Thriller विक्षिप्त हत्यारा
सुनील पेट पकड़े प्रभूदयाल द्वारा निर्दिष्ट दिशा की ओर भागा । उधर बाथरूम था । सुनील को एक जोर की उल्टी आई और उसका सारा खाया-पिया बाहर निकल आया । वह लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगा । फिर उसने कुल्ला किया, मुंह धोया, थोड़ा पानी पिया और बाथरूम से बाहर निकल आया ।
फ्लोरी की लाश की दिशा में दुबारा आंखें उठाये बिना वह बैडरूम से बाहर निकल आया ।
प्रभूदयाल भी उसके पीछे-पीछे कमरे से निकल आया । उसके संकेत पर एक सिपाही ने बैडरूम का दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया ।
सुनील ने जेब से लक्की स्ट्राइक का पैकट निकाला और कांपते हाथों से एक सिगरेट सुलगा लिया ।
"कैसा लगा ?" - प्रभूदयाल ने धीरे से पूछा ।
"ऐसी की तैसी तुम्हारी ।" - सुनील झल्लाकर बोला - "यू... यू ब्लडी सैडिस्ट ।"
"तुम्हें वह वीभत्स दृश्य दिखाने से मुझे बड़ा फायदा हुआ है ।"
"तुम्हें क्या फायदा हुआ है ?"
"और सिर्फ मुझे ही नहीं तुम्हें भी फायदा हुआ है । मुझे इस बात पर विश्वास हो गया है कि फ्लोरी की हत्या तुमने नहीं की । तुम्हारे लिये वह दृश्य एकदम नया था । अगर फ्लोरी की वह हालत तुमने बनाई होती तो उसकी लाश को दुबारा देखकर तुम उल्टियां न करने लगते ।"
सुनील चुप रहा ।
"तुम्हारे ख्याल से हत्यारा कौन हो सकता है ?"
"मुझे क्या मालूम ?"
"लेकिन तुम्हें अनुमान लगाने की तो कोशिश करनी चाहिये । आखिर वह तुम्हारी सहेली थी ।"
"इतनी पक्की सहेली नहीं थी कि मैं उसके हर जानकार को जानता होऊं या मुझे उसकी निजी लाइफ की जानकारी हो ।"
"फिर भी !"
"फिर भी यह कि यह किसी नार्मल इन्सान की हरकत नहीं है । फ्लोरी की हत्या करने वाला जरूर कोई शत-प्रतिशत विकृत दिमाग का व्यक्ति था । इस विषय में मुझसे कुछ पूछने के स्थान पर उल्टे तुम्हें हैडक्वार्टर जाकर पुलिस का रिकार्ड टटोलना चाहिये कि क्या इस प्रकार के पैट्रन का कोई कत्ल कही और भी हुआ है और अगर हुआ है तो पहले वाला कत्ल किसने किया था !"
"मुझे सीख मत दो ।" - प्रभूदयाल बोला - "इस प्रकार का रिकार्ड हैडक्वार्टर पर पहले ही टटोला जा रहा है और सारे देश के पुलिस हैडक्वार्टर्स पर इन्क्वायरी भिजवाई जा चुकी है । हमें अगले चौबीस घन्टे में हत्यारे के मामले में किसी जानकारी हासिल कोने की आशा है ।"
सुनील चुप रहा । प्रभूदयाल भी कुछ न बोला ।
"अगर इजाजत हो तो मैं यहा से दफा हो जाऊं ?" - सुनील ने पूछा ।
प्रभूदयाल ने उत्तर न दिया ।
सुनील उसके बोलने की प्रतीक्षा करने लगा ।
"सुनील" - अन्त में प्रभूदयाल बोला - "तुम्हारे यहां आने ने मुझे एक नई सम्भावना पर विचार करने पर मजबूर कर दिया है ।"
"क्या ?"
"कहीं सोहन लाल और फ्लोरी की हत्या में कोई सम्बन्ध तो नहीं ! कहीं दोनों हत्यायें एक ही हत्यारे का काम तो नहीं ! सुनील, तुम वह धागा हो जो दोनों हत्याओं को एक सूत्र में पिरो रहा है । अपने कथनानुसार तुम सोहन लाल से मिलने उसके फ्लैट पर पहुंचे तो सोहन लाल मारा गया । फिर तुम फ्लोरी से मिलने यहा पहुंचे तो फ्लोरी की हत्या हो गई । इन तथ्यों से मैं एक ही नतीजे पर पहुंचा हूं कि सारे सिलसिले से तुम्हारा कोई बहुत गहरा सम्बन्ध है जिसके बारे में तुम हमें कुछ बता नहीं रहे हो ।"
"जो मुझे मालूम था, मैं तुम्हे पहले ही बता चुका हूं ।"
"तुमने हमें विशेष कुछ नहीं बताया है । तुमने हमें वही बातें बताई हैं जो हमें वैसे भी बड़ी आसानी से मालूम हो सकती थीं । अब मैं सारी कहानी सुनना चाहता हूं । इस वक्त तुम्हारे साथ सिरखापाई करने का मेरे पास समय नहीं है । कल ठीक दस बजे मैं पुलिस हैडक्वार्टर में तुम्हारा इन्तजार करूंगा । अगर तुम्हें वहां आने में कोई एतराज हो तो उसे अभी जाहिर कर दो ताकि मैं कोई दूसरा इन्तजाम करूं ।"
"दूसरा इन्तजाम क्या करोगे ?"
"मैं तुम्हें दो हत्याओं के सन्देह में गिरफ्तार कर लूंगा और हथकड़ी लगवाकर हैडक्वार्टर भेज दूंगा । रात भर तुम हैडक्वार्टर की हवालात में सड़ोगे फिर जब मुझे फुरसत होगी, मैं हवालात के लिये तुम्हें बुला लूंगा और, जैसा कि मैं दोपहर को भी तुम्हें बता चुका हूं, मैं बहुत व्यस्त हूं । मुझे मरने की फुरसत नहीं है सम्भव है, मैं कई दिन तुम्हारे लिये वक्त न निकाल पाऊं ।"
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