RE: Raj Sharma Stories जलती चट्टान
राजन कुछ देर उसे चुपचाप देखता रहा, फिर बोला‒
‘शायद पाँवों से ठोकर तुम्हीं ने लगाई थी।’
‘हाँ, यह गलती मेरी ही थी।’
‘केवल गलती मानने से क्या होता है।’
‘तो क्या कोई दण्ड देना है?’
‘दण्ड, नहीं तो... एक प्रार्थना है।’
‘क्या?’
‘जिस प्रकार तुमने मंदिर जाते समय अपना पाँव मेरे वक्षस्थल पर रखा था-उसी प्रकार पाँव रखते हुए सीढ़ियाँ उतर जाओ।’
‘भला क्यों?’
‘मेरी दादी कहती थी कि यदि कोई ऊपर से फाँद जाए तो आयु कम हो जाती है।’
‘ओह! तो यह बात है-परंतु इतने बड़े संसार में एक-आध मनुष्य समय से पहले चला भी जाए तो हानि क्या है?’
इतना कहकर वह हँसते-हँसते सीढ़ियाँ उतर गई-राजन देखता-का-देखता रह गया-पाजेब की झंकार और वह हँसी देर तक उसके कानों में गूँजती रही।
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प्रातःकाल होते ही राजन मैनेजर के पास पहुँच गया-
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