RE: Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
तकरीबन ०९:२५ सुबह हम दोनों घर से निकले, कालेज तो बहाना था। लेकिन हमारी मंजिल कुछ और थी। सो ज्योति मेरे बाईक पर बैठ गई, उसके दोनों पैर एक ही दिशा में थे। तो वो अपना एक हाथ मेरे कंधे पर, और दूसरा हाथ मेरे कमर पर रखे हुई थी।
मै उसके गोल चूची के स्पर्श से मस्त हो रहा था, और मैं बाईक को तेज गति से विजय नगर चौराहा तक ले आया। वहां मैं कुछ खरीदने के लिए रुका, लेकिन ज्योति मेरे बाईक के पास ही खड़ी थी।
कुछ देर बाद वापस आकर मैंने सामान बाईक की डिक्की में रखा, और फिर ज्योति दीदी बाईक के पिछले सीट पर बैठ गई। वो जानबूझकर अपने दाहिने स्तन को मेरे पीठ से दबा रही थी, और जब बाईक तेज रफ्तार से दिल्ली कानपुर मार्ग पर दौड़ लगाने लगी।
तो ज्योति ने मुझसे पूछा – क्या दिल्ली ले जाने का विचार है?
सतीश – हां आखिर कुतुबमीनार भी तो दिखाना है मैंने आपको आज।
ज्योति – सब समझती हूं, तुझे भी भृतहरी का गुफा दिखनी है।
और मै ज्योति को आज दिनभर चोदने के फिराक में था, इसलिए मैंने हाईवे के किनारे एक होटल को चुना था। दोस्तों से मालूम हुआ था, कि इस होटल में धांधे वाली तो मिलती ही है और साथ में होटल का कमरा मौज मस्ती के लिए भी मिल जाता है।
इसलिए मैं ज्योति को वहीं ले जाने के चक्कर में था, तकरीबन १०:४५ बजे हम दोनों इस होटल के पास पहुंचे और फिर वो बोली।
ज्योति – यहां रूम देगा कोई हमे?
सतीश – हां, लेकिन अपना मुंह बंद रखना।
फिर मै ज्योति को लेकर साथ में एक छोटे सा बैग लिए अंदर पहुंचे, वहां एक उमरदार आदमी था और वो हमे देख कर मैं बोला।
आदमी – एक कमरा चाहिए सर।
सतीश – हां शाम तक के लिए और वातानुकूलित।
फिर हमे एक कमरा भी मिल गया और ज्योति को लेकर मै कमरे के अंदर चला गया। एक लड़का पानी की बोतल लेकर आया और फिर दरवाजा सटाकर चला गया। मैने दरवाजा को बंद किया और ज्योति को अपने बदन से लग गया लिया।
मैं उसके गाल को चूमता हुआ, अपना हाथ उसके चूतड़ पर घुमा रहा था। तो ज्योति मुझे से चिपक कर खड़ी हो गयी। कमरा में एक बड़ा सा बेड लग गया हुआ था, और उसके साथ वाशरूम भी था।
अब दोनों खड़े खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे, तो मेरा मुंह ज्योति दीदी के रसीले होंठो को अंदर ले कर उसका रस अपने होंठ में भरकर चूसता रहा था होंठ ज्योति दीदी मेरा पूरा साथ दे रही थी, और उसकी बूब्स मेरे छाती से चिपके हुये थे।
पल भर बाद ज्योति अपने होंठ को मेरे मुंह से बाहर निकल लिया, और फिर उसने अपनी लम्बी सी जीभ को मेरे मुंह में भर दी ओंठो तो मै ज्योति की जीभ को चूसता हुआ, उसके चूतड़ को सहलाने लग गया।
अब मेरा हाथ उसकी कमर पर था और मैं स्कर्ट को नीचे करने लग गया। हम दोनों एक दूसरे की आगोश में समाने लग गये, और फिर मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। ज्योति की आंखें बंद थी, और हम दोनों की सांसे तेज चल रही थी।
फिर हम दोनों का हाथ एक दूसरे के बदन पर फिसल रहे थे, और ज्योति मेरे चेहरे को पीछे करके अपनी जीभ बाहर निकाल रही थी। ज्योति अपना सर मेरे कंधे पर रख रही थी, तो मै उसका स्कर्ट नीचे तक कर चुका था।
अब मैं ज्योति की मखमली चूतड़ पर हाथ फेरने लग गया था, तो ज्योति मेरे शर्ट को खोलने लग गयी। मै उसके टॉप्स को उसकी बाहों से बाहर कर दिया और ज्योति अपने गुलाबी रंग के ब्रा और पेंटी में मस्त माल दिख रही थी।
वो मेरे कच्छा को छोड़कर सारे कपडे निकाल दिए, और फिर मैने ज्योति दीदी को बेड के किनारे पर बिठाया। ज्योति अपने दोनो पैर ऊपर करके बैठी थी, तो मै उसके पैर को दो दिशा में किए जमीन पर बैठ गया।
अब ज्योति दीदी अपने चूतड़ को बेड के किनारे कर दिए, तो मै उसकी पैंटी पर नाक रगड़ता हुआ उसके स्तन को मसलने लग गया। और वो सिसकने लग गयी उह आह ऊं और फिर मैं उसकी पेंटी खोल कर उसकी चूत को चाटने लग गया।
अब मैं ज्योति की लालिमा लिए चूत को चूमने लग गया, वो अपनी उंगली से बुर के मुहाने को खोल रही थी।
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