RE: Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
तभी मेरे अंदर का जानवर जाग उठा और मै ज्योति दीदी के पैर के पास बैठकर उसके चुतर को चौंकी के किनारे पर किया। उसके दोनों पैर दो दिशा में थे, तो मेरे सामने उसकी नग्न बुर चमक रही थी।
सड़क के किनारे लगे भेेपर लाईट से थोड़ी रोशनी छत पर आ रही थी। अब मैं ज्योति के बुर पर चुम्बन देने लगा, तो वो सिसकने लगी और बोली।
ज्योति – ओह ऊं आह सतीश ये ले मेरी बुर में जीभ घुसाके मेरी बुर को अच्छे से चाट।
और फिर मैंने ज्योति बुर को फैला दिया और मै अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटने लग गया। उससे प्राकृतिक गंध आ रही थी, और मैं ज्योति दीदी कि चूत के अंदर जीभ पेलता हुआ मै बुर चाट रहा था।
मेरा लंड टाईट हो चुका था और ज्योति मेरे बाल को कसकर पकड़े मेरा चेहरा अपने बुर की ओर धंसा रही थी। मै कुछ देर तक बुर को कुत्ते की तरह लपालप चाटता रहा और वो बोली।
ज्योति – हाई मेरी बुर में कितनी खुजली हो रही है, अब चूस ना अपनी बहन की चूत को।
और फिर मै ज्योति दीदी की बुर के दोनों फांक को मुंह में भरकर चूसने लग गया। मेरे पूरे बदन में आग लगी हुई थी, तो ज्योति मजे में सिसकारी भर रही थी। मै भी ज्योति दीदी की बुर को मुंह से बाहर किया और अब मैं चौंकी पर बैठ गया।
ज्योति मेरे पैर के पास बैठकर मेरे बरमूडा को नीचे की ओर खींस्का दी और मेरे नग्न लंड को थामकर चूमने लगी। मेरा ७-८ इंच लम्बा २ इंच मोटा लन्ड ज्योति के हाथ में था। और वो उसको चूमते हुए उसके सुपाड़ा को अपने चेहरे पर रगड़ने लगी तो मेरा लंड पूरी तरह से चोदने को आतुर हो गया।
लेकिन अभी तो ज्योति दीदी मुखमैथुन करने को उग्र थी ।अब वो अपना मुंह खोलकर लंड को अन्दर ली और फिर चूसते हुए मेरे झांट पर उंगली घुमा रही थी। मेरा तो हाल खराब हो रहा था।
अब वो मेरे लंड को पकड़कर मुंह का झटका देने लगी और फिर मै बोला।
मैं – ज्योति तेजी से चूस बे रण्डी आह बहुत मजा आ रहा है।
और वो मेरे लंड को मुंह से बाहर करके अपने जीभ से मेरे लंड चाटने लग गयी। ,मेरा लंड पूरी तरह से गरम हो चुका था, वो लंड के हर हिस्से पर जीभ फेर फेर कर उसे चाट रही थी।
मुझे ऐसा लग रहा था मानो वो लॉलपोप को चाट रही है। तभी ज्योति मेरे लंड को मुंह में भर ली और सर का तेज झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी। मै अपना हाथ उसके सीने पर लगाकर उसके बूब्स को दबाने लग गया। और वो रण्डी लंड चूसने में मगन थी।
कुछ देर के बाद वो मेरा लंड छोड़कर उठी और बेशरम लड़की की तरह अपने फ्रॉक को कमर तक ऊपर कर के अपनी टांग फैला दी। उसका एक पैर चौंकी पर था तो दूसरा जमीन पर और मै बुर पर मुंह लगाकर चूमने लगा
तभी ज्योति बुर को फालका दी तो मै जीभ से बुर चाटने लग गया और बुर में रस जमा हुआ था। उसका स्वाद लेते ही मैं मस्त हो गया था और फिर ज्योति दीदी बोली।
ज्योति दीदी – अब छोड़ो मेरी बुर को।
मैं – चोदने का मन कर रहा है
ज्योति दीदी – अभी संभव नहीं है।
और फिर हम दोनों चौंकी पर बैठकर एक दूसरे को निहारने लग गए, ,मेरे लंड को थामकर हिलाते हुए अब मेरे चेहरे को चूमने लगी। तो मै ज्योति के रसीले ओंठो को चूसता हुआ बूब्स दबा रहा था। और ज्योति मेरे लंड को तेजी से हिला कर ऊपर नीचे कर रही थी।
तभी ज्योति अपना जीभ मेरे मुंह में घुसा दी तो मै ज्योति दीदी के जीभ को चूसता हुआ, अपने लंड पर उसके हाथ का एहसास पा रहा था। कुछ देर तक जीभ को चूसता रहा और ज्योति दीदी मेरा लंड हिलाती रही।
फिर वो मेरे मुंह से अपना जीभ निकाल कर मुस्कुराने लगी, लेकिन लंड थामे हस्तमैथुन करते रही थी।
मै ज्योति के चूची को दबाता हुआ बोला – ज्योति चूस ना मेरे लंड को ,वीर्य का स्वाद नहीं लोगी क्या ?
ज्योति – बिल्कुल भी नहीं।
मैं – ओह बुर चटवाने में बहुत मजा आता है, रस तो तेरी बुर का चाट लिया मैंने और तुम।
ज्योति – ठीक है साले अब मेरी मूह को ही चोद।
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