RE: Antervasna कविता भार्गव की अजीब दास्ताँ
कविता कॉल ऑफ करके वापस अपनी वासना भरी कहानी में जुट जाती हैं और माँ बेटे के पवित्र रिश्ते पर कामुक ालदाज़ेन पढ़के उसकी तो साँसें थम सी जाती हैं l एक हाथ हैरानी से मुँह पर थे तो दूसरा जांघों के बीच में व्यस्त थे घर संसार भूलके आज कविता कामुक कहानियों में व्यस्त थी l
कहानी का नाम था "माँ की मस्ती"
और न जाने क्यों कविता अपने आप को उस माँ की जगह रखके बहुत ज़्यादा कामुक हो रही थी। मनीषा उसी शरण कमरे में घुस पड़ती हैं "मम्मीजी वोह लांड्री का बी......"
पर उसकी सास थी व्यस्त हस्तमुथैन में, भला कैसे उसे देखती मनीषा कविता को इस हालत में देखके खुद हैरान थी लेकिन उत्तेजित भी हो रही थ l वह झट से कमरे में से निकल पड़ती हैं l कविता की यह हाल थी के अपने बहु के भी प्रवेश का अंदाज़ा नहीं हुई, जी में तो ायी के बस पेटीकोट और ब्लाउज पहने कहानी को पढ़े लेकिन फिर मान मर्यादा का ख्याल अभी भी कहीं थी अंदर l
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