RE: Romance एक एहसास
राधिका आगे बढ़ी| अब तस्वीरे उसके हाथों की पहुंच में थी मगर जैसे ही उसने तस्वीरें उठाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया किशन ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिठा लि“चूमकर उनके माथे को, लगा लूंगा उनको गले से,
भा गइ ये खता, तो शायद कर लें गुनाह मर्जी से|
राधिका की धड़कने तेज हो गई थी| उसकी आंखांे का रंग बदल गया था| होंठ कुछ नशीले से हो गये थे| वह बड़े ही नशीले अदांज से किशन की आंखो में झाकने लगी|
राधिका के शरीर के स्पर्श से किशन भी बहक गया| उसने एक पल के लिए राधिका की नशीली आखों में देखते हुए उसे बाहो में भर लियाचढ़ेगा जब मेरी चाहत का रंग‚ मेरी बाहों में आकर बिखरोगे आप, यूं खूबसूरत हो आप बहुत‚ मिलकर मुझसे ओर भी निखरोगे आप|
अपने जीवन में किसी लड़की के इतने अधिक निकट उसने अपने आपको कभी नहींं पाया था| उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि उसकी किशोरावस्था यहा समाप्त हो गई, और एक नई अवस्था का श्री गणेश हो रहा है| उसका दिल जोरों से उछलने लगा था| धड़कने तेज़ हो चली थी| उसके भीतर का भाव तीव्रता पा चुका था| भीतर की ऊष्णता उसकी आखों तक आ गई थी| समुद्र के ज्वार भाटे की तरह कोइ चीज उसमें ऊधम मचा रही थी|
कंपन और गर्म धड़कनों के साथ उसने राधिका को अपनी बाहों में बांध लिया| वह भी निर्जीव सी बंध गई|
किशन ने राधिका को अंगूठा दिखाने का सबक सिखाया|
राधिका आखें बंद करके बैठी थी| वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी|
एक बार फिर राधिका की प्लीज- के सामने किशन को झुकना पड़ा|
हाथ छोड़ते हुए किशन ने कहा मैं भी बोलता हूँ प्लीज- कुछ तो इलाज करो मेरे मन का|
“इसका तो अब एक ही इलाज है,”
“ओर वो इलाज है क्या| “
“भूल जाओ…” किशन को तस्वीरें दिखाकर हँसते हुए वह दरवाजे की ओर बढ गई|
किशन को भनक भी न पड़ी थी कि कब राधिका ने वे तस्वीरें उठा ली|
“मोहतरमा आपके लिए एक शेर अर्ज करता हू जरा गौर फरम“आखिर यूं पर्दा करने से भी क्या होगा,
हो सके तो हमे अपने दिल से निकाल दो,
अगर आप चाहते हो मैं भूल जाऊ आपको,
तो एक पर्दा अपनी तस्वीर पर भी ड़ाल दो|
“तस्वीर ही ले चले है जनाब” राधिका ने उसे तस्वीरें दिखाते हुए कहा|
इस पर किशन ने तकिये के नीचे रखी हुइ तस्वीर निकाली ओर बोला—शायद वो नहीं चाहते कभी भूल पाऊं मैं उनको,
नहीं तो क्यों दे रहे हैं वो अपनी तस्वीर मुझको|
राधिका पलटी| किशन के हाथ में अपनी तस्वीर देखकर वह बनावटी गुस्से में बोली—“यार ये क्या मजाक है मुझे मेरी तस्वीरें वापिस चाहिए”
“राधिका जी आपके पास 20 फोटो हैं इसलिए मैने एक अपने लिए रख ली …
“लेकिन जब मैं सही सलामत आपके साथ हूँ तो फिर आपको मेरी तस्वीर क्यों चाहिए”
“राधिका जी आपके होने मे ओर आपकी तस्वीर के होने में बहुत अन्तर है…”
“वो कैसे”
“तुमको हैं बन्दिशे हजार, तुम पर निगाहें है जमाने की,
मजबुरी तेरी लाखों हैं, आते ही बात करते हो जाने की|”
हर लड़की की तरह राधिका भी अपनी तारीफ सुनकर खुश थी| मगर दिखावे की अक्कड़ के साथ वह बोली “ओर भी कुछ बचा हो तो वो भी बता दो”
“ओरहमे अब आपसे ज्यादा लगाव है आपकी तस्वीर से,
दोस्तों का ख्याल रखना सीखा है आपकी तस्वीर से|
राधिका की तस्वीर को चुमकर सीने पर रखते हुए किशन बोला “इसकी सबसे बड़ी खूबी ये है राधिका जी इसे कितना भी प्यार करो या मजाक करो ये कभी बुरा नहीं मानती| अच्छा राधिका जी मेरा अब मेरी जान के साथ सोने का वक्त हो गया है,”
राधिका गुस्से में बाहर चली गई|
किशन बहुत खुश था|
राधिका के जाने के बाद कुछ देर तक वह दिवानों की तरह उस तस्वीर को निहारता रहा| अचानक उसे किसी के कदमों की आहट सुनाइ दी|
“शायद राधिका अपनी तस्वीर वापस लेने आई होगी” यह सोचकर किशन तस्वीर को सीने से लगाकर सोने का नाटक करने लगा| उसने महसूस किया किसी का हाथ उसके सीने पर उसके हाथों के नीचे से तस्वीर निकालने की कोशिश कर रहा है| अब तो किशन को यकीन हो गया था हो न हो यह राधिका ही है| किशन ने उस हाथ को प्यार से सहलाते हुए कहा… “हकीकत भले न हो मेरा ख्यालों में आपसे मिलना,
मगर कम्बख्त मुझे ये कोइ ख्वाब भी तो नहीं लगता|
किशन ने आखें खोली तो उसकी आखें खुली की खुली रह गई| जैसे उसे 440 V के करंट का झटका लगा हो| जिस हाथ को वह बड़े प्यार से सहला रहा था| वह श्रीहरिनारायण यानी उसके बाबू जी का हाथ था|
“बाबू जी आप कब आए| ” किशन ने हड़बड़ाते हुए पूछा|
“बेटा जब तुम सो रहे थे… किशन दर्द अब भी ज्यादा है क्या|
“किशन को अब दर्द का ख्याल ही कहां था…जी न्न्न्नही…है…अब मुझे बिल्कुल दर्द नहीं है|
“अच्छा बेटा अब तुम आराम करो… मैं कुछ काम से बाहर जा रहा हू” बोलने के बाद श्रीहरिनारायण बाहर चले गए|
किशन ने अपने सीने पर देखा तो वह अपनी मुर्खता पर तिलमिला उठा|
उसका मन किया कि वह खुद को गोली मार ले क्योकि राधिका की तस्वीर उसके सीने पर सीधी पड़ी थी|
अगले दिन राधिका फिर उससे मिलने आई| राधिका को देखते ही किशन को एहसास हुआ‚ उसे वह तस्वीर अपने पास नहीं रखनी चाहिए थी ओर इससे पहले कुछ ओर भी ऐसा हो उसे वह तस्वीर वापिस कर देनी चाहिए| मगर क्या सब कुछ जानने के बाद राधिका उससे दोबारा कभी मिलेगी| उसके मन का जवाब था “शायद नहीं” इसलिए एक बार उसने सोचा कि वह राधिका से इस बारे में कोइ बात नहीं करेगा| लेकिन उसे रोहन की एक बात याद आइ किदोस्ती की शुरूवात तो झूठ से भी हो सकती है मगर जिस रिश्ते को कायम रखने के लिए लगातार झूठ का सहारा लेना पडे, वह रिश्ता दोस्ती का नहीं हो सकता|
“राधिका जी ये लिजिए आपकी तस्वीर” किशन ने तस्वीर राधिका की तरफ बढ़ाते हुए कहा
“ये कौन सी नई शरारत है… आप ही रखो … मुझे नहीं चाहिए अब ये तस्वीर”
“राधिका जी ये शरारत नहीं है… आपने ठीक कहा था मुझे ये तस्वीर नहीं रखनी चाहिए थी|
“मै कुछ समझी नहीं… क्या हुआ| ”
किशन ने उसे सारा वॄतांत सुनाना शुरू किया| अभी वह उसे आधी बात ही बता पाया था कि बिना कुछ सोचे समझे ही राधिका हंसने लगी… आपने अपने बाबू जी का हाथ मेरा हाथ समझा ओर शेर भी सुनाया… that’s very good yaar… यार…
“आगे भी तो सुनो” किशन ने उसे बीच में टोकते हुए कहा
“अच्छा जी… अभी बाकी है क्या… सुनाओ-सुनाओ…” बोलते हुए राधिका फिर से ठहाका लगाकर हंसने लगी|
जैसे ही किशन ने बताया उसके बाबू जी ने उसके सीने पर पडी राधिका की तस्वीर भी देख ली थी तो जैसे राधिका को कोइ गहरा सदमा लगा|
वह अपना सिर पकड़कर वहीं बैठ गइ|
“हे भगवान…” वह बस इतना ही बोलकर चुप हो गइ| वह किशन को ऐसे घूरने लगी|
जैसे वह कह रही हांें कमीने मैने तुझे पहले ही कहा था मेरी तस्वीर दे दे मगर तूने मेरी एक न सुनी| लेकिन हकीकत में वह कुछ भी न बोल सकी और चुपचाप बाहर चली गई|
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