Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"दस रुपये !" - वेटर की आंखें लालच से चमक उठीं ।
"हां ।"
"आप का मतलब है कि अगर मैं आपको फ्लोरी मेम साहब का पता मालूम कर दूंगा तो आप मुझे..."
"हां-हां । अब क्या तुम सारे मैड हाउस में इस का ढिंढोरा पीटना चाहते हो ?"
"मैं अभी मालूम करता हूं ।" - और वेटर लम्बे डग भरता हुआ वहां से चला गया ।
पांच मिनट बाद वह वापिस लौटा ।
"पता किसी को मालूम नहीं है" - वेटर तनिक निराश स्वर में बोला - "लेकिन क्या टेलीफोन नम्बर से काम चलेगा ?"
"चलेगा ।"
वेटर ने उसे एक छोटा-सा कागज थमा दिया जिस पर पैन्सिल से एक नम्बर लिखा हुआ था ।
सुनील ने वह कागज अपनी जेब में रख लिया और फिर वेटर की ओऱ पांच का नोट बढा दिया ।
"यह तो..." - वेटर ने कहना चाहा ।
"पांच का नोट है । मुझे मालूम है, प्यारे लाल । आधा काम, आधा दाम ।"
"लेकिन टेलीफोन नम्बर से तो पता मालूम हो सकता है ।"
"हो सकता होगा । साथ ही यह भी सम्भव है कि जो आदमी टेलीफोन नम्बर से पता बताये वह भी पांच रुपये मांगे ।"
वेटर ने अनिच्छापूर्ण ढंग से पांच का नोट ले लिया ।
"और बिल ।"
वेटर ने उसका बिल उसके आगे रख दिया ।
सुनील ने बिल चुका दिया । बिल की अदायगी में टिप के नाम पर उसने एक नया पैसा भी नहीं छोड़ा था ।
सुनील उठ खड़ा हुआ और सीढियों की ओर बढा ।
वेटर उसे जाता देखता रहा । उसके चेहरे पर सम्मान के भाव नहीं थे ।
अभी सुनील ने पहली सीढी पर ही कदम रखा था कि उसे वही युवती नीचे उतरती दिखाई दी जिसको सुनील ने मैड हाउस में घुसने के लिये गेट पास के रूप में इस्तेमाल किया था ।
सुनील को दोखते ही फौरन पहचान गई ।
"हल्लो ।" - वह मीठे स्वर में बोली ।
"हल्लो ।" - सुनील बोला ।
"जा रहे हो ?"
"हां ।"
"मैं तो तुम्हारी वजह से यहां आई थी ।"
"मेरी वजह से ?" - सुनील बौखला कर बोला ।
"हां । जिसका मैं इन्तजार कर रही थी, वह तुम्हारे यहां घुसने के फौरन बाद ही आ गया था । आज पता नहीं क्या बात है मैं उसके साथ बोर हो गई । मैं उसे चलता करके यहां इस आशा में आई थी कि तुम अभी यहां से गये नहीं होगे । मेरी आशा पूरी हो गई ।"
यह क्या मुसीबत गले पड़ गई ! - सुनील मन ही मन बुदबुदाया ।
"लेकिन मैं भी बड़ा बोर आदमी हूं ।" - प्रत्यक्ष में सुनील बोला ।
"तुम्हारा ख्याल गलत है । तुम बहुत दिलचस्प आदमी हो ।"
सुनील ने उसकी बांह पकड़ ली और उसे तहखाने के एक कोने में ले आया ।
"तुम बहुत खूबसूरत हो ।" - सुनील धीरे से बोला ।
युवती शरमाई ।
"तुम्हारी उम्र भी बहुत कम है । मुश्किल से अठारह साल होगी ।"
"इक्कीस साल ।" - वह बोली ।
"वैरी गुड । अभी तुम्हारे सामने पूरी जिन्दगी पड़ी है । इस लिये मुझे विश्वास है कि तुम अभी ही मरना पसन्द नहीं करोगी ।"
युवती ने चिहुंक कर सुनील की ओर देखा । उसके चेहरे पर गहरी उदासी के बादल मंडरा रहे थे ।
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