Desi Porn Kahani नाइट क्लब
08-02-2020, 12:58 PM,
#66
RE: Desi Porn Kahani नाइट क्लब
मेरे शरीर में अद्तीय फुर्ती समां गयी।
मैंने दौड़कर दरवाजा खोला।
जब तक दरवाजा खोला- तब तक एक बार और डोरबेल चीख उठी थी।
सामने डॉक्टर अय्यर ही खड़ा था।
बारिश से बचने के लिए वो टखनों तक लम्बा रेनकोट पहने हुए था और सिर पर काले रंग का फेल्ट कैप लगाये था। पैरों में गम बूट थे। अलबत्ता फेल्ट कैप वो अपने चेहरे पर झुकाये हुए था। एकाएक मैं उसे पहचान न सकी। जब उसने कैप सिर से उतारा, तब मैं उसे पहचानी कि वो डॉक्टर अय्यर था।
“सॉरी मैडम!” वो खेदपूर्ण लहजे में बोला—”मैं पन्द्रह मिनट लेट हूं।”
“पन्द्रह नहीं- बीस मिनट।”
“ओह!” वह मुस्कराया—”शायद पांच मिनट मुझे नीचे से पैंथ हाउस तक आने में लग गये हैं। दरअसल इतनी देर भी मूसलाधार बारिश के कारण हो गयी। सड़क पर कई जगह घुटनों—घुटनों तक पानी भरा हुआ है, इसी कारण वाहनों के आवागमन में दिक्कत हो रही है।”
“कोई बात नहीं।” मैं दरवाजा छोड़कर एक तरफ हटी—”अंदर आओ।”
डॉक्टर अय्यर ने अंदर कदम रखा।
अंदर आते ही उसने अपना फेल्ट कैप हैंगर पर लटका दिया। फिर बारिश के पानी में बुरी तरह भीगा हुआ रेनकोट भी उतारकर उसी हैंगर पर लटकाया।
“बारिश भी आज काफी तेज है।” वह अपने जूते झाड़ता हुआ बोला—”ऐसा लगता है, जैसे सारी रात पानी बरसेगा। तिलक साहब कहां हैं?”
“वह अंदर तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहे हैं।”
तब तक मैंने आगे बढ़कर पैंथ हाउस का मेन गेट वापस बंद कर दिया था।
“मेरे साथ आओ।” मैं अंदर की तरफ बढ़ी।
डॉक्टर अय्यर मेरे पीछे—पीछे चल पड़ा।
मैं सबसे अंदरूनी कमरे की तरफ बढ़ रही थी।
“क्या तिलक साहब अंदर हैं?”
“हां।”
“बड़े आश्चर्य की बात है ऐन्ना! पहले तो कभी मैंने उन्हें पैंथ आउस में इतना अंदर नहीं देखा था।”
“दरअसल जो सौदा आज रात होने वाला है,” मैं बोली—”उस सौदे को करने के लिए ही उन्होंने खासतौर पर उस कमरे का चयन किया है।”
डॉक्टर अय्यर के चेहरे पर कौतुहलता के भाव उभरे।
“सौदे को करने के लिए किसी खास कमरे का चयन करने की क्या जरूरत थी?”
“यह तो तुम्हें वहां पहुंचने के बाद ही मालूम होगा।”
•••
जल्द ही डॉक्टर अय्यर और मैं उस ‘सत्तर नम्बर’ कमरे में दाखिल हो गये।
उस पूरे कमरे में सिर्फ तीन कुर्सियां पड़ी हुई थीं और उन कुर्सियों के बीच में एक गोल टेबिल पड़ी थी। एक कुर्सी पर तिलक राजकोटिया विराजमान था।
न जाने क्यों कमरे में दाखिल होते ही डॉक्टर अय्यर के चेहरे पर संशय के भाव उभरे।
“वेलकम डॉक्टर- वेलकम!” तिलक राजकोटिया कुर्सी छोड़कर खड़ा हुआ—”काफी देर इंतजार कराया।”
“सॉरी! मुझे मालूम नहीं था- आप लोग इतनी बेसब्री से मेरा इंतजार कर रहे हैं।”
डॉक्टर अय्यर व्यग्र निगाहों से इधर—उधर देखने लगा।
कमरा का माहौल उसे काफी संदेहजनक लगा।
“तुम्हें किसी ने ऊपर आते देखा तो नहीं?”
“नहीं- मैं काफी ऐहतियात के साथ आया हूं ऐन्ना!” डॉक्टर अय्यर बोला—”वैसे भी मूसलाधार बारिश के कारण पूरे होटल में सन्नाटा है।”
“गार्ड्स ने तो जरूर देखा होगा?”
“मालूम नहीं।”
तिलक चहलकदमी—सी करता हुआ अब डॉक्टर अय्यर के काफी नजदीक आ चुका था।
“मैंने यहां तक आने में पूरी ऐहतियात बरती है ऐन्ना!” डॉक्टर अय्यर कह रहा था—”यहां तक कि अपनी कार भी होटल की पार्किंग में खड़ी नहीं की।”
“क्यों?”
“क्योंकि अगर मैं अपनी कार होटल की पार्किंग में खड़ी करता,” वह बोला—”तो वहां के गार्ड की निगाह में न आ जाता ऐन्ना! इसलिए मैं जानबूझकर अपनी कार पार्किंग से थोड़ा अलग हटकर एक इमारत के सामने खड़ी कर आया हूं। वैसे भी मैंने यहां कोई तीन—चार घण्टे थोड़े ही रुकना है।”
“वैरी गुड।” मैं प्रसन्नतापूर्वक बोली—”सचमुच तुमने काफी बुद्धिमानी का परिचय दिया है डॉक्टर!”
“बैठो।” तिलक बोला।
“नहीं- मैं ऐसे ही ठीक हूं।” डॉक्टर ने पुनः थोड़े विचलित अंदाज में कहा—”दरअसल आप लोगों ने सौदे के बारे में जो भी बात करनी है, थोड़ा जल्दी कर लो।”
“सौदे के बारे में भी बात करते हैं, शिनाया!” तिलक एकाएक सीधे मुझसे सम्बोधित हुआ—“ज़रा कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लो।”
“द... दरवाजा बंद करने की क्या जरूरत है?” डॉक्टर अय्यर सकपकाया।
“अभी मालूम हुआ जाता है- क्या जरूरत है।”
तिलक का हाथ बड़ी तेजी से अपनी जेब की तरफ रेंगा।
फिर इससे पहले कि उसका हाथ जेब से बाहर निकलता, डॉक्टर अय्यर खतरा भांप गया।
वह एकदम मुड़ा और कमान से छूटे तीर की भांति दरवाजे की तरफ भागा।
दरवाजे पर ऐसे ही किसी हालात का सामना करने के लिए मैं खड़ी थी।
अलबत्ता तब तक मैं दरवाजा बंद नहीं कर पायी थी।
मैंने फौरन बिजली जैसी फुर्ती के साथ वहीं एक कोने में रखी लोहे की रॉड उठा ली। फिर डॉक्टर अय्यर जैसे ही दरवाजे के नजदीक पहुंचा, मैंने अपनी पूरी शक्ति के साथ रॉड का वज्र प्रहार उसके ऊपर किया।
रॉड सीधे उसके मुंह पर पड़ी।
डॉक्टर अय्यर बिल्कुल इस तरह बिलबिला उठा, मानों कुत्ते की पूंछ किसी पहिये के नीचे आ गयी हो।
वह दहाड़ता हुआ नीचे फर्श पर गिरा।
वह सम्भलता- उससे पहले ही मैंने एक जोरदार ठोकर उसके पेट में जड़ी।
उसी क्षण तिलक ने उसे गले से कसकर पकड़ लिया तथा फिर झटके से उठाकर कुर्सी पर बिठाया। इतना ही नहीं, फौरन उसकी तरफ अपनी स्मिथ एण्ड वैसन रिवॉल्वर भी तान दी।
रिवॉल्वर देखकर डॉक्टर अय्यर के शरीर में भीषण प्रकम्पन्न हुआ।
“अगर जरा भी हिले!” तिलक राजकोटिया आक्रोश में बोला—”तो गोली सीधे तुम्हारी खोपड़ी के आर—पार होगी- अभी इसी कुर्सी पर तुम्हारी लाश पड़ी होगी।”
डॉक्टर अय्यर आतंकित हो उठा।
“शिनाया इसकी तलाशी लो।”
मैंने फौरन आगे बढ़कर डॉक्टर अय्यर की तलाशी ली।
उसके पास से एक देसी पिस्तौल बरामद हुई, जो पेण्ट की बेल्ट में अंदर की तरफ खुंसी हुई थी।
अपनी पिस्तौल भी छिनते देखकर अय्यर के कस—बल बिल्कुल ढीले पड़ गये।
उसके चेहरे की रंगत सफेद हो गयी।
•••
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RE: Desi Porn Kahani नाइट क्लब - by desiaks - 08-02-2020, 12:58 PM

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