RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
अब वो उठा और उसने अपना लंड मुझे दिखाया बल्ब की रोशनी में … वो मेरे कामरस से पूरा गीला था और चमक रहा था। मुझे यह देखकर बहुत तसल्ली हुई कि मैंने आखिर यह किला भी अपने पूरे होशो हवास में फतेह कर लिया था जो हर औरत के बस की बात नहीं।
एक तो मैं दारू से बिल्कुल टल्ली थी, दूसरा मैं पौने फुट के एक लंड से बुरी तरह चुदी थी और कई बार कांप कांप कर झड़ी थी, मुझमें उठने की बिल्कुल हिम्मत नही थी और वैसे ही अल्फ नंगी बेड पर पड़ी थी, वो निप्पल अभी भी मेरी गांड में थी।
मैंने टाइम देखा तो शाम के 7 बजे थे।तभी मुझसे वो बोला- टाइम क्या देखती है, अभी तो सुबह के 7 बजे तक चुदना है तुझे; बाकी अभी तो मैंने तुझे एक ही पोज़ में चोदा है, बहुत सारे पोज़ बाकी हैं। डर मत, पूरी तसल्ली कर के भेजूंगा। बाकी तेरी चूत बहुत गहरी है, बहुत कम औरतों की चूत इतनी गहरी होती है, तेरा कद छोटा है, मगर चूत उतनी ही गहरी है, इसीलिए मेरा झेल गयी तू… आम तौर पे औरतें मेरा पूरा अंदर नहीं ले पातीं। पिछली बार जब मैंने एक औरत को चोदा था तो चीख चीख कर कमरे से ही भाग गई थी। मगर तू मोर्चे पे डटी रही। वैसे तेरी तसल्ली करानी बहुत मुश्किल है, लेकिन मेरा नाम भी ढिल्लों नहीं अगर तू बार बार मेरे पास न आई।
मैं भी अपनी तारीफ सुनकर जोश में आ गयी और ये कह गयी- मेरा नाम भी रूप नहीं, अगर तेरी तसल्ली न कराई तो, उछल उछल कर दिया करूँगी तुझे, इस बार मोर्चा मैं ही सँभालूंगी।यह सुनकर वो बहुत खुश हुआ और बोला- अब आयेगा डबल मज़ा!
यह कहकर उसने एक फोन किया और पता नहीं क्या मंगवाया और बोला कि जल्दी भेज देना!और फिर मुझसे बोला- जल्दी नहा ले, कहीं घूम कर आते हैं, और हां कपड़े मत पहनना, मैंने मंगवा लिए हैं, वही पहनना।मैं बोली- बाहर ठंड लगेगी, रात को ठंड बहुत हो जाती है।उसने कहा- भैनचोद, ठंड दी माँ की आंख, ऐसे नही लगने दूंगा ठंड, चल ये पेग लगा ले देसी का!“मैं तो पहले ही काफी पी चुकी हूँ।”“और पी ले, इसका नशा ज़्यादा है पर ये बहुत जल्दी उतर जाती है, वर्ना अगर तेज़ ले आता तो अब तक 5-6 पेग पीने के बाद बेहोश पड़ी होती। चल पी ले, ठंड नहीं लगेगी बाहर, पास ही रात में एक मेला लगा है, देखके आते हैं दोनों, जा नहा ले, कपड़े आते ही होंगे।”
दरअसल अगर इतनी ठंड में मैं कमरे में पिछले 3 घंटों से नंगी थी! वह तो रूम हीटर, देसी और फुद्दी की गर्मी थी।
मैं बाथरूम में गयी और गर्म गर्म पानी से नहाई।तभी डोरबेल बजी, कोई आदमी आया और ढिल्लों को कुछ कपड़े देकर चला गया। मैं नहा कर बाहर आई तो ढिल्लों ने मुझसे कहा- ये कपड़े पहन ले।मैंने खोल कर देखा तो वो एक हरे रंग छोटी सी निकर और एक सफेद रंग की टी शर्ट थी। निकर का साइज तो काफी छोटा लग रहा था।मैं पैंटी पहनने लगी तो उसने मना कर दिया और कहा- सिर्फ इसे ही पहन!
मैंने उसे पहनने की कोशिश की तो वह मेरे घुटनों के ऊपर आकर फंस गयी। तभी मैंने उसे कहा- यार, बहुत छोटी है मेरे लिए!तो वो मेरे पास आया और बोला- नहीं; ठीक है!और निकर को पकड़ कर ऊपर खींच दिया और मुझे पहना दी।
यह बेहद छोटी निकर थी, पहले तो मुझे लगा कि वो फट जाएगी लेकिन वो एक शानदार खुलने वाले कपड़े की बनी थी और फटी नहीं। निकर बहुत लो-कट थी। एलास्टिक धुन्नी(नाभि) के बहुत नीचे थी और वो निकर नीचे से मेरी फुद्दी पर कस गई थी। वो मेरी मेरी मेहंदी लगी जांघों को ढकने की बजाये और पेश कर रही थी। मेरे बड़े बड़े चूतड़ उसमें और खुल कर सामने आ गए थे।
जांघ की मेहंदीतभी मैंने टीशर्ट भी पहनी और लो … ये भी धुन्नी के बहुत ऊपर आकर खत्म हो गयी। मेरा चिकने और गोरे पेट का ज़्यादातर हिस्सा खुला ही था। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे एक जोड़ी बेहद ऊंची एड़ी के सैंडल दिए।
मैं उन्हें पहन कर शीशे के सामने गयी तो हैरान रह गयी। उस निकर में तो मेरा पिछवाड़ा पहाड़ लग रहा था, नंगी थी तो इतना नहीं लगता था। एक बार मेरे पति ने मनाली ले जाकर मुझे एक टाइट जीन पहना दी थी। मेरा पिछवाड़ा देख देख कर जनता हमारे पीछे पीछे ही घूमती रही, उसी दिन उसने मुझे बोल दिया था कि आगे से जीन या निकर नहीं पहननी।और यह निकर इतनी छोटी और टाइट थी कि मेरे निचले जिस्म का रोम रोम नुमाया हो गया था। ऊपर से वो टी शर्ट बहुत शार्ट थी, धुन्नी के आधा फुट ऊपर ही रह गयी। नीचे बेहद ऊंची एड़ी के सैंडल।
चूत का आकारतभी वो मुझसे बोला- थोड़ा चल के तो दिखा मेरी झम्मक-छल्लो!मैंने कमरे में ही बाल ठीक करते करते दो-तीन चक्कर लगाए। मैंने कभी इतनी ऊंची एड़ी के सैंडल नही पहने थे। चलने में बहुत दिक्कत आ रही थी।तो मैंने उससे कहा- ये सैंडल नहीं पहनने, एड़ी बहुत ऊंची है औए नशा भी है, गिर जाऊँगी।“कोई बात नहीं जानेमन, गिर गई तो उठा लूंगा, लेकिन यही पहनने हैं बस!”
मैंने पूरी तरह तैयार होकर उससे पूछा- हम जा कहाँ रहे हैं?तो उसने बताया कि शहर की बगल में ही एक मेला लगा है, वहां घूम कर आते हैं और मैंने कुछ दोस्त भी बुलाये हैं, ज़रा उन्हें थोड़ा जला तो दूं तुझे दिखा कर … तेरा जलवा दिखा कर!
मैंने कुछ सोच कर कहा- हां, हां, मिल तो मैं लूंगी लेकिन मुझे चुदना नहीं है और किसी से … और अगर ऐसा हुआ तो फिर मुझे भूल जाना हमेशा के लिए। तुम जैसे चाहो कर सकते हो, और किसी से नहीं ओके?उसने कहा- चुदवाने नहीं ले जा रहा हूँ, टेंशन मत ले, दिखाने ले जा रहा हूँ तेरा मक्खन जिस्म … चल आजा जल्दी।
मैंने कहा- मुझे ठंड लगेगी, ऊपर से कुछ पहन लूं?अब वो चिढ़ गया- नखरे मत कर, बाहर गाड़ी खड़ी है, चुपचाप चल के बैठ जा, समझी!
मैं मुँह सा बनाती, उन ऊंची एड़ी के सैंडलों पर धीरे धीरे उसके साथ चलने लगी। ऐसा लग रहा था कि मेरे चूतड़ निकर फाड़ के कभी भी बाहर आ सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
चूतड़ मटकाती उसकी फारचूनर गाड़ी में आगे उसके साथ बैठ गयी और वो गाड़ी चलाने लगा।
कहानी जारी रहेगी.
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