Thriller विक्षिप्त हत्यारा
राम ललवानी ने फिर जोर का अट्टहास किया और अपने भाई की ओर देखा । तत्काल उसकी हंसी में मानो ब्रेक लग गया ।
मुकुल के चेहरे का रंग उड़ गया था और उसके माथे पर पसीने की बूंद चुहचुहाने लगी थीं । उसके होंठ कांप रहे थे और उसके चेहरे के भावों से ऐसा लगता था जैसे वह अभी रो पड़ेगा ।
"तुम्हें क्या हुआ है ?" - राम ललवानी ने तीव्र स्वर में पूछा ।
मुकुल ने उत्तर नहीं दिया ।
"तुम्हारे भाई की वर्तमान हालत ही यह साबित करने के लिये काफी है कि इसने सोहन लाल ही हत्या की है ।" - सुनील बोला ।
"तुम पागल हो । मुकुल सोहन लाल की हत्या नहीं कर सकता । हम दोनों को सोहन लाल की स्टेटमेंट के बारे में मालूम था । उस स्टेटमेंट की वजह से ही सोहन लाल आज तक जिन्दा था ।"
"इन बातों से इस हकीकत में कोई फर्क नहीं पड़ता कि सोहन लाल की हत्या इसी ने की है ।"
"क्यों ?"
"क्योंकि मेरे एक ऐक्शन ने इसे मजबूर कर दिया था । मेरे कहने पर फ्लोरी नाम की फोटोग्राफर ने मैड हाउस में मुकुल की तस्वीर खींच ली थी । पन्द्रह मिनट में उसने मुकुल की तस्वीर के दो प्रिंट तैयार कर दिये थे और मुझे मैड हाउस में ही सौंप दिये थे । मुकुल ने पता नहीं मुझे क्या समझा लेकिन यह इस विचार से घबरा गया कि किसी ने इसकी तस्वीर खींची थी । उसने शायद यही समझा कि कोई उसकी पिछली जिन्दगी के बारे में जान गया था और अब उसकी तस्वीर की सहायता से उसका सम्बन्ध उस मनोहर ललवानी से जोड़े जाने की कोशिश की जा रही थी जो पुलिस की निगाहों में पांच साल पहले बान्द्रा पुल पर हुई मुठभेड़ में मारा जा चुका है । मुकुल ने सोहन लाल को मेरे पीछे लगा दिया । सोहन लाल ने अपने साथियों के साथ मेरे फ्लैट तक मेरा पीछा किया और फिर वहां मेरी मरम्मत करके मुझ से मुकुल की तस्वीर छीन ली लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि फ्लोरी ने मुझे तस्वीर के दो प्रिन्ट दिये थे जिनमें से एक मैं पहले ही तफ्तीश के लिये बम्बई रवाना कर चुका था और जिसके बारे में मेरी निरंतर निगरानी करते रहने के बावजूद सोहन लाल को खबर नहीं हुई थी ।"
दूसरी तस्वीर का जिक्र सुनते ही मुकुल के मुंह से सिसकारी निकल गई ।
"अगले दिन तक मैंने किसी प्रकार सोहन लाल के घर का पता जान लिया । मैं सोहन लाल पर चढ दौड़ा । मैं उसे रिवाल्वर से धमका कर यह जानना चाहता था कि वह किस के लिए काम कर रहा था लेकिन इसकी नौबत ही न आई । मुकुल वहां पहले से ही मौजूद था । वह किवाड़ के पीछे था और मेरी निगाह केवल सामने खड़े सोहन लाल पर थी इसलिये मैं मुकुल को नहीं देख सका था । मुकुल ने मुझे देखा तो यह और भी भयभीत हो गया । इसे आशा नहीं थी कि मैं इतने आसानी से सोहन लाल का पता जान लूंगा और फिर उस चढ दौड़ने की हिम्मत करूंगा । इसी हड़बडाहट में इसके दिमाग में एक स्कीम उभरी और इसने उस पर अमल कर डाला । इसने मेरे सोहन लाल के कमरे में प्रविष्ट होते ही मेरे सिर के पृष्ठ भाग में किसी भारी चीज का प्रहार किया । मैं बेहोश होकर गिर पड़ा । इसने मुझे घसीटकर दूसरे कमरे में डाल दिया । इसने मेरी रिवाल्वर उठाई और सोहन लाल का मुंह बन्द रखने के इरादे से उसे शूट कर दिया ।"
"सोहन लाल को क्यों ? तुम्हें क्यों नहीं जबकि इसे यह मालूम था कि अगर सोहन लाल मर गया तो उसकी स्टेटमेंट अपने आप पुलिस तक पहुंच जायेगी और फिर हम दोनों ही मुसीबत में पड़ जायेंगे ।"
"यह सवाल तुम अपने भाई से ही क्यों नहीं करते ?"
राम ललवानी ने कठोर नेत्रों से मुकुल को देखा ।
"वह... वह उस समय..." - मुकुल हकलाता हुआ बोला - "उस समय स्थिति मुझे ऐसी लगी थी कि अगर सोहन लाल की हत्या हो जाती तो इल्जाम इस आदमी पर ही आता क्योंकि रिवाल्वर इसकी थी और यह उसके फ्लैट पर अच्छी नीयत से नहीं आया था ।"
"गधे !" - राम ललवानी गुर्राकर बोला - "तुम सोहन लाल की स्टेटमेंट को कैसे भूल गये ?"
मुकुल कुछ क्षण कसमसाया और फिर फट पड़ा - "क्यों कि मुझे इस स्टेटमेंट पर कभी विश्वास नहीं हुआ था । मेरी निगाह में वह सोहन लाल की कोरी धमकी थी ताकि हम उसका मुंह बन्द करने के लिये उसको हत्या न कर दें । राम, सोहन लाल हमें बरसों से ब्लैकमेल कर रहा था और मुझे यह बात एक क्षण के लिये भी पसन्द नहीं आई थी । मैं सोहन लाल की जुबान स्थायी रूप से बन्द करना चाहता था । उस दिन मुझे मौका दिखाई दिया और मैंने ऐसा कर दिया ।"
"तुमने मुझे क्यों नहीं बताया ?" - राम ललवानी फुंफकारा ।
"इसलिये क्योंकि तुम फिर मुझे जलील करते । हमेशा की तरह मुझ पर जाहिर करते कि मैं गधा हूं, मुझ में धेले की अक्ल नहीं है, वगैरह ।"
राम ललवानी बेबसी से दांत पीसता हुआ मुकुल की ओर देखता रहा और फिर धीरे से बोला - "कमीने, सोहन लाल की स्टेटमेंट की बात सच्ची थी । तुमने अभी सुनील को कहते सुना है कि उसने स्टेटमेंट की कापी देखी थी ।"
"फिर भी कोई फर्क नहीं पड़ता ।" - मुकुल नर्वस भाव से बोला - "जब तक स्टेटमेंट पुलिस तक पहुंचेगी और पुलिस उस पर कोई एक्शन लेगी, तब तक मैं यहां से गायब हो चुका होऊंगा ।"
"अभी तक हुए क्यों नहीं ?" - सुनील ने पूछा ।
"क्योंकि मुझे दो काम और करने थे । एक मुझे बिन्दु को अपने साथ ले जाना था" - वह रेडियोग्राम के सामने बैठी बिन्दु की ओर संकेत करता हुआ बोला - "मैं पच्चीस लाख रुपया अपने पीछे छोड़कर नहीं जा सकता था ।"
"लेकिन बिन्दु नाबालिग है । अट्ठारह साल की उम्र से पहले उसे एक धेला नहीं मिल सकता ।"
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