RE: Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है?
अगली सुबह 6 बजे जब मेरी आँख खुली तो देखा...नीलू दीदी मुझे उठा रही थी.....
“उठ जा समीर, देख सुबह हो गयी है, आज तुझे हमारे साथ खेत में भी जाना है”
मैं भी आंख मलता हुआ खड़ा हो गया, रात की खुमारी अब तक शायद उतरी नही थी, इसलिए अभी भी हल्की हल्की नींद आ रही थी मुझे,
“चल जल्दी से जंगल पानी हो आ, और फिर आकर नहा ले” नीलू दीदी बोली
“जी दीदी जा रहा हूँ” ये कहकर मैं भी आखिर कर उठ खड़ा हुआ
थोड़ी देर में ही मैं जंगल पानी करके वापस आ गया, जब मैं वापस आया तो मैंने देखा कि नीलू दीदी बड़ी ही अजीब नजरो से मुझे घुर रही थी जैसे मैंने कोई गलत काम कर दिया हो, पर मैंने इस ओर ज्यादा ध्यान नही दिया और बाथरूम में जाकर नहाने लगा, बाथरूम में जाकर दोबारा मैंने एक बार मुठ मारी और फिर नहाने के बाद मैं दीदी और माँ के साथ खेत में चला गया
जब हम खेत में पहुंचे तो आज वहां बाजु वाले खेत में सिर्फ राजू भैया और चंदा दीदी ही थी, मैं जब भी खेत आता था तो मुझे सरला ताई वहां जरुर नज़र आती थी, पर आज वो वहां नही थी, माँ ने भी ये बात नोट की, इसीलिए हम लोग राजू भैया और चंदा दीदी के पास गये
माँ – अरे राजू बेटा, तुम्हारी माँ कहाँ है आज, खेत में नही आई क्या
राजू – नही चाची, वो आज हमारे मामाजी आये हुए है, इसलिए वो आज घर पर ही है, दोपहर को उनका खाना भी बनाना पड़ेगा ना इसलिए
माँ – अरे, सुमेर आया है, और तेरी माँ ने हमे बताया भी नही
राजू – वो मामाजी आज सुबह ही आये है चाची
माँ – चलो कोई बात नही, आज शाम को जाकर मिल लेंगे उनसे,
राजू – जैसा आप ठीक समझे चाची
फिर हम लोग वापस अपने खेत में आ गये, हमारे खेत में इस बार फसल काफी अच्छी हुई थी, गन्ने का खेत था हमारा, वैसे भी गाँव में ज्यादातर लोग गन्ने की ही खेती करते थे, जब हम लोग वापस आ गये तो माँ अचानक बोली
माँ – हाय राम, मैं तो कुदाली (मिटटी खोदने का ओजार) आज घर पर ही भूल गयी, और आज तो बाड बनाने का काम भी करना है, ऐसे में तो दो कुदाली चाहिए ही चाहिए
नीलू दीदी – राजू से मांग लो ना माँ
माँ – ये तुमने ठीक कहा, समीर बेटा, जा जाकर राजू से दो कुदाली ले आ
मै माँ की बात सुनकर दुबारा राजू भैया के खेत की तरफ चल पड़ा, राजू भैया वहां अपनी कुदाली से कुछ मिटटी खोद रहे थे, मैं उनके पास गया और बोला
मैं – राजू भैया, आपके पास दो कुदाली है क्या, वो आज माँ कुदाली घर ही भूल आई,
राजू – मेरे पास तो एक ही कुदाली है यहाँ, दूसरी तो घर पर पड़ी है, और इस कुदाली से भी मुझे अभी बहुत सा काम करना है......
राजू भैया की बात सुनकर मैं वापस अपने खेत की तरफ मुड गया और जाकर माँ को सारी बात बता दी
माँ – चलो फिर समीर बेटा, एक काम करो, तुम अपने घर से एक कुदाली ले आओ और दूसरी कुदाली अपनी ताई के यहाँ से ले आना, बोल देना मैंने मंगाइ है........
मैं माँ की बात सुनकर वापस घर की ओर चल पड़ा, करीब आधे घंटे पैदल चलने के बाद मैं घर पहुंच गया, मैंने अपनी कुदाली उठाई और दूसरी कुदाली लेने के लिए ताईजी के घर की तरफ चल पड़ा,
ताईजी के घर पहुंचकर जैसे ही मैंने दरवाज़ा खटखटाने के लिए हाथ बढाया तभी मेरे कानो में एक आह की अजीब सी आवाज़ पड़ी, और मेरा हाथ वहीं रुक गया,
“ये कैसी आवाज़ है” मैंने मन ही मन सोचा
मैं अभी सोच ही रहा था कि दोबारा एक और आह की जोरदार आवाज़ मेरे कानो में पड़ी, मुझे बड़ा अजीब लगा, मैंने सोचा कि कही कोई चोर तो नही घुस आया घर में, ये सोचते ही मेरे हाथ पांव काँप गये, मैंने सोचा कि मुझे पहले देखना होगा कि ये कोई चोर ही है या कोई और,
इसलिए मैं छुपकर घर के अंदर जाने की जगह ढूँढने लगा, ताईजी के घर के बिलकुल पास एक बड़ा सा नीम का पेड़ था, मैं तुरंत उस नीम के पेड़ पर चढ़ गया और वहां से ताईजी के घर की छत पर आ गया,
तभी मुझे ख़याल आया कि, सीढ़ियों पर एक रोशनदान है…जो सरला ताई के कमरे का है….मैं बिना कुछ सोचे समझे सीढ़ियों की तरफ गया….और जब दो तीन सीढ़ियों को उतर कर उस घुमाव पर पहुचा…यहाँ से सीढ़ियाँ मुड़ती थी…वहाँ रोशनदान था.. और फिर जैसे ही मैने अंदर झाँका तो, मुझे दुनिया का सबसे अजीब नज़ारा दिखाई दिया….क्योंकि मैं रोशनदान से देख रहा था…इसलिए मुझे नीचे बेड पर किसी आदमी की नंगी पीठ दिखाई दे रही थी…और उस आदमी के कंधे के थोड़ा सा ऊपेर सरला ताई का चेहरा दिखाई दे रहा था….
सरला ताई ने अपनी टाँगो को उठा कर उस सख्स की कमर पर लपेट रखा था…और वो सख्श पूरी रफ़्तार से अपनी कमर को हिलाए जा रहा था… उस समय जो मेरे सामने हो रहा था मैं ये नही जानता था कि, उसे चोदना कहते है..वो सख्स और सरला ताई दोनो पसीने से तरबतर थे….सरला ताई ने अपनी बाजुओं को उस सख्स की पीठ पर कस रखा था…
”ओह्ह्ह्ह सुमेर आज पूरी कसर निकाल दे….बड़े दिनो बाद मौका मिला है…..” सुमेर नाम सुनते ही मुझे जैसे करंट सा लगा,
“ताईजी अपने भाई के साथ ये क्या कर रही है” मेरे दिमाग में विचार कोंधा
“आह बहना ज़ोर तो पूरा लगा रहा हूँ…लेकिन जैसे -2 तेरी उमर बढ़ रही है…साली तेरी फुददी और टाइट और गरम होती जा रही है….जीजा तुझे अच्छे से नही चोदते क्या....ओह्ह देख मेरा लंड कैसे फस- 2 के अंदर जा रहा है….” सुमेर ने और रफतार से झटके लगाने शुरू कर दिए….
मैं उस वक़्त तक एक दम भोला पंछी था….पर ये बात मुझे भी समझ आ चुकी थी कि, वो दोनो जो भी कर रहे है,….दोनो को मज़ा बहुत आ रहा है….
“कहाँ सुमेर, तेरे जीजा तो अब मेरी तरफ देखते भी नही, एक तू ही तो है जो अपनी इस प्यासी बहना की चूत की प्यास बुझा जाता है” ताई ने कहा
इधर सुमेर झटके मारे जा रहा था, चूँकि सुमेर की पीठ मेरी तरह थी और वो खुद ताई के उपर था इसलिए मुझे कुछ भी साफ़ दिखाई नही दे रहा था, पर मेरे लंड में जरुर तनाव आना शुरू हो चूका था,
उधर सुमेर के धक्को की रफ़्तार बढ़ गयी और देखते ही देखते वो ताई पर पूरी तरह से ढह गया, दोनों जने अब लम्बी लम्बी साँसे ले रहे थे, मैं अब बस हटने ही वाला था कि तभी अचानक वो हुआ जिससे मेरे होश फाख्ता हो गये,
सुमेर, ताई के उपर से हट गया और अब ताई मेरी आँखों के सामने पूरी तरह से नंगी होकर लेती थी, मेरे तो दिमाग ने ही काम करना बंद कर दिया था, सरला ताई की चूत से सफेद सफेद कुछ निकल रहा था, मुझे समझते देर ना लगी कि ये जरुर सुमेर के लंड से निकला वीर्य है, तभी सरला ताई थोड़ी पलटी और अपनी चूत को साफ करने लगी
मैंने अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी ओरत को नंगा देखा था, और वो भी अपनी सरला ताई को, सरला ताई की रंगत ऐसी थी जैसे किसी ने दूध मे केसर मिला दिया हो…..बिल्कुल गोरा रंग, लाल सुर्ख गाल, मम्मे तो ऐसे कि मानो रब्बर की बॉल्स हो…बिलकुल कसे हुए लग रहे थे….पर सरला ताई की जो चीज़ सबसे ज़्यादा कातिलाना लग रही थी….वो थी उनकी बाहर को निकली हुई गोल मटोल गांड …उनकी गांड और चूत देखकर मेरा लंड तो पेंट फाडकर बाहर आने को तैयार था,
पर ज्यादा देर वहां रहना खतरे से खाली नही था, इसलिए अब मैने वहाँ खड़े रहना मुनासिब नही समझा….और उपर जाने की सोचा, पर जैसे ही मैं उपर जाने को हुआ मुझे ऐसा लगा मानो सुमेर ने मुझे देख लिया हो, मेरी तो गांड फटकर हाथ में आ चुकी थी कसम से, मैं बड़ी तेज़ी से वहाँ से भगा और वापस नीम के सहारे घर से बाहर आ गया .
चाहता तो मैं ये था कि वहां से भाग जाऊ पर बिना कुदाली लिए जाना भी सम्भव नही था, मैं बड़ी ही अजीब उलझन में फँस चूका था..............
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