RE: Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
मै बुर के ऊपरी सतह को चूमकर बुर में अपना जीभ उसमे घुसा रहा था। फिर मैं कुत्ते की तरह बुर को लपालप चाटने लग गया, वो मेरे बाल को कसकर पकड़ रही थी।
ज्योति – हाई री बुर चट्टा और तेजी से चोद ना।
मै बुर में जीभ फेर कर मस्त हो रहा था, लंड तो कच्छा में दहाड़ मार रहा था। तभी मै ज्योति दीदी की बुर के मांस्ल भाग को मुंह में लेकर लेमं चुस की तरह चूसने लग गया।
ज्योति – अबे कुत्ते साले लंड में जान नहीं है क्या जो तू जीभ से ही मेरी बुर को चोद रहा है?
और फिर मै ज्योति की बुर को छोड़कर वाशरूम भागा, वहां मैंने जल्दी से पेशाब किया और फिर लंड धोकर रूम में आ गया
अब ज्योति दीदी बेड पर सो गई थी, तो मैने बैग से बियर की बोतल निकाली।
और मैंने पास पड़े टेबल पर बोतल रखी, फिर मैंने दो ग्लास में बियर डालकर सिगरेट जालाया तो ज्योति दीदी बोली।
ज्योति – क्या अकेले अकेले बियर पिएगा?
सतीश – नहीं, तेरे ग्लास में बियर में मुतुंगा और तुमको पिलाऊंगा।
ये सुनते ही वो मेरे पास आकर कुर्सी पर बैठ गई और मेरे लंड को थाम कर बोली।
ज्योति – तो तू मेरी ग्लास में मूत और मै तेरी ग्लास में बोल पिएगा?
और फिर ज्योति दीदी के साथ बियर पीने लग गया, थोड़ा ग्लास खाली हुआ तो ज्योति दीदी अपना ग्लास मुझे थमा दिया। और फिर मैंने उसका ग्लास ले लिया, अब ज्योति दीदी अपनी बुर के सामने मेरा ग्लास लगाकर मूतने लग गयी।
तो मै जबरदस्ती ज्योति दीदी की ग्लास में थोड़ा सा पिशाब कर पाया। अब ग्लास की अदला बदली हुई और मै ज्योति दीदी से नजर मिलाते हुए बियर सहित मुत्रपान करने लग गया।
बियर का स्वाद अधिक नमकीन हो चुका था, चूंकि ज्योति दीदी अधिक मात्रा में मुती थी। लेकिन वो बियर पीते हुए बोली।
ज्योति – स्वाद में फर्क आया लेकिन तुम मुते ही नहीं।
सतीश – हां जान लेकिन तेरी बुर से निकला स्वादिष्ट मूत्र मेरा नशा बढ़ा रहा है।
फिर हम दोनों बियर पीकर बेड पर आए। मै अब बेड पर लेटा हुआ था, तो ज्योति मेरे लंड को थामे लंड पर होंठ सटाने लग गयी। मेरे लंड का चमड़ा खींचकर वो चुंबन दे रही थी।
ज्योति की आंखों में नशा था और बियर का नशा उसको मदहोश कर चुका था। इसलिए वो मेरे सुपाड़ा को थामे अपने चेहरे पर रगड़ने लगी।
फिर वो मुंह खोलकर लंड को अन्दर लेने लग गयी, मुझसे नजर मिलाते हुए ज्योति मेरे लंड को चूस रही थी। वो अपने मुंह का तेज झटका लंड को दे देकर मुझे पागल कर रही थी, और फिर मैं बोला।
मैं – उई आह और तेज चूस ना साली रण्डी तेरी मां को चोदकर ना रुला ना दिया तो कहना।
ज्योति कुछ पल मुखमैथुन करती रही, और मै उसके चूचक को पकड़ कर मसलने लग गया। हम दोनों मजे ले रहे थे, ज्योति मेरा लंड मुंह से निकालने का नाम ही नहीं ले रही थी।
तो मै भी ज्योति दीदी की मुंह को नीचे से ही चोदने लग गया, फिर ज्योति ने मेरे रसीले लंड को बाहर निकाला। अब ज्योति और सतीश गरम हो चुके थे, तो मैने ज्योति को बेड पर सुला दिया।
वो रांड़ की तरह टांग चिहारकर पसरी रही, तो मै लंड थामे उसके दोनों जांघों के बीच बैठा और धीरे से सुपाड़ा सहित आधा लंड बुर में घुसा दिया।
उसकी बुर गीली हो चुकी थी और मैने एक तेज धक्का उसकी बुर में दे मारा। फिर उसकी कमर को पकड़ कर, मैं उसे चोदने लग गया।
ज्योति दीदी अब अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करते हुए चुद रही थी, तो मै ज्योति के जिस्म पर सवार हो गया। और मैं दे दना दन उसे चोदने लग गया, तो ज्योति मेरे कमर को थामकर अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लग गयी।
वो एक कुंवारी लड़की थी, लेकिन वो बुर का सील तुड़वा चुकी है। अब मै उसके होंठो को चूमने लग गया, तो उसका स्तन मेरे छाती से रगड़ खा रहा था।
दोनों संभोग सुख का रहे थे, और ८-९ मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत आग की भट्टी लग रही थी। तो मेरा लंड अब झड़ने को आतुर हो गया था। फिर वो अपने चूतड़ हिलाते हुए बोली।
ज्योति – अब बस कर भाई बुर में अपना पानी झाड़ दे।
सतीश – चुप कर रण्डी अभी और चुद।
लेकिन अगले ३-४ मिनट के बाद, मेरे लंड बुर में दम तोड दिया। और रण्डी ने मेरा लंड चूसकर वीर्य का स्वाद लिया।
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