Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है?
08-02-2020, 12:36 PM,
#12
RE: Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है?

सुबह जल्दी ही मेरी नींद खुल गयी, मैं झटपट खड़ा हुआ और हाथ में लोटा लिए सीधा जंगल पानी के लिए निकल गया, रस्ते में ही चमकू का घर पड़ता था, मैंने देखा कि रोज़ की तरह चमकू आज भी अपने दरवाजे पर खड़ा मेरा ही इंतज़ार कर रहा था, जैसे ही मैं उसके पास पहुंचा वो भी हाथ में अपना डब्बा लिए बाहर आ गया और हम दोनों सीधा जंगल की और चल पड़े

चमकू – साले हरामी, थोडा जल्दी आया कर, तेरी वजह से कहीं मेरी निक्कर में ही टट्टी ना निकल जाए

मैं – माफ़ करना यार, क्या करूं थोड़ी बहुत लेट तो हो ही जाती है

चमकू – चल ठीक है, पर कोशिश किया कर जल्दी आने की

अब मैं उसको कैसे बताता कि मैं तो रात को अपनी नीलू दीदी की बड़ी सी गांड देखकर मुठ मारता हूँ, इसलिए नींद नही खुलती जल्दी...

चमकू –अच्छा सुन, तूने मेरी और अम्मा की बात किसी से कही तो नही ना

मैं – कैसी बात करता है तू यार, मैं किसी से नही कहने वाला

चमकू – ह्म्म्म... सही है, बस तू ज्यादा चिंता मत कर, थोड़े ही दिनों में मेरी अम्मा तेरे लंड के निचे लेटी होगी,देखना

मैं – काश, ये सच हो जाये...

चमकू – अरे वाह, लगता है लोंडे को चूत की बड़ी जल्दी है, क्यूँ दिल मचल रहा है क्या तेरा,

उसकी बात सुनकर मुझे भी थोड़ी सी हंसी आ गयी, और मुझे हँसता देखकर वो भी हंसने लगा, इसी तरह मस्ती मजाक करते हम दोनों जंगल पानी हो आये, आज शायद वापस घर आने में काफी लेट हो चुकी थी,

जब मैं घर पहुंचा तो देखा कि माँ और दीदी तो खेत जाने के लिए तैयार बैठे है,

सुधिया – अरे समीर बिटवा , आज तो बड़ी देर लगा दी आने में,

मैं – माफ़ करना माँ, वो बस टाइम का पता ही नही चला

सुधिया – कोई बात नही बिटवा, पर मैं और तेरी दीदी तो अभी जा रहे है खेत की तरफ, तू नहाने के बाद सीधा वहीं आ जाना, तेरा नाश्ता भी हम लेकर जा रहे है, ठीक है ना

मैं – ठीक है माँ,

और ये कहकर माँ और नीलू दीदी सीधा खेत की ओर निकल ली, और मैं सीधा बाथरूम की तरफ,

हमारा स्नानघर यानि बाथरूम घर के अंदर ही एक कोने में है, कहने को तो वो बाथरूम है पर है सिर्फ एक टुटा फूटा पत्थरों और घास फूस से जुगाड़ की हुई छोटी सी चार दिवारी , बाथरूम का दरवाज़ा लकड़ी का बना हुआ था, जिसमे भी यहाँ वहाँ दरारे थी और बाहर से अंदर देखने पर साफ साफ देखा जा सकता था,

मैं सीधा बाथरूम के अंदर घुसा, माँ और दीदी ने पहले ही पानी की बाल्टी भर कर रख दी थी, मैंने फटाफट वहां स्नान किया, इच्छा तो थी कि एक बार जल्दी से मुठ भी मार लूँ, पर फिर सोचा कि जो मजा रात को दीदी की गांड देखकर मुठ मारने में है वो ऐसे अकेले में नही , यहीं सोचकर मैंने मुठ मारने का विचार दिमाग से त्याग दिया और फटाफट नहाकर सीधा खेत की और चल पड़ा,

मैं हमारे खेत के करीब पहुंचने ही वाला था कि मुझे रस्ते में सरजू काका दिखाई दे गये,

सरजू – अरे समीर बिटवा, सुबह सुबह कहाँ भागे जा रहे हो, तनिक हमरे खेत में भी बैठो जरा

मैं – नही काका, माँ खेत में मेरी राह तकती होगी,

सरजू – अरे का समीर बिटवा, बस 5 मिनट के लिए आओ ना, जरा हमरा खेत भी देख लो, तुमरा जितना बड़ा तो नही पर ठीक ठाक है

मैं – पर काका

आखिरकार मुझे सरजू काका की बात माननी ही पड़ी, हम दोनों सरजू काका के खेत की तरफ चल दिए, सरजू काका का भी गन्ने का खेत था, खेत में घुसकर थोड़ी देर अंदर चलने के बाद मुझे एक झोपडी दिखी, रस्ते से देखने पर तो झोपडी दिखती ही नही थी सिर्फ और सिर्फ गन्ने ही गन्ने दीखते थे

सरजू – आओ बिटवा , ई देखो, ई हमरी झोपडी है छोटी सी, बस हम तो यही पड़े रहते है सारा दिन खेत की रखवाली खातिर

मैं – अच्छा फसल उगा रखी है काका इस बार तो,

सरजू – चलो आओ बिटवा , तनिक बैठो हमरे साथ

और मैं और सरजू काका झोपडी के बाहर पड़ी खाट पर बैठ गये

सरजू – अरे रानी बिटिया, सुनती हो का

सरजू की आवाज़ सुनकर उसकी 16 साल की जवान छोकरी रानी एक घाघरा चोली पहने झोपडी से बाहर आ गयी, कसम से क्या मस्त माल लग रही थी काका की बेटी, हाय, मस्त नशीला बदन, पतली सी कमर, छोटे छोटे अधपके अनार, मस्त भरी हुई मांसल गांड, एक बार को तो मेरा लंड थोडा सा झटका मार गया उसे देखकर

सरजू – अरे रानी बिटिया, जरा हमरा चिलम तो पकडाना अंदर से

रानी – जी बाबा,

रानी झोपडी के अंदर गयी और चिलम लाकर अपने बाबा को पकड़ा दी, और फिर झोपडी के अंदर चली गयी

सरजू (एक कश खींचते हुए) – लो समीर बिटवा, तुम भी खींचो एक कश, मजा आ जावेगा कसम से,

मैं – अरे नही सरजू काका, हमने आपको बताया था ना, चिलम खींचने का आदत नही हैं मुझे, और वैसे भी मुझे मजा नही आता चिलम खींचने में

सरजू- चलो कोई बात नही बिटवा, पर बिटवा इसको पी कर एक काम मे बड़ा मजा आता है

मैं- वो कौन से काम मे

सरजू (मुस्कुराते हुए) - अरे वही चुदाई के काम मे........ हा हा हा

मैं- काका, अब अपनी उमर का भी लिहाज करो तनिक, 45 साल के हो गये हो, फिर भी मन नही भरा है तुम्हारा

सरजू- अरे बिटवा इन चीज़ो से किसी का कभी मन भरा है भला, अब तुमका देखो इस उमर मे तुमका एक मस्त चूत मिल जाना चाहिए तो तुम्हारे चेहरे पर कुछ निखार आए, पर तुम हो की बस काम के बोझ के तले दबे जा रहे हो,

मैं - तो काका चोदने के लिए एक मस्त लोंडिया भी तो होना चाहिए, अब तुम ही बताओ हम किसे चोदे

मैं भी अब खुल कर इन बातो का मजा लेने लगा था

सरजू (मुस्कुराते हुए) – अरे तुम्हारे आस पास तो बहुत हरियाली है रे बिटवा, ज़रा अपनी नज़रो से पहले उन माल को देखो तो सही, तुम्हारा मन अपने आप उन्हे चोदने का होने लगेगा,

मैं- अच्छा काका तुम्हारी नज़र मे ऐसी कौन चुत है जो हमारी नज़र में नही है

सरजू (मुस्कुराते हुए) - देखो बिटवा, हम तुमको बहुत मस्त उपाय बता सकते है पर पहले तुमको हमारे साथ दो -चार चिलम मारना पड़ेगी तभी तुमको हमारी बात सुनने मे मज़ा आएगा,

मैं – देखो काका, मैंने पहले ही कहा है, मुझे चिलम विलम का शौक नही है.....

सरजू – चलो ठीक है, हम तुम्हे ऐसे ही बता देते है.....

हमारी बाते अभी चल ही रही थी तभी सरजू काका ने दोबारा अपनी बेटी को आवाज़ दी

सरजू- अरे रानी बिटिया, ज़रा गिलास मे पानी तो भर कर ले आ, बड़ी देर से गला सूख रहा है,

रानी अंदर से एक गिलास पानी लेकर आई और सरजू ने जैसे ही उसके हाथ से गिलास लिया, रानी एक दम से चीखते हुए अपनी चूत को घाघरे के उपर से पकड़ कर चिल्लाने लगी, सरजू काका और मैं एक दम से खड़े हो गये

सरजू- अरी क्या हुआ क्यो चिल्ला रही है

रानी - आह बाबा, लगता है कुछ काट रहा है,

तभी सरजू काका उसका घाघरा उपर करके नीचे बैठ कर देखने लगा, उसके साथ ही मैं भी बैठ कर देखने लगा, निचे बैठते ही जैसे मुझे जबरदस्त करंट सा लगा, रानी की बिना बालो वाली गोरी गट चिकनी चूत देख कर तो मेरे मुँह मे पानी आ गया, वहीं सरजू अपनी बेटी की चूत को अपने मोटे-मोटे हाथो से खूब उसकी फांके फैला-फैला कर देखने लगा, सरजू जैसे ही उसकी फांके फैलाता, मेरा मोटा लंड तन कर झटके मारने लगता, सरजू उसकी चूत के पास से एक कीड़े को पकड़ लेता है जो मसलने की वजह से मर चुका था उसके बाद अपनी बेटी को दिखाते हुए बोला -देख ये काट रहा था तुझे, अब जा आराम से काम कर मैं बाद मे दवा लगा दूँगा,

रानी को जाते हुए सरजू काका और मैं देख रहे थे जो कि अपनी मोटी कसी हुई गान्ड मटका कर जा रही थी, तभी मैंने सरजू की ओर देखा जो अपनी धोती के उपर से अपने मोटे लंड को मसलता हुआ काफ़ी देर तक अपनी बेटी को जाते हुए देखता रहा,

फिर उसकी नज़र जब मुझ पर पड़ी तो वो मुस्कुराते हुए अपने लंड से हाथ हटाकर कहने लगा - मादरचोद ने लंड खड़ा कर दिया, देख ले समीर बिटवा, जब यह चिलम कस कर पी लो ना तब आसपास बस चूत ही चूत नज़र आने लगती है

मैं - पर काका तुम्हारा लंड तो अपनी बिटिया को देख कर ही खड़ा हो गया

सरजू- अरे बिटवा तूने उसकी चूत नही देखी कितनी चिकनी है और उसका गुलाबी छेद, मेरे मुँह मे तो पानी आ गया और तू कहता है आपका लंड खड़ा हो गया, अरे चूत मे का किसी का नाम लिखा होता है कि यह बेटी की है कि माँ की, हम तो जब ऐसी गुलाबी और चिकनी चूत देख लेते है तो फिर बिना चोदे नही रह पाते है, अब देखो हमारे इस मूसल को, जब तक यह कोई चूत पा ना जाएगा तब तक चैन से बैठेगा नही,

मैं – पर काका, ये तो आपकी अपनी बेटी है, आप इसकी चूत मारोगे क्या??? मैं हैरानी से पूछे जा रहा था

सरजू – अरे हमने कहा न तुमसे, अब तो ये लोडा किसी की चूत में जाये बैगैर शांत हो ही नही सकता, तुम देखो अब कैसे हम हमरी रानी बिटिया की चूत फाड़ते है... बोलो देखोगे

मैं (थूक निगलते हुए) – सच में ?????

सरजू – और नही तो का हम झूट बोलत है, तुम एक काम करो हमरी झोपडी के पीछे जाकर छुप जाओ, तुम्हे वहां से सारा नजारा दिखेगा...

मैं एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह चुपचाप खड़ा हुआ और जाकर झोपडी के पीछे छिप गया.... मुझे ये सोचकर बहुत ही ज्यादा उत्तेजना हो रही थी कि आज मैं पहली बार कोई चुदाई अच्छे से देख पाउँगा, कहने को तो मैंने सुमेर और सरला ताई की चुदाई भी देखी थी पर इतने अच्छे से नही

मेरा मोटा लंड अब पूरी तरह तन चुका था, रानी की चूत का वह गुलाबी छेद मुझे पागल कर चूका था और सच पूछो तो मैं भी अब चूत चोदने के लिए पागल हो उठा था,पर मैं अब छुप कर सरजू काका और रानी को देखने लगा, रानी अब झोपडी से बाहर निकलकर पास ही कुछ काम कर रही थी,

पर जैसे ही मैंने सरजू काका की ओर देखा, मेरा लोडा झटका मार गया, सरजू काका खाट पर पेर फैलाए लेटा हुआ था और अपने हाथो मे अपना मोटा लंड लेकर उसे मसल रहा था और उसकी नज़रे खेत मे काम कर रही अपनी बेटी रानी की ओर थी

रानी बार-बार झुक-झुक कर घास उठा-उठा कर इकट्ठा कर रही थी और सरजू काका अपनी 16 साल की चिकनी लोंड़िया की उठती जवानी देख-देख कर अपना काला मोटा लंड अपने हाथ से खूब मसल रहा था, उसके बाद सरजू काका ने अपनी चिलम मुँह मे लगाकर जब एक तगड़ा कस मारा तो सरजू काका की आँखे एक दम लाल हो चुकी थी और फिर सरजू काका बैठ कर अपने दोनो परो को फैलाकर अपने मोटे लंड को खूब हिलाते हुए अपनी बेटी रानी की मोटी गुदाज गान्ड को देखने लगा,

मैं तो झोपडी के पीछे छुपा हुआ सरजू काका को लंड मसल्ते हुए देख रहा था, वैसे रानी की मटकती गान्ड और कसी जवानी ने मेरा भी लंड पूरी तरह खड़ा कर दिया था,

तभी सरजू काका ने रानी को आवाज़ दी, अरे बिटिया यहाँ आओ,

रानी दौड़ कर अपने बाबा के पास आ कर क्या है बाबा

सरजू- ज़रा दिखा तो बेटी जहाँ कीड़ा काटा था,

रानी- पर बाबा कीड़ा तो निकल गया ना

सरजू (अपने लंड को मसल्ते हुए) - अरे बिटिया हमे दिखा तो कहीं सूजन तो नही आ गया,

रानी - अच्छा बाबा दिखाती हू, और रानी ने अपने बाबा के सामने अपना घाघरा जैसे ही उँचा किया, सरजू ने अपनी बेटी की नंगी गान्ड पर पीछे से हाथ भर कर उसकी मोटी गान्ड को दबोचते हुए जब अपनी बेटी की कुँवारी चूत पर हाथ फेरा तो जहाँ सरजू का लंड झटके मारने लगा वही मेरा मोटा और गोरा लंड भी मेरी पेंट से मैंने बाहर निकाल लिया, मैं अपने लंड को सहला कर उन दोनो को देख रहा था,

सरजू (अपनी बेटी की चूत को अपनी मोटी-मोटी उंगलियो से सहलाते हुए) - अरे बिटिया इसमे तो बहुत सूजन आ गई है,

रानी (अपना सर झुका कर अपनी चूत को देखने की कोशिश करती हुई) - हा बाबा मुझे भी सूजन लग रही है,

सरजू - अच्छा मैं खाट पर लेट जाता हू, तू मेरी छाती पर अपने चूतड़ रख कर मुझे ज़रा पास से अपनी चूत दिखा, देखु तो सही सूजन ही है या दर्द भी है,

रानी- बाबा दर्द तो नही लग रहा है बस थोड़ी खुजली हो रही है,

सरजू- बेटी खुजली के बाद दर्द भी होगा, इसलिए पहले ही देखना पड़ेगा कि कही कीड़े का जहर तो नही चला गया इसके अंदर,

रानी ने अपने बाबा की छाती के दोनो ओर पैर कर लिए और सरजू अपने घुटनो को मोड़ कर अपनी बेटी के सर को तकिये जैसे सहारा देकर उसकी दोनो मोटी जाँघो को खूब फैला कर उसकी चूत को बिल्कुल करीब से अपने मुँह के पास लाकर देखने लगा, रानी का मुंह मेरी तरफ था, इसलिए मुझे उसकी गुलाबी चूत साफ दिखाई दे रही थी, मैं तो रानी की गुलाबी रसीली चूत देख कर पागल सा हो गया,

तभी सरजू ने अपनी बिटिया की गुलाबी चूत की फांको को अपनी मोटी-मोटी उंगलियो से अलग करके उसकी चूत के छेद मे अपनी एक मोटी उंगली पेल दी

रानी - आह बाबा बहुत दर्द हो रहा है,

सरजू- मैं ना कहता था दर्द होगा पर तू सुन कहाँ रही थी अब इसका जहर जो अंदर घुस गया है, उसको बिना चूसे नही निकाला जा सकता है, तू अपनी चूत को थोड़ा और फैला कर मेरे मुँह मे रख मुझे, इसका सारा जहर अभी चूस-चूस के निकालना पड़ेगा,

रानी अपने बाबा की बात सुन कर अपनी गुलाबी चूत को उठा कर अपने बाबा के मुँह के पास ले गई, और सरजू तो अपनी बेटी की गुलाबी कुँवारी चूत को सूंघ कर मस्त हो गया, उसका लंड पूरी तरह तन चूका था, अपनी बेटी की कच्ची गुलाबी चूत देख कर उसकी आँखे लाल सुर्ख हो चुकी थी, और वह अपनी लपलपाति जीभ अपनी बेटी की चूत मे रख कर उसकी गुलाबी चूत को पागलो की तरह चूसने लगा,

रानी (अपने बाबा के सीने पर अपनी गान्ड इधर उधर मटकाते हुए) - आह बाबा आह बाबा बहुत गुदगुदी हो रही है,

सरजू - बेटी तू बिलिकुल चुपचाप ऐसे ही बैठी रहना मैं 10 मिनिट मे सारा जहर चूस-चूस कर निकाल दूँगा,

फिर सरजू अपनी बेटी की रसीली बुर को खूब ज़ोर-ज़ोर से फैला-फैला कर चूसने लगा, रानी की कुँवारी बुर अपने बाबा के मुँह मे पानी छोड़ने लगी थी, सरजू खूब ज़ोर-ज़ोर से अपनी बेटी की चूत चूस-चूस कर लाल करने में लगा था,

रानी - हे बाबा मैं मर जाउन्गि, आह आह ओह बाबा बहुत अच्छा लग रहा है बाबा आह आह बाबा छ्चोड़ दो बाबा मुझे पेशाब लगी है, ओह आ आ

पर सरजू तो जैसे उसकी बात सुन ही नही रहा था, वो तो बस जोर जोर से रानी की चूत चूसने में लगा था, इधर मेरा तो बुरा हाल हो चूका था ये सब देखकर, मैं अब अपने लंड को मुठी में कैद करके उसे मसले जा रहा था, मेरा रोम रोम इस वक्त रोमांचित हो रहा था

रानी (बाबा का मुँह पकड़ कर हटाती हुई) - बाबा छोड़ दो, मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगी है,

सरजू- बेटी यह तुझे पेशाब नही लगी है, उस जहर के निकलने के कारण तुझे ऐसा लग रहा है जैसे तेरा मूत निकलने वाला है, अब अगर ऐसा लगे कि तुझे खूब ज़ोर से पेशाब लगी है तो तू ज़ोर लगा कर यही मेरे मुँह पर कर देना,

रानी (हाफ्ते हुए) - पर बाबा आपके मुँह पर मैं कैसे मुतुँगी

सरजू- पगली मैं कह तो रहा हू, तुझे मूत नही आएगा, बस तेरे जहर निकलने के कारण ऐसा लगेगा कि तुझे पेशाब आ रही है, तब अपनी आँखे बंद करके मेरे मुँह मे ही कर देना बाकी सब मैं सम्भाल लूँगा,

रानी (मस्ती से भरपूर लाल चेहरा किए हुए थोड़ा मुस्कुरा कर) - बाबा अच्छा तो बहुत लग रहा है पर मैं तुम्हारे मुँह मे पेशाब कर दूँगी तो बाद मे मुझे डांटना मत.

सरजू- अरे मेरी प्यारी बिटिया मैं भला तुझे क्यो डाटूंगा, चल अब अपनी चूत अपने दोनो हाथो से फैला कर मेरे मुँह मे रख दे, मैं बचा हुआ जहर भी चूस लू,

उसका इतना कहना था कि रानी ने अपने दोनो हाथो से अपनी चूत की फांको को खूब फैलाकर अपनी रस से भीगी गुलाबी चूत को अपने बाबा के मुँह पर रख दिया और सरजू पागलो की तरह अपनी बेटी की गुलाबी चूत को खूब दबोच-दबोच कर चूसने लगा,

सरजू अपनी बेटी की चूत चूसे जा रहा था और रानी ओह ओह आह बाबा मैं मर जाउन्गी, आह आह कर रही थी

सरजू जब अपनी जीभ को उसकी गुदा से चाटता हुआ उसकी चूत के उठे हुए दाने तक ले गया, तो रानी बुरी तरह अपनी पूरी चूत खोल कर अपने बाबा के मुँह मे रगड़ने लगी, सरजू लपलप अपनी बेटी की रसीली बर को खूब ज़ोर-ज़ोर से पीने लगा

रानी - आह आह ओह बाबा ओह बाबा......... मैं गई मैं आपके मुँह मे मूत दूँगी बाबा ........आह आह

फिर रानी एक दम से अपने पापा के मुँह मे अपनी चूत का सारा वजन रख कर बैठ गयी और गहरी-गहरी साँसे लेने लगी,

कुछ देर तक सरजू और उसकी बेटी साँसे अपनी सांसे सम्भालने लगे और इधर मैं अपने लंड को मुठिया-मुठिया कर लाल कर चूका था पर मेरा पानी अभी नही निकला था,

रानी - बाबा जहर निकल गया कि और भी चूसोगे मेरी चूत को

सरजू- देख बेटी जहर तो निकल गया है पर तेरे अंदर जो दर्द है उसे मिटाना पड़ेगा नही तो यह बाद मे बहुत तकलीफ़ देगा,

रानी (अपने हाथ से अपनी चूत को मसलती हुई) - पर बाबा अब तो दर्द नही हो रहा है,

सरजू - बेटी दर्द ऐसे मालूम नही पड़ेगा देख मैं बताता हू कि तेरे अंदर दर्द भरा है या नही

और फिर सरजू ने अपनी बेटी की चूत को खोल कर उसके अंदर अपनी बीच की सबसे मोटी उंगली डाल कर जैसे ही ककच से दबाया, रानी के पूरे बदन मे एक दर्द की लहर दौड़ गयी और वो अपनी चूत को कसते हुए बोली - आह बाबा बड़ा दर्द है अंदर तो,

सरजू - अपनी उंगली निकाल कर चाटता हुआ, तभी ना कह रहा हू बेटी, इसके अंदर का दर्द अच्छे से साफ करना पड़ेगा, और उसके लिए इसके अंदर कुछ डालना पड़ेगा,

रानी (अपने बाबा को देखती हुई) - क्या डालोगे बाबा

सरजू-बेटी इसमे कुछ डंडे जैसा डालना पड़ेगा तभी इसका दर्द ख़तम होता है,

रानी- बाबा गन्ने जैसा डंडा डालना पड़ेगा क्या

सरजू (मुस्कुराता हुआ) - बेटी गन्ने जैसा ही लेकिन चिकना होना चाहिए नही तो तुझे खरॉच आ जाएगी

रानी- तो फिर क्या डालोगे बाबा

सरजू- जा पहले झोपड़ी मे से तेल की कटोरी उठा कर ला फिर बताता हू क्या डालना पड़ेगा,

रानी तेल लेने के लिए झोपड़ी की तरह आने लगी, मैं फटाक से निचे बैठकर छुप गया ताकि उसे ना दिखूं, इधर बाहर सरजू काका दोबारा अपनी चिलम जलाकर एक शानदार कस मारने लगे

उनकी आँखे पूरी तरह लाल हो चुकी थी, इतनी देर में ही रानी अंदर से तेल की कटोरी उठा लायी, अब सरजू काका अपनी दोनों टाँगे खाट से निचे लटका कर बैठ चुके थे,

सरजू काका (अपनी बेटी को अपनी जाँघ पर बैठा कर) - बेटी मेरे पास जो डंडा है उसे डालने पर बहुत जल्दी तेरा दर्द ख़तम हो जाएगा,

रानी- तो बाबा दिखाओ ना आपका डंडा कहाँ है

सरजू ने अपनी बेटी की तरफ अपनी लाल आँखो से देखा और फिर अपनी धोती हटाकर अपना मोटा काला लंड जैसे ही अपनी बेटी को दिखाया, अपने बाबा का विकराल लंड देख कर रानी के चेहरे का रंग उड़ गया, तभी सरजू ने रानी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया और रानी के हाथो मे अपना लंड थमा दिया,

सरजू- बेटी ऐसे क्या देख रही है पहले कभी किसी का डंडा नही देखा क्या

रानी- अपना थूक गटकते हुए, बाबा देखा तो है पर यह तो बहुत मोटा और लंबा है,

सरजू- बेटी इस डंडे को जितना ज़ोर से हो सके दबा, तभी यह तेरी चूत के अंदर घुस कर तेरा सारा दर्द ख़तम कर देगा,

रानी अपने बाबा का लंड सहलाने लगी, और सरजू अपनी बेटी की कुँवारी गुलाबी चूत को मसलने लगा, रानी की चूत मे खूब चुदास पैदा हो चुकी थी और वो भी अब अपने मनमाने तरीके से अपने बाबा का लंड कभी मसल्ने लगती कभी उसकी चमड़ी को उपर नीचे करके उसके टोपे को अंदर बाहर करती और कभी अपने बाबा के बड़े-बड़े बॉल्स को खूब अपने हथेलियो मे भर कर सहलाने लगती,

इधर रानी को इतना मज़ा आ रहा था कि उसे पता भी नही चला कब उसके बाबा ने अपनी उंगली थुन्क मे भिगो-भिगो कर उसकी चूत मे गहराई तक भरना शुरू कर दिया था,

सरजू- बेटी कभी गन्ना चूसा है कि नही

रानी- हाँ बाबा खूब चूसा है

सरजू - बेटी अपने बाबा का डंडा चूस कर देख गन्ना चूसने से भी ज़्यादा मज़ा आता है

रानी (हस्ते हुए) - क्या इसको भी चूसा जाता है

सरजू- एक बार चूस कर देख फिर बता कैसा लगता है

रानी अपने बाबा की बात सुन कर उसके मोटे लंड को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी, उसके मुँह मे अपने बाबा का मोटा लंड मुश्किल से समा रहा था, वो पहले धीरे-धीरे अपने बाबा का लंड चूसने लगी और फिर जब उसे बहुत अच्छा लगने लगा तो देखते ही देखते अब वो कस कस कर अपने बाबा का लंड चूसने लगी,

रानी के मुंह में उसके बाबा का मोटा लंड सरपट अंदर बाहर होते देख मेरा लंड भी बुरी तरह मचल चूका था, मैं अब जोर जोर से मुठ मारने लगा,

इधर अब रानी ने सरजू काका का लंड चुसना बंद कर दिया

सरजू – बेटी अब इस तेल को मेरे लंड पर अच्छे से मल दे, ताकि ये तेरी चुत में जाकर उसका सारा दर्द दूर कर दे,

रानी भी अब पूरी मस्ती मे आ चुकी थी और वो अपने बाबा के मोटे लंड पर खूब रगड़-रगड़ कर तेल लगाने लगी, जब सरजू का लंड तेल से पूरी तरह भीग गया, तब सरजू अपनी बेटी को खाट पर लेटा कर उसकी दोनो जाँघो को उठा लिया, और अपने लंड को अपनी बेटी की गुलाबी चूत मे लगा कर अपने लंड के टोपे को उसकी चूत के गुलाबी रस से भीगे हुए छेद मे फिराना शुरू कर दिया

सरजू- देख बेटी अब यह जब अंदर घुसेगा तो थोड़ा ज़्यादा दर्द होगा और फिर तुझे एक दम से धीरे-धीरे आराम होने लगेगा, इसलिए ज़्यादा आवाज़ मत करना,

रानी- आप फिकर ना करो, बाबा मैं सब सह लूँगी,

रानी के मुँह से यह बात सुनते ही सरजू ने एक तबीयत से ऐसा झटका मारा कि अपनी बेटी की कुँवारी चूत को फाड़ता हुआ सीधा उसका मोटा लंड आधे से ज़्यादा उसकी चूत मे फस गया और रानी के मुँह से हेय मर गई रे बाबा की ज़ोर से आवाज़ निकल पड़ी

सरजू ने जल्दी से उसका मुँह दबा कर एक दूसरा झटका इतनी ज़ोर से मारा कि उसका पूरा लंड जड़ तक उसकी बेटी की चूत को फाड़ कर पूरा अंदर समा गया और रानी की जोर की चीख निकल गयी, एक बार तो मुझे भी लगा कि उसकी आवाज़ सुनकर कोई इधर ना आ जाये

इधर अब रानी की आँखों में आंसू आ चुके थे, और उसकी चुत से खून की पतली सी धार बहने लगी थी, वो अपनी टाँगे इधर उधर पटक कर छुटने की कोशिश कर रही थी, पर तभी सरजू काका ने उसकी गान्ड के नीचे एक हाथ डाल कर उसे उठा कर अपने सीने से चिपका लिया और धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाते हुए रानी के दूध को दबा-दबा कर उसकी चूत मे झटके मारने लगा

रानी - आह छोड़ दे बाबा ,बहुत दुख रहा है, आह आह ओ बाबा,

सरजू –बेटी, अपने बाबा से खूब कस कर चिपक जा, अब बिल्कुल दर्द नही होगा, अब देखना तुझे कितना मज़ा आएगा,

रानी भी अपने बाबा से पूरी तरह चिपक गई, और सरजू अब कुछ तेज-तेज अपनी बेटी की चूत मे अपने लंड से धक्के मारने लगा, सरजू का लंड अब रानी की चूत मे कुछ चिकनाहट के साथ जाने लगा था, पर उसके लंड को उसकी बेटी की चूत ने बहुत बुरी तरह जकड़ रखा था इसलिए सरजू को अपनी बिटिया रानी को चोदने मे बड़ा मज़ा आ रहा था

उसने रानी की दोनो मोटी जाँघो को थाम कर अब सटासट अपने लंड से पिलाई शुरू कर दी

रानी - आह आह...... ओ ......बाबा आह ......अब ठीक है........ आह आह ओ....... बाबा बहुत अच्छा लग रहा है...... और तेज... मारो बाबा .......तुम बहुत अच्छा मार रहे हो...... थोड़ा तेज मारो बाबा.........

सरजू अपनी बेटी की बात सुन कर उसे खूब हुमच-हुमच कर चोदने लगा था, और इधर मैं जोर जोर से मुठ मारने में लगा पड़ा था,

अब सरजू अपनी बेटी को लिए हुए ही खड़ा हो गया, उसने एक हाथ निचे ले जाकर अपने मोटे लंड को रानी की चूत के गुलाबी छेद पर फिट किया और फिर हुमच हुमच कर उसी अंदाज़ में चोदने लगा, मैं सरजू काका का लंड रानी की चूत में जाते हुए साफ देख पा रहा था, मुझे नही पता था कि कोई इस तरह भी चोदता है, पर ये देखकर मेरे लंड ने अब फुंकारे मारना शुरू कर दिया था,

रानी पूरे आनंद मे अपने बाबा से बंदरिया की तरह चिपकी हुई अपनी चूत मे अपनी औकात से बड़ा और मोटा लंड फसाए हुए मस्त झूला झूल रही थी, करीब 10 मिनट तक सरजू ने अपनी बेटी को अपने लंड पर बैठाकर उसकी चूत मारी

सरजू अपनी बेटी के छोटे छोटे दूध को भी पकड़ कर मसल रहा था,

तभी अचानक रानी का बदन अकड़ने लगा, सरजू काका ने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और देखते ही देखते सरजू काका के लंड से वीर्य की पिचकारी फुट कर अपनी बेटी की चूत को भिगोने लगी, रानी भी अपने बाबा के साथ ही झड चुकी थी, और उन दोनों का पानी रानी की चूत से निकलकर उसकी नंगी जांघो को भिगोने लगा,

मैंने ये नज़ारा देखकर ज्यादा देर टिक ना सका और मेरे लंड ने भी सटासट वीर्य की पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी,

सरजू काका अपने लंड पर उसे बिठाए हुए ही दोबारा खाट पर बैठ गये, और रानी अपने बाबा के लंड पर आराम से अपनी चूत को फसाए हुए बैठी थी,

सरजू अपनी चिलम जला कर फिर से एक तगड़ा काश खीचने लगा,

कुछ देर बाद सरजू ने अपनी बेटी को अपने लंड से उठाया तो उसका लंड रानी की टाइट चूत से पक्क्क की आवाज़ के साथ बाहर निकला,

रानी - आह बाबा.. दर्द तो अभी भी लग रहा है

सरजू (अपनी बेटी के गालो को चूमते हुए) -बिटिया ज़हरीला कीड़ा था न, उसका जहर तो निकल गया पर इस दर्द को पूरी तरह मिटाने के लिए मेरे डंडे से तुझे रोज ऐसे ही अपना दर्द मिटवाना पड़ेगा, तब ही कुछ दिनो बाद बिल्कुल दर्द मिट जाएगा,

रानी (अपने बाबा के मोटे लंड को अपने हाथो मे भर कर दबाते हुए) - बाबा तुम्हारा डंडा तो बहुत मस्त है, मुझे तो बड़ा मज़ा आया, अब तो मैं खुद ही इस डंडे से अपना दर्द रोज मिटवाउन्गि

सरजू (अपनी बेटी की बात सुन कर खुश होता हुआ) - हा बेटी ठीक है पर एक बात ध्यान रखना यह बात किसी को नही बताना अपनी माँ को भी नही, समझी,

रानी- नही बाबा मैं किसी को नही बताउन्गि

सरजू - अच्छा अब जा जाकर झोपड़ी मे थोड़ा आराम कर ले

काका की बात सुनकर रानी धीरे धीरे चलकर झोपडी में आ गई, इधर मैं चुपके से निकलकर वापस सरजू काका के पास आ गया

सरजू काका – क्यूँ समीर बिटवा, कैसन लगी हमरी चुदाई, मजा आया की नाही

मैं – काका, कसम से इतना मज़ा तो जिंदगी भर नही आया मुझे, जितना आज आपकी और रानी की चुदाई देखकर आया है,

सरजू काका – पर ध्यान रहे , ये बात किसी को भी पता ना चले, समझे

मैं – अरे आप चिंता मत करो काका, मैं किसी को ये बात नही बताऊंगा

सरजू काका – ह्म्म्म....

मैं – ठीक है फिर काका, मैं चलता हूँ, माँ इंतज़ार कर रही होगी, वैसे भी काफी देर हो चुकी है,

फिर मैं सरजू काका से विदा लेकर अपने खेत की तरफ चल दिया
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RE: Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है? - by desiaks - 08-02-2020, 12:36 PM

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