Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"मैं सारी कहानी बाहर सब-इन्सपेक्टर को सुना चुका हूं ।" - सुनील हथियार डालता हुआ बोला । उसे मालूम था कि प्रभूदयाल कोई धमकी नहीं दे रहा था । वह जो कुछ कह रहा था, उसे कर गुजरने का इरादा भी रखता था ।
"कोई बात नहीं ।" - प्रभूदयाल बोला - "वह कहानी फिर दोहरा दो ।"
"कल रात मैं मैजेस्टिक सर्कल पर लिबर्टी बिल्डिंग में स्थित मैड हाउस में गया था ।"
"क्यों ?"
"यूं ही । तफरीह के लिये ।"
"फिर ?"
"वहां से सोहन लाल नाम का जो आदमी बाहर मरा पड़ा है, मेरे पीछे लग रहा था । मैड हाउस में मुझे फ्लोरी नाम की अपनी एक जानकार मिल गयी थी । उसकी सहायता से मैंने अपनी ओर से सोहन लाल से पीछा छुड़ा लिया था, लेकिन मेरा ख्याल गलत था । सोहन लाल अपने दो आदमियों के साथ बदस्तूर मेरे पीछे लगा हुआ था । मेरे फ्लैट में प्रविष्ट होते ही ये मुझ पर टूट पड़े और फिर मेरी जेब में कितने रुपये मौजूद थे, सब निकालकर भाग गये ।"
"तुम्हारी जेब में कितने रुपये थे ?"
"लगभग दो सौ रुपये ।"
"और कुछ भी चोरी गया ?"
"नहीं ।"
"क्यों ? जब वे तुम्हारे फ्लैट में घुस ही आये थे तो उन्होंने और चीजों पर हाथ साफ क्यों नहीं किया ?"
"मेरी उनसे मार कुटाई हो गई थी । मार कुटाई से जो धमाधम मची थी उसकी वजह से मेरे फ्लैट के एकदम नीचे वाला किरायेदार चिल्लाने लगा था । शायद वे लोग उसी के डर से जो हाथ लगा था वही लेकर रफूचक्कर हो गये थे । शायद उन्हें भय था कि कहीं नीचे वाला किरायेदार ऊपर न आ जाये ।"
"तुमने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई थी ?"
"नहीं ।"
"क्यों ?"
"क्योंकि दो सौ रुपये की मामूली रकम की चोरी के लिए मैं पुलिस को परेशान नहीं करना चाहता था ।"
"वैरी गुड । पुलिस का बड़ा ख्याल है तुम्हें और दो सौ रुपयें की रकम भी तुम्हारे लिये मामूली है । मेरी तो वह आधे महीने की तनख्वाह होती है ।"
सुनील चुप रहा ।
"खैर फिर ?"
"फिर मैंने सोहन लाल के घर का पता लगा लिया ।"
"कैसे ?"
"वह मैड हाउस से मेरे पीछे लगा था । मैं इस आशा में दुबारा कहां पहुंच गया कि शायद वो फिर दिखाई दे जाये ।"
"और वह तुम्हें दिखाई दे गया ।"
"हां ।"
"और फिर तुमने उसकी हत्या कर दी क्योंकि वह तुमसे तुम्हारे दो सौ रुपये छीनकर भाग गया था ?"
"मैंने उसकी हत्या नहीं की, मेरे बाप ।" - सुनील झल्लाकर बोला ।
"तो फिर वह कैसे मर गया ?"
सुनील ने बाकी की कहानी सारांश में सुना दी ।
"और यह मेरी खोपड़ी देखो ।" - सुनील उसके सामने अपनी खोपड़ी का पिछला भाग करता हुआ बोला - "मेरी खोपड़ी पर जो अंडे जितना गूमड़ दिखाई दे रहा है इसकी अपने डाक्टर को बुलाकर चाहो तो अच्छी तरह मुआयना करवा लो । यह असली है और ताजा है और इस बात का सबूत है कि फ्लैट में मेरे और सोहन लाल के अतिरिक्त कोई तीसरा व्यक्ति भी था जिसने मुझ पर पीछे से आक्रमण किया था और फिर मेरी रिवाल्वर से सोहन लाल की हत्या कर दी थी ।"
"कहानी अच्छी है और काफी हद तक विश्वसनीय भी लगती है ।"
"यह कहानी नहीं है, हकीकत है ।"
"अच्छा, हकीकत ही सही । अब तुम मेरी एक आध बात का जवाब दो ।"
"पूछो ।"
"तुम सोहन लाल को कल रात से पहले नहीं जानते थे ?"
"सवाल ही नहीं पैदा होता था ।"
"लेकिन मैं सोहन लाल को बड़े लम्बे अरसे से जानता हूं । पहले वह धर्मपुरे के इलाके का मामूली-सा दादा था और नकली शराब का धन्धा करता था फिर एकाएक राजनगर से गायब हो गया । कई साल गायब रहने के बाद जब राजनगर में दोबारा प्रकट हुआ तो इसका काया पलट हो चुका था । इसने अपना पुराना धन्धा छोड़ दिया था और बड़ी मान-मर्यादा के साथ फ्लैट में रहने लगा था । हमें मालूम है कि सोहन लाल फोर स्टार नाईट क्लब के मालिक राम ललवानी के लिये काम करता है और राम ललवानी इसे काफी पैसा देता है । इस फ्लैट के ठाठ तुम देख ही रहे हो । एक-एक चीज से रईसी टपक रही है और इस फ्लैट का किराया चार सौ रुपये महीना है । अब तुम मुझे यह समझाओं कि इतना सम्पन्न आदमी इतना बड़ा बखेड़ा क्यों करेगा कि दो सौ रुपये की तुच्छ रकम के लिये अपने दो साथियों के साथ तुम्हारे फ्लैट पर आकर तुम्हें दबोच ले और फिर एक बार तुम्हारे प्लैट में घुस आने के बाद भी तुम्हारे फ्लैट की किसी कीमती चीज को हाथ न लगाये और तुम्हारी फ्लैट की किसी कीमती चीज को हाथ न लगाये और तुम्हारी कलाई पर बन्धी हुई कीमती घड़ी उतार लेने की और भी उसका ध्यान न जाये ?"
सुनील को तत्काल कोई उत्तर न सूझा । उसकी कहानी वाकई कमजोर थी ।
"मैं तुम्हें बहुत मुद्दत से जानता हूं सुनील । पहले तो तुम बड़ी विश्वसनीय कहानियां सुनाया करते थे ।"
"अगर मैंने कहानी सुनाई होती तो वह जरूर-जरूर विश्वसनीय होती । यह बात इस लिये कमजोर लग रही है क्योंकि यह सच्ची है । अगर तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो तुम फ्लोरी नाम की उस लड़की से पूछ लो जिसका मैंने तुम से जिक्र किया था । मैंने उसे बताया था कि एक आदमी मेरा पीछा कर रहा है और अपनी ओर से कोलाबा रेस्टोरेन्ट में उसके साथ खाना खाते समय मैंने सोहन लाल से पीछा छुड़ाने की बड़ी अच्छी स्कीम बना ली थी और उस पर अमल भी किया था लेकिन..."
सुनील ने जानबूझकर वाक्य अधूरा छोड़ दिया ।
"फ्लोरी का पता बताओ ।" - प्रभूदयाल बोला ।
"फ्लोरी का पता तो मुझे मालूम नहीं लेकिन वह फोटोग्राफर है और हर शाम को मैड हाउस में आती है ।"
प्रभूदयाल ने सन्दिग्ध नेत्रों में उसकी ओर देखा ।
"मैं सच कह रहा हूं ।" - सुनील बोला ।
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