RE: Rishton May chudai परिवार में चुदाई की गाथा
आदमी- मैडम, आप कहाँ से हो?
कामना- दिल्ली से भाई साहब और आप?
आदमी- मैं भी दिल्ली से हूँ. आपके हस्बैंड कहाँ काम करते है?
कामना- वो तो आर्मी में हैं, अभी असम में हैं इससे पहले लद्दाख़ में थे.
(ट्रेन के झटकों की वजह से आदमी का लण्ड कामना की गांड में छूने लगा और खड़ा हो गया, इस आदमी का लण्ड रमन के लण्ड से भी ज्यादा बड़ा था और कामना को साफ साफ इसका आभास हो रहा था परन्तु सीट न होने के कारण वो उस आदमी की गोद में बैठने को मजबूर थी, रमन ये सब ड्रामा देखे जा रहा था..
अचानक ट्रेन में जोर का झटका जोरों से लगता है और कामना आदमी की गोद से नीचे गिरने वाली होती है तो वो आदमी कामना को गिरने से बचा लेता है, वो कामना को टाइट पकड़ लेता है, जिस कारण उसके मोटे बूब्स आदमी के हाथों से दब जाते हैं, रमन को ये सब नजारा देखकर बहुत गुस्सा आता है)
कामना(डरते हुए)- हाये दय्या, मैं तो गिर गयी थी अभी, भाई साहब आपका धन्यवाद आपने बचा लिया मुझे.
आदमी- ये तो मेरा फर्ज था भाभी जी. अब मैंने आपको कस कर पकड़ रखा है, अब आप नहीं गिरोगे.
कामना- हाँ भाई साहब ऐसे ही पकडे रहो.
(आदमी ने कामना को टाइट पकड़ रखा था, ट्रेन चल रही थी, झटके लगातार लग रहे थे, आदमी का लण्ड कामना की गांड की दरार को छू रहा था, कामना को भी अहसास हो रहा था और आनंद की अनुभूति भी हो रही थी, कामना ने अपने होंटों को दांतों से दबा लिया और आँखें बंद कर दी..
यह सब देखकर रमन सब कुछ समझ गया और ऐसे ही अपनी माँ को तड़पते हुए देखता रहा, अब आदमी के झटके भी तेज़ होने लगे, कामना ने कोई विरोध नहीं किया.
अचानक आगे गुफा/सुरंग आई तो अन्धेरा हो गया, गुफा ख़त्म होने के बाद रमन ने देखा उसकी माँ का साड़ी का पल्लू नीचे गिरा था और उसमे से लगभग 60 प्रतिशत बूब्स बाहर आने को व्याकुल है, वो सब कुछ समझ गया कि अँधेरे में गुफा में क्या कारनामा हुआ.
दूसरी गुफा आती है तो उसके बाद कामना की साड़ी झांघों तक आ गयी थी, अब रमन की माँ कामना के बिना साड़ी के पल्लू केे बूब्स ट्रेन के डिब्बे में बैठे सभी लोगो के सामने थे और साड़ी झांघ तक थी, झांघ का काला तिल चमक रहा था..
अब तक डिब्बे में मौजूद सभी लोग समझ गए थे की अँधेरी सुरंग में क्या क्या हुआ, और सभी लोग रमन को देखकर हंस रहे थे क्योंकि उसकी माँ उसी के सामने मजे ले रही थी.
तीसरी सुरंग आती है इसके बाद रमन की माँ की काली ब्रा की स्ट्रिप लाल ब्लाउज में से साफ साफ बाहर दिखने लगती है और बूब्स लगभग 70 प्रतिशत बाहर आ गए जिसमे से हलके भूरे रंग के निप्पल का ऊपरी भाग भी नग्न था और सभी को नजर आ रहा था वहीँ दूसरी और उस अनजान आदमी के गालों में और गले में लिपस्टिक के निशान थे, और उसकी शर्ट के 4 बटन खुले हुए थे, ऐसा अश्लील वातावरण देखकर अब सभी को पता चल गया था कि क्या मामला है.
चौथी सुरंग आती है, सुरंग खत्म होने के बाद कामना का साड़ी का पीछे का हिस्सा पूरा खुला था और उसकी गांड में उस आदमी का लण्ड इस प्रकार घुसा हुआ था कि किसी को दिखाई न दे. कामना उस आदमी की गोद में बैठी आगे की और झुकी थी और उसके सर के बाल बिखर गए थे, माथे से पसीने की बूंदें उसके 70 प्रतिशत बाहर दिख रहे बूब्स की काली गहरी घाटी में समा रही थी, रमन को अब यकीन हो गया कि उसकी माँ चुद रही है. रमन कामना की ये हालत देख रहा था और कामना को घूरे जा रहा था.)
कामना(रमन की ओर देखते हुए)- गर्मी बहुत है न बेटा, तुझे नहीं लग रही क्या?
रमन- नहीं माँ, आपको बहुत ज्यादा लग रही है शायद.
कामना- हाँ बेटा, कैसे दूर होगी ये गर्मी.
आदमी- भाभी जी मैं कर देता हूँ दूर, अगली सुरंग आने दो.
(कामना और वो आदमी हंसने लगते हैं और रमन को अपनी माँ की इस करतूत पर बहुत गुस्सा आता है,
पांचवी सुरंग आती है, और ये सुरंग थोड़ा लंबी भी थी, कुछ दिखायी नही दे रहा था, लेकिन कामना और उस आदमी की आवाज सभी को सुनाई दे रही थी, कामना की चूड़ियों की तेज तेज खनखनाहट रेल के डब्बे में गूंज रही थी, कुछ लोग बात भी कर रहे थे कि आज तो रमन की माँ चुद गयी और हंस रहे थे, मजाक बना रहे थे)
कामना- अह्ह्ह्ह अह्ह्ह भाई साहब तेज… और तेज… जल्दी भाई साहब अह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म…
आदमी- अह्ह्ह्ह्ह भाभी जी अह्ह्ह्ह उईई हो गया बस…. अह्ह्ह्ह…
(कुछ देर बाद आवाजें बंद हो जाती है और सुरंग भी खत्म हो जाती है, आदमी ने लण्ड कामना की गांड से बाहर निकालकर अपने पैजामे में डाल लिया था और कामना ने भी साड़ी निचे कर ली थी और ब्लाउज भी सही कर लिया था और ठीक तरीके से संस्कारी शादीशुदा नारी की भाँती आदमी की गोद में ऐसे बैठी हुयी थी जैसे कुछ हुआ ही न हो..
अब कामना के बूब्स केवल 50 प्रतिशत बहार थे जो हररोज ऐसे ही बाहर लटकते थे, कुछ देर बाद उस आदमी का स्टेशन आ जाता है और वो ट्रेन से उतर जाता है)
कामना- रमन बेटा यहीं बैठे रहना, मैं अभी आई.
रमन- लेकिन माँ आप कहाँ जा रही हो?
कामना- 2 मिनट में आई बेटा, तू यहीं पर रुक कोई सीट न घेर ले.
(उस आदमी को उतरते देख कामना दौड़ी दौड़ी उसके पीछे जाती है और उसे रोकती है)
कामना- भाई साहब, रुकना…
आदमी- क्या हुआ भाभी जी?
(और कामना उस आदमी के होंठों से अपने होंठ मिला लेती है और किस करती है, स्टेशन पर मौजूद सभी लोग उन्हें देखते हैं, रमन के डब्बे के लोग भी उन्हें देखते हैं लेकिन रमन अपनी जगह में रहता है ताकि कोई जगह न घेर ले, इस चुम्बन का मनमोहक दृश्य देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाती है, और ट्रेन चलने वाली होती है तो कामना अपने डब्बे में आ जाती है, सभी लोग रमन और उसकी माँ को देखकर हंसते हैं और ट्रेन में मौजूद सभी हरामी किस्म के लौंडे कामना को कुत्तों की तरह ऊपर से निचे तक घूरते हैं)
रमन- कहाँ गयी थी माँ?
कामना- अरे उन भाई साहब का पर्स रह गया था वो देने गयी थी.
रमन- यहाँ अभी पता नहीं क्या हुआ, सभी लोग उस तरफ देखे जा रहे थे जहाँ आप गए, लेकिन मैं अपनी सीट से नहीं उठा ताकि हमारी जगह कोई घेर न ले.
कामना- मेरा राजा बेटा, लेकिन उन अंकल की जगह में तो कोई और बैठ गया, अब मैं तेरी गोद में बैठूंगी.
रमन- हाँ माँ आजाओ, बैठ जाओ.
(कामना फिर अपने बेटे रमन की गोद में बैठ जाती है, रमन का लण्ड एक बार फिर से अपनी माँ की गांड के घर्षण से झटके मारने लगता है और खड़ा हो जाता है, ट्रेन हिल हिल कर चलती है, रमन पहले ही झड़ चुका था और पुरे डब्बे में उसके माल की बदबू फैली हुयी थी वहीँ दूसरी और उस अनजान आदमी ने कामना की साड़ी के पीछे वीर्य गिराया हुआ था, जिसके बारे में कामना को पता नहीं था, उसकी भी बदबू फैल गयी थी, सभी लोगों ने अपने नाक में हाथ रख दिया था, केवल कामना और रमन को छोड़कर, अचानक रमन के हाथ में कामना की साड़ी से उस आदमी का वीर्य लग जाता है और वो अपनी माँ से पूछता है)
रमन- माँ ये चिपचिपा सा क्या लगा है आपकी साड़ी में?
कामना- ओहो, दिखा तो… अरे जब बाहर गयी थी तो तब लग गया होगा, जनरल डिब्बे में यही मुसीबत है, गंदगी ही गन्दगी रहती है.
अगली बार हम ए.सी. डिब्बे में जायेंगे ठीक है?
रमन- ठीक है माँ. माँ मैं आपको वैसे ही पकड़ लेता हूँ जैसे अंकल ने पकड़ा था, कहीं आप गिर न जाओ.
कामना- हाये राम… मेरा बेटा कितनी फिक्र करता है मेरी, पकड़ ले बेटा.
(रमन कामना को वैसे ही कस कर पकड़ लेता है, कामना फिर से उत्तेजित हो जाती है और अपनी जीभ अपने होंठों में फेरने लगती है, ट्रेन के झटकों से उसका पल्लू फिर से नीचे गिर जाता है..
डिब्बे में मौजूद सभी लोग कामना के 70 प्रतिशत बाहर झांकते हुए बूब्स का नज़ारा देख रहे थे और कुछ तो अपने लण्ड में हाथ भी फेर रहे थे. रमन ट्रेन के झटके के साथ साथ खुद भी जोर जोर से कामना की गांड में झटके मार रहा था, और उसका लण्ड कामना को गांड में महसूस हो रहा था..
कामना आगे की तरफ झुकी हुयी थी, उसके बूब्स की काली गहरी घाटी साफ दिख रही थी, गले का मंगलसूत्र लटका हुआ था, माथे पर लाल बिंदी, मांग पर लाल सिंदूर कामना की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे..
रमन ने अपनी माँ को बूब्स के थोड़ा निचे हाथों से जकड़ा हुआ था और झटके मार रहा था, कामना ने अपने दोनों हाथ अपने घुटनो पर रखे थे, वो अपने बेटे रमन की हालत से वाकिफ थी और उसके मजे में कोई मुसीबत नहीं डालना चाहती थी..
कुछ लोग डिब्बे में कामना और उसके बेटे की करतूत देख कर मुठ मार रहे थे, और कुछ लोग नज़रअंदाज कर रहे थे, कुछ सभ्य परिवार के लोग पहले ही दूसरे डिब्बे में चले गए थे..
|