Thriller विक्षिप्त हत्यारा
कावेरी ने पर्स खोला और एक विजिटिंग कार्ड सुनील की ओर बढा दिया - "यह मेरा कार्ड है । इस पर मेरी कोठी का पता और टेलीफोन नम्बर लिखा है । इसे रख लो । काम आयेगा ।"
सुनील ने कार्ड लेकर जेब में रख लिया ।
"और यह भी रख लो ।"
सुनील ने देखा कावेरी उसकी ओर नोटों की एक मोटी गड्डी बढा रही थी ।
"इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, मिसेज जायसवाल ।" - सुनील मुस्करा कर बोला ।
"लेकिन..."
"वाकई इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, मिसेज जायसवाल । रायबहादुर भवानी प्रसाद जायसवाल के यूथ क्लब पर बहुत अहसान हैं । मुझे आप से किसी काम के बदले में धन स्वीकार करने में बहुत शर्म आयेगी, विशेष रूप से ऐसे काम के लिये जिस में कुछ खर्च होने वाला नहीं है ।"
कावेरी हिचकिचाई ।
"मैं आपसे गलत नहीं कह रहा हूं, मिसेज जायसवाल ।"
कावेरी ने नोट वापिस पर्स में रख लिये ।
"आल राइट ।" - वह बोली - "कोई जानकारी हासिल हो तो सूचित करना ।"
"जरूर करूंगा ।"
कावेरी मुस्काई और फिर लम्बे डग भरती हुई फ्लैट से बाहर निकल गई ।
***
सुनील ने अपनी मोटरसाइकल मैजेस्टिक सर्कल की पार्किंग में खड़ी की और फिर चारों ओर दृष्टि दौड़ाई ।
मैड हाउस नाम का रेस्टोरेन्ट एक बहुत लम्बी-चौड़ी पांच मंजिली इमारत की बेसमेंट में था । वह इमारत लिबर्टी बिल्डिंग के नाम से प्रसिद्ध थी । मैड हाउस के अतिरिक्त उसमें लिबर्टी नाम का एक सिनेमा था, एक बैंक था, कोलाबा नाम का एक और रेस्टोरेन्ट था, कुछ बड़े-बड़े दफ्तर थे, कुछ रिहायशी फ्लैट थे और सारी पांचवी मंजिल पर एक बहुत ऊंचे दर्जे की नाइट क्लब थी ।
सुनील मैड हाउस की ओर बढा ।
एकदम फुटपाथ पर ही मैड हाउस में प्रविष्ट होने का दरवाजा था । दरवाजे पर से ही बेसमेन्ट में ले जाने वाली घुमावदार सीढियां आरम्भ हो जाती थीं । दरवाजे की बगल की दीवार पर एक छोटा-सा नियोन-साइन चमक रहा था जिस पर लिखा था -
मैड हाउस डिस्कोथेक
MAD HOUSE DISCOTHEQUE
द्वार पर एक लोहे का जालीदार जंगला लगा हुआ था जिसके सामने एक वर्दीधारी गेटकीपर खड़ा था ।
विदेशी हिप्पियों का का एक जोड़ा एक-दूसरे की बगल में बांह डाले सुनील की बगल में से गुजर गया और लोहे का जंगला ठेलकर मैड हाउस की सीढियां उतर गया ।
सुनील उनके पीछे बढा ।
दरवाजे पर खड़े वर्दीधारी गेटकीपर ने हाथ बढाकर उसे रोक दिया ।
"सॉरी सर ।" -वह बोला ।
सुनील ने उसे घूरकर देखा और फिर बोला - "मतलब ?"
"पार्टनर के बिना अन्दर जाने की आज्ञा नहीं है ।"
"पार्टनर का क्या मतलब ?"
"कोई मेम साहब साथ लेकर आइये । आप अकेले अन्दर नहीं जा सकते । यह यहां का नियम है ।"
"लेकिन ऐसा कोई नियम बनाने का तुम्हें कोई हक नहीं है । यह एक रेस्टोरेन्ट है और इसमें हर कोई जा सकता है ।" - सुनील जोर से बोला ।
"सॉरी, मैं आपको नहीं जाने दे सकता । मैं केवल गेटकीपर हूं । मुझे आदेश है कि पीक-आवर्स में मैं अकेले आदमी की अन्दर न जाने दूं । अगर आपको कोई शिकायत है तो शिकायत मैनेजर से कीजिए ।"
"मैं मैनेजर से मिलना चाहता हूं ।"
"मैनेजर थोड़ी देर बाद बाहर आयेगा । उससे बात कर लीजिएगा ।"
"मैं उससे अभी मिलना चाहता हूं ।"
"सॉरी । मैं गेट छोड़कर उसे अन्दर बुलाने नहीं जा सकता ।"
"तो मुझे अन्दर उसके पास जाने दो ।"
"सॉरी ।"
सुनील ने जबरदस्ती भीतर घुसने का प्रयत्न किया लेकिन गेटकीपर ने बड़ी सफाई से बिना किसी विशेष उपक्रम के उसे एक ओर धकेल दिया । वह बहुत शक्तिशाली था ।
उसी समय एक सिख युवक सीढियां चढकर ऊपर आया ।
"क्या बात ?" - उसने गेटकीपर से पूछा ।
"ये साहब जबरदस्ती भीतर घुसना चाहते हैं ।" - गेटकीपर बोला ।
"डोंट मेक ए सीन, मिस्टर ।" - सिख युवक बोला - "भीतर जगह नहीं है ।"
"और अगर मेरे साथ कोई लड़की होती तो भीतर जगह हो जाती ?"
"तब तुम्हारे लिये जगह बनाने की कोशिश की जाती ।"
"तुम मैनेजर हो ?"
"हां ।"
"तुम ऐसे किसी को भीतर जाने से नहीं रोक सकते ।"
"हां, शायद ।" - वह उदासीन स्वर में बोला ।
"मैं 'ब्लास्ट' का प्रतिनिधि हूं । मैं तुम लोगों का पुलन्दा बान्ध दूंगा ।"
"क्या बान्ध दोगे ?"
"ऐसी तैसी कर दूंगा ।"
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