RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
पर मुझे पता नहीं क्यों ये अच्छा लगा और मैं मन ही मन मुस्कुरा दी और शावर चला कर जिस्म मसल मसल कर नहाने लगी। नहाते नहाते ही उस आखरी पेग ने मुझे बिल्कुल टाईट कर दिया। अपना जिस्म भी मुझसे ठीक तरह पौंछा नहीं गया। बाथरुम से बाहर निकलते ही मैं गिरती पड़ती बेड पे गिर गयी।
ढिल्लों अभी भी वहां खड़ा पेग के साथ सिगरेट पी रहा था। मैं पूरे सरूर में थी, मैंने उसे आवाज़ दी- आओ न जानू!वो बोला- आ गया … रुक … क्यों हो गयी टल्ली? जिस्म तो पौंछ लेती ठीक तरह, रुक … मैं करता हूँ।यह कहकर उसने नीचे पड़ा तौलिया उठाया और फिर बेड पे आकर मुझे थोड़ा बैठाया और फिर धीरे धीरे सारा जिस्म पौंछा।
तभी अचानक उसने टॉवल दूर फेंक दिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका लण्ड अब पूरी तरह खड़ा था, मेरी टाँगें अपने आप उसकी पीठ पर आ गयी और मैंने उसे जकड़ लिया।उसे मेरी यह अदा बहुत पसंद आई और वो ज़ोर ज़ोर से मेरे घूंट भरने लगा।
इस बार मैं और ज़्यादा नशे में थी जिसके कारण मुझे दीन दुनिया की खबर भूल के पूरा जोश चढ़ गया था। इस बार मैंने सोचा हुआ था कि पूरे मन से चुदूँगी। उसका लण्ड बार बार मेरी फुद्दी को टच कर रहा था, जिसके कारण अब ये पूरी तरह पनिया गयी थी।5 मिनट इसी तरह किस करते करते मैं पूरी तरह गर्म हो गयी और अपने आप मेरे मुंह से निकला- अब डाल भी दे ढिल्लों!उसने उलटा सवाल किया- कितना?मैंने कहा- पूरा, जड़ तक, बना दे जट्टी को हीर, कोई कसर न रहे।
यह सुनते ही उसने अपना लण्ड गांड के नीचे से मसलते हुए ऊपर फुद्दी तक 4-5 बार फेरा, मेरे मुंह से निकला- आह, आह, हां, हां, ढिल्लों डाल दे।तभी उसने अपना सुपारा मेरी चूत के मुहाने पर रखा और और तेज़ झटका मारा, मेरी एक तेज़ चीख कमरे की दीवारों से टकराई, एक बार फिर उसने पूरा निकाल के फिर जड़ तक पेला, मेरी फिर एक तेज़ चीख निकली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
इस बार मैं पूरे जोश में थी, मैंने हार नहीं मानी और दांत और अपने हाथों से चादर को भींच कर अगली होने वाली ज़बरदस्त कुश्ती के लिए तैयार हो गयी. और जब उसने तीसरी बार पूरा लण्ड निकाल कर जड़ तक पेला तो मैंने पूरा जोर लगाकर अपनी गांड ऊपर उठायी, हालांकि चीख मेरी इस बार भी निकली थी। लण्ड धुन्नी तक पहुंच गया था और बच्चेदानी के कहीं आस पास ही था।तभी पूरा अंदर डालकर वो रुका और बोला- ये हुई न बात, तेरे से इसी की उम्मीद थी। अब आएगा असली मज़ा, बहुत कम बार तेरे जैसी बराबर की औरत मिलती है।मैंने भी जवाब दिया- आ जा ढिल्लों, गूंथ दे आटे की तरह जट्टी को, तेरे जैसा मर्द पहली बार मिला है, तेरे लिये तो मेरी जान भी हाज़िर है। उधेड़ दे मुझे कपडे की गेंद की तरह।
यह सुनते ही वो बहुत जोश में आ गया और मुझसे बोला- करता हूँ तेरी पहलवानी चुदाई।यह कहकर उसने मेरी टांगें मोड़ कर अपनी मज़बूत बांहों में ले लीं और मेरी तह लगा दी। अब हाल ये था मेरी फुद्दी चट्टान की तरह बहुत ऊंची उठ गयी। अब खेल मेरे बस में 1 प्रतिशत भी नहीं था और मैं 1 इंच भी नहीं हिल सकती थी।
अब उस फौलादी इंसान ने लगातार पूरा बाहर निकाल कर 4-5 झटके दिए। मेरी चूत उसके लंड पर बेरहमी से कसी गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत का अंदरूनी हिस्सा उसके लंड के साथ ही अंदर बाहर हो रहा था।
तभी ज़ोर ज़ोर से चीख़ते हुए मैं सर से पैरों तक कांप गयी और इतने ज़ोर से झड़ी कि मेरी सुधबुध ही गुम हो गयी.
कहानी जारी रहेगी.
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