RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
8-10 कदम और तो किसी ने मुझे टच करने की बजाए कोई खास हरकत नहीं की और आराम से इधर उधर चलते रहे। लेकिन जैसे जैसे मैं चलती गई, मैं उनमें घुटती गई। अब चलना बहुत मुश्किल हो गया था, मेरे आगे पीछे दाएं बाएं मर्द ही मर्द जमा हो गए।
मुझे पता था कि यह ढिल्लों की शरारत है, फिर भी मैं जैसे तैसे दुकान जी तरफ अपने शराबी कदम बढ़ाती रही। दुकान अभी 30 कदमों की दूरी पर दिखाई दे रही जब पीछे से कुछ हाथ आये और मेरी तरबूजी चूतड़ों की मुट्ठियाँ भरने लगे।
कुछ पलों बाद आगे से भी लड़ते झगड़ते हाथ आये और मेरी फुद्दी में उंगलियां डालने लगे। कुछ हाथ और आये और टीशर्ट के नीचे घुस कर मेरे मम्मे मसलने लगे। अचानक हुए इन हमलों से मैं बहुत घबरा गई और मुझे लगने लगा कि ये भीड़ तो मेरे कपड़े फाड़ कर मेरा काम कर देगी।
यह तो शुक्र था कि निकर बहुत ज़्यादा टाइट थी और बहुतों की घमासान कोशिशों के बाद भी किसी का हाथ अंदर नहीं सरक पाया। उन लोगों की इन हरकतों से मैं चंद मिनटों में ही गर्म हो गयी और मुझे वो हाथ चुभने बंद हो कर अच्छे लगने लगे। लेकिन नंगी और बेइज़्ज़ती से डर कर मैंने खुद को संभाला और अपनी फुद्दी और चूतड़ों से हाथ हटाते करते दुकान की तरफ बढ़ने लगी।
अभी दुकान बस 15 कदमों की दूरी पर थी कि पीछे से एक बड़ा हाथ बढ़ा और उसने मेरे ठीक नीचे अच्छी तरह सेट हो के एक मर्दाना झटके से मुझे उठा लिए और आगे बढ़ने लगा। मैं बहुत सहम गई कि अब तो मेरा काम तमाम होना और बेइज्जती पक्की है.पर जब मैंने पीछे मुड़ के देखा तो मेरी जान में जान आ गयी क्योंकि वो कोई और नहीं ढिल्लों ही था।मेरे मुंह से अपने आप निकला- ओह, ढिल्लों, मेरी जान, बचा लिया।
तभी ढिल्लों ने अपना रिवॉल्वर निकाल कर भीड़ को सिर्फ इतना कहा- चलो ओए, तितर बितर हो जाओ।और भीड़ गिरती पड़ती बिखर गई और उसने मुझे नीचे उतार दिया।
इसके बाद वो मुझे उस दुकान पर के गया और पीछे आते अपने दोस्तों को हाथ उठा कर आवाज़ लगाई। वो तीनों जब हमारे पास आये तो मुझे देखते हो रह गए। सभी ने मुझसे अपने हाथ मिलाये और मेरा हालचाल पूछा।उन तीनों में से दो तो लगभग ढिल्लों जितने ही लंबे थे और तीसरा उनसे छोटे कद का था, लेकिन उसका कद भी 6 फ़ीट के आसपास ही होगा।
तभी उनमें से एक जिसका नाम जग्गी था, ने मुझे देख ढिल्लों को कहा- इस बम्ब पटोले को कहाँ से ढूंढा? ऊपर से नीचे तक तराशी हुई है।ढिल्लों ने उससे कहा- चुप कर साले, भाबी है तेरी … हां, मैंने इसे नहीं, इसने मुझे ढूंढा है, सोंह रब्ब दी, बड़ी लाटरी लग गयी इस बार तो।
तभी उसमें से छोटे कद वाले जिसका नाम गिल था (जनाब ये सब बदले हुए नाम हैं), ने मुझे अपना कोट उतार कर पहना दिया और बोला- ढिल्लों कमीने, नंगी को ही ले आता इससे तो, भैनचोद कुछ पहना तो देता, देख कैसे ठंड लग रही है इनको। और काम भी ये तेरा ही है साले हब्शी।
यह सुन कर ढिल्लों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और कहा- तुम लोगों की नई भाभी को मेले को दिखाना था, दुनिया को जला रहा था, साले आज आधे घर जाकर मुठ्ठ मारेंगे।
वे ऐसे बेतकलुफ्फ होकर बातें करने लगे जैसे मैं कोई लड़का हूँ, मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुई।यह देख कर वो चुप हो गए और हम सब हल्की फुल्की बातें करते मेले में टहलने लगे। ढिल्लों के दोस्त किसी न किसी बहाने मुझे टच करते ही रहे और ढिल्लों से डबल मीनिंग बातें करते रहे।तभी हम लोग एक चूड़ियों की दुकान पर रुके और ढिल्लों ने मुझे ना-नुकर करती हुई को भी एक लाल चूड़ा पहना दिया, ये उसने क्यों किया इसका जवाब उसने नहीं दिया और सिर्फ इतना बोला कि अच्छा लग रहा है।
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