RE: Rishton May chudai परिवार में चुदाई की गाथा
(रिंकी स्कूल चली जाती है, अब कामना और रमन घर में अकेले थे, आज कामना ने अलग टाइप की नाईटी पहनी जो रमन ने पहले कभी अपनी माँ को पहने हुए नहीं देखा था, कामना ने चिपले फिसलनदार कपडे की लाल रंग की बिना बाहों की नाईटी पहनी थी, जिसका गला बहुत ज्यादा खुला हुआ था, बैकलेस थी, और नीचे से भी स्कर्ट के जैसी झांघों से ऊपर तक थी, रमन की आँखें हवस से लाल हो गयी और वो आँखें फाड़ फाड़ कर अपनी माँ को देखे जा रहा था और कामुक ख्यालों में डूब गया)
कामना- अरे लाडले कहाँ खो गया?
रमन- तेरे ख्यालों में माँ, माँ आज तू बहुत ही खूबसूरत लग रही है, बिलकुल परी जैसे.
कामना- ओहो, आज तो माँ की तारीफ़ हाँ, इतनी मोटी हूँ, अगर पतली हो जाउंगी तो तेरे साथ कॉलेज जाउंगी, बच्चे मुझे तेरी माँ नहीं गर्लफ्रेंड समझने लगेंगे.
रमन- तो पतले हो जाओ आप, जिम जाया करो.
कामना- अच्छा मतलब मुझे गर्लफ्रेंड बनाएगा अपनी. ह्म्म्म्म.. शैतान है बहुत.
रमन- आप हो ही इतनी खूबसूरत, कोई भी आपको अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहे. चुच्ची कैसी है अब आपकी, दर्द है क्या?
कामना- अब थोडा ठीक है, रात में चूस चूस कर तूने कचुम्मर निकाल दिया सही में. मेरी तो जान ही निकल गयी थी मानों.
(तब कामना किचन में काम करती है, और रमन उसे काम करते हुए देखता है, कामना को स्लीप से एक डब्बा निकालना था, कामना अपने पैर के पंजों के बल खड़ी होकर डब्बा निकालने की कोशिश करती है लेकिन लंबाई कम होने के कारण नहीं पहुच पाती..
लेकिन उसके पंजों के बल खड़े होने से उसकी नाईटी ऊपर होती है और उसकी गांड के बाल दिखने लगते हैं, कामना ने अंदर से न तो कच्छी पहनी थी और न ही ब्रा, रमन ये सब देखकर पागल हो जाता है और अपनी माँ की मदद के लिए दौड़ता है)
रमन- माँ, मैं कुछ मदद करूँ क्या?
कामना- हाँ जरा मुझे पकड़ कर उठा दे, वो डब्बा निकालना है.
रमन- ठीक है माँ.
(रमन कामना को पीछे से पकड़ता है और ऊपर उठाता है, फिर भी कामना डब्बे तक नहीं पहुच पाती, दरअसल डब्बा निकलना तो एक बहाना था, डब्बा इतने ऊपर था कि उसे निकालने के लिए स्टूल चहिये था, लेकिन ये सब कामना की सोची समझी रणनिति थी)
कामना- रमन थोडा और कोशिश कर बेटा, ऊपर उठा.
(रमन कोशिश करता है, कामना की नाईटी कमर तक सरक गयी थी, उसकी गांड नंगी थी, जब ऊपर उठाने के बाद कामना नीचे आ रही थी तो रमन का खड़ा लण्ड कामना की नंगी गांड को छू रहा था..
लेकिन कामना ने रमन को और कोशिश करने को बोला, अब रमन ने चुपके से अपना पैजामा उतार दिया, अब रमन केवल टी शर्ट में था और उसका नंगा लण्ड उसकी माँ की नंगी गांड में छू रहा था, वो बार बार अपनी माँ को ऊपर नीचे उठाने का नाटक करने लगा और लण्ड को गांड में घिसते रहा)
कामना- कोशिश करते रह निकल जायेगा बेटा… अह्ह्ह्ह…
रमन- हाँ माँ, अह्ह्ह्ह्ह… उम्म्म्म… कर रहा हूँ अह्ह्ह्ह…
(और रमन कामना की नंगी गांड में अपना गरम गरम वीर्य छोड़ देता है और कामना को भी वीर्य का अहसास होता है, और रमन कामना के पीछे उसे कस के पकड़ लेता है)
रमन- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. माँ, निकल गया अह्ह्ह्ह…
कामना- लेकिन मेरा नहीं निकला बेटा. मेरा भी निकाल दे. मैं तड़प रही हूँ कबसे.
(रमन कामना को अपनी तरफ सीधा करता है और उसके होंठ पर अपने होंठ रख देता है फिर जोरदार चुम्बन शुरू हो जाता है, जीभ से जीभ का मिलन, थूक से थूक का आदान प्रदान माँ बेटे के मुह से चलता है, दोनों मस्ती में चूर हो जाते हैं, सारी सिमाएं पार कर, सभी बंधनों को तोड़कर, सारे रिश्ते नाते भूल कर केवल पुरूष-महिला का रिश्ता ही समझते हुए एक दूसरे से चिपक जाते हैं और किस करते हैं..
उसके बाद रमन अपनी माँ की नाईटी उसके शरीर से अलग फेंक देता है, अब उसकी माँ उसकी आँखों के सामने बिलकुल नंगी थी, माथे पे लाल बिंदी, सर पर लाल सिंदूर, हाथों में चूड़ियाँ और पैरों में घुंघरू बांधे उसकी माँ नंगी अपने बेटे से चुदाई करवाने को बेकरार थी..
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