RE: Rishton May chudai परिवार में चुदाई की गाथा
फिर रमन पूरा लण्ड रिंकी की चूत में डाल देता है और रिंकी के दर्द से आंसू निकल जाते हैं और रमन अपने होंठ रिंकी के होंठों पर रख देता है और चूसने लगता है, रिंकी भी अपने भाई के होंठ चूसती है.
फिर रमन लण्ड अंदर बाहर करने लगता है, और रिंकी की जीभ से जीभ मिलाने लगता है, भाई बहन की अपवित्र चुदाई शुरू होती है, लण्ड चूत का मिलाप होता है, रिंकी-रमन दो जिस्म एक जान बनकर रह जाते हैं, दोनों बिलकुल नंगे बेड पर चुदाई कर रहे थे, अंततः रमन भूल और मजे में अपना सारा वीर्य रिंकी की योनि के अंदर ही छोड़ देता है और रिंकी भी साथ ही साथ अपना पानी छोड़ देती है.
दोनों एक दूसरे को कस कर पकड़ते हैं और ऐसे ही चिपके रहते हैं, रिंकी को आज चुदाई का ज्ञान हो गया था, अब वो बाहर किसी से भी चुदने को तैयार हो गयी थी लेकिन रमन का वीर्य उसकी योनि में समा गया था जिसके कारण दोनों डर गए थे)
(फिर दोनों अपने कपडे पहनते हैं और रिंकी सो जाती है और रमन अपनी माँ के कमरे में सोने चला जाता है जहाँ नाईट बल्ब जला था, उसकी माँ बेड पर लेटी थी और उसकी माँ कामना की नाईटी उसकी मोटी सुडौल गोरी झांघों तक सरक गयी थी, 90 प्रतिशत गोरे भारी तरबुझ जैसे बूब्स नाईटी से बाहर थे, बाल बिखरे हुए थे, आधे से ज्यादा निप्पल दिख रहे थे, ये दृश्य देखकर रमन का मन और लन दोनो डोल जाते हैं )
रमन का लण्ड अपनी माँ की ये मदहोशी में सोयी हुयी हालत को देखकर खड़ा हो जाता है, और रमन घूर घूर कर अपनी माँ के आधे से ज्यादा बूब्स को और मोटी गोरी मखमली बालों से भरी जांघों को एकटक देखता रहता है और अपना लण्ड पैजामे के बाहर से ही मसलता है, थोड़ी देर पश्चात रमन कामना के बगल में खड़े लण्ड के साथ लेट जाता है.
रमन के अपनी माँ के बगल में लेटने से कामना की नींद खुल जाती है और वो अपनी नाईटी सही करती है, निकले हुए बूब्स को संभालती है, माँ-बेटे के रिश्ते को व्यवस्थित रखने की पूरी कोशिश करती है)
(कामना और रमन एक दूसरे की तरफ मुह करके बातें करने लगते हैं, कामना के 50 प्रतिशत बूब्स अभी भी बाहर ही थे और सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे, छोटा बेड होने की वजह से कामना और रमन पास पास एक दूसरे की तरफ मुह करके बात कर रहे थे, माँ-बेटे की सांसे एक दूसरे से टकरा रही थी)
कामना- आ गया बेटा, इतनी देर क्यों करी? कितना गेम खेलते हो तुम दोनों भाई बहन.
रमन- हाँ माँ वो थोडा देर हो गयी, आप तो गहरी नींद में सोये हुए थे.
कामना- हाँ वो नींद आ गयी थी, चल अब तू भी सोजा, इतनी बदबू क्यों आ रही है तुझ से, तू नहाया नही क्या ट्रेन में जो हुआ उसके बाद ?
रमन- नहाया था माँ, लेकिन ट्रेन में इतना सारा पता नही किसने डाला, उसकी बदबू शायद अभी तक है.
कामना- कंजर हरामी लोग थे ट्रेन में, मुझे पहले से पता था, शक्ल ही कमीनों वाली थी उनकी, बेशर्म कहीं के.
रमन- हाँ माँ, सही बोल रही है तू. वैसे एक बात पूछूँ?
कामना- पूछ बेटा.
रमन- आपको मजा आया सफ़र में?
कामना- हाँ बेटा बहुत मजा आया था, क्या बताऊँ, उन अंकल ने जो मुझे सीट दी बैठने को उसके बाद ज्यादा मजा आया.
रमन- वैसे जब आखिरी सुरंग आई थी तो उन अंकल की और आपकी अजीब अजीब सी आवाज़ें आ रही थी, ऐसा क्यों माँ?
कामना- अरे उस समय पता नहीं चूहा जैसे कुछ घुस गया था मेरे पेटिकोट के अंदर, उसने तूफ़ान मचा दिया था बेटा, अगर मैं हल्ला करती तो सब डर जाते कहीं ट्रेन में बम तो नहीं है, लेकिन मेने हिम्मत से काम लिया और चूहे के जाने का इंतज़ार किया, सुरंग खत्म होने के बाद चूहा चला गया.
रमन- वाह माँ, कितनी बहादुर हो आप, शेरनी हो.
कामना- वो तो हूँ ही बचपन से, लेकिन आजतक घमंड नहीं किया बेटा.
रमन- माँ जब आप रिंकी के रुम में मेरी गोद में बैठी थी तो बहुत मजा आ रहा था.
कामना- मजा कैसे आ रहा था तुझे? मैं समझी नहीं?
रमन- मतलब एक अलग अहसास हो रहा था, मेरा शरीर थका हुआ है ना, तो आप मोटी हो, मेरी जांघों के ऊपर आप बैठी थी तो मसाज हो गयी थी.
कामना- अच्छा जी, ऐसा है, अभी तेरे ऊपर लेट जाऊं क्या? पूरी बॉडी की मसाज हो जायेगी.
रमन- अगर ऐसा हो जाये तो सोने पे सुहागा हो जाये माँ.
कामना- चल हट… बदमाश, मैं तो मजाक कर रही हूँ.
रमन- आप भी ना माँ, ऐसा अच्छा मजाक करती हो. वैसे आप कितनी ज्यादा मोटी हो सही में, आपके दूध भी काफी बड़े हैं माँ.
कामना- बदमाश मेरे दूध देखता रहता है तू हाँ, बचपन में इन्ही को चूसता रहता था तू.
रमन- मैं इतने बड़े टैंकर से खत्म कर देता था क्या दूध?
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