RE: Sex kahani मासूमियत का अंत
हर्षिल को भी दर्द हुआ था, वो भी आआआह कर के ऊपर देख रहा था। फिर थोड़ा शांत होने के बाद उसने मेरी आँखों में देखा और कहा- सॉरी यार, पर तूने ही कहा था कि एकदम से घुसेड़ दो।
मैंने कहा- हम्म .. कोई नहीं, अभी ऐसे ही रहो, दर्द कम हो जाने दो थोड़ा सा।
फिर लगभग आधे मिनट बाद मैंने कहा- अब ठीक है, अब लगाओ धक्के।
उसने अपना लंड बिना पूरा बाहर निकाले ही धक्के मारना शुरू किया और इधर मुझे मजा आना शुरू हुआ। मैं और हर्षिल एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे और मैं ‘आआह आआआह …’ कर के सिसकारियाँ ले रही थी। हर्षिल भी हम्म हम्म कर रहा था। मेरे खुले बाल भी ज़ोर ज़ोर के हिल रहे थे और वो मेरे चेहरे के पास आ के उम्म उम्म साँसें ले रहा था।
उसके चेहरे पे मुस्कुराहट आ गयी थी हालांकि मैं हल्के दर्द के साथ चुद रही थी।
मैंने कहा- हंस क्यों रहे हो?
उसने कहा- यार, मैं कितना लकी हूँ कॉलेज में जो तुम्हें सच में चोद रहा हूँ।
मैंने कहा- तो लकी मैन, थोड़ी स्पीड बढ़ा दो। लगाओ धक्के ज़ोर से … और ज़ोर से!
और हर्षिल ने ‘ऊम्म ऊन्ह उन्ह ऊन्ह …’ कर के धक्के तेज़ कर दिये, पूरा बेड हिलने लगा और मैं सुख के आसमान में उड़ने लगी। मैं कामुक आवाजें निकाल रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह अह अहह हर्षिल और ज़ोर से … येस येस और तेज़ और तेज़!
हर्षिल तेज़ी से चोदे जा रहा था; न वो झड़ने का नाम ले रहा था, न मैं।
फिर वो थकने लगा, उसकी और मेरी भी साँस फूल गयी थी। वो कुछ देर के लिए रुक गया पर उसका लौड़ा मेरी चूत के अंदर ही पड़ा रहा।
मैंने आह भरे स्वर में पूछा- आह हर्षिल, क्या हुआ?
तो हर्षिल चिढ़ के बोला- साली रांड, इंसान हूँ मशीन नहीं। सांस फूल गयी है, थोड़ा तो रहम कर।
मैंने बोला- ठीक है कर लो, लंड निकाल के साइड में लेट जाओ।
वो मेरे साइड में गिर गया और हम दोनों हाँफते हुए साँसें काबू में करने लगे।
लेटे लेटे ही उसने मेरी तरफ देखा और कहा- इतनी आग है तुझमें चुदने की … मैं सोच भी नहीं सकता था।
मैंने कहा- तुमने ही मेरी जवानी की चिंगारी को हवा दी है, अब आग तो भड़केगी ही! और हंसने लगी।
वो भी हंसने लगा और ऊपर देखने लगा।
हम नंगे ही एक दूसरे के बगल में पड़े रहे लगभग 5 मिनट तक। मैं उसके लंड को प्यार से सहलाती रही और हम इधर उधर की बातें करते रहे।
मैंने कहा- चलो फिर शुरू करें!
वो मुस्कुराया और बोला- अब तुम मेरे लंड पे आ के बैठो और उछल कूद करो।
मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया और थोड़ा सा चूसा ताकि वो चिकना हो जाए। फिर लंड के ऊपर बैठी और चुत में ले लिया। हर्षिल की तरफ मुंह करके उसकी छाती पे हाथ रख लिए और लंड पे ऊपर नीचे होने लगी। हर्षिल का लंड काफी लंबा था और काफी अंदर तक जाता था। मुझे तब अहसास हुआ कि कितनी मेहनत लगती है धक्के मारने में। मैं लंड पे कूद रही थी और हर्षिल की आँखों में देख रही थी, मैं ज़ोर ज़ोर से आह आह आहह आहह चिल्ला रही थी और हर्षिल मुझे बड़ी हवस भरी नजरों से देखे जा रहा था।
हम दोनों एक दूसरे को देख के शैतानी हंसी हंस रहे थे।
लगभग ऐसे ही 5-6 मिनट चुदने के बाद मैं हर्षिल की छाती पे लेट गयी अपने बूब्स सटा के। कुछ देर मैं चुत में लंड लिए शांति से उसकी बांहों में पड़ी रही। फिर हर्षिल ने मुझे उसकी हालत में अपनी बांहों में भर के लंड अंदर बाहर करना शुरू किया और मैं फिर उसपे पड़े पड़े चुदती रही, चुदाई का सुख लेती रही, मेरे बाल बिखर गए थे और वो उनमें हाथ हाथ फिरा के प्यार से देख रहा था।
तकरीबन 7-8 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे कहा- अब उल्टी लेट जा!
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