RE: Sex kahani मासूमियत का अंत
उसका लण्ड उफान मार रहा था और हर्षिल ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स’ करने लगा। मुझे बड़ी घिन्न सी आ रही थी शुरू में … पर फिर अच्छे से चूसने लगी.
हर्षिल तो सातवें आसमान पे था, बोला- कितनी बार तुम्हारी फोटो देख के अपने लण्ड को बेवकूफ बनाया है, आज सच में तुम्हारे होंठों के बीच में है।
लगभग 3-4 मिनट चूसने के बाद मैंने लण्ड मुंह से बाहर निकाला, वो मेरे थूक से चिकना हो गया था।
अब बारी मेरी थी, हर्षिल ने कहा- अब शरमाना कैसा? अपनी ब्रा और पैंटी उतार दो।
मैं उठी और खड़ी हो गयी, मैंने कहा- ये काम तुम करो।
हर्षिल की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और उसने पकड़ के खींच ली और पीछे फेंक दी।
वो मेरे गोरे और मोटे बूब्स को देख के पागल सा हो गया और मैं हल्का सा शरमा रही थी। वो मेरे पास आया और मेरे बांयें बूब को हाथ में भर के भींच दिया. मैं कसमसा गयी और उसे देखने लगी।
वो बोला- ऐसे क्या देख रही है?
मैंने कहा- आराम से दबाओ।
वो हंसने लगा और फिर उसने मेरे दोनों बूब्स ज़ोर से भींच दिये. मैं दर्द से तिलमिला उठी, मैंने उसके हाथ हटा दिये।
फिर उसने कहा- बुरा मत मानो, इसी में तो मजा है। और धीरे धीरे हाथ से मसलने लगा.
मेरे बूब्स कठोर होते चले गए और मुझे भी मदहोशी सी होने लगी। तभी उसे पता नहीं क्या शरारत सूझी उसने मेरे निप्पल अपनी उँगलियों से मसल दिये ज़ोर के … और मैं चिल्ला पड़ी दर्द से।
वो हंसने लगा।
मैंने गुस्से से कहा- आराम से करना है तो करो, वरना मैं चलती हूँ! और मुंह फेर के खड़ी हो गयी।
हर्षिल पीछे से आया और मेरे बूब्स को पकड़ को आराम आराम से दबाने लगा और बोला- सॉरी बेबी!
मैं सिसकारियाँ लेने लगी, अब मुझे भी जोश चढ़ने लगा था, मैं उसका पूरा साथ देने लगी।
उसने मुझे सोफ़े पे बैठने को कहा तो मैं बैठ गयी, वो मेरे पास आया और मेरे घुटने पकड़ के मेरी टाँगें एकदम से खोल दी और पैंटी को पकड़ के एक झटके में उतार के फेंक दिया।
अब उसके सामने मेरी कुँवारी चूत थी, आधे मिनट तक तो वो देखता ही रहा, मैंने कहा- ऐसे क्या देख रहे हो?
वो बोला- क्या चीज़ बनाई है खुदा ने, इससे पहले ऐसी खूबसूरत चूत नहीं देखी, जितनी भी मारी है सब खुली हुई थी।
मैंने कहा- इसे भी तुम्हें ही खोलना है … पर प्यार से।
उसने कहा- इस चूत का तो भोसडा बना दूंगा जानेमन, तुम देखती जाओ।
मैं शरमा के मुस्कराने लगी और नीचे देखने लगी।
वो मेरी चूत के पास आके सूंघने लगा और कहा- क्या खुशबू है!
और फिर किस करने लगा।
मुझे तो मानो जन्नत का सुख मिल गया हो, मैं ‘स्ससस स्सश सश्शसस उम्म म्म’ करने लगी। अब हर्षिल अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगा और जीभ अंदर बाहर करने लगा। मैं ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी।
करीब 3-4 मिनट तक वो मेरी चूत चाटता रहा और मैं उसका सिर अपनी चूत पे दबाती रही। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। अब वो समझ गया कि मैं लंड लेने के लिए तैयार हूँ।
मैंने कहा- ऐसे ही लगे रहोगे या डालोगे भी? प्लीज डालो न … प्लीज प्लीज प्लीज डाल दो अब तो!
अब मेरी सील टूटने ही वाली थी।
हर्षिल खड़ा हुआ और बोला- चलो बेडरूम में चलो, मैं सबको वहीं चोदता हूँ।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और बेडरूम में ले आया।
उसने कहा- कैसे डालूँ … सामने से या पीछे से?
मैंने कहा- सामने से डालो, मैं सील टूटते हुए तुम्हें देखना चाहती हूँ।
उसने मुझे लिटाया बेड पर और मेरी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया चूत ऊपर करने को।
अब नज़ारा मेरे सामने था। मेरी गोरी और चिकनी टाँगें खुली हुई थी और सामने था लंबा तगड़ा हर्षिल अपने 7 इंच के लन्ड को सहलाते हुए।
वो मेरे ऊपर आया और मेरी चूत पे अपने लण्ड का मुंह रख के रगड़ने लगा। मेरी हालत जोश से खराब हो रही थी और वो मुस्कुरा के मजे ले रहा था।
मैंने कहा- प्लीज डाल दो।
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