RE: Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
मै सोफ़ा पर बैठा हुआ था तभी ज्योति मेरे सामने बैठी और मेरे लंड को पकड़कर अपने मुंह में भरने लग गयी। फिर सर का तेज झटके देते हुए वो मुखमैथुन करने लग गयी।
तो मै ज्योति की पीठ को सहलाने लग गया, उसकी एक चूची को मसलता हुआ मैं मस्त था और मुझे पता था कि जल्द ही मेरे लंड का रस उसकी मुंह में झड़ेगा।
और ज्योति उसको पीयेगी, इसलिए सतीश उसके बाल को कसकर पकड़ कर उसे नीचे से जोर जोर से लंड का झटका उसके मुंह में देने लग गया। ज्योति दीदी की मुख चुदाई का आनन्द लेता हुआ सब कुछ भुला चुका था।
ज्योति के मुंह से कुछ ऐसे स्वर निकल रहे थे – उह ऊं आह।
और मेरे लंड से थोड़ा सा वीर्य निकल गया तो मैने अब ज्योति दीदी की मुख चुदाई बंद कर दी, और ज्योति अब लंड को मुंह में लेकर तेजी से मुखमैथुन करने लग गयी।
तो मै सिसक लेते हुए बोला – आह उह और तेज बे रण्डी चूस ना आज तेरी मुंह में मूतुंगा।
और फिर कुछ देर के बाद मेरे लंड ने उसके मुंह में अपना दम तोड़ दिया, ज्योति लंड से निकले वीर्य को पीकर मस्त हो गई। और वो फिर लंड के सुपाड़ा को चाटने लग गयी।
मै थक चुका था और ज्योति दीदी मेरे लंड पर लगे वीर्य को चाट कर ही मुझे छोड़ कर लेट गयी। फिर दोनों थककर लेट गए
सतीश अपनी बड़ी बहन ज्योति के नग्न बदन से सात दिन तक खेलता रहा, और सच में अब उसे उबन सी होनी लगी थी तो सतीश अपनी बहन से बोला।
सतीश – अब अगले १५ दिन तक हम दोनों एक दूसरे की ओर देखेंगे तक नहीं।
ज्योति – सही है, लेकिन मुझे पता है, कि तुम हि मेरे बदन पर हाथ लगाकर मुझे गरम करोगे।
सतीश – ठीक है तो लगी शर्त, कौन किसको पहले छूता है?
और दोनों फिर सामान्य जीवन जीने लगे, मम्मी पापा के वापस आने पर घर का माहौल बदल गया था। और एक सप्ताह तक सही में हम दोनों एक दूसरे के करीब भी नहीं आए। एक रविवार मै ज्योति दीदी के कमरे में घुसा तो ज्योति अपने कमरे में नहीं थी।
लेकिन मेरी नजर उसकी ब्रा और पैन्टी पर टिक सी गई, बेड पर रखा पीले रंग का जालीदार ब्रेसियर और पैन्टी देख मेरा लन्ड तमतमा उठा। निश्चित रूप से ज्योति वाशरूम में थी और उसकी ब्रा और पेंटी शायद स्नान करने के बाद उसके गुप्तांगों पर सुशोभित होती है।
तभी मै ज्योति के दोनों कपड़े को उठाकर अपने बरमूडा के पॉकेट में रखे, और मैं अपने कमरे में दाखिल हो गया। अब उसकी ब्रा और पैंटी को मैने अपने वार्डरोब में रख दिया और मैं एक किताब लेकर बेड पर लेट गया।
फिर किताब पढ़ते हुए मैं इस इंतजार में था, कि कब ज्योति मेरे पास आकर अपने ब्रा और पेंटी की खबर मुझसे लेगी। लगभग एक घंटे के बाद ज्योति मेरे कमरे में आई, उसने घुटने तक की स्कर्ट और टॉप्स पहन रखी थी।
मै उसे देखकर मुस्कुराया और मैं बोला – आओ ज्योति दीदी, बैठो।
ज्योति – अबे ज्योति दीदी के बच्चे, मेरे कमरे से तूने जो चोरी की है, वो किधर है?
मै – तुम्हारा कमरा मै गया तक नहीं और क्या चोरी हुआ है जरा बताना?
ज्योति एक बेशर्म लड़की की तरह अपनी स्कर्ट को कमर तक उपर करके बोली -सारे कपड़ा सूख रहे है, और जो पहनने के लिए रखी थी वो तुम उठा लाए हो।
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