RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मेरी जवानी की वासना की कहानी के पिछले भाग में पढ़ा कि मेरा मनपसंद लंड मेरी चूत में था और…
वो बहुत जोश में आ गया और मुझसे बोला- करता हूँ तेरी पहलवानी चुदाई।यह कहकर उसने मेरी टांगें मोड़ कर अपनी मज़बूत बांहों में ले लीं और मेरी तह लगा दी। अब हाल ये था मेरी फुद्दी चट्टान की तरह बहुत ऊंची उठ गयी। अब खेल मेरे बस में 1 प्रतिशत भी नहीं था और मैं 1 इंच भी नहीं हिल सकती थी।
अब उस फौलादी इंसान ने लगातार पूरा बाहर निकाल कर 4-5 झटके दिए। मेरी चूत उसके लंड पर बेरहमी से कसी गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत का अंदरूनी हिस्सा उसके लंड के साथ ही अंदर बाहर हो रहा था।
तभी ज़ोर ज़ोर से चीख़ते हुए मैं सर से पैरों तक कांप गयी और इतने ज़ोर से झड़ी कि मेरी सुधबुध ही गुम हो गयी.अब आगे:
बूम … बूम … बूम!और मेरे मुंह से आवाज़ निकली- ऊंह, ऊंह, ऊंह, गूँ गूँ गूँ!उसके फ़ौलादी लंड के 10-12 घस्सों ने ही मुझे चरम तक पहुंचा दिया था और मेरी अकड़ी चूत के चारों खाने चित कर दिए थे। मेरी हवस को शांत कर दिया था.
ओह, क्या ताकतवर मर्द था … इससे पहले मेरी चूत की आग किसी मर्द ने इस तरह 10-12 झटकों में नहीं बुझाई थी।क्योंकि अब मैं तृप्त हो चुकी थी तो मैंने उससे कहा- ढिल्लों, बस करो, मेरा हो गया है.ये शब्द मैंने अपने ऊपर चढ़े हुए पहले मर्द को कहे थे, नहीं तो चाहे मुझे कोई घंटे तक भी पेले, मैं हार नहीं मानती थी।
लेकिन क्या वो रुकने वाला था?नहीं!और वो बोला- रुक जा जानेमन, अभी तो ट्रेलर ही दिखाया है, पूरी फिल्म अभी चलनी बाकी है.ये कहकर वो धीरे और लंबे झटके लगाने लगा। शायद अब वो धीरे इस लिए हो गया था क्योंकि वो मुझे बेहोश नहीं करना चाहता था।
मैं खुले मुँह से उसकी तरफ़ देखती रही और 5 मिनट तक इसी तरह चुदती रही। इसके बाद मेरी फुद्दी फिर गर्म यानि तैयार ही गयी। मज़ा आने लगा तो उसके हर झटके के साथ मैं कोशिश करती कि लंड और अंदर तक जाए।वो मेरी इस हरकत तो समझ गया और फिर पहलवानी चुदाई करने लगा।
तो जनाब … अब आ रहा था असली मर्द के नीचे लेटने का मज़ा। मेरी आंखें बंद हो गयीं, टाँगें अपने आप और ऊपर उठ गयीं, हाथ अपने आप उसकी पीठ पर चले गए। स्वर्ग था बस … जी करता था कि सारी उम्र इसी तरह चुदती रहूं, कमरे में ज़ोर ज़ोर से टक, टक, टक की आवाज़ें दीवारों से टकरा रही थी, जो मेरे बड़े पिछवाड़े और उसकी जांघों से पैदा हो रही थी। बेड चूं चूं कर रहा था। मेरी चूत बुरी तरह से उसके लंड पर कसी गयी थी जैसे उसे अब छोड़ना ही न चाहती हो।
तभी अनायास ही मेरे मुंह से निकला- मुझे देखना है ढिल्लों!वो बोला- क्या देखना है तुझे?“इतना बड़ा लंड कैसे जा रहा है, देखना है बस मुझे … कुछ करो प्लीज़!”मुझे चोदते चोदते हुए ही वो बोला- देखना क्या है इसमें, तेरी चूत की मां बहन एक हो रही है.यह कहकर उसने पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर पूरे ज़ोर से अंदर धकेल दिया- कोई नहीं … तेरी सारी इच्छाएं पूरी करूँगा, मगर इस बार तो तुझे जी भर के चोदूंगा, अगली बार तेरी पहाड़ों पर ले जा के मारूँगा।
यह सुनकर मैं चुप रही और हो रही ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा लेने लगी। मैं उसके बलिष्ठ शरीर के नीचे बुरी तरह दबी हुई थी। ऊपर से कोई देखे तो सिर्फ मेरी टाँगें ही दिखतीं। अब मैंने पूरे जोश में आकर अपने आठों द्वार खोल दिये थे और उसे बुरी तरह किस करने लगी।
मेरे पूर्ण समर्पण के कारण अचानक मेरी गांड से 2-3 पाद निकले, जिसकी आवाज़ उसने सुन ली और कहा- लगता है इसे भी ज़रूरत है अब! रुक, इसका प्रबंध भी करके आया हूँ।यह कहकर उसने एक झटके से अपना लंड बाहर निकाला और नीचे उतर अपने बैग में से एक चीज़ निकाली।मैं खुले मुँह से देखती रह गयी।
अचानक लंड बाहर निकालने की वजह से मुझे अपनी फुद्दी बिल्कुल खाली खाली महसूस हुई, पंखे की हवा बहुत अंदर तक महसूस हो रही थी मेरी खुली फुद्दी में। वो चीज़ एक बड़ी निप्पल जैसी थी, जो टोपे से बिल्कुल पतली थी और फिर बीच में 2-3 इंच मोटी और जड़ से बिल्कुल पतली थी। उसके बाद एक छल्ला था। उसने उस पे थूका और आकर मेरी गांड में एक झटके से अंदर डाल दी। मैं थोड़ा चिहुंकी मगर वो ज़्यादा बड़ी नहीं थी। उसकी शेप की वजह से गांड में जाकर फिट हो गयी और मेरी गांड बिल्कुल बंद हो गयी। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी गांड में कोई छोटा सा लंड घुसा हो।
इसके बाद जनाब … चढ़ गया वो फिर ऊपर, टाँगें और चूत फिर छत की तरफ। उसकी इस हरकत से पागल हो गयी और हिल हिल के चुदने लगी। हीटर लगे कमरे की गर्मी बहुत बढ़ गई थी, दोनों पसीने से भीग गए थे।20-25 मिनट तक उसने मुझे वो ठोका कि मुझे जन्नत मिल गयी। मैं इस दौरान 4 बार कांप कांप कर झड़ी थी। आखिर उसने अपना ढेर सारा माल अंदर ही निकाला, जिसकी गर्मी मुझे अपनी फुद्दी के ठीक अंदर महसूस हुई। मुझे ये बहुत अच्छा लगा। क्या चुदाई हो रही थी आज मेरी!
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