Thriller विक्षिप्त हत्यारा
सेठ ने सिगार को ऐश ट्रे में रख दिया और मेज की दराज खोलकर उसमें से एक लिफाफा निकाला ।
"सोहन लाल नाम के जिस आदमी की तुमने हत्या कर दी है" - सेठ लिफाफे को अपने हाथों में उलटता-पुलटता हुआ बोला - "उसने राम ललवानी के लिये एक बहुत भारी समस्या खड़ी कर दी है ।"
"मैंने सोहन लाल की हत्या नहीं की है ।" - सुनील तीव्र विरोधपूर्ण स्वर में बोला ।
"लेकिन मेरी सूचना के अनुसार उसकी हत्या तुम्हीं ने की है ।"
"आपकी सूचना गलत है ।"
"खैर, गलत होगी । वर्तमान स्थिति में यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि उसकी हत्या किसने की है ! महत्वपूर्ण बात यह है कि उसकी हत्या हो गई है ।"
"यह बात क्यों महत्वपूर्ण है ?"
"अभी बताता हूं ।" - सेठ बोला - "सोहन लाल वह आदमी है जिसने बम्बई में समुद्र से निकाली गई मनोहर ललवानी की नकली लाश की शिनाख्त की थी । अर्थात सोहन लाल शुरू से ही जानता था कि मनोहर ललवानी मरा नहीं था बल्कि मुकुल ही मनोहर ललवानी है । अपनी इस जानकारी के आधार पर ललवानी भाइयों के लिये सोहन लाल का अस्तित्व बड़ा खतरनाक साबित हो सकता था । इस हकीकत को सोहन लाल भी समझता था । वह जानता था कि ललवानी बन्धु उसकी जुबान बन्द रखने के लिये उसकी हत्या भी कर सकते थे । अपनी सुरक्षा के लिये उसने सारी घटना की एक स्टेटमेंट बनाकर उसे एक प्रसिद्ध वकीलों की फर्म के पास जमा करवा दिया था । सोहन लाल का अपने वकील को निर्देश था कि अगर वह स्वाभाविक मौत मर जाये तो उसकी स्टेटमेंट नष्ट कर दी जाये लेकिन अगर उसकी हत्या हो जाये तो वह स्टेटमेंट पुलिस को सौंप दी जाये । सोहन लाल ने उस इन्तजाम की जानकारी ललवानी भाइयों को भी दे दी थी इसलिये ललवानी भाई तो ख्वाब में भी उसकी हत्या करने की बात सोच सकते थे । सोहन लाल की हत्या होते ही उसका लिखित बयान पुलिस में पहुंच जाता । पुलिस को मालूम हो जाता कि मुकुल ही मनोहर था और फिर दोनों भाई रगड़े जाते । सोहन लाल की स्टेटमेंट इस लिफाफे में है ।"
और सेठ ने लिफाफा सुनील की ओर उछाल दिया ।
"आप कहना क्या चाहते हैं" - सुनील नेत्र फैलाकर बोला - "कि सोहन लाल के वकीलों ने उसे धोखा दिया है ? उन्होंने उसकी स्टेटमेंट पुलिस को सौंपने के स्थान पर आपके पास भेज दी है ?"
"नहीं ।" - सेठ बोला - "इस लिफाफे में उस स्टेटमेंट की प्रतिलिपि है । सोहन लाल की हत्या के बाद वकीलों ने सोहन लाल की स्टेटमेंट वाले लिफाफे को खोल लिया था । उन्होंने सोहन लाल की स्टेटमेंट में मेरी बेटी का नाम देखा । वे मुझे अच्छी तरह जानते थे इसलिये मुझे परिस्थिति से अवगत कराने के लिये उन्होंने मुझे उस स्टेटमेंट की एक प्रतिलिपि भेज दी है । इस लिफाफे में वास्तविक स्टेटमेंट नहीं बल्कि उसकी प्रतिलिपि है ।"
"लेकिन उन्हें आपको स्टेटमेंट की एक प्रतिलिपि भी नहीं देनी चाहिये थी ।"
"नहीं देनी चाहिये थी ।" - सेठ ने स्वीकार किया ।
सुनील ने लिफाफे में से कागजात निकाले और उन्हें पढने लगा ।
वे कागजात ललवानी बन्धुओं की सलामती के लिये बारूद का ढेर थे । उस रिपोर्ट के अनुसार गीगी ओब्रायन पर केवल राम ललवानी का ही अधिकार नहीं था । वह तो एक वेश्या थी जो हर किसी का मनोरंजन करती थी लेकिन अधिकतर वह राम ललवानी के ही अधिकार में रहती थी । जब राम ललवानी उसके पास होता था तो किसी की गीगी ओब्रायन के पास भी फटकने की हिम्मत नहीं होती थी लेकिन राम ललवानी के सुनीता से शादी कर लेने के बाद राम ललवानी ने गीगी ओब्रायन में दिलचस्पी लेनी कम कर दी थी । उसके बाद गीगी ओब्रायन जिन लोगों की दिलचस्पी का केन्द्र बनी, उनमें मनोहर ललवानी और सोहन लाल प्रमुख थे हत्या की रात को सोहन लाल गीगी ओब्रायन के फ्लैट पर गया था । इमारत के बाहर उसने मनोहर ललवानी की कार खड़ी देखी थी । इमारत में प्रविष्ट होने के स्थान पर सोहन लाल बाहर ही खड़ा प्रतीक्षा करता रहा ताकि मनोहर ललवानी बाहर निकले और वह उसके बाद भीतर जाये । फिर एकाएक उसे एक चीख की आवाज सुनाई दी थी । उसके थोड़ी ही देर बाद उसने मनोहर ललवानी और सुनीता को फ्लैट से बाहर निकलते देखा था । सुनीता बुरी तरह से नशे में थी । उसे अपने आपकी खबर नहीं थी ।
मनोहर ललवानी उसे अपने साथ लगभग घसीट रह था । दोनों कार में सवार होकर फौरन वहां से रवाना हो गये थे । उनके जाने के फौरन बाद सोहन लाल गीगी ओब्रायन के फ्लैट में पहुंचा था । फ्लैट का दरवाजा खुला था और भीतर गीगी ओब्रायन की लाश बुरी तरह से कटी पड़ी थी । उसके सारे शरीर से गोश्त के बड़े-बड़े लोथड़े लटक रहे थे ।
सोहन लाल सीधा राम ललवानी के पास पहुंचा ।
एक स्टेटमेंट यहीं खत्म हो गई थी ।
दूसरी स्टेटमेंट पर एक महीने बाद की तारीख थी । उसमें सोहन लाल ने स्वीकार किया था कि उसने समुद्र में से निकाली कथित मनोहर ललवानी की लाश की गलत शिनाख्त की थी । उसी ने कब्रिस्तान में से एक ताजी कब्र खोदकर एक लाश निकाली थी और उस के शरीर के विभिन्न भागों में गोलियां मार कर उसे बान्द्रा रेलवे पुल के पास पानी में फेंक दिया । पुलिस द्वारा बरामद किये जा चुकने के बाद उसी लाश की उसने मनोहर ललवानी की लाश की रूप में शिनाख्त की थी और राम ललवानी ने उसकी शिनाख्त की पुष्टि की थी । उसी ने राम ललवानी की सहायता से गीगी ओब्रायन की लाश को ले जाकर समुद्र में फेंका था ।
सुनील ने सारे कागजों का एक बार फिर पढा और फिर उन्हें मेज पर रख दिया ।
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