RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
तभी ढिल्लों बोला- बस इतना ही दम था जट्टीये, बातें तो बड़ी बड़ी कर रही थी?तभी मैंने अपनी बेहद उलझी हुईं सांसें संभाल कर उसे प्यार से कहा- ढिल्लों, बहुत टिका-टिका के मारी है यार तूने, इतना बड़ा भी पहले कभी नहीं लिया था, और दारू भी कितनी पिला दी, लेकिन देख ले फिर भी डटी हुई हूँ, फुद्दी जितनी मर्ज़ी मार ले, मोर्चे से नहीं हटूंगी, पर मारेगा तू ही, मुझमें बिल्कुल दम नहीं बचा है, अभी अभी 1 बार झड़ के हटी हूँ.
“ओह … वाह ठीक है, फिर डटी रहना!” ये कहकर वो मुझे उसी तरह लंड अंदर किए बेड से उतर गया और 1 पल के बाद जब मैंने देखा कि वो मेरी बड़े और बेहद गोल पिछवाड़े को अपने हाथों में भर के खड़ा है तो मेरी हैरानी की कोई हद न रही। मेरे जैसी हैवी गाड़ी को इस तरह उठाना आसान काम नहीं है। हैवी इसलिए कि मैं बेहद भरे हुए बदन की हूँ। कद चाहे थोड़ा छोटा है मगर बड़े बड़े मम्मे और जाँघें हैं मेरी।
रूपिंदर कौरऔर उस हब्शी जट्ट ने अब क्या किया था कि लौड़ा अंदर फंसाये ही वो मुझे लेकर के खड़ा हो गया था और इससे भी आगे खड़ा ही नहीं चार पांच कदम चल कर मेरे पिछवाड़े को कैमरे के आगे भी ले गया था। अब मैं उससे इस तरह लिपटी हुई थी जैसे कि कोई बेल हूँ, ऊपर से मैंने उसे जफ्फी डाली हुई थी और नीचे मेरा पिछवाड़ा उसके दो हाथों में था, फुद्दी में लौड़ा और गांड में निप्पल अटकी हुई थी और टाँगें नीचे लटक रही थीं।
इस पोज़ में चुदने की मेरी सदियों से इच्छा थी क्योंकि मैंने बहुत सारी ब्लू फिल्मों में घोड़ियों (मज़बूत लड़कियों को मैं घोड़ियां ही कहती हूँ) को इस तरह चुदते हुए देखा था। मैंने अपनी पति और दो-एक आशिकों को ऐसे चुदने के लिए भी बोला था, लेकिन आशिक तो मुझे उठा ही नहीं पाए और पति ने उठा तो ली लेकिन घस्से 2 ही मार सका और हम गिरते गिरते बचे।
अब वो बोला- आ जा जट्टीये, फिर मैदान में!और यह कहकर उसने अपने हाथों से मेरे गोल तरबूजी पिछवाड़े को ऊपर उठाया और पूरा लौड़ा टोपे तक बाहर निकाल के जड़ तक पेल दिया। एक बहुत ऊंची ‘फड़ाच’ की आवाज़ आयी और सुनसान कमरे में भर गई, यह आवाज़ मेरे चूतड़ों और उसकी जांघों की ही नहीं थी, मेरी फुद्दी की भी थी।
अब मेरे मुंह से निकला- जान ले ली ढिल्लों, स्वाद आ गया सोंह रब्ब दी।(भगवान की कसम)वो बोला- तो ले फिर और लूट मज़े जट्टीये!यह कहकर उसने फिर मेरा पिछवाड़ा उसी उठाया और मेरी फुद्दी को अपने लौड़े पर ज़ोर से दे मारा और फिर रुक गया। फिर वही आवाज़ आयी, फड़ाच और मेरे मुंह से निकला- अज्ज चक्क दित्ते फट्टे जट्टी दे, ओए ढिल्लों।
अब ढिल्लों ने अपनी रफ्तार तेज़ कर दी और मेरी गांड को पीछे लेकर वो और तेज़ी से घस्से मारने लगा। जनाब इसे चुदाई नहीं कहते। ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी फुद्दी से कोई दुश्मनी निकाल रहा हो लेकिन इससे मुझे तकलीफ नहीं हो रही थी बल्कि एक असीम आनंद मिल रहा था।
मेरे जिस्म का सारा भार मेरी फुद्दी पर था और वो एक हल्लबी लौड़े के उपर किसी छल्ले की तरह लिपट गयी थी। ढिल्लों जब दूर ले जा कर लौड़े को फुद्दी के अंदर बेरहमी से मारता तो मेरे मुंह से पता नहीं क्या क्या अनाप शनाप निकल जाता जैसे कि- हाय मर गई … नज़ारा आ गया … चक्क ता कम्म ओए… हाय … मेरे शेरा!वगैरा वगैरा।
तभी उसके हाथों के साथ मैं खुद कमर हिला के देने लगी और जितने ज़ोर से मेरी फुद्दी उसके लौड़े पर पर बज सकती थी, मारी। तभी एकदम मैं फिर अकड़ गई और मेरी फुद्दी “बूम बूम बूम” करके झड़ी। मेरा काम होते वक़्त मेरे से मुंह से बहुत ऊंची आवाज़ निकली- फिर आ गयी घोड़ी तो, हम्म … हुम्म … हंह हूँ।
अब जी करता था कि ढिल्लों मुझे छोड़ दे … मगर वो कहाँ मानने वाला था। मैंने मैदान में डटी रहने का वादा किया था और मैं वादा नहीं कभी नहीं तोड़ती चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये। जब मैं हिल हिल कर झड़ गई तो उसके बाद ढिल्लों ने मुझ पर थोड़ा रहम करके अपनी गति कम कर दी और धीरे मगर वही लंबे शॉट मरता रहा। मैं उसकी ताकत से बलिहारी जा रही थी क्योंकि इसी पोज़ में चोदते हुए उसे 20-25 मिनट हो चुके थे मगर उसकी घस्सों में कोई कमी नहीं आयी थी।
वैसे आपको बता दूं कि जनाब ये चुदाई नहीं होती जो वो मेरी कर रहा था, ये हार्डकोर ठुकाई होती है और इसके दोनों औरत और मर्द का धडल्लेदार होना ज़रूरी है नहीं तो ये ठुकाई नहीं दर्द बन जाती है।
जैसे कि मैंने बताया कि अब वो मेरी बिल्कुल धीरे धीरे चुदाई कर रहा था। मेरे काम रस की वजह से उसके टट्टे भी भीग गए थे। मेरी फुद्दी के पानी और अंडे ने मिल कर फुद्दी को बिल्कुल ग्रीस कर दिया था और उसमें फंसा हुआ काला बादशाही लौड़ा मेरी बहुत अच्छी सर्विस कर रहा था जिसकी मुझे जन्मों से ज़रूरत थी।
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