RE: Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
उसकी बुर की लालिमा देख मुंह में पानी आ गया और मैं बोला – ज्योति दीदी घर में इस पर कपड़ा डालने की क्या जरूरत है, इसे भी ताजी हवा लगने दो।
ज्योति दीदी स्कर्ट नीचे कर चुकी थी, और इधर मेरा देखते ही टाईट हो गया था।
सतीश – बिल्कुल नहीं बेबी।
फिर ज्योति मेरी कमर के पास बैठकर मुझे देख रही थी, तो वो अचानक से उसने अपना हाथ बढ़ाकर मेरे लंड के उभार को पकड़ लिया और जोर से दबा दिया।
मैं – आऊच ये क्या कर रही हो?
और उसने दुबारा मेरे लंड को पकड लिया, पर अब उसने आराम से बरमूडा के किनारे से बाहर निकाल दिया। अब नग्न लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए मस्त हो रही थी तो मै बोला।
मैं – शर्त तो हार गई बेबी।
ज्योति – तुम अगर मेरी ब्रा और पैंटी इधर नहीं लेकर आते तो फिर मै नार्मल ही रहती। लेकिन हार तुम्हारी हुई है।
मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था और ज्योति उसको कसकर थामे हिला रही थी। तभी मै आवेश में आकर उठा और सीधे वाशरूम में मूतने चला गया। मूतने के बाद लंड को धोकर एक तौलिए से साफ किया और मैं अपने कमरे में आया, तो ज्योति बेड के किनारे बैठे मुस्कुरा रही थी।
मैं बोला – मेरे वार्डरोब में तुम्हारा गायब किया हुआ सामान रखा हुआ है निकलो।
ज्योति – अरे तुम गुस्से में क्यों हो।
और ये कहते ही वो मेरे सामने खड़ी हुई, मै कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसने मेरा बरमूडा जोर से नीचे की ओर खींच दिया। मेरा टाईट लंड उसके हाथ में था, लेकिन उसकी मंशा तब मुझे समझ में आई।
जब वो बेड पर बैठे मेरे लंड को पकड़ कर सीधा मुंह खोल कर पूरा लन्ड मुंह में भरने लग गयी। ज्योति अब मुखमैथुन की कला में दक्ष हो चुकी थी, अपने सर का झटका देते हुए जोर जोर से मेरा लंड चूसने लग गयी तो मै सिसक रहा था।
मैं – ओ अबे साली रण्डी, घर में मम्मी पापा है। अगर उन्होंने देख लिए तो तेरी गान्ड फाड़ देंगे।
लेकिन ज्योति लंड चूसने लाने में लीन थी और मेरा लंड उसकी मुंह में लोहे की सलाख की भांति गरम और कड़ा हो चुका था। कुछ पल बाद ज्योति ने अपने मुंह से मेरा गीला लंड बाहर निकाल दिया।
और अब वो उसको थामे जीभ से चाटने लग गयी, तो मेरे पैर में कम्पन होने लग गये। ज्योति लंड को चाटकर सीधे वाशरूम भागी। मै सोच रहा था कि ज्योति को अभी पटक कर चोद डालूं या फिर बुर चाटकर लंड का रस उस रण्डी को पिला दुं।
इतने में ज्योति वापस कमरे में आई और मेरे बेड पर लेट कर बोली – सतीश, मम्मी कुछ काम से बाहर गई है। लेकिन वक़्त कम और काम ज्यादा है।
सतीश – शर्त तो हार गई, अब क्या लेना है बोल?
ज्योति – छुपकर नहीं खुलकर चुद्वाती हूं।
और मैं ज्योति के कमर के पास बैठकर उसकी स्कर्ट को ऊपर करने लग गया। वो बेशर्म लड़की की तरह अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेट गयी। तो मैने एक तकिया ज्योति के नितम्ब के नीचे डाल दिया, और अब अपना चेहरा ज्योति दीदी कि दोनों मस्त जांघों के बीच करके बुर का दीदार करने लग गया।
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