RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
जब मेरी अकड़ी हुई पंजाबी फुद्दी का मिलन उसके भारी भरकम लौड़े से होता तो ‘पड़ाच …’ की आवाज़ कमरे में गूँज जाती। अब मुझे ये तो यकीन हो गया था कि अब मेरी फुद्दी उसके लौड़े के आकार से ढल गई है और मेरी उससे आगे होने वाली ठुकाइयों में दर्द का नामोनिशान तक नहीं होगा और सिर्फ़ मज़ा ही मज़ा होगा।
10-12 मिनट वो इसी तरह मुझे उठाये धीरे धीरे चुदाई करता रहा और इस तरह से घोड़े ने अगले राउंड के लिए थोड़ी ताकत भी जमा कर ली थी। अब उसका थोड़ी सांस चढ़ गई थी। तभी उसने मेरी मेहंदी लगी जांघ को अपनी फ़ौलादी बाहों पर उठाया और मेरी फुद्दी को ज़ोर से अपने लौड़े पर मारा, आवाज़ आयी ‘फड़ाच’ और मेरे मुंह से निकला- हाय, मेरी जान!
मैं अभी गर्म तो नहीं हुई थी लेकिन दर्द न होने की वजह से मैंने उसे कहा- चक्क दे कम्म, ढिल्लों, फुद्दी तेरे हवाले ही है।ढिल्लों यह सुन कर खुश हुआ और उसने अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी कर के मुझे पेलना शुरू कर दिया और मार मार घस्से मेरी गांड लाल कर दी। आवाज़ आ रही थी- थक, थक, थक, थक!और मेरे मुँह से निकल रहा था- हूं … हूं … हूं …
जब उसने इसी तरह 40-50 तूफानी घस्से मारे तो मैं भी जोश में आ गयी और उसकी ताकत पे पूरा भरोसा करके अपनी नीचे लटकी हुई टाँगें उसकी कमर के गिर्द लपेट दीं और अपनी जफ्फी हटा कर उसके कंधों पर दोनों हाथ धर लिए और उसकी आँखों में अपनी अधखुली आंखें डाल कर टिकटिकी लगाए उसे चैलेंज की तरह उसे देखने लगी।
तभी ढिल्लों बोला- घोड़ीए, थक गया, रुक ज़रा!यह कहकर उसने मुझे नीचे उतार कर बेड के किनारे लिटा दिया और कपड़े से मेरी फुद्दी और अपना लौड़ा अच्छी तरह से साफ कर लिया।फिर उसने मेरी गांड में से वो छोटा सा खिलौना निकाल दिया, जो पूरी तरह फिट था।
रूपिन्दर कौर के चूतड़और जब उसने मुझे दूसरी बार फिर अपनी बाहों में उठाया तो मुझे अपनी गांड खाली ख़ाली लगी। इस बार ढिल्लों से मुझे उठाकर एक झटके से लौड़ा मेरी फुद्दी के अंदर पेल दिया और इतनी जोर से ठुकाई करने लगा कि मेरे जिस्म का रोम रोम हिल गया। घस्से वो मेरी फुद्दी पर मार रहा था लेकिन महसूस मेरा सारा जिस्म कर रहा था। उसका हरेक तूफानी शॉट मेरे जिस्म में करंट की तरह फैल रहा था।
इस घमासान चुदाई के कारण मेरा मुंह पूरी तरह खुल गया और अब आ … आ… आह … आह … की लगातार आवाज़ निकल रही थी। मेरे जोश को देख कर वो पागल हो गया और उसी तरह लगातार मेरी आँखों में आंखें डाल कर मुझे चोदता रहा।
तभी उसने अपनी एक बड़ी उंगली मेरे थूक से गीली करके पीछे ले जाकर कर मेरी गांड में पेल दी तो मुझे जन्नत मिल गयी।8-10 मिनट की इस जंगी चुदाई में मेरी टाँगें अपने आप उसकी पीठ पर लिपट गईं और हम दोनों एक दूसरर की आंखों में आंखों डाल कर बहुत ज़ोरों शोरों से झड़े। इस पोज़ में भी घोड़े ने अपना माल (जो कि काफी होगा) मेरी फुद्दी के बहुत अंदर निकाला जिसकी गर्मी पाकर आपकी जट्टी धन्य हो गई।
ढिल्लों ने हांफते हुए मुझे बेड पर उतारा और खुद मेरी बगल में लेट कर कहा- कमाल की घोड़ी है यार तू … तुझे अपना पूरा ज़ोर लगा कर पेला, मगर तूने टांग नहीं उठाई, सचमुच मज़ा आ गया। बड़ी करारी फुद्दी है तेरी! और हां तेरी फुद्दी ही नहीं, तेरी गांड भी मेरी है, लेकिन उसका उद्घाटन अगली बार!
अपनी यह तारीफ सुन कर मैं बहुत खुश हुई और उससे कहा- देखता जा ढिल्लों, तेरी इस जवान घोड़ी में बहुत ताकत है, बस तू मोर्चे पर डटे रहना, मैं तो हिल हिल के चुदूँगी तेरे से … मेरी फुद्दी में आग है आग, और वो सिर्फ तू ही बुझा सकता है अब जैसे कि इस बार बुझाई, थैंक्यू यार तेरा, बड़ी टिका के मारी है जट्टी की।
प्रिय दोस्तो आपको मेरी चुदाई स्टोरी कैसी लगी जरूर बताएं।
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