Thriller विक्षिप्त हत्यारा
राम ललवानी सुनील की ओर घूमा और गम्भीर स्वर से बोला - "तुमने यहां आकर खुद अपनी मौत को दावत दी है, मिस्टर । पूरन सिंह अभी तुम्हें शूट कर देगा । उसके बाद मैं पुलिस को फोन कर दूंगा कि मेरे घर में कोई चोर घुस आया है और उसको मेरे नौकर ने शूट कर दिया है ।"
"गुले गुलजार ।" - सुनील मुस्कराकर बोला - "जब तक तुम्हारा छोटा भाई मनोहर ललवानी उर्फ मुकुल इस इमारत में मौजूद है, तब तक तुम ऐसा नहीं कर सकते ।"
"क्यों ?"
"क्योंकि पुलिस को इसकी तलाश है, अगर पुलिस इसकी मौजूदगी में यहां आई तो इसका पुलन्दा बन्ध जायेगा ।"
"पुलिस को इसकी तलाश क्यों है ?"
"एक वजह हो तो बताऊं । पुलिस को पांच साल पहले बम्बई में हुई तीन हत्याओं की वजह से इसकी तलाश है । मरने वाली तीन लड़कियों में आखिरी तुम्हारी, इसकी और सोहन लाल की साझी माशूक गीगी ओब्रायन थी । राजनगर में उसी ढंग से हुई फ्लोरी नाम की लड़की की ताजी-ताजी हत्या के लिये भी पुलिस इसे तलाश कर रही है और फिर यह इस नाबालिग लड़की को भी तो भगा कर लाया है ।" - सुनील बिन्दु की ओर संकेत करता हुआ बोला ।
"तुम पागल हो । मुकुल का इन हत्याओं से कोई वास्ता नहीं है और बिन्दु अपनी मर्जी से यहां आई है ।" - राम ललवानी बोला ।
"नाबालिग लड़की की अपनी कोई मर्जी नहीं होती । कानून की निगाह में उसे हमेशा बरगलाया ही जाता है । और तुम्हारी जानकारी के लिये मैं आज ही तुम्हारे ससुर से मिला था । गीगी ओब्रायन की हत्या के संदर्भ में उसने मुझे एक बहुत शानदार कहानी सुनाई थी । राम ललवानी, तुम्हारी जानकारी के लिये अब तुम्हारा ससुर सेठ मंगत राम भी जातना है कि गीगी ओब्रायन की हत्या के इल्जाम में सुनीता को खामखाह फंसाकर तुमने उसके साथ कितना बड़ा फ्रॉड किया है !"
"बूढे का शायद दिमाग खराब हो गया है ।"
मुकुल एकाएक बेहद उत्तजित दिखाई देने लगा । उसने राम ललवानी की बांह थामी और कम्पित स्वर में बोला - "राम ! यह आदमी..."
"थोड़ी देर चुप रहो ।" - राम ललवानी कर्कश स्वर में बोला । उसने एक झटके से अपनी बांह छुड़ा ली ।
"यह बात तुम्हें कैसे मालूम है ?" - उसने सुनील से पूछा - "क्या यह बात तुम्हें सोहन लाल ने बताई थी ?"
"सोहन लाल ने मुझे कुछ नहीं बताया था लेकिन वह इस सारी घटना को एक हलफनामे के रूप में अपने वकीलों के पास छोड़ गया था । उसकी हत्या के बाद वकीलों ने वह हलफनामा पुलिस को सौप दिया है । मैंने उसकी कापी देखी है ।"
"उससे कोई फर्क नहीं पड़ता । इतने सालों बाद वह हलफनामा कोई मतलब नहीं रखता है ।"
"बहुत मतलब रखता है । वह हलफनामा चाहे यह जाहिर न कर सके कि हत्या तुम्हारे भाई और सुनीता में से किसने की थी लेकिन यह जाहिर कर ही सकता है कि तुम्हारा भाई अभी तक जिन्दा है ।"
"उसमें क्या होता है ! मनोहर ललवानी का मुकुल से सम्बन्ध जोड़ना इतना आसान नहीं है । मुकुल राजनगर से गायब हो रहा है ।"
"पुलिस तुमसे सवाल करेगी । वह तुम्हारे रेस्टोरेन्ट में गिटार बजाता था ।"
"मुझे इसके बारे में कुछ मालूम नहीं है । हां साहब, मेरे रेस्टोरेन्ट में गिटार बजाता था, लेकिन कल वह बिना मुझे नोटिस दिये नौकरी छोड़कर चला गया । कहां गया ? मुझे मालूम नहीं । उनकी कोई तस्वीर ? नहीं है, साहब । मैं भला किस-किस गिटार बजाने वाले की तस्वीर रख सकता हूं ? और आखिर रखूंगा भी कहां !"
"अपने आपको बहलाने की कोशिश मत करो, प्यारेलाल !" - सुनील बोला ।
राम ललवानी ने जोर का अट्टहास किया ।
सुनील ने बिन्दु की दिशा में देखा । बिन्दु अभी भी बड़ी तन्मयता से रिकार्ड सुन रही थी । कमरे में अन्य लोगों की मौजूदगी से वह बिल्कुल बेखबर थी ।
"कहने का मतलब ये है" - राम ललवानी बोला - "कि सोहन लाल का हत्यारा अब तुम पहले हो और बाकी सब कुछ बाद में । इसलिये..."
"मैंने सोहन लाल की हत्या नहीं की ।" - सुनील ने प्रतिवाद किया ।
"तुमने सोहन लाल की हत्या नहीं की ! हा हा हा ।" - राम ललवानी बोला - "अब तुम यह भी कहोगे कि जब थानेदार ने तुम्हें गिरफ्तार किया था, तब रिवाल्वर हाथ में लिये तुम सोहन लाल की लाश के सामने खड़े थे लेकिन तुमने उसकी हत्या नहीं की । तो फिर सोहन लाल की हत्या किसने की है ?"
"तुम्हारे भाई ने ।" - सुनील मुकुल की ओर उंगली उठाकर धीरे से बोला - "और अगर विश्वास न हो तो इसी से पूछ लो ।"
|