RE: Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है?
बापूजी को देखते ही मेरे चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गयी, मैं भागकर बापूजी के गले लिपट गया....
मैं – बापूजी, इस बार आपने आने में इतने दिन कैसे लगा दिए, मैं तो कब से आपकी राह देख रहा था,
बापूजी – कुछ नही बेटा वो तो सवारी को कुछ जरूरी काम आन पड़ा था, इसलिए मजबूरन मुझे भी रुकना पड़ा, पर इस बार पैसे भी अच्छे मिले है, और मैं तुम लोगो के लिए कुछ लेकर भी आया हूँ शहर से,
मैं – “सच में बापूजी” मेरी ख़ुशी का ठिकाना नही था ये सुनकर कि बापूजी हमारे लिए शहर से कुछ लेकर आये है....
बापूजी – पहले अंदर तो चलो, फिर दिखता हूँ सबको...
मैं और बापूजी अंदर आ गये, तब तक दीदी भी कपडे चेंज कर चुकी थी, बापूजी को देखते ही दीदी भी उनसे आकर गले मिली....
मैं – दीदी, पता है बापूजी हमारे लिए शहर से कुछ लेकर आये है इस बार...
नीलू दीदी – सच में ...जल्दी दिखाओ ना बाबा....
बापूजी – रुको बेटा, पहले तुम्हारी माँ को तो बुला लो... तब तक मैं भी हाथ मुंह धो लेता हूँ...
मैं – पर बापूजी माँ तो ताईजी के यहाँ गयी है....
बापूजी – ठीक है तो तुम जाकर बुला लाओ उसे,
बापूजी की बात सुनकर मैं जल्दी से खड़ा हुआ और सीधा ताईजी के घर की तरफ दौड़ पड़ा, मैं चाहता था कि जल्द से जल्द माँ को बुला लाऊं, ताकि मैं देख सकूं कि बापूजी मेरे लिए क्या लेकर आये है शहर से...
2 मिनट में ही मैं ताईजी के घर के सामने पहुंच चूका था, मैंने दरवाज़ा खोलने की कोशिश की पर आज भी ताईजी का घर अंदर से बंद था, मुझे बड़ा अजीब लगा, अभी मैं दरवाजे पर दस्तक देने ही वाला था कि तभी मेरे कानो में एक हलकी सी सिसकारी की आवाज़ पड़ी......मैं बिलकुल चोंक गया....
सिस्कारियो की आवाज़ सरला ताई के कमरे से आ रही थी, जिसमे उस दिन मैंने सरला ताई के भाई और उनकी चुदाई देखी थी, और अब तक तो मैं भी इतना समझ चूका था कि ऐसी आवाज़े चुदाई के दौरान आती है, पर सवाल ये था कि सरला ताई किसके साथ चुदाई कर रही है...
“क्या सरला ताई फिर से अपने भाई के साथ......... पर उनका भाई तो कल ही वापस अपने घर जा चूका है....... फिर वो किसके साथ....... कहीं रामू ताउजी.......नही पर वो तो लाला की दुकान पर ही होंगे अभी तो.....राजू भैया और चंदा भी आज खेत में ही रुकने वाले है रात को फसल में पानी देने के लिए..... तो फिर कौन हो सकता है.” मैं समझ नही पा रहा था कि सरला ताई आखिर किसके साथ चुदाई कर रही है..........
आखिरकार मैंने फैसला लिया कि उस दिन की तरह ही मुझे इस नीम के सहारे चढ़कर अंदर जाना चाहिए पर दिल के एक कोने में डर भी था क्यूंकि पिछली बार भी सुमेर ने मुझे लगभग देख ही लिया था, वो तो मेरी किस्मत अच्छी थी कि मैं बच गया, वरना सहमत आ जाती
दिमाग कह रहा था कि रहने दे, अंदर जाना खतरे से खाली नही है, अगर पकड़ा गया तो गांड ठुकाई हो जायेगी... पर दिल कह रहा था कि चल अंदर चलकर दोबारा एक बार चुदाई का मस्त नज़ारा देखते है.....
दिमाग और दिल की इस अजीब उहापोह में मैं फंसा हुआ था, पर आखिरकार जीत दिल की हुई, हवस ने मेरे डर पर काबू कर लिया, और मैंने ठान लिया कि अब तो सरला ताई की चुदाई देखनी ही पड़ेगी...
मैं अब दबे पांव एक चोर की तरह नीम पर चढ़ने लगा, और कुछ ही देर में मैं अब नीम के सहारे चढ़कर उनके घर की छत पर पहुंच गया, मुझे पता था कि ताई के कमरे का रोशन दान सीढियों पर है, जहाँ से मैंने पिछली बार भी उनकी चुदाई का नज़ारा देखा था...
मैं धीरे धीरे सीढियां उतरता हुआ उस रोशनदान की तरफ बढ़ने लगा, मेरे दिल की धडकन तेज़ हो चुकी थी, एक अनजाना सा डर मुझ पर हावी हो रहा था, माथे पर पसीने की बूंदे भी चमकने लगी थी... मन कर रहा था कि रहने देते है अगर पकड़े गए तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी...
पर तभी अचानक एक जोर की सिसकारी मेरे कानो में पड़ी.....और मेरी हवस ने दोबारा डर को काबू में कर लिया... अब मैं दबे पांव धीरे धीरे चलता हुआ बिलकुल रोशन दान के करीब पहुँच गया...
अब मैं होले होले अंदर झाँकने लगा, कमरे में थोडा सा अँधेरा था, पर मेरी आँखे सरला ताई को ढूँढना शुरू कर चुकी थी,
पर जैसे ही मैंने अंदर झांक कर देखा मेरे होश ही उड़ गये.... मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मुझे किसी ने जोर का बिजली का झटका दे दिया हो, पांव कांपने लगे, माथे पर पसीना आ गया, शरीर बिलकुल गरमा गया....
मुझे यकीन नही हो रहा था कि जो मैं अंदर देख रहा हूँ वो हकीकत है या कोई सपना.... अंदर चारपाई पर सरला ताई बिलकुल नंगी लेटी हुई थी और मेरी अम्मा सरला ताई की चूत चाटे जा रही थी, मुझे तो समझ ही नही आ रहा था कि ये हो क्या रहा है..... एक ओरत कैसे दूसरी ओरत के साथ....
मेरी नज़रे अभी भी अंदर गडी हुई थी... सरला ताई का नंगा बदन मेरी आँखों के सामने चमक रहा था पर गनीमत थी कि कम से कम मेरी माँ ने पुरे कपडे पहन रखे थे, पर मेरी अम्मा एक कुतिया की तरह सरला ताई की चूत के अंदर अपनी जीभ घुसा घुसा के चाट रही थी....
तभी अचानक सरला ताई थोड़ी सी बैठी और फिर पलट कर घोड़ी बन गयी.... मेरी आँखों के सामने उनकी बिलकुल नंगी चुत दिखाई दे रही थी...
इस क्षण मुझे लग रहा था जैसे मेरा लण्ड पानी फेंक देगा, मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू, मैंने आज तक ऐसा नज़ारा कभी नहीं देखा, मेरा 9 इंच लम्बा लोडा अब बुरी तरह फुंकार रहा था, लंड की नसे फटने को तैयार पड़ी थी
सरला ताई की लपलपाती फूली सी चूत वाकई जानलेवा नज़र आ रही थी, और तभी मेरी अम्मा ने दोबारा उनकी चूत को अपने होठो से चुसना शुरू कर दिया, आज के दिन में मैंने इतना कुछ देख लिया था कि.... सबसे पहले सरजू काका को उनकी बेटी रानी के साथ चुदाई करते हुए, फिर मेरी नीलू दीदी को नंगा नहाते हुए, और अब सरला ताई की नंगी चूत को मेरी माँ के द्वारा चाटते हुए..........
मैं अभी देख ही रहा था कि अचानक जैसे सरला ताई का जिस्म अकड़ने लगा, उनकी जांघे भिचने लगी, अगले ही पल उनकी चूत से ढेर सारा पानी निकलने लगा, और मेरी अम्मा उस पानी को नारियल पानी की तरह चाट रही थी..... ये नज़ारा देखकर मुझे लगा कि मेरा भी पानी निकल जायेगा.. पर यहाँ ऐसा करना खतरे से खाली नही था, इसलिए मैंने खुद पर कण्ट्रोल रखा
कुछ पलो में ही खुद पर काबू करके मैं दोबारा अंदर झाँकने लगा था, अब दोनों ओरते बिस्तर पर सीधी लेटी थी...और लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी....
सरला ताई – वाह सुधिया, तेरी जीभ सच में कमाल की है रे, जब भी अंदर जाती है, ढेर सारा पानी निकाल कर ही बाहर निकलती है... पर चल अब मैं तुझे अपनी जीभ का कमाल दिखाती हूँ..
सुधिया – नही सरला, आज तो काफी वक्त हो चूका है, इसलिए आज नही फिर कभी...
सरला ताई – चल कोई नही, पर यार तू बड़ी कमाल की है रे, क्या मस्त चुसाई करती है.... मुझे तो जन्नत की सैर करवा दी तूने..
सुधिया – कहाँ सरला, जन्नत की सैर तो तभी होती है जब एक बड़ा सा मुसल लंड चूत में घुसकर उसकी धज्जियाँ उडाता है.....
अम्मा के मुंह से ऐसी बात सुनकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा,
सरला ताई – हाँ री, बात तो तेरी 100 टका सही है, पर हम कर भी क्या सकते है, एक तो मेरा मर्द वैसे ही 4 इंच की छोटी सी लुल्ली लेकर घुमत है और उपर से अब तो वो भी अंदर लिए हुए 2 साल होने को आ गये है, सचमुच बड़े ही बेदर्द है हमरे मर्द
सुधिया – सही कह रही है सरला, समीर के बापू भी महीने में कोई 2-3 दिन ही घर आवत है, और उन दिनों में भी कुछ नही करते है.... मैं तो मन मारकर ही रह जाती हूँ.. पर अब करे भी का करे... लगता है अब तो आदत सी हो गयी है.... 3 साल होने को आये... उन्होंने पिछले 3 साल से अपना वो छोटा सा लंड भी मेरी चुत में नही डाला है...
सरला – हाँ सुधिया, कभी कभी तो लगता है कि राजू के बापू को बोल दूँ कि मेरी चुदाई कर दो, पर फिर शर्म ऐसी चीज़ है कि कहे भी तो कैसे कहे...
सुधिया – सही कहा सरला, पर लगता है अब तो यही हमारी ज़िन्दगी बन चुकी है, घुट घुट कर बिना लंड के जीना
सरला – पर तू चिंता क्यों करती हैं, अगर हमारे मर्द हमारा ख्याल नही रखते तो क्या हुआ, हम एक दुसरे का ख्याल रख लेंगे, और वैसे सुमेर तो है ही..
सुधिया – सुमेर के साथ तो तुम ही चुदाई करो, मुझे उसके साथ कुछ नही करना, वैसे भी दिन भर नशा ही करता रहता है, कहीं कुछ मुंह से निकल गया तो जीना मुश्किल हो जायेगा...
सरला – अरे पर तू चिंता काहे करती है, अब मुझे देख मैं भी तो उससे साल में 4-5 बार चुद ही लेती हूँ, पर आज तक किसी को पता नही चला..... तो मेरी मान एक बार तू भी अपनी चूत में उसका लंड लेले.... कम से कम एक बार के लिए थोड़ी ख़ुशी तो मिलेगी...
सुधिया – पर तू तो कहती है कि उसका लंड तो अब बड़ी मुश्किल से खड़ा होता है.. तो वो चुदाई क्या खाक करेगा..
सरला – हाँ ये तो है, नशे की वजह से अब तो उसका लंड खड़ा ही नही होता, बड़ी मुश्किल से खड़ा किया था अभी परसों...
सुधिया – हाँ वो तो मुझे पता चल ही गया था कि सुमेर आया है तो पक्का एक बार तो चुदाई कर ही लेगी तू...
सरला – यार सुधिया, मेरे दिमाग में एक तरकीब है, जिससे हमारी ये अकेलेपन की समस्या दूर हो सकती है, पर तू बुरा मत मानना
सुधिया – मैं जानती हूँ कि तू क्या कहने वाली है, पर मैं किसी अनजान मर्द से चुदाई नही करने वाली, चाहे मेरी चूत प्यासी ही पड़ी रहे
सरला – हाँ हाँ मैं जानती हूँ तू नही करेगी किसी अनजान मर्द के साथ... पर अगर हम उस मर्द के साथ चुदाई करे जिसे हम जानते है, तो ....
सुधिया – क्या... पर पर कौन ...
सरला – देख सुधिया अब मैं जो कहने वाली हूँ उसे बहुत ध्यान से सुनना, और बुरा मत मानना....
सुधिया – ठीक है, पर तू बता तो सही कि ऐसा कोनसा मर्द है जिससे हम चुदाई कर सकते है.....
मैं वहा सीढ़ियों में खड़ा सोच रहा था कि आखिर ताई किसकी बात कर रही है....
सरला - वो मर्द कोई और नही बल्कि.......बल्कि..
सुधिया – अरे बता ना कौन है वो...
सरला – वो कोई और नही बल्कि तेरा बेटा समीर है...
ताई की बात सुनकर तो जैसे मुझे चक्कर सा आ गया......मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे किसी ने जोर से कस के थप्पड़ मार दिया और मैं वहीँ सुन्न सा हो गया हूँ.... और शायद यहीं हालत अम्मा की भी थी..
सुधिया – सरला, तू पागल तो नही हो गयी है.....कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है.. कहीं कोई नशा वशा तो नही कर लिया.....
सरला - नही सुधिया, देख तू मेरी बात तो सुन....
सुधिया – नही नही सरला, पागल मत बन, भला एक माँ अपने बेटे के साथ... छि छि मुझे तो सोचते हुए भी शर्म आ रही है.....
सरला – इसमें शर्म कैसी... वैसे भी समीर तेरा कौनसा सगा बेटा है.... वो तेरे पेट से थोड़े ही ना निकला है.....
सुधिया- नही नही सुधिया..... मैं तो अपने बेटे के साथ ऐसा नही कर सकती.....और वैसे भी वो अभी बच्चा है..
सरला – अरे कहाँ से बच्चा लग रहा है वो तुझे.... एक ओरत की नज़र से देखेगी तो मस्त लंड नज़र आएगा तुझे....
सुधिया – नही नही सरला, मैं ऐसा नही कर सकती....... अगर तुझे आग लगी पड़ी है तो अपने बेटे राजू के साथ कर ले ना....
सरला – अब तुझे क्या बताऊ... सच तो ये है कि मैं तो राजू के साथ ही ये करना चाह रही थी ताकि घर की बात घर में ही रहे... पर
सुधिया – पर क्या...
सरला – राजू भी अपने बाप पर गया है.... उसका लंड तो मुश्किल से तीन साढ़े तीन इंच होगा...
सुधिया – अरे कमीनी, तूने अपने बेटे का लंड भी देख लिया, कब देखा कहाँ देखा...
सरला – वो खेत में एक दिन मैं दोपहर को गयी थी खाना लेकर, तब झाड़ियो के पीछे राजू मुठ मार रहा था, और उसका लंड बहुत छोटा है, लगता है इनके पुरे खानदान में ही छोटे लंड की परम्परा है,
सुधिया – हाँ वो तो है, समीर के बापू का भी मुश्किल से चार साढ़े चार इंच का है...
सरला – तभी तो मैं कह रही हूँ... क्यूँ ना समीर के साथ ही हम दोनों अपनी चुत की खुजली मिटा ले, क्या पता उसका लंड बाकियों से थोडा सा बड़ा हो
सुधिया – पर समीर तो अभी बच्चा है, उसका भी इनके बराबर ही होगा...
सरला – पर अगर वो थोडा बड़ा हुआ तो अपना काम चल जाएगा...
इधर मैं खड़ा सोच रहा था कि अगर इनको पता चला कि मेरा लंड तो साढ़े आठ इंच लम्बा है तो इनका क्या होगा...
सुधिया – नही सरला, मैं ये नही कर पाउंगी......
सरला – चल ठीक है, तू मत कर, पर मुझे तो करने देगी ना
सुधिया – वो....मैं... चल ठीक है, अगर तू चाहती है तो कर लेना... पर तुझे पता कैसे चलेगा कि उसका लंड भी छोटा तो नही है
सरला – इसमें तुझे मेरी मदद करनी होगी..
सुधिया – मुझे ..पर कैसे
सरला – देख सुधिया, तू उसके साथ रहती है, ना की मैं.... इसलिए तेरे लिए ये पता करना ज्यादा आसान है, कि उसका लंड मेरे जैसी खेली खाई ओरत को संतुस्ट कर सकता है या नही
सुधिया – पर अगर उसका लंड भी छोटा हुआ तो..
सरला – तो... हम समझ लेंगे कि हमारी किस्मत में अब चुदाई का सुख नही है....
सुधिया – चल ठीक है.. तेरे लिए मैं ये भी कर दूंगी.... पर मैं अपने बेटे के साथ कुछ नही करूंगी... याद रखना...
सरला – हाँ ठीक है....
मैं तो ये सोच कर ही उत्तेजित हो गया कि मेरी अम्मा मेरा लंड देखने की कोशिश करेगी..
सुधिया – चल तो ठीक है, अब मैं घर जाती हूँ..... काफी समय हो चूका है...
मैं भी अम्मा की बात सुनकर सीढ़ियों से दोडा और नीम से निचे उतरकर थोडा बाहर की तरफ आ गया.. और वापस ताई के घर की तरफ जाने का नाटक करने लगा...
तभी सामने से अम्मा आती हुई दिखाई दी.. मैंने अम्मा को आज तक इस नज़र से नही देखा था जैसे कि अभी देख रहा था... अम्मा वाकई काफी खुबसूरत दिखती थी..... कितनी गोरी थी.....भरा भरा बदन... मस्त बलखाती चूचियां, सांचे में ढली हुई कमर, भारी सी गांड, कुल मिलाकर बेहद जानलेवा बदन था अम्मा का
मैं सोच ही रहा था कि तभी अम्मा मेरे पास आ गयी.....
सुधिया – अरे समीर बेटा, तुम यहाँ क्या कर रहे हो...
मैं – अ...अम्मा वो बापूजी घर आ गये है..... इसलिए आपको बुलाने आया था..
सुधिया – अच्छा.. चल फिर जल्दी चल..
और फिर मैं और अम्मा वापस घर की तरफ चल पड़े....
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