा
07-28-2020, 12:42 PM,
#4
RE: Rishton May chudai परिवार में चुदाई की गाथा

काकी- हाय दय्या, पंडित बेटा पैजामा पहन ले बेशर्म, उफ्फ्फ्फ इतना बड़ा है.
सपना- हाये माँ, ये तो डंडा है, ये ऐसा ही बड़ा होता है क्या सबका?
काकी- नही सपना, ये किस्मत वालों को मिलता है, सबका ऐसा नहीं होता.
सपना- भाई, मैं छू कर देख सकती हूँ इसे?
मैं- हाँ हाँ बहन, छूने में कोई परेशानी नहीं है, बस चूत के अंदर इसे नहीं डालना चाहिए वरना बच्चा हो जाता है.

काकी- नहीं सपना छूना मत, गन्दी बात होती है, जब तेरी शादी होगी तब अपने पति का छूना, चूसना, या चूत में डालना जो मर्जी.
मैं- अरे काकी, जब उसकी इच्छा है छूने की तो इसमें दिक्कत क्या है?
सपना- हां माँ, मैं तो छू कर देखूंगी.
(और फिर सपना ने मेरे खड़े लण्ड को अपने हाथ से पकड़ लिया जिसके फलस्वरूप मेने लण्ड ने जोरदार झटका मारा, और सपना हंसने लगी, मेरी तो हालत स्थिर नही थी, मैं दूसरी दुनिया में था, नाईटी पहने हुए काकी, नेकर और टाइट टॉप पहने हुए सपना, दोनों माँ बेटी मेरी आँखों के सामने अर्धनंगन थे)
सपना- भाई इससे सफ़ेद पानी निकाल के दिखा.
काकी- गन्दी बात सपना, ऐसा सिर्फ पंडित अपनी पत्नी के साथ करेगा, उसका पानी केवल उसकी पत्नी देखेगी.
मैं- सपना, मेरी प्यारी बहन, सफ़ेद पानी निकलने में टाइम लगता है, उसके लिए लण्ड को जोर जोर से आगे पीछे करना पड़ता है.
सपना- भाई आपका लण्ड, इतने झटके क्यों मार रहा है?
मैं- बहन तेरे हाथों के स्पर्श से ये झटके मार रहा है, अगर तू कुछ देर ऐसे ही पकड़े रहेगी तो क्या पता इससे सफ़ेद पानी निकल जाये.
काकी- नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा, अब सो जा सपना, पंडित तू भी सो जा और अपना पानी निकालना है तो बाथरूम में निकाल दे.
(फिर सपना मेरे खड़े लण्ड को तेज़ तेज़ हिलाने लगी, आगे पीछे करने लगी)
काकी- ये क्या कर रही है, मेने कहा न सोजा तू, समझ नहीं आती बात.
सपना- नहीं सोऊंगी, जब तक भाई का पानी नहीं निकला.
(और सपना जबर्दस्ती मेरे लण्ड का मुठ मारने लगी, काकी उसे जबरन अलग करने लगी लेकिन वो जिद्दी कहाँ मानने वाले थी)
मैं- अह्ह्ह्ह्ह्ह… सपना मेरी बहन अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐसे ही.. ऐसे ही मेरी प्यारी बहन… काकी करने दे सपना को, अह्ह्हह्ह्ह्ह….
(10 मिनट माँ बेटी की झड़प और सपना द्वारा मेरी मुठक्रिया के चलते मेरा सफ़ेद, हल्का पीला, गाढ़ा वीर्य सपना और काकी के चेहरे पर छूट गया, और दोनों घबरा गयी, मैं आहें भरता रहा)
मैं- अह्ह्ह्ह काकी, सपना, अह्ह्ह्हह्ह.. उफ्फ्फ्फ्फ.. मजा आ गया.. ये होता है बहन सफ़ेद पानी.
सपना- वाह भाई, ये तो गर्म है.
काकी- चल पंडित, अब पूरा गन्दा कर दिया तूने यहाँ, बदबू भी आने लगी, अब सफाई करनी होगी, बहुत बिगड़ा हुआ है तू कसम से.
मैं- काकी, मजा आ गया, अच्छी नींद आएगी अब तो. मैं तेरे साथ ही सो जाऊं आज?

काकी- ठीक है सो जा, लेकिन और कोई शरारत मत करन, सपना जा तू मुह हाथ धुलकर अपने कमरे में सो जा.
(सपना सोने चली जाती है, काकी भी सफाई करके सोने आ जाती है, काकी और मैं एक ही बिस्तर पर लेट जाते हैं)
काकी- ऐसा कोई करता है भला, सपना से मूठ मरवाई तूने अपनी, तेरी बहन है वो, और ऐसे खड़ा होता किसी का अपनी बहन को देखकर.
मैं- काकी एक बात बोलनी है बुरा न मानना, ये लण्ड सपना को देखकर नही तुझे देखकर खड़ा हुआ था और जब से तुझे गौशाला में दूध निकालते हुए देखा तबसे खड़ा है, बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है, क्या करूँ.
काकी- हाय दय्या, ऐसा नहीं सोचते पंडित अपनी काकी के बारे में, ये गन्दी बात है.
मैं- काकी जब सपना मेरा मूठ मर रही थी और जब मेरा माल निकला तो मैं तेरे बारे में ही सोच रहा था.
काकी- क्या हो गया पंडित तुझे, तू होश में तो है?
मैं- नहीं हूँ होश में, तुझे देखकर जोश में होश खो चुका हूँ काकी, तू बहुत ही खूबसूरत है, बिल्कुल नंगी फिल्मो की हिरोइन जैसी.
काकी- तू सच में पागल हो गया, अपने कमरे में जा तू, सोजा, कल बात करेंगे.
मैं- नहीं जाऊंगा, आज यहीं सोऊंगा तेरे साथ.
(मैं अभी भी नंगा ही हूँ, और मेरा लोडा फिर से खड़ा हो गया और झटके मारने लगा, ये देखकर काकी डरने लगी)
काकी- पैजामा तो पहन ले बेशर्म.
मैं- नहीं काकी, ऐसे ही सोऊंगा मैं, देख तुझे देखकर कैसे खड़ा हुआ है ये.
काकी- शरम कर बेशर्म, ऐसे नग्न सोयेगा काकी के साथ, देख तो कैसे खड़ा कर रखा है तूने.
मैं- काकी, तेरी चुच्चिया साफ़ दिख रही हैं इस पारदर्शी नाईटी में, तो ये तो खड़ा होगा ही.
काकी- हाय दय्या, कितनी गन्दी नज़र है तेरी, मेरी चुच्चियों को निहार रहा है.
मैं- तेरी घनी काली झाँटें भी दिख रही है काकी, काटती नहीं है क्या?
काकी- उफ्फ्फ… बेटा सुधर जा, ऐसे नहीं बात करते काकी के साथ.
मैं- तूने मुझे बिगाड़ दिया काकी, तेरे गदराए हुए कामुक बदन और मोटे बूब्स का मैं दीवाना हो गया हूँ, प्लीज काकी एक बार अपने दूध दिखा दे?
काकी- चुप कर, तेरा दिमाग खराब हो गया है, सो जा, बकवास मत कर.
(फिर मेने काकी को कस कर पकड़ लिया और अब काकी मेरी बाहों में है, मेरे लण्ड का स्पर्श काकी के पेट में हो रहा है, काकी की लंबी लंबी साँसे मेरी साँसों से टकरा रही है, काकी घबराई हुई है, करे तो क्या करे बेचारी मोटी काली भैंस)
काकी- पंडित छोड़ बेटा, ऐसा मत कर, मैं तेरी माँ समान हूँ बेटा. आह्ह्ह्ह… ना कर, न कर बेटा.
मैं- अह्ह्ह्ह… काकी, तू परी है, अप्सरा है, मस्त है, कामुक है, मैं कैसे तुझे छोड़ दूँ.
काकी- उईईई… अह्ह्ह्ह…. कुछ चुभ रहा है पेट में बेटा.
मैं- कुछ क्या काकी, लण्ड चुभ रहा है मेरा तेरे पेट में. तेरे होंठ बहुत मोटे हैं काकी.
काकी- तो मैं क्या करूँ मोटे हैं तो?
मैं- करूँगा तो मैं काकी, तू देखते जा.
काकी- पंडित छोड़ मुझे बेटा, ये पाप है.
(काकी के इतना बोलने के बाद मेने अपने होंठ काकी के मोटे रसीले होंठों पर रख दिए और फिर फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया, काकी कुछ बड़बड़ाये जा रही थी और छटपटा रही थीं लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाला था, मैं लगातार किस करता रहा और जीभ से जीभ को चूसता रहा.
मेरे द्वारा जबरन करीब 5 मिनट तक किस करने के बाद जब काकी को पता लगा कि भतीजा अब नहीं छोड़ने वाला तो वो भी मेरा साथ देने लगी, हम दोनों काकी-भतीजा एक पति-पत्नी के समान चुम्बन क्रिया किये जा रहे हैं, काकी को भी मस्ती चढ़ गयी और मैने किस के दौरान ही काकी की नाईटी उसके मोटे,गठीले,सुडौल बदन से अलग कर दी और अपनी शर्ट भी उतारकर फैंक दी.
अब काकी और मैं कामवासना में मग्न नग्न एक दूसरे को चुम्बन किये जा रहे हैं और हम दोनों के मुह के थूक और लार का एक दूसरे के मुह में आदान प्रदान किये जा रहे हैं, करीब 30 मिनट बाद एक दूसरे के होंठ, जीभ, थूक, लार चूसने और चाटने के बाद हम दोनों अलग हुए)
काकी- हाय दय्या, पंडित, आह्ह्ह्ह, उईईई…. ये गलत तो नहीं हो रहा कुछ.
मैं- नहीं काकी बिलकुल गलत नहीं है, ये वासना प्राकृतिक होती है, इसमें रिश्ते नहीं देखे जाते, जो करने का मन है वो पूरी जान लगाकर और पूरे जोश से करना चाहिए.
काकी- पंडित अब सहन नहीं होता, जो करना है वो कर ले बेटा, मैं 3 साल से तड़प रही हूँ.
मैं- ये हुयी न बात, अभी फोरप्ले बाकी है मेरी जान, अभी तेरे बूब्स, कमर, पिछवाड़े, पुरे बदन को चाटना है और चूमना है मेरी काकी जान.
काकी- जो करना है कर बेटा, लेकिन तड़पा मत मुझे, असली काम में देरी मत कर.
(फिर मैं काकी के बूब्स को चूसने लगता हूँ, निप्पल को जीभ से रगड़ रगड़ कर, लाल करने की कोशिश करता हूँ, मेरी इस काम क्रीड़ा से काकी सिहर उठती है और मेरे बालों में प्यार से हाथ फेरती है, करीब 15 मिनट दूध चूसने के बाद मैं काकी के पेट को चाटता हूँ और नाभि में अपनी जीभ घुसेड़ता हूँ, मेरी पूरी जीभ काकी की नाभि में चली गयी और काकी की आहें तेज़ हो जाती है)
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RE: Rishton May chudai परिवार में चुदाई की गाथा - by desiaks - 07-28-2020, 12:42 PM

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