Sex kahani मासूमियत का अंत
08-25-2020, 01:03 PM,
#2
RE: Sex kahani मासूमियत का अंत
तभी मेरा फोन बजा, मैंने उठाया तो उधर से एक लड़का बोला- मैंने गेट पे बोल दिया है, तुम सीधा अंदर आ जाओ फ्लैट नंबर 804 में।
मैं लिफ्ट लेके आठवें फ्लोर पे पहुंची और फ्लैट की बैल बजाई।
जैसे ही गेट खुला मैं एकदम से चौंक गयी।
इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मेरा हाथ पकड़ के अंदर खीच लिया और दरवाजा बंद कर दिया।
कमरे में मेरे कॉलेज का एक सीनियर लड़का था जिसका नाम हर्षिल था। वो दिखने में तो कुछ खास नहीं था पर काफी लंबा तगड़ा था।
मैं चौंककर बोली- सर आप?
वो बोला- हाँ मैं … आओ और सोफ़े पे बैठ जाओ।
मुझे उत्सुकता से ज्यादा अब डर सा लग रहा था।
वो समझ गया था कि मैं डर रही हूँ। उसने बोला- डरो मत, आराम से बैठो।
मैं बेचैनी से बैठ गयी।
वो बड़े सलीके से पेश आ रहा था। हर्षिल बोला- डरो मत, कुछ नहीं होगा। कुछ पियोगी?
मैं बोली- एक ग्लास पानी दे दो।
उसने पानी दे दिया।
फिर उसने तन्वी को फोन मिलाया और कहने लगा- सुहानी आ गयी है फ्लैट पे … पर डर रही है, जरा समझा दो इसे।
हर्षिल ने फोन मुझे दे दिया। मैं बाल्कनी में जा के बात करने लगी।
तन्वी ने बोला- डर मत, सर बहुत अच्छे हैं, तेरा ख्याल रखेंगे। अब तू जा और चुद ले।
मैंने खुद को समझाया और अंदर आ गयी।
हर्षिल बोला- मैं तुम्हारे लिए जूस ले आऊँ?
मैंने शर्माते हुये कहा- ठीक है।
फिर जूस पीकर हर्षिल बोला- तो शुरू करें?
मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही है।
हर्षिल ने कहा- इसमें शर्माने की क्या बात है? यह काम तो सब करते हैं। चलो मैं तुम्हारी शर्म दूर कर देता हूँ।
उसने बोला- मैं आराम से करूंगा, डरो मत।
मैं बोली- क्या मैं बाथरूम जा सकती हूँ।
उसने बाथरूम का रास्ता बता दिया।
मैं अंदर गयी, शीशे के सामने खुद को सेट किया और ऊपर की और लॉन्ग जाकेट उतार दी, अपनी ड्रेस सेट की और बूब्स को थोड़ा सा ऊपर करे, बाल भी ठीक करे।
फिर मैं रूम में आ गयी.
हर्षिल सोफ़े पर बैठा था और मेरा इंतज़ार कर रहा था। मुझे खुद को इस हालत में देख के शर्म सी आ रही थी।
हर्षिल बोला- यार, कितनी खूबसूरत हो तुम! जब से तुम कॉलेज में आई हो, मैं तो तुम्हें ही देखता हूँ। बैठो न।
मैं सामने बैठ गयी.
हर्षिल बोला- तो शुरू करते हैं.
और उसने पर्दे कर दिया कमरे के।
हर्षिल मेरे पास आया और मुझे देखने लगा। मैं खड़ी हो गयी; मेरा दिल धक धक कर रहा था।
वो मेरी और करीब आया तो मैं थोड़ा पीछे हो गयी।
हर्षिल मुस्कुराने लगा।
उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और सिर्फ कच्छा छोड़ दिया। मैं उसके जिस्म को देखे जा रही थी। एकदम बॉडी बना के हीरो लग रहा था, बस उसकी शक्ल हीरो वाली नहीं थी।
हर्षिल बोला- अब आप अपनी ड्रेस उतारो।
मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही है।
उसने कहा- ऐसे तो काम नहीं चलेगा, मैंने भी तो अपने कपड़े उतार दिये।
फिर उसने मेरे कंधे से ड्रेस के फीते खोल दिये और वो नीचे गिर गयी।
मैं तो शर्म के मारे धरती में गड़ी जा रही थी क्योंकि अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। मैंने अपनी नंगी टाँगे क्रॉस कर के मोड़ ली और नीचे देखने लगी।
हर्षिल समझ गया कि इतना आसान नहीं है मुझे चुदने के लिए तैयार करना।
वो मेरे पास आया, मेरी ठुड्डी को उंगली से उठाया और मेरी आंखों में देख के बोला- आज सब भूल जाओ … बस इस वक्त को एंजॉय करो।
फिर उसने दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ा और मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये। मेरी आंखें आश्चर्य से फटी रह गयी। मेरे होंठ उसके होंठों मिले हुये थे.
और फिर अपने आप मेरी आंखें बंद हो गयी, मैं उस लम्हे में डूब गयी।
फिर मैं और वो एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। लगभग दो मिनट तक मुझे किस करने के बाद उसने मुझे छोड़ दिया। मैंने आँखें खोली, अब मेरा डर निकल चुका था और मैं मुसकुराते हुए नीचे देख रही थी।
हर्षिल बोला- यार तुम इतनी मासूम सी हो दिखने में … कि ज़बरदस्ती करने का दिल नहीं कर रहा और मैं मुस्कुरा दी।
लगभग दो मिनट तक मुझे किस करने के बाद उसने मुझे छोड़ दिया। मैंने आँखें खोली, अब मेरा डर निकल चुका था और मैं मुसकुराते हुए नीचे देख रही थी।
फिर हर्षिल ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने कच्छे पे रख दिया। अंदर तो उसका लण्ड खड़ा हो गया था; मेरी तो हथेली में भी नहीं आ रहा था। मैंने चौंक के उसको देखा तो वो मुस्कुराने लगा और कहा- यही तुम्हारी चुदाई करेगा।
मैंने डरते हुये कहा- ये तो अभी से बहुत बड़ा महसूस हो रहा है।
उसने बोला- ये लो पूरा देख लो! और अपना कच्छा नीचे उतार दिया।
अब मेरे सामने एक लंबा तगड़ा लड़का पूरा नंगा खड़ा था और मैं आश्चर्य से उसके शरीर और काले मोटे लण्ड को देख रही थी। मैं खुश भी थी और हैरान भी!
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ में लण्ड रख दिया। मुझे बड़ी गुदगुदी सी हुयी और हाथ पीछे कर लिया।
हर्षिल बोला- डरो मत, इसे पकड़ो और सहलाओ।
वो सोफ़े पे टांगें खोल के बैठ गया और मुझे अपने पास बुला कर घुटनों के बल कार्पेट पे बैठा दिया।
मैंने उसका लण्ड हाथ में लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। उसका लण्ड तन के और सख्त हो गया और पूरा लण्ड जोश में उफान मार रहा था जैसे कोई साँप हो।
हर्षिल ने बोला- हाथ से तो मैं भी सहला लेता हूँ, तुम इसे किस करो।
मैंने घूर के उसको देखा और कहा- छीः!
हर्षिल बोला- छीः नहीं बेबी, होंठों से किस करो टोपे को लण्ड के।
मैंने धीरे से उसके लण्ड के टोपे को किस किया तो वो झटका सा ले गया। हर्षिल ने जोर की आह भरी, मैं समझ गयी इससे और जोश आ रहा है इसे।
हर्षिल ने कहा- फिर से करो ऊपर से किस।
मैं जैसे ही किस करने के लिए झुकी, उसने मेरा सिर पीछे से दबा दिया और आधे से ज्यादा लण्ड मेरे मुंह में चला गया.
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