RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैं बेड के किनारे से उठी और उस मखमली बेड की बेक पर सिरहाना लगा कर बैठ गई और अपने ऊपर चादर चढ़ा ली। तभी मैंने एक बार फिर चोरी चोरी अपनी फुद्दी का मुआयना किया। हाथ लगा कर देखा तो उंगली सीधी फुद्दी के अंदरूनी हिस्से से जाकर टच हुई जैसे उसका बाहरी भाग तो खत्म ही हो गया हो। उसने इन 2-3 वारों से ही मेरी फुद्दी को चौड़ा कर दिया था।
मेरे मुंह से एक सिसकारी सी निकली और सोचा कि अगर ढिल्लों से चुदती रही तो ये फुद्दी को कुछ और ही बना डालेगा।
घड़ी में देखा तो 8:30 बज चुके थे, तभी मैंने अपना फोन उठा कर अपने पति को लगाया। उसने कहा- कहाँ हो रानी क्या कर रही हो?”मैंने कहा- जानू रूम में हूं और बड़े ज़ोरों से पढ़ाई (चुदाई) चल रही है।उसने कहा- तुझे एक बार फिर पढ़ाई का शौक कैसे चढ़ गया, देख मेरे लंड की हालत बहुत बुरी हो रही है, आज की रात तो मुश्किल से ही गुज़रेगी, चल कोई बात नहीं, तुझे पढ़ना है तो पढ़ ले। कुछ पेपरों की ही बात तो है।
मैंने जवाब दिया- पढ़ाई (चुदाई) का शौक तो मुझे शुरू से ही था, लेकिन ये 2 साल मैं तुम्हें ही देना चाहती थी, अब सोचा कि एम ए तो कर ही लूँ और उसके बाद एक जॉब तलाश कर करूं, घर में बोर हो जाती हूँ सारा दिन!तभी उसने कहा- चलो कोई बात नहीं, पढ़ ले तू, मैं थोड़ी देर में फिर करता हूं, पेग लगा रहा हूं, बहुत ठंड हो गई है, बाय।
ढिल्लों बातें सुन कर मुस्कुराता रहा और अब उसने कहा- साली, बड़ी चालू औरत है, देख उसको कैसे फुद्दू बनाया है।इसके बाद ढिल्लों मेरे पास आ गया और मुझे बांहों में भर के कुछ हल्की फुल्की बातें करता रहा और मेरे भरे हुए जिस्म पर हाथ फेरता रहा। हालांकि कोई होता और तो मैं इतनी जल्दी तैयार न हो पाती, लेकिन ढिल्लों के फ़ौलादी हाथों की हरकतों से फुद्दी एक बार फिर गीली कर दी और मेरी आवाज कामुक हो गई।
मेरी आवाज से वो समझ गया कि जट्टी एक बार फिर कुश्ती के लिए तैयार है और उसने पक्का करने के लिए अपना एक हाथ नीचे सरका कर फुद्दी में एक उंगली पिरो दी और 2 दिन बार गोल गोल घुमाई।मैं गर्म तो हो गई थी लेकिन मेरी फुद्दी इस बार ज़्यादा नहीं पनिया पायी थी क्योंकि मेरे जिस्म का सारा रस तो वो पहले ही निचोड़ चुका था। इस बार चिकनाहट काम होने की वजह से मुझेपता था कि मेरी फुद्दी अब छिलने वाली है।
यह सोच कर मैंने उससे कहा- जानू मिन्नत है कि कुछ लगा लेना अपने हथियार पर, मुझे तो तुमने नीम्बू की तरह निचोड़ दिया है, पहली बार जट्टी को किसी ने ये कहने पे मजबूर कियाहै।उसने कहा- वैसे मूड तो यही था कि उधेड़ के रख दूं, लेकिन तेरे जैसी घोड़ी मस्ती में चुदती ही अच्छी लगती है।
तभी वो उठकर दूसरे कमरे में गया और एक अंडा उठा लाया और उसको एक गिलास में डाल कर बार बार हिलाया। जब वो पूरी तरह से घुल गया तो उसने मेरे ऊपर से चादर हटा के दूर फेंक दी और गिलास लेकर खुद मेरी टांगों में बीच में गया और दो उंगलियां अंडे से भिगो कर अंदर डाल दीं। अंडे की चिकनाहट की वजह से मुझे उसकी उंगलियां भी छोटे लंड जैसे लगीं। उसने बार उंगलियां और अंडे से भीगो कर अंदर बाहर कीं और मेरी मक्खन शेव फुद्दी को ज़बरदस्त तरीके से ग्रीस कर दिया।
उंगलियों की वजह से मैं एक बार फिर घोड़ी के तरह चुदने के लिए तैयार हो गई।
तभी उसने अपना सेक्स टॉय जो बच्चों की निप्पल जैसा था और जो गांड में जाकर एकदम फिट हो जाता था, उठाया और अंडे में डुबो कर मेरी गांड में ठूंस दिया।
तो दोस्तो, अब फिर एक बार मेरी ठुकाई की तैयारी पूरी हो चुकी थी, मेरे चोदू यार ने मेरी टाँगें एक बार फिर अपने डौलों पर धर लीं और मेरी तह लगा दी मगर उसने खुद लौड़ा अंदर नहीं डाला और मुझसे बोला- डाल जट्टीये अपने आप अंदर!मुझे यह बात बहुत पसंद है कि लौड़ा पकड़ कर मैं खुद अंदर डालूँ … पर ढिल्लों को यह बात पता नहीं कैसे पता थी।
खैर मेरे मन की यह छोटी सी मुराद पूरी हुई। मैंने हाथ नीचे ले जा कर उसके वज़नदार लौड़े को अपनी मुट्ठी में भर लिया और दो तीन बार ऊपर नीचे किया। ये मैंने इसलिए किया क्योंकि उस बड़े और मोटे गर्म लौड़े को अपने छोटे से हाथ में लेकर एक न बयान की जा सकने वाली तसल्ली मिलती थी।
इसके बाद मैंने उसे पकड़ कर अपनी फुद्दी पर ऊपर से नीचे तक 8-10 बार रगड़ा और फिर मुहाने पर रख कर नीचे से धक्का मारने की कोशिश की।मगर मैं असफल रही।ढिल्लों हंस पड़ा और फिर अचानक उसने अपनी कमर ऊपर उठाई और अपना खूँटा मेरी फुद्दी में जड़ तक पेल दिया। अंडे की चिकनाहट की वजह से मुझे बिल्कुल दर्द न हुआ और मेरे मुंह से अपने आप उसके कान में निकला- हाय ओऐ जट्टा, धुन्नी तक ला दित्ता। (हाय रे जाट … नाभि तक पहुंचा दिया.)
जाट और जाटनी की पेलम पेल कहानी जारी रहेगी.
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