RE: Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है?
मेरे सामने बड़ी ही मुश्किल समस्या आ गयी थी, मैं अब वहां रुकना नही चाहता था, क्यूंकि मुझे डर था कि कहीं सुमेर ने मुझे देख तो नही लिया, तो दूसरी तरफ माँ का हुक्म था और बिना कुदाली लिए मैं जा भी नही सकता था, हारकर मैंने फैसला लिया कि अब जो भी हो देखा जायेगा, पर कुदाली तो लेनी ही पड़ेगी
यहीं सोचकर मैने बड़ी ही हिम्मत करके दरवाजे को खटखटाया, थोड़ी ही देर में सरला चाची ने आकर दरवाज़ा खोला, उनको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कहीं मेहनत करके आ रही है, इसलिए पसीने से तरबतर हो रखी थी, बाल भी बिखरे हुए लग रहे थे, और उनके चेहरे की हवाइयां उडी हुई थी, शायद उन्हें डर था कि कहीं ताउजी तो वापस नही आ गये है, पर जब उन्होंने मुझे वहां देखा तो उनकी जान में जान आई
सरला – अरे समीर बेटा, तू यहाँ, मेरा मतलब है बड़े दिनों बाद आया इधर......
मैं – वो माँ ने आपके घर से कुदाली लाने के लिए भेजा है, इसीलिए आया था...
सरला – अच्छा ठीक है... तो रुक मैं अभी तेरे लिए कुदाली लाती हूँ...
ये कहकर सरला ताई अंदर चली गई, पर मैं अंदर नही गया, बस वहीं खड़ा खड़ा इंतज़ार कर रहा था, क्यूंकि जितना डर ताई को था उतना ही मुझे भी लग रहा था... और मैं नही चाहता था कि अंदर जाकर सुमेर से सामना करना पड़े, इसलिए वहीं खड़ा खड़ा इंतज़ार करता रहा
जल्द ही ताईजी अपने हाथो में कुदाली लिए बाहर आ गयी
सरला – ले समीर बेटा, और कुछ भी चाहिए क्या
मैं – जी नही ताईजी, बस कुदाली ही चाहिए थी... अब मैं चलता हूँ.....
सरला – अरे बेटा कम से कम पानी तो पीकर जा, इतने दिनों बाद आया है तू इधर
मैं – नही ताई, फिर कभी आकर पी लूँगा, आज प्यास नही और जल्दी भी जाना है
सच तो ये था कि अंदर का नज़ारा देखकर मेरा गला सुख चूका था, पर अब दोबारा अंदर जाने की हिम्मत नही थी मुझमे, इसलिए मैंने तुरंत कुदाली ली और अपने खेत की तरफ चल पड़ा,
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पुरे दिन खेत में काम करने के बाद मैं, माँ और नीलू दीदी के साथ वापस घर आ गया, मेरा मन आज किसी भी काम में नही लग रहा था, मैं जानना चाहता था कि सुमेर और ताईजी आपस में वो क्या कर रहे थे, पर मुझे समझाने वाला कोई नही था, हार मानकर मैंने सोचा कि किसी तरह चमकू से ही पूछ लूँगा, पर उसे इस बात की भनक नही पडनी चाहिए कि मैंने ताईजी और सुमेर को ऐसा करते देखा
इसी उधेड़बुन में लगा मैं खाना खाने लगा, और खाना खाने के बाद आकर कमरे में लेट गया, थोड़ी देर बाद नीलू भी आकर लेट गयी........ कल की तरह आज भी नींद मेरी आँखों से कोषों दूर थी, और आज के वाकये ने मेरे लिए आज में घी का काम कर दिया, मैं किसी तरह नीलू के सोने का इंतज़ार करने लगा,
और तकरीबन 11 बजे के आस पास जब मुझे ये महसूस हुआ कि नीलू दीदी सो गयी है तो मैंने कल की ही तरह मुठ मारने का सोचा, मैंने हलके से अपने निक्कर को अपने घुटनों तक उतार दिया और अपनी हथेली में थूक लगाकर लंड पर मलने लगा
आज तो मेरा लंड और भी ज्यादा विकराल नज़र आ रहा था, क्यूंकि आज मेरे दिमाग में सरला ताई का नंगा बदन घूम रहा था, मैं ताई के नंगे बदन को सोचकर अपने लंड को मसले जा रहा था, और मुझे कल से भी ज्यादा मजा आ रहा था,
तभी अचानक नीलू दीदी ने हल्की सी करवट ली और मेरी तरफ पीठ करके सो गयी.... मुझे थोडा सा डर लगा.... मैंने डरते डरते नीलू दीदी की और देखा पर उनकी आँखे बंद थी... मुझे यकीन हो गया कि ये सो रही है... मैं फिर से अपने काम में लग गया
पर तभी अचानक वो हुआ जो मैंने कभी सपने में भी नही सोचा था.... मेरी नज़र अचानक नीलू दीदी की उठी हुई मांसल गांड पर जा पड़ी, और मेरे लंड ने ये सोचकर ही एक जोरदार ठुमकी ली,
नीलू दीदी मेरी तरफ पीठ किये लेटी थी, उसके बॉडी कर्व को देखकर मैं पागल सा हो गया…उसकी वो पतली कमर ने मुझ पर नज़ाने क्या जादू सा कर दिया था..जो मैं अपने होश को खो बैठा…
पीछे से उसकी गोरी नागिन सी बल खाती हुई कमर को देख मेरा लंड एक दम से तन गया, शायद आज काम करके दीदी बहुत थक गयी थी इसलिए जमकर नींद ले रही थी, मैं ये सोच कर उनके थोडा सा और करीब आ गया, और पीछे से नीलू दीदी के भरे हुए मस्त जिस्म को देखने लगा
क्या मस्त और सेक्सी बदन था नीलू दीदी का… 30 साइज़ के कसे हुई मम्मे…नीचे गठीला और भरा हुआ पेट और नागिन सी बलखाती कमर, उफ़फ्फ़ गांड तो पूछो ही मत, क्या गोल मटोल गांड थी…मैं अपने आपे से बाहर हो गया…नीलू को देख कर मेरा लंड एक दम से सख़्त हो कर, मेरी निक्कर में झटके खाने लगा
अब मेरे दिमाग़ में वासना का तूफान उठ चुका था…मैं नीलू दीदी के थोडा सा और करीब हो गया, मेरे और नीलू दीदी के बीच अब सिर्फ़ 7-8 इंच का फाँसला था…
नीलू दीदी के इतना करीब लेटे होने के कारण…मेरा लंड मेरे निक्कर में हलचल मचाए हुए था…अब मुझसे रहा नही जा रहा था…मैं दीदी के करीब खिसक गया..मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा…मैं डर रहा था..कि कहीं दीदी जाग ना जाए… पर वासना के नशे में आकर मैं आगे खिसक गया…और नीलू दीदी से एक दम चिपक गया…मेरा तना हुआ लंड अब नीलू दीदी की शलवार के ऊपेर से उसकी गांड पर रगड़ खा रहा था…मैं काफ़ी देर ऐसे ही लेटा रहा…जैसे मैं नींद में हूँ….
जब थोड़ी देर तक दीदी नही हिली…तो मैं हिम्मत करके और करीब खिसक गया…और मेरा लंड नीलू दीदी की गांड पर और दब गया…नीलू दीदी ने पतली सी शलवार कमीज़ पहनी हुई थी….और नीचे पैंटी भी पहनी हुई थी…जिसके कारण मेरा लंड उनकी गांड की दर्रार में नही जा पा रहा था..पर वैसे ही लेटा-2 अपने लंड को पकड़ कर नीलू दीदी की गदराई हुए गांड पर सलवार के उपर से ही रगड़ने लगा…
मैं साथ में दीदी के ऊपेर नज़र जमाए हुआ था…पर वो बिल्कुल शांत लेटी हुई थे..अब मेरा लंड बिल्कुल अकड़ चुका था…और मैं फारिग होने के बिकुल करीब था… मैंने अपना एक हाथ नीलू दीदी की चिकनी और मखमल जैसे गोरी कमर पर रख दिया…
इस बार नीलू दीदी थोड़ा सा हिली..और फिर से शांत पड़ गई…पर उसके हिलने से मेरा लंड उसकी शलवार और पैंटी को दबाता हुआ उसकी गांड की दर्रार में थोड़ा सा अंदर के तरफ दब गया था..
मैं अपने होशो हवाश खो चूका था, मैंने वासना में भरकर धीरे से अपने लंड को उसकी गांड की दरार में और अंदर घुसाने की कोशिश की, पर इस बार शायद नीलू दीदी के शरीर में थोड़ी हलचल हुई, मैं बिलकुल डर गया और तुरंत अपना लंड वापस पीछे खिंच लिया,
थोड़ी देर बाद ही दीदी दोबारा आराम से सो गयी, मैंने सोचा कि अब और जयादा आगे बढना खतरे से खाली नही है, इसलिए मैं वापस पीछे खिसक गया, अब कुछ भी करना खतरे से खाली नही था, इसलिए मैंने चुपचाप अपना निक्कर उपर किया और सो गया
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