Thriller विक्षिप्त हत्यारा
सुनील को प्रभूदयाल के एक नये रूप के दर्शन हो रहे थे । हमेशा की तरह वह उस पर गर्ज नहीं रहा था । जरा-सा बहाना मिलने पर ही वह उसे गिरफ्तार करने का इरादा नहीं कर रहा था । आज वह उसके साथ बड़े सलीके से पेश आ रहा था । सुनील समझ नहीं पा रहा था कि प्रभूदयाल बेहद थका हुआ था इसलिए ऐसा कर रहा था या उसकी उन हरकतों में भी कोई गहरी चाल थी ।
"मैं कल दस बजे पुलिस स्टेशन पर हाजिर हो जाऊंगा ।" - सुनील बोला ।
"थैंक्यू ।" - प्रभूदयाल बोला - "मैं तुम्हारा इन्तजार करूंगा और अगर तुम्हारा इरादा पुलिस को सहयोग न देने का हो या तुमने सोच लिया हो कि तुम मेरी शराफत का नाजायज फायदा उठाओगे और मुझे घिस्सा देने से बाज नहीं आओगे तो रात भर में कोई ऐसी शानदार कहानी जरूर सोच लेना जिस पर मुझे विश्वास आ जाये । मेरा मतलब है कि अगर मुझे कोई कहानी ही सुनानी हो तो उसे हकीकत का बड़ा चमकदार लिबास पहनाकर मेरे पास आना । ओके ।"
"ओके ।"
"गैट गोइंग ।"
सुनील फौरन फ्लैट से बाहर निकल गया ।
रह-रहकर उसकी आंखों के सामने फ्लोरी की कटी-फटी लाश घूम जाती थी और उसके पेट में गुबार-सा उठने लगता था । वह सोच रहा था कि अगर उसने फ्लोरी का पता तलाश करने के लिये इतना समय बरबाद न किया होता, अगर उसने फ्लोरी द्वार दिये तस्वीर वाले लिफाफे पर लिखा उसका पता एक बार पढ भी लिया होता तो शायद वो नृशंसता का शिकार होने से बच जाती । उसकी हत्या उसी समय के दौरान हुई थी जब वह मैड हाउस में बैठा फ्लोरी के वहां आने की प्रतीक्षा कर रहा था ।
और क्या मुकुल की तस्वीर का नैगेटिव हत्यारे के हाथ में लग गया था ?
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