Thriller विक्षिप्त हत्यारा
Chapter 2
अगले दिन लगभग ग्यारह बजे सुनील 'ब्लास्ट' के दफ्तर में अपने केबिन में बैठा था कि टेलीफोन की घन्टी बजी । उस ने रिसीवर उठाया ।
लाइन पर रमाकांत था ।
"सुनील" - दूसरी ओर से उसे रमाकांत का गम्भीर स्वर सुनाई दिया - "जो कुछ तुमने कुछ पूछा था, मैं तुम्हें उससे कुछ ज्यादा ही बताने जा रहा हूं ।"
"थैंक्यू वैरी मच ।" - सुनील बोला - "शुरू हो जाओ ।"
"आर जे एस 2128 नम्बर की काली एम्बेसेडर गाड़ी राम ललवानी के नाम रजिस्टर्ड है ।"
"और राम ललवानी कौन है ?"
"बताता हूं । मुझे पहले ही मालूम था कि तुम यह सवाल जरूर पूछोगे । राम ललवानी एक लगभग चालीस साल का मोटा-ताजा सिन्धी है और फोर स्टार नाइट क्लब और मैड हाउस डिस्कोथेक का मालिक है ।"
सुनील के मुंह से सीटी निकल गई ।
"क्या बहुत पैसे वाला आदमी है वह ?" - सुनील ने पूछा ।
"मालूम नहीं ।" - रमाकांत का स्वर सुनाई दिया - "राजनगर में कोई उसे जानता ही नहीं है । बस इतना मालूम हो सका है कि वह बम्बई से राजनगर आया है । मैजेस्टिक सर्कल जैसे इलाके में लोगों को एक कोठरी किराये पर हासिल करने में दांतों पसीने आ जाते हैं लेकिन राम ललवानी ने आनन-फानन लिबर्टी बिल्डिंग की पूरी पांचवीं मंजिल और बेसमेंट हथिया ली ।"
"बेसमेंट और पांचवीं मंजिल पर पहले क्या था ?"
"पहले बेसमेंट में किसी कम्पनी का गोदाम था और पांचवीं मंजिल पर दो बिजनेस आफिस थे ।"
"राम ललवानी उनसे जगह खाली करवाने में कैसे सफल हो गया ?"
"यही तो मजेदार बात है । राम ललवानी ने तो कुछ भी नहीं किया । वह तो केवल तमाशा देखता रहा ।"
"तो फिर यह सब कैसे सम्भव हुआ ?"
"तुम जानते हो वास्तव में लिबर्टी बिल्डिंग किसकी है ?"
"नहीं ।"
"सेठ मंगत राम की ।"
सेठ मंगत राम करोड़पति आदमी था और भारतवर्ष के गिने-चुने पांच बड़े उद्योगपतियों मे से एक था । राजनगर में और राजनगर से बाहर उसके कई कपड़े, जूट और स्टील के कारखाने थे ।
"लिबर्टी बिल्डिंग की पांचवीं मंजिल और बेसमेंट सेठ मंगत राम ने खाली करवाई थी" - रमाकांत फिर बोला - "और सुनने में आया है कि उस जगह को खाली करवाने के लिये सेठ मंगत राम को किरायेदारों को लाखों रुपया हरजाना देना पड़ा था ।"
"यह सब सेठ मंगत राम ने राम ललवानी के लिये किया ?"
"हां ।"
"क्यों ?"
"मालूम नहीं ।"
"मालूम करो ।"
"कोशिश जारी है प्यारयो, लेकिन कुछ मालूम हो पाने की सम्भावना नहीं है । राम ललवानी तो बहुत ही रहस्यपूर्ण आदमी मालूम हो रहा है मुझे । कोई कुछ जानता ही नहीं उसके बारे में । अब तो वह बड़ा रईस आदमी है - शंकर रोड पर उसकी शानदार कोठी है । कई कारें हैं उसके पास - लेकिन मैंने एक बात सुनी है कि जब वह राजनगर आया था, तो उसके पास कोई खास रुपया-पैसा नहीं था । पिछले सात-आठ महीनों में ही न जाने कैसे उसने अपना काया पलट कर लिया ।"
शायद सेठ मंगत राम की वजह से ?"
"शायद ।"
"राम ललवानी सेठ मंगत राम का कोई रिश्तेदार तो नहीं है ?"
"मैं पता लगवाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन दोनों के रिश्तेदार होने की सम्भावना मुझे कुछ कम ही दिखाई देती है । सेठ मंगत राम यू.पी. का है और राम ललवानी सिन्धी है ।"
"फिर भी तुम चैक तो करवाओ ।"
"मैंने आदमी लगा रखे हैं । अब तुम उस ठिगने के बारे में सुनो जिसने कल रात तुम्हारे फ्लैट पर तुम्हारी धुनाई करवाई थी ।"
"कहो ।"
"उसका नाम सोहन लाल ही है और वह शान्ति सदन के उसी फ्लैट में रहता है जिसका तुमने जिक्र किया था । मैड हाउस या फोर स्टार नाइट क्लब से उसका क्या सम्बन्ध है, यह मुझे नहीं मालूम हो सका लेकिन वह राम ललवानी के साथ अक्सर देखा जाता है । वह जरायमपेशा आदमी है । पहले धर्मपुरे में रहता था और नकली शराब का धन्धा करता था फिर वह छः सात साल राजनगर से गायब रहा था । आठ-दस महीने पहले से वह फिर राजनगर में दिखाई देने लगा है । आजकल वह बड़े सलीके से शान्ति सदन में रह रहा है और बड़ा सम्पन्न और मान-मर्यादा वाला आदमी मालूम होता है ।"
"यानी कि जब से वह राम ललवानी के सम्पर्क में आया है, उसका कायापलट हो गया है !"
"ऐसा ही मालूम होता है ।"
"मुकुल के बारे में कुछ मालूम हुआ ?"
"धीरज रखो, प्यारयो । जौहरी बम्बई गया हुआ है । जब वह कोई रिपोर्ट भेजेगा तो मैं फौरन तुम्हें सूचित कर दूंगा । मेरे पास कोई जादुई चिराग तो नहीं है जिसे घिसकर मैं..."
"मुझे राम ललवानी की कोई तस्वीर दिलवा सकते हो ?" - सुनील उसकी बात काटकर बोला ।
"राम ललवानी की तस्वीर तुम्हें मेरी मदद के बिना ही हासिल हो सकती है ।"
"कैसे ?"
"जब फोर स्टार नाइट क्लब खुली थी तो राजनगर से छपने वाले हर अखबार में उसका पूरे-पूरे पृष्ठ का विज्ञापन छपा था । उस विज्ञापन में राम ललवानी की तस्वीर भी थी । वह विज्ञापन 'ब्लास्ट' में भी जरूर छपा होगा । तुम 'ब्लास्ट' की पुरानी फाइलों टटोल लो, उनमें तुम्हें राम ललवानी की तस्वीर मिल जायेगी ।"
"ओके, थैंक्यू ।" - सुनील बोला और उसने रिसीवर रख दिया ।
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