Thriller विक्षिप्त हत्यारा
सन उन्नीस सौ छप्पन के बाद भी जब तक वह बम्बई या बम्बई से बाहर रहा, उसको कई बार पुलिस ने तफ्तीश के लिये गिरफ्तार किया । पुलिस को कई गम्भीर अपराधों में उसका हाथ होने का सन्देह रहा, लेकिन पर्याप्त प्रमाण प्राप्त न होने की वजह से कभी भी उस पर केस नहीं चलाया जा सका ।
सन उन्नीस सौ तरेसठ में राम ललवानी ने बम्बई में गुलनार नाम का एक सूरत शक्ल में बडा प्रतिष्ठित लगने वाला रेस्टोरेन्ट खोल लिया था । वहां गीगी ओब्रायन नाम की एक स्त्री राम ललवानी के साथ ही रहती थी । राम ललवानी की वह विधिवत ब्याही हुई पत्नी थी या रखैल थी, इस विषय में किसी को पक्का कुछ नहीं मालूम था । गीगी ओब्रायन और राम ललवानी दोनों उन दिनों कालबादेवी रोड पर स्थित एक इमारत के एक फ्लैट में रहते थे ।
सन चौसठ के आरम्भ में राम ललवानी ने बड़े रहस्यपूर्ण ढंग से सुनीता अग्रवाल नाम की एक लड़की से विवाह कर लिया था । उस समय सुनीता अग्रवाल की आयु केवल बाइस साल थी लेकिल वह गलत प्रकार के लोगों की संगत में पड़ कर तीव्र मादक पदार्थों की इतनी आदि हो चुकी थी कि उस आयु में भी मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार थी । सुनीता अग्रवाल राजनगर के किसी करोड़पति सेठ की इकलौती लड़की है ।
ब्रैकेट में जौहरी ने लिखा था:
सेठ का नाम नहीं मालूम हो सका । राजनगर में करोड़पति सेठ कोई सौ पचास नहीं हैं । राजनगर में बड़ी आसानी से पता लगाया जा सकता है कि सुनीता अग्रवाल किस करोड़पति सेठ की इकलौती बेटी है ।
विश्वस्त सूत्रों से पता लगा है कि राम ललवानी का रेस्टोरेन्ट वास्तव में मादक पदार्थों के आदी लोगों का अड्डा था और राम ललवानी चरस से लेकर मारिजुआना और एल. एस. डी. वगैरह हर चीज बेचता था । सुनीता अग्रवाल भी उसी वजह से उसके रेस्टोरेन्ट में आया करती थी ।
सुनीता अग्रवाल से शादी के बाद राम ललवानी ने कालबा देवी रोड वाली इमारत में रहना छोड़ दिया था और कहीं और रहने लगा था लेकिन वे दोनों ही अक्सर गीगी ओब्रायन के फ्लैट पर आया करते थे ।
अप्रैल सन 1965 के बाद से किसी ने सुनीता अग्रवाल को राम ललवानी के साथ नहीं देखा । उसके तीन महीने बाद राम ललवानी भी बम्बई से गायब हो गया । बम्बई में किसी को मालूम नहीं कि वह अब कहां है ।
सुनील रिपोर्ट पढ रहा था और मन ही मन जौहरी और रमाकांत पर ताव खा रहा था । उसने रिपोर्ट मांगी थी मुकुल के बारे में लेकिन जौहरी ने उसे राम ललवानी का जीवन वृतान्त भेज दिया था ।
सुनील ने बाकी रिपोर्ट देखनी आरम्भ की ।
रिपोर्ट के साथ बाइस मार्च सन 1965 के बम्बई से निकलने वाले एक अखबार की कटिंग नत्थी था । प्रकाशित समाचार था -
मनोहर ललवानी पुलिस मुठभेड़ में हलाक
आज रात को एक बजे मनोहर ललवानी नाम का लगभग पच्चीस का नवयुवक बांद्रा पुल पर हुई पुलिस के साथ सशस्त्र मुठभेड़ में पुलिस की गोलियों का शिकार हो गया । मनोहर ललवानी पुलिस द्वारा पिछले दिनों बम्बई में हुई उस नृशंस हत्याओं के लिये जिम्मेदार ठहराया गया था जिनकी वजह से सारी बम्बई में आतंक फैला हुआ था । पिछले छः महीनों में नगर के विभिन्न भागों में पुलिस को तीन जवान लड़कियों के नग्न शरीर चाकू से इस बुरी तरह कटे हुए मिले थे कि पत्थर का कलेजा रखने वाले इन्सान की आत्मा भी त्राहि-त्राहि कर उठे । पाठक भूले नहीं होंगे कि इस प्रकार की हत्याओं का आखिरी शिकार गीगी ओब्रायन नाम की एक डांसर थी जिसका शरीर पुलिस ने पिछले सप्ताह समुद्र में से निकाला था । पहली दो हत्याओं की तरह उसका पूरा शरीर बुरी तरह से कटा हुआ था । सारे शरीर पर से गोश्त के बड़े-बड़े लोथड़े उखड़े पड़े थे । गीगी ओब्रायन की दोनों छातियां कटी हुई थीं और उनका गोश्त पसलियों के पास लटक रहा था उसकी जांघों पिंडलियों और नितम्बों के आसपास से गोश्त के छोटे-छोटे लोथेड़े उखाड़े गये थे और बाकी बचे खुचे शरीर पर चाकू को इतने घाव थे कि उनकी गिनती नहीं हो सकती थी । ऐसी ही हालत में इससे पहले भी पुलिस को दो अन्य युवतियों की लाशें मिल चुकी थीं ।
|